शुगर के साथ जीवन यापन करने के लिए यह जरूरी है कि हम यह समझें कि यह किस तरह से हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। शुगर केवल डायबिटीज को मैनेज करने के बारे में नहीं है, बल्कि यह उन जटिलताओं और नुकसानों से बचाव के बारे में भी है जो शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकते हैं। इस ब्लॉग में, हम शुगर के कारण होने वाली बीमारियों और नुकसानों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही यह भी जानेंगे कि ये जटिलताएं कैसे पैदा होती हैं और इनके प्रभाव को कम करने के लिए हमें क्या करना चाहिए।
शुगर का शरीर पर क्या असर होता है?
शरीर में लंबे समय तक शुगर का लेवल ज्यादा रहने से (हाइपरग्लाइसीमिया) कई तरह की बीमारियां और शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं। आइए देखें कैसे शुगर शरीर को नुकसान पहुंचाता है:
- इंसुलिन प्रतिरोध और हाइपरग्लाइसीमिया: टाइप 2 शुगर में शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रतिरोधक बन जाती हैं, जिससे शुगर का उपयोग कम हो पाता है। इससे खून में शुगर का लेवल बढ़ जाता है (हाइपरग्लाइसीमिया) और समय के साथ रक्त वाहिकाओं, अंगों और ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है।
- सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस: लंबे समय तक हाइपरग्लाइसीमिया और इंसुलिन प्रतिरोध शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ा देते हैं। यह सूजन रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, धमनियों को सख्त कर सकता है (एथेरोस्क्लेरोसिस) और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकता है, जिससे हृदय रोग और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- सूक्ष्म संवहनी जटिलताएं (Microvascular Complications): शुगर शरीर में छोटी रक्त वाहिकाओं (माइक्रोवास्कुलचर) को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे निम्न समस्याएं हो सकती हैं:
- डायबिटिक रेटिनोपैथी: आंख के रेटिना में रक्त वाहिकाओं को नुकसान होने से देखने में परेशानी और अंधापन हो सकता है।
- डायबिटिक नेफ्रोपैथी: लंबे समय तक शुगर का लेवल ज्यादा रहने से किडनी खराब हो सकती है, जिससे डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।
- डायबिटिक न्यूरोपैथी: नसों को नुकसान पहुंचने से हाथ-पैरों में सुन्न होना, झुनझुनाहट, दर्द और छूने का अहसास कम हो सकता है, जिससे चलने-फिरने में दिक्कत और जीवनशैली प्रभावित हो सकती है।
- डायबिटिक फुट कॉम्प्लीकेशन्स: खून का संचार कम होने और नसों को नुकसान पैरों में घाव, इंफेक्शन और पैर कटने का खतरा बढ़ा देते हैं।
- स्थूल संवहनी जटिलताएं (Macrovascular Complications): शुगर बड़ी रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करने वाली जटिलताओं का खतरा बढ़ा देता है, जिससे ये समस्याएं हो सकती हैं:
- हृदय रोग: एथेरोस्क्लेरोसिस और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने के कारण शुगर कोरोनरी धमनी रोग, दिल का दौरा, स्ट्रोक और पैरों में खून का संचार कम होने जैसी बीमारियों का एक प्रमुख जोखिम कारक है।
- हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप): लंबे समय तक हाइपरग्लाइसीमिया और इंसुलिन प्रतिरोध हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकते हैं, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
- चयापचय संबंधी असामान्यताएं (Metabolic Abnormalities): शुगर शरीर में पदार्थों के रूपांतरण की प्रक्रिया को प्रभावित करता है, जिससे असामान्य फैटी पदार्थों का लेवल (डिसलिपिडेमिया), कोलेस्ट्रॉल का असंतुलित मेटाबॉलिज्म और ट्राइग्लिसराइड्स का बढ़ना हो सकता है। ये असामान्यताएं धमनियों को सख्त करने (एथेरोस्क्लेरोसिस), फैटी लीवर रोग और अन्य चयापचय संबंधी विकारों का कारण बन सकती हैं।
- एंडोक्राइन और हार्मोनल असंतुलन (Endocrine and Hormonal Imbalances): शुगर शरीर के हार्मोन उत्पादन करने वाले अंगों जैसे थायराइड, अधिवृक्क ग्रंथियां और प्रजनन अंगों को प्रभावित कर सकता है, जिससे हार्मोन्स में असंतुलन हो सकता है। इससे वजन बढ़ना, मासिक धर्म का अनियमित होना और संतान प्राप्ति में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
शरीर में लंबे समय तक शुगर का हाई रहना (हाइपरग्लाइसीमिया) कई अंगों को प्रभावित करता है, शरीर में पदार्थों के रूपांतरण की प्रक्रिया को बिगाड़ता है, शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता और रक्त संचार को कमजोर करता है। शुगर का प्रभावी प्रबंधन जीवनशैली में बदलाव, दवाओं का नियमित सेवन, नियमित जांच और डॉक्टरी सलाह के माध्यम से किया जा सकता है। इससे शुगर के कारण होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकता है या कम किया जा सकता है और लंबे समय में स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
शुगर से होने वाले नुकसान
शुगर पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है और इससे हमारा स्वास्थ्य और जीवनशैली खराब हो सकती है। आइए देखें शुगर की वजह से शरीर पर क्या-क्या बुरा असर होता है:
- ऊर्जा का स्तर कम होना: शुगर में शरीर कोशिकाओं द्वारा शुगर का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता। इसलिए शरीर को ऊर्जा के लिए जरूरी शुगर नहीं मिल पाता और हम थका हुआ और कमजोर महसूस करते हैं।
- नींद में परेशानी: शुगर की वजह से नींद अच्छी नहीं आती। रात में बार-बार पेशाब लगना (Nocturia), शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव, शरीर में दर्द और नींद में सांस लेने में तकलीफ (Sleep Apnea) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इन वजहों से पूरी नींद नहीं आ पाती।
- शरीर में सूजन: अनियंत्रित शुगर शरीर में सूजन की समस्या पैदा कर सकता है। ज्यादा शुगर लेवल शरीर में सूजन पैदा करने वाले तत्वों को बढ़ा देता है। लंबे समय तक शरीर में सूजन रहना दिल की बीमारी, शरीर के अंगों में दर्द और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
- त्वचा संबंधी समस्याएं: शुगर त्वचा को भी प्रभावित करता है:
- झुर्रियां और बेजान त्वचा: ज्यादा शुगर लेवल की वजह से त्वचा जल्दी बूढ़ा लगने लगती है। इससे चेहरे पर झुर्रियां पड़ सकती हैं और त्वचा बेजान दिखाई दे सकती है।
- संक्रमण: शुगर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे त्वचा में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। घाव भरने में भी देरी हो सकती है।
- पैरों में घाव (Neuropathic Ulcers): शुगर की वजह से पैरों में घाव होने का खतरा बढ़ जाता है। नसों को नुकसान पहुंचने से पैरों में सुन्नपन की समस्या हो सकती है, जिससे घाव हो जाते हैं और ये घाव भरने में भी देरी करते हैं।
- अचानक वजन बढ़ना: कुछ लोगों में, खासकर टाइप 2 शुगर में, अचानक वजन बढ़ने की समस्या भी हो सकती है। इंसुलिन उपचार, इंसुलिन प्रतिरोध, हार्मोन्स में असंतुलन और भूख में बदलाव इसकी वजह हो सकते हैं।
इन सभी समस्याओं से बचने के लिए शुगर को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए स्वस्थ खान-पान, नियमित व्यायाम, तनाव कम करना, दवाइयां नियमित रूप से लेना, शुगर लेवल की जांच कराते रहना और डॉक्टर से नियमित सलाह लेना जरूरी है। इनके अलावा डायबिटीज शिक्षक, पोषण विशेषज्ञ और त्वचा रोग विशेषज्ञ से भी सलाह ली जा सकती है।
शुगर से होने वाले रोग
शुगर शरीर में ग्लूकोज नियंत्रित करने वाले हार्मोन इंसुलिन की कमी या खराब काम करने की वजह से होने वाली बीमारी है। इसमें खून में शुगर लेवल ज्यादा हो जाता है। अगर शुगर को कंट्रोल ना किया जाए तो शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। आइए देखें शुगर की वजह से कौन-कौन से रोग हो सकते हैं:
- हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप): शुगर की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। ज्यादा शुगर लेवल खून की नलियों और किडनी को खराब कर देता है। इससे नसें सख्त हो जाती हैं और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से दिल की बीमारी और लकवा का खतरा भी बढ़ जाता है।
- किडनी खराब होना (डायबिटिक नेफ्रोपैथी): लंबे समय तक शुगर लेवल ज्यादा रहने से किडनी खराब हो सकती है। इसे डायबिटिक नेफ्रोपैथी कहते हैं। इससे शरीर के गंदे पदार्थों को छानने की किडनी की क्षमता कम हो जाती है। अगर इसका इलाज ना किया जाए तो किडनी पूरी तरह से खराब भी हो सकती है, जिसके लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।
- नर्वस सिस्टम की समस्याएं (डायबिटिक न्यूरोपैथी): ज्यादा शुगर लेवल की वजह से शरीर के नसों को नुकसान पहुंच सकता है। इसे डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते हैं। इससे हाथ-पैरों में झुनझुनाहट, सुन्न होना, दर्द, और छूने का अहसास कम होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह पाचन तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे खाना पचाने में देरी होती है।
- आंखों की रोशनी कम होना (डायबिटिक रेटिनोपैथी): ज्यादा शुगर लेवल की वजह से आंखों को भी नुकसान पहुंच सकता है। इसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। इससे आंखों के पिछले हिस्से में रेटिना नाम की जगह को नुकसान पहुंचता है और धुंधला दिखना, आंखों के आगे काले धब्बे आना, आंखों से खून आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर इसका इलाज ना किया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है।
- दिल की बीमारी (हृदय संबंधी जटिलताएं): शुगर की वजह से दिल की बीमारी, दिल का दौरा, लकवा, और पैरों में खून का संचार कम होना जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादा शुगर लेवल, खराब कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और शरीर में सूजन इन बीमारियों को और बढ़ावा देती हैं।
- पैरों की समस्याएं: शुगर की वजह से पैरों में भी समस्या हो सकती हैं। नसों को नुकसान, खून का संचार कम होना और घाव भरने में परेशानी इन समस्याओं का कारण बनते हैं। इससे पैरों में घाव होना, इंफेक्शन होना और पैर काटने की नौबत भी आ सकती है।
इन सब समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है कि खान-पान, व्यायाम, वजन पर ध्यान दें, दवाइयां नियमित रूप से लें, शुगर लेवल की जांच कराते रहें और डॉक्टर की सलाह पर इलाज कराएं। आंखों की जांच, किडनी फंक्शन टेस्ट और पैरों की देखभाल भी बहुत जरूरी है।
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निष्कर्ष
शुगर को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसे मैनेज करने के लिए लगातार सावधानी और जागरूकता की आवश्यकता होती है। शुगर के कारण होने वाली बीमारियों और नुकसानों को समझ कर हम अपने स्वास्थ्य और सेहत की रक्षा के लिए सक्रिय कदम उठा सकते हैं। जीवनशैली में बदलाव, नियमित डॉक्टरी जांच, दवाओं का सेवन करके शुगर से जुड़े खतरों को कम किया जा सकता है। इसके अलावा शुगर से जुड़ी चुनौतियों के बावजूद आप स्वस्थ और पूरा जीवन जी सकते हैं। शुगर के साथ जीने में जटिलताओं को समझने के लिए ज्ञान और सक्रिय देखभाल ही सबसे महत्वपूर्ण चीज़ें हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
आम तौर पर शुगर को वजन कम होने से जोड़ा जाता है (खासकर टाइप 1 शुगर में)। हालांकि, कुछ टाइप 2 शुगर रोगियों में अचानक वजन बढ़ने की समस्या भी हो सकती है। इन्सुलिन का इस्तेमाल, हार्मोनल असंतुलन और भूख तथा मेटाबॉलिज्म में बदलाव वजन बढ़ने के कारण हो सकते हैं।
हां, शुगर नींद और ऊर्जा के स्तर को कई तरह से प्रभावित कर सकता है. ब्लड में शुगर का असंतुलित स्तर नींद में खलल डाल सकता है। शरीर कोशिकाओं द्वारा ऊर्जा के लिए शुगर का सही इस्तेमाल न कर पाने से थकान महसूस हो सकती है। रात में दर्द के कारण नींद पूरी नहीं हो पाती है। रात में बार-बार पेशाब आने से नींद बाधित हो सकती है।
शुगर से त्वचा संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं. शरीर में रक्त संचार कम हो जाता है, जिससे त्वचा रूखी होकर खुजली करने लगती है। शुगर घाव भरने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। ब्लड शुगर का हाई लेवल और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता त्वचा संक्रमण का खतरा बढ़ा देती है। नसों को नुकसान पहुंचने से त्वचा पर लाल या भूरे रंग के धब्बे पड़ सकते हैं, खासकर पिंडली और टांगों के सामने वाले हिस्से पर।
शुगर किडनी खराब होने का कारण बन सकता है। इसे डायबिटिक नेफ्रोपैथी कहते हैं। इससे किडनी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती और शरीर से वेस्ट पदार्थ बाहर निकालने में दिक्कत होती है। कुछ मामलों में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत भी पड़ सकती है। शुगर वाले लोगों में किडनी खराब होने से होने वाली दिक्कतें जानलेवा भी हो सकती हैं।
शुगर से आंखों में डायबिटिक रेटिनोपैथी नाम की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे आंखों की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है और अगर इलाज न कराया जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है। शुगर वाले लोगों में मोतियाबिंद (Cataracts) और ग्लूकोमा (Glaucoma) जैसी अन्य आंखों की समस्याएं भी ज्यादा होती हैं।
शुगर की वजह से नसों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे हाथ-पैरों में सुन्नपन, झुनझुनाहट, दर्द और छूने का अहसास कम हो सकता है। इससे खाने, पचाने, पेशाब करने में भी परेशानी हो सकती है।
शुगर से दिल की बीमारी, दिल का दौरा, स्ट्रोक और पैरों में खून का संचार कम होने का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादा शुगर खून की नलियों को सख्त कर देती है, जिससे खून का संचार रुक सकता है और दिल को नुकसान पहुंच सकता है।
शुगर शरीर में शुगर का लेवल ज्यादा हो जाने की बीमारी है। यह तब होता है जब शरीर या तो इंसुलिन सही से नहीं बना पाता या फिर शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पातीं। लंबे समय तक शुगर का लेवल ज्यादा रहने से शरीर के अंगों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
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