शुगर में गेहूं की रोटी खा सकते हैं क्या? शुगर में कितनी रोटी खानी चाहिए

Reviewed By Dietitian Dt. SEEMA GOEL (Senior Dietitian, 25 Years of Experience) फ़रवरी 7, 2024

गेहूं भारतीय लोगों के भोजन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। रोटी से लेकर पराठा तक बनाने में गेहूं का काफी अहम योगदान है। जैसा कि हम जानते हैं शुगर भारत में बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है, इसलिए इस प्रश्न का उत्तर खोजा जा रहा है कि “शुगर में गेहूं की रोटी खा सकते हैं क्या?” और जब स्वास्थ्य आंकड़े ऐसे हों तो इस बात का ध्यान रखना और भी जरूरी हो जाता है। द हिंदू द्वारा किए गए 2021 के एक अध्ययन के अनुसार भारत में 101 मिलियन लोग शुगर से परेशान थे और 136 मिलियन लोग प्री-डायबिटीज से परेशान थे।

गेहूं पुराने समय से भारत में भोजन का मुख्य हिस्सा रहा है। रोटी, चपाती, नान और अन्य गेहूं से बनने वाली चीजें पूरे देश में खाई जाती हैं, जो हमारे भोजन का एक अहम हिस्सा है। गेहूं की पौष्टिकता और उत्पादन इसे एक बड़ी आबादी के लोगों का मुख्य भोजन बनाती है। तो क्या गेहूं से शुगर होता है? या शुगर में गेहूं की रोटी खा सकते हैं क्या ? आइए इस ब्लॉग के माध्यम से इस बात को समझते हैं।

साबुत गेहूं या रिफाइंड गेहूं:

शुगर के लिए साबुत गेहूं और रिफाइंड गेहूं के बीच चयन करना जरूरी है। साबुत गेहूं में चोकर, अंकुर और बीज(एन्डोस्पर्म) होता है, जिसमे जरूरी पोषक तत्व और फाइबर मिलता है। यह ब्लड फ्लो में ग्लूकोज को धीमी गति से रिलीज करता है। जब बात यह उठती है कि शुगर में गेहूं की रोटी खा सकते हैं क्या ? तो जवाब है साबुत गेहूं का आटा शुगर के मरीजों के लिए सबसे अच्छा चपाती आटा है। दूसरी तरफ रिफाइंड गेहूं से चोकर और अंकुर को हटा दिया जाता है केवल बीज (एन्डोस्पर्म) ही बचता है। इस कारण हमें एक ऐसी चीज मिलती है जिसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी ज्यादा होता है और यह ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है।

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साबुत गेहूं का पोषण प्रोफ़ाइल (न्यूट्रिशन प्रोफाइल):

संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग की वेबसाइट के अनुसार 100 ग्राम गेहूं में पाए जाने वाले पोषक तत्व (न्यूट्रिएंट):

गेहूं का पोषण मूल्य
पोषक तत्व (प्रति 100 ग्राम ) मात्रा
प्रोटीन 9.6 ग्राम
फाइबर 13.1 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट 74.5 ग्राम
कैल्शियम 33 मिलीग्राम
मैग्नीशियम 117 मिलीग्राम
फास्फोरस 323 मिलीग्राम
पोटैशियम 394 मिलीग्राम
फोलेट 28 ug
नियासिन 5.35 मिलीग्राम
थायमिन 0.29 मिलीग्राम

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गेहूं की चपाती का ग्लाइसेमिक इंडेक्स: Wheat Roti Glycemic Index in Hindi

ग्लाइसेमिक इंडेक्स एक पैमाना है जो ब्लड शुगर के लेवल पर कार्बोहाइड्रेट के प्रभाव को मापता है। ज्यादा जीआई मान वाली चीजें तेजी से पचती हैं और ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ाती हैं जबकि कम जीआई वाली चीजें धीरे-धीरे पचती हैं और ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाती हैं। गेहूं का ग्लाइसेमिक इंडेक्स ही इस बात का जवाब देता है कि हम शुगर में गेहूं की रोटी खा सकते हैं क्या?

चपाती या रोटी के रूप में गेहूं का ग्लाइसेमिक इंडेक्स मॉडरेट लेवल का होता है। टाइम्स ऑफ हेल्थ के अनुसार, गेहूं की रोटी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 62 है। जो कि मॉडरेट लेवल का है। इससे पता चलता है कि हाई-जीआई वाली चीजों की तुलना में गेहूं से ब्लड शुगर तेजी से बढ़ने की संभावना कम है।

गेहूं की रोटी का ग्लाइसेमिक लोड:

ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी अच्छी जानकारी देता है लेकिन ग्लाइसेमिक लोड (जीएल) से और भी अधिक जानकारी प्राप्त होती है। ग्लाइसेमिक लोड से किसी सर्विंग में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा और गुणवत्ता दोनों का पता चलता है। गेहूं की चपाती का ग्लाइसेमिक लोड 26.8 है। तो इस प्रश्न शुगर में गेहूं की रोटी खा सकते हैं क्या ? का जवाब है हाँ, गेहूं के जीआई और लो-जीएल की वजह से गेहूं की रोटी शुगर के लिए अच्छी होती है।

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शुगर में कितनी रोटी खानी चाहिए ? Sugar mei kitni roti khani chaheye 

अगर कोई कहता है की शुगर के मरीज को 2, 3 या 4 रोटियां खानी चाहिए, तो यह सही नहीं होगा क्योकि हर व्यक्ति की भूख अलग होती है, कोई ज्यादा रोटी खाता है कोई कम रोटी खाता है, देश के कुछ हिस्सों में तो भोजन का मुख्य हिस्सा चावल ही होता है वहां रोटी बहुत कम खाई जाती है, ऐसे में कोई कैसे कह सकता है की शुगर में कितनी रोटी खानी चाहिए। इसलिए हमने गेहूं में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के प्रतिशत के हिसाब से इस बारे में जानकारी दी है। साथ ही भोजन में रोटी के साथ सलाद भरपूर मात्रा में खाये। सलाद में फाइबर और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते है जो शुगर के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होते है।

शुगर में कितनी रोटी खानी चाहिए इस बात का सटीक जवाब देना थोड़ा मुश्किल है, अलग-अलग व्यक्तियों की जरूरत के हिसाब से मात्रा भी अलग हो सकती है।

शुगर के मरीज अपने भोजन में एक वक़्त में जितनी रोटी खाते थे, उनको घटाकर एक चौथाई कर सकते हैं और रोटी के स्थान पर सब्जी, सलाद, फल की मात्रा बढ़ा सकते हैं।

लेकिन अपने डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले अपने हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर या डाइट एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

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क्या गेहूं ब्लड शुगर बढ़ाता है? 

अब इस सवाल का जवाब देने का समय आ गया है कि शुगर में गेहूं की रोटी खा सकते हैं क्या? हाँ, चोकर सहित गेहूं की चपाती शुगर के लिए अच्छी है। गेहूं की रोटी में फाइबर और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स जैसे पोषक तत्व पाये जाते हैं और गेहूं का ग्लाइसेमिक इंडेक्स मॉडरेट लेवल का होता है। जिस कारण सही मात्रा में खाने से आपका ब्लड शुगर तेजी से नही बढ़ेगा। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि गेहूं ब्लड शुगर और एचबीए1सी को कंट्रोल करने में मदद करता है।

फ़ेबलकेयर वेबसाइट की रिपोर्ट में कहा गया है कि गेहूं शुगर से जुड़ी समस्याओं जैसे कोलेस्ट्रॉल और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज में भी मदद करता है। गेहूं में फाइबर पाया जाता है जो ब्लड शुगर के बढ़ने की संभावना को कम करता है और शुगर के मरीजों को लाभ प्रदान करता है। शुगर के मरीजों को उनके द्वारा ली जाने वाली कैलोरी पर नज़र रखना बहुत जरूरी है। इसलिए हम आपको आपके शुगर डाइट प्लान में गेहूं की रोटी शामिल करने की सलाह देते हैं।

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चपाती के ग्लाइसेमिक इंडेक्स पर घी का प्रभाव

भारतीय घरों में गर्म चपातियों पर घी लगा के खाने की परंपरा सदियों पुरानी है लेकिन यदि आप शुगर के मरीज हैं तो आप इसके हाई फैट के डर से घी का सेवन करने में झिझक रहे होंगे। अच्छी खबर यह है कि न्यूट्रीशनिस्ट इस आशंका को दरकिनार करते हैं और सुझाव देते है कि घी आपके शुगर मैनेजमेंट में आपकी मदद कर सकता है।

इस प्रकार की धारणा है कि घी वजन घटाने में बाधक है, नए शोध बिल्कुल इसके विपरीत संकेत देते हैं। चपाती के साथ घी मिलाने से यह ब्लड शुगर के लेवल को सही रखने में हमारी मदद कर सकता है। इकोनॉमिक्स टाइम्स हेल्थ में छपे हालिया अध्ययनों से पता चलता है कि घी में गेहूं की रोटी के जीआई को कम करने की क्षमता होती है। इसका मतलब यह है कि रोटी के साथ घी खाने से फायदा हो सकता है।

इस कारण ब्लड फ्लो में ग्लूकोज धीमी गति से रिलीज होता है और ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है।

ब्लड शुगर और वजन पर घी के प्रभाव के अलावा अनावश्यक रूप से खाने की इच्छा खत्म करता है जिससे कैलोरी सेवन को कम करने में मदद मिलती है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है जो अपना वजन कम करने की सोच रहे हैं, इसलिए यदि आप अपनी चपाती के ऊपर घी लगा के खाने से डर रहे हैं तो शायद इस पर फिर से सोचने का समय आ गया है।

लेकिन अपने डाइट में किसी भी तरह के बदलाव से पहले अपने हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर या डाइट एक्सपर्ट से सलाह जरूर करें।

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शुगर के मरीजों के लिए चपाती खाने के फायदे:Benefits of eating chapati for diabetes patients

 

साबुत गेहूं के आटे से बनी चपाती शुगर के मरीजों के लिए कई फायदे हैं। उनमें से कुछ हैं:

मॉडरेट ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई)

साबुत गेहूं के आटे से बनी चपाती में रिफाइंड अनाज की तुलना में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। मॉडरेट ग्लाइसेमिक इंडेक्स का मतलब है कि इसको खाने के बाद ब्लड शुगर तेजी से नहीं बढ़ता है।

काम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स

साबुत गेहूं की चपाती में जटिल कार्ब्स होते हैं जिन्हें ग्लूकोज में टूटने में ज्यादा समय लगता है। इस वजह से ब्लड शुगर के लेवल को अधिक स्थिर बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे अचानक और तेजी से होने वाले उतार-चढ़ाव से बचा जा सकता है।

फाइबर

चपाती फाइबर का एक अच्छा सोर्स है। फाइबर मधुमेह मैनेजमेंट के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह शुगर एब्जॉर्ब करने की गति को धीमा कर देता है, इंसुलिन सेंसटिविटी में भी सुधार करता है और वजन मैनेजमेंट में मदद करता है।

न्यूट्रिशन प्रोफाइल

चपाती के लिए उपयोग किए जाने वाले साबुत गेहूं के आटे में जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जिनमें विटामिन बी जैसे बी1, बी2, बी3 और बी6 शामिल हैं। ये मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी हैं। इससे मैग्नीशियम और आयरन जैसे खनिज भी मिलते हैं जो संपूर्ण स्वास्थ्य में योगदान देते हैं।

वज़न मैनेजमेंट

चपाती को बैलेंस डाइट के रूप में शामिल करने से वजन मैनेजमेंट में मदद मिल सकती है। मधुमेह के मरीजों के लिए वजन का ध्यान रखना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। सही वजन इंसुलिन सेंसटिविटी और ग्लूकोज कंट्रोल पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

डाईजेशन में लाभदायक

चपाती में मौजूद फाइबर कब्ज को रोककर डाईजेशन सही करता है। डाईजेशन सही रहने से गट (आंत) स्वस्थ रहेगा और पोषक तत्वों को पूरी तरह से एब्जॉर्ब करने में योगदान दे सकता है।

हार्ट और ब्रेन के लिए लाभकारी

साबुत गेहूं में ऐसे यौगिक होते हैं जो हार्ट के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। मधुमेह के मरीजों में हार्ट से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए ऐसी चीजों को अपने डाइट में शामिल करना चाहिए जो हार्ट के लिए लाभदायक हो।

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ज्यादा चपाती खाने से होने वाली समस्या:Problems caused by eating too much chapati

 

चपाती एक हेल्दी डाइट का हिस्सा हो सकता है, लेकिन अधिक सेवन से कुछ जोखिम भी हो सकते हैं:

कैलोरी का सेवन

कैलोरी की मात्रा की जानकारी के बिना ज्यादा मात्रा में गेहूं की रोटी खाने से वजन बढ़ सकता है। चपाती का ग्लाइसेमिक इंडेक्स मॉडरेट लेवल होता है और इसका ग्लाइसेमिक लोड ज्यादा होता है, इसलिए आपको गेहूं का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।

ब्लड शुगर का लेवल

साबुत गेहूं में रिफाइंड अनाज की तुलना में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, फिर भी बड़ी मात्रा में सेवन ब्लड शुगर के लेवल को प्रभावित कर सकता है। ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने के लिए मधुमेह के मरीजों को मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

डाईजेशन से जुड़ी समस्याएँ

कुछ शुगर के मरीजों को डाईजेशन से जुड़ी समस्या महसूस हो सकती है। गेहूं के ज्यादा सेवन से सूजन या गैस जैसे समस्या हो सकती है। यह ग्लूटेन सेंसटिविटी या अन्य समस्याओं के कारण हो सकता है।

पोषक तत्वों की कमी

अपने भोजन में गेहूं की रोटी ज्यादा शामिल करने से खाने में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। डाइट में अलग-अलग चीजें शामिल करना चहिए जैसे, विभिन्न प्रकार के अनाज, फल, सब्जियां, प्रोटीन और फैट। डाइट में अलग-अलग चीजें शामिल करने से आपको जरूरी पोषक तत्व आसानी से मिल सकते हैं।

एंटी-न्यूट्रिएंट

गेहूं में फाइटिक एसिड जैसे एंटीन्यूट्रिएंट्स होते हैं जिनसे आयरन, जिंक और कैल्शियम जैसे खनिजों पर प्रभाव पड़ सकता है। ये यौगिक (आयरन, जिंक और कैल्शियम) काफी कम मात्रा में मौजूद होते हैं और ये काफी लाभकारी हो सकते हैं। गेंहू के ज्यादा सेवन से पोषक तत्वों में कमी हो सकती है।

ग्लूटेन सेंसटिविटी

मधुमेह के मरीजों को ग्लूटेन सेंसटिविटी या सीलिएक रोग हो सकता है ऐसे व्यक्तियों में गेहूं में मौजूद ग्लूटेन के कारण रिएक्शन हो सकता है। ऐसे में गेहूं के ज्यादा सेवन से समस्या का समाना करना पड़ सकता है।

एलर्जी का खतरा

कुछ व्यक्तियों को गेहूं के ज्यादा सेवन से एलर्जी हो सकती है। इस खतरे को कम करने के लिए डाइट में विविधता बनाए रखना जरूरी है, जिसमें अनाज, सब्जियां, फल, प्रोटीन और हेल्दी फैट शामिल करना चाहिए, मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। डाइट से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए।

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शुगर के लिए चपाती खाने के तरीके और बनाने की विधि:

शुगर मैनेजमेंट का मतलब यह नही है कि हम अपने स्वाद से समझौता कर लें। अलग-अलग तरह के आटे की चपाती(रोटी) को अपने डाइट में शामिल करना चाहिए। कई तरह के आटे की मिक्स रोटी केवल गेहूं के आटे की रोटी से ज्यादा स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है।

व्यंजन सामग्री बनाने की विधि शुगर में लाभ
रागी और चने के आटे से बनी चपाती एक कप गेहूं का आटा, 1/2 कप रागी का आटा, 1/4 कप चने का आटा, पानी, चुटकीभर नमक एक कटोरे में सभी आटा मिला लें, धीरे-धीरे पानी डालकर आटा गूंथ लें, छोटे-छोटे गोले बना कर चपाती बेल लें, गर्म तवे पर गोल्डन ब्राउन होने तक पकाