पुरे विश्व में डायबिटीज से 42.2 करोड़ से भी ज्यादा लोग परेशान हैं। बढ़ती डायबिटीज के साथ जरुरी हैं सही जांच और सही इलाज। आज हम लोग इस बात को कुछ और गहराई से जानेंगे , यूरिन ग्लूकोस टेस्ट के बारे में समझेंगे। इस बारे में पूरा जानने के लिए इस ब्लॉग को पूरा पढ़े।
यूरिन ग्लूकोस टेस्ट क्या हैं? | Urine Glucose Test in Hindi
यूरिन ग्लूकोस टेस्ट में मूत्र में मौजूद शुगर की मात्रा को मापते हैं। इस टेस्ट को यूरिन शुगर टेस्ट,ग्ल्य्कोर्सिया या ग्लुकोरिसा टेस्ट भी कहते हैं। ग्लूकोस, जो एक तरह की शुगर हैं, यह हमारे शरीर के एनर्जी का भी एक अंग हैं। जो कार्ब्स हम खाते हैं वह ग्लूकोस में बदल जाते हैं।
सामान्यता, मूत्र में ब्लड शुगर बहुत कम होता हैं या होता ही नहीं हैं। जब ब्लड में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती हैं तो, किडनी उस बढ़े हुए ग्लूकोस को मूत्र के द्वारा हमारे शरीर से बाहर निकाल देती हैं। मूत्र में हाई शुगर का मतलब शरीर में हाई ब्लड शुगर।
यह टेस्ट मूत्र के स्तर पर ब्लड शुगर की उपस्तिथि का पता लगता हैं। यदि यूरिन में ग्लूकोस की मात्रा सामान्य से अधिक हैं तो यह डायबिटीज की तरफ इशारा करता हैं। उसके बाद डॉक्टर आगे के टेस्ट करेंगें और उसका इलाज शुरु करेंगें।
मगर, मूत्र में हाई ग्लूकोज़ लेवल्स का मतलब यह नहीं हैं की आप को आवश्यक रूप से डायबिटीज हैं। यदि आप के मूत्र में हाई ग्लूकोस हैं पर ब्लड शुगर सामान्य हैं, तो आप को किडनी सम्बन्धी समस्या हो सकती हैं। कुछ किडनी सम्बन्धी समस्या जैसे ग्ल्य्कोर्सिया और फंकोनी में भी मूत्र के साथ ग्लूकोस निकलना के लक्षण भी होते हैं।
यूरिन शुगर टेस्ट क्यों कराएं ?
यूरिन शुगर टेस्ट मूत्र में उपस्थित कणों की जांच के लिए किया जाता हैं, मूत्र में सोडियम, क्रिएटिनिन, क्लोराइड और पोटैशियम जैसे कणों की जाँच की जाती हैं। जिसके आधार पर डॉक्टर/पैथोलोजिस्ट यूरिन के अलग-अलग भागों की जांच करते हैं। इसके साथ साथ मूत्र में केतोनेस की मात्रा की भी जांच करते हैं। इसके द्वारा पैथोलोजिस्ट शुगर की मात्रा का अनुमान लगाता हैं।
कुछ समय पहले, एक यूरिन शुगर टेस्ट किया गया था, हांलकि, बाद में, उसकी अशुद्धियाँ के कारण से डायबिटीज का पता लगाने के लिए मूत्र टेस्ट को प्राथमिकता नहीं दी गयी। इसीलिए, डॉक्टर अब डायबिटीज टाइप 2 का पता लगाने और उपचार के लिए मूत्र टेस्ट के बजाय ब्लड शुगर टेस्ट को प्राथमिकता देते हैं।
वर्तमान समय में आप का डॉक्टर आप को यूरिन ग्लूकोस टेस्ट की सलाह तभी देता हैं, जब ब्लड शुगर टेस्ट संभव नहीं होता। इसके बहुत कारण हो सकते हैं:
- जब किसी व्यक्ति की ब्लड वेसल या नसे सामान्य से छोटी होती हैं।
- बार-बार छेद होने से स्किन को हुआ नुकसान।
- जब किसी व्यक्ति को सुई से डर लगता हो।
तो, डॉक्टर प्रारंभिक अवस्था (शुरुआती स्टेज) में इस टेस्ट का सुझाव देते हैं।
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यूरिन ग्लूकोस टेस्ट कैसे करे? | Urine Glucose Test Procedure in Hindi
यूरिन ग्लूकोस टेस्ट मूत्र जांच से किया जाता हैं, पैथोलॉजी लैब आप को एक यूरिन ग्लूकोस किट देंगी, जिसमें एक सफाई करने वाला कपडा, एक मूत्र एकत्र करने कंटेनर, एक थैली और एक गाइड बुक (जरुरी नहीं) शामिल होगा।
जीवाणु-रहित यूरिन सैंपल के लिए नीचे दिए गए निर्देशो का पालन करे:
- साबुन से सही से हाथ साफ़ करे और उन्हें पोंछकर सुखा ले।
- कंटेनर को बिना हाथ अंदर डाले खोलें।
- दिए गए कपड़े (क्लीनिंग वाइप) से अपने अंगो को साफ़ करे।
- पुरषों के लिए, लिंग को सिरे से नीचे तक पोंछे। यदि लिंग की स्किन बीच में हैं तो कंटेनर में मूत्र डालने से पहले उसको पीछे खीच ले।
- महिलाओं के लिए, योनि के लेबिया को अलग कर दे और दिए गए कपड़े का उपयोग करके स्किन को साफ़ करे।
- टॉयलेट करना शुरु करे और फिर रुके और अब मूत्र एकत्र करने वाले पात्र में टॉयलेट करे। ध्यान रखे की कंटेनर आप के शरीर को टच न करे।
- कंटेनर मार्किंग या लैब पेशेवर के निर्देश अनुसार ही मूत्र एकत्र करे।
- दोबारा टॉयलेट करने के बाद, कृपया हाथ धोए और पूँछ ले।
- कंटेनर का कसकर ढक्कन लगा दे और दिए गए पाउच में डालकर सील कर दे। अपने हाथ दोबारा साबुन से साफ़ करे।
पीरियड्स के दोरान महिलाओं और बवासीर वाले वयस्कों को डॉक्टर और लैब को सूचित करना चाहिये।
यूरिन ग्लूकोस टेस्ट करने से पूर्व कुछ बातो का ध्यान रखे:
वैसे यूरिन ग्लूकोस टेस्ट से पूर्व कोई विशेष सावधानी नहीं रखनी पड़ती, हालाँकि डॉक्टर को आपके द्वारा निर्धारित और ओवर-द-काउंटर दवाओं के बारे में बता देना सबसे अच्छा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ दवाई यूरिन ग्लूकोस टेस्ट में आपके ग्लूकोस स्तर को गड़बड़ा सकती हैं। मगर, दवाईया तभी बंद करे जब डॉक्टर सलाह दे।
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यूरिन ग्लूकोस टेस्ट का परिणाम(Urine me Glucose Kitna hona Chahiye)
शुगर और मूत्र का स्तर शरीर में सामान्यता बहुत कम रहता हैं, 0-0.8mmol/L इससे अधिक कुछ भी चिंता का कारण हैं, उच्च यूरिन शुगर टाइप 2 डायबिटीज का लक्षण हो सकता हैं। एक बार मूत्र में उच्च ग्लूकोस का पता चलने पर, आपका डॉक्टर आपको ब्लड शुगर टेस्ट लिखेगा।
कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर स्तर बढ़ जाता हैं। अन्य महिलाओं की तुलना में गर्भवती महिला के मूत्र में अधिक शुगर की मात्रा होती हैं। मूत्र में उच्च शुगर का स्तर गर्भावधि डायबिटीज का कारण हो सकती हैं। इसलिए उनको प्रतिदिन निगरानी की आवश्कता होती हैं। ऐसी महिलाओं को गर्भावस्था में फ़ौरन जांच करनी चाहिए।
ब्लड शुगर कम हैं, लेकिन यूरिन में शुगर अधिक हैं।
जब आप का ब्लड शुगर कम हो और आपके मूत्र में उच्च शुगर मोजूद होती हैं, तो यह दर्शाता हैं की आपको किडनी की समस्या हैं। किडनी की समस्या दुर्लभ बीमारी जिसको रीनल ग्ल्य्कोसुरिया कहा जाता हैं, इसमें सामान्य ब्लड शुगर के साथ मूत्र ग्लूकोस भी उच्च रहता हैं। इसमेंकिडनी ब्लड मेंशुगर के बहाव को रोक नहीं पाती हैं। मूत्र मेंकी मात्रा बढ़ जाती हैं। मूत्र मेंउच्च शुगर के स्तर के आलावा, कीटोन्स की जांच कराना आवश्यक हैं।
यदि आप की यूरिन टेस्ट की रीडिंग सामान्य से अधिक हो, तब डॉक्टर मूत्र ग्लूकोस की मात्रा को कम करने के लिए उपचार की सलाह देगा। इसीलिए उपचार के साथ बने रहना जरुरी हैं। मूत्र ग्लूकोस और प्रोटीन की बढ़ी हुई मात्रा आपकी मानसिक सेहत को भी प्रभावित कर सकता हैं। मगर, घबराये नहीं बल्कि शांति से चीजों को संभाले।
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शुगर और यूरिन ग्लूकोज़ टेस्ट
डायबिटीज को मूत्र में उच्च ग्लूकोस का सबसे आम कारण मन जाता हैं। इन्सुलिन हार्मोन ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करते हैं। जब इन्सुलिन सही से अपना काम नहीं कर पाती तो इससे डायबिटीज होती हैं। डायबिटीज के कुछ अन्य संकेत ये भी हैं:
- बहुत अधिक प्यास लगना।
- अचानक से वजन बढ़ना या घटना।
- मुंह सुख जाना।
- आँखों में धुंधलापन।
- थकान।
- अत्याधिक और बार-बार मूत्र आना।
डायबिटीज दो प्रकार की होती हैं:
- टाइप 1 डायबिटीज
- टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 1 में, शरीर पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन उत्पन्न नहीं कर पता हैं। यह स्व-प्रतिरक्षित स्थिति हैं, इस स्थिति में शरीर में इन्सुलिन बाहर से इंजेक्ट किया जाता हैं।
टाइप 2 में, शरीर की कोशिकाएं इन्सुलिन हार्मोन के प्रति प्रतिरोधी हो जाती हैं और वह ठीक से काम नहीं कर पाती हैं। इस प्रकार की डायबिटीज सुस्त जीवनशैली और जननिक रूप से प्राप्त होता हैं।
दोनों ही प्रकार में, यूरिन में ग्लूकोस की मात्रा अधिक मिलती हैं। ब्लड शुगर टेस्ट से हमें इसका टाइप पता चलता हैं।
यूरिन ग्लूकोस टेस्ट में शामिल जोखिम:
यूरिन शुगर टेस्ट करने में किसी भी प्रकार का कोई जोखिम नहीं हैं और संकर्मण का भी बहुत कम खतरा हैं। क्योंकि ये टेस्ट आप के द्वारा आपके घर पर ही किया जा सकत हैं और लैब द्वारा दी गई किट सील बंद होती हैं, इसी कारण से इस टेस्ट में जोखिम न के बराबर होता हैं। यूरिन शुगर टेस्ट, ब्लड शुगर टेस्ट से अधिक सुरक्षित होता हैं, परन्तु यह ब्लड शुगर टेस्ट से कम सटीक होता हैं।
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यूरिन शुगर का घरेलू इलाज ?
यूरिन (urine) या ग्लाइकोसुरिया (glycosuria) में ज्यादा मात्रा में ग्लूकोस के बढ़ने से उपचार की ज़रूरत भी पड़ सकती और नहीं भी। अगर आप को पहले से कुछ इस तरह की समस्या है जो आप को मूत्र के द्वारा अधिक ग्लूकोस छोड़ने के लिए मजबूर करती है, तो इसके उपचार की आवश्कता नहीं है।
लेकिन यदि आप के मूत्र में शुगर लेवल के बढ़ने का कारण डायबिटीज है, तो आपका डॉक्टर कुछ दवाईयों को लिख सकता है और साथ ही में आप की जीवनशैली में भी कुछ बदलाव करने का भी सुझाव दे सकता है।
जब मूत्र में शुगर को प्राकर्तिक रूप से कम करने के उपाय की हम बात करते हैं, तो यह कुछ उपचार दिए गए है जिनके उपयोग से आप अपने मूत्र में शुगर को कम कर सकते हैं :
- दिन में 30 से 45 मिनट तक ताकत और मांसपेशियों के निर्माण वाले वर्कआउट को करना होगा। मांसपेशिया ग्लूकोस को अब्सॉर्ब कर लेती है जिससे आपका शुगर लेवल कम हो जाता है।
- घरेलु उपायों में सबसे अधिक लोकप्रिय उपचारों में से एक है संतुलित भोजन योजना का होना। इस डायबिटिक डाइट प्लान (Diet plan) में पोषक तत्वों से भरपूर भोजन शामिल होंगे जो आप के शुगर लेवल को नहीं बढाएँगे। डाइट प्लान (Diet) का पालन करने से आप को आवश्यक रूप से ब्लड ग्लूकोस को काबू (नियंत्रण) करने में मदद मिलेंगे।
- अगला है, ब्लड शुगर को कण्ट्रोल करने के लिए उचित शुगर की दवाई का उपयोग करना, जो आपका डॉक्टर निर्धरित करता है। कोई भी दवाई लेने से पहले आप को अपने डॉक्टर से मिलना चाहिये। डॉक्टर आप की स्वाथ्य की स्थिति के अनुसार आप को दवा लिखेंगे और उनका आप पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।
- अलग-अलग परीक्षणों (टेस्ट) के द्वारा अपने ब्लड शुगर पर ध्यान रखना शुरु करें। शुगर टेस्ट की एक सूची बनाएं जो आप दिन में अलग-अलग समय पर करने जा रहे हैं।
ऊपर दिए गए सुझावों से आप के इन प्रश्ननों का उत्तर देंगे की यूरिन शुगर लेवल को कैसे कम करें। डायबिटीज के कारण मूत्र में शुगर की ज्यादा मात्रा एक जीवन भर की समस्या बन सकती है। ऊपर दिए गए सुझावों का पालन करने से आप को इस संबध में मदद मिलेगी।
अगर यूरिन में ग्लूकोस को लेकर कुछ समस्या आ रही रही तो हम से संपर्क करे। हमारे पास स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम है जिन्होंने ऐसे स्थिति वाले लोगों की मदद की है। हमारा यह विस्तृत मार्गदर्शन आप की निश्चित रूप से इसे आसानी से पकड़ने में मदद करेगा।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जब आपके मूत्र में अधिक मात्रा में शुगर जमा हो जाती हैं, तो डायबिटीज के कारण मूत्र धुंधला-सा दिखाई देता हैं। आप के मूत्र में भी फल जैसे या मीठी खुशबू आ सकती हैं।
निम्नलिखित उपायों का प्रयोग करके:
– अपने खाने में से शुगर और फ़ास्ट फ़ूड को अलग कर दे।
– खाने में सम्पूर्ण खाद्य पदार्थ के साथ-साथ सब्जी की पर्याप्त मात्रा शामिल हो।
– साथ ही, कार्ब का सेवन दिन में 180 ग्राम से कम हो।
– जूस और सोडा को छोड़कर पानी का अधिक से अधिक सेवन करें।
– प्रतिदिन कसरत करे और वजन कम करे।
कई व्यक्तिओं में, प्रति लीटर प्लाज्मा में 10 mmol ग्लूकोस से अधिक ब्लड शुगर के स्तर के कारण मूत्र में शुगर आने लगती हैं। इस स्तर को शुगर के लिए ‘रीनल थ्रेसहोल्ड’ भी कहा जा सकता हैं।
सामन्यता, मूत्र में शुगर नहीं होती हैं। लकिन, डायबिटीज वाले व्यक्ति के, शुगर किडनी से मूत्र में जा सकती हैं।
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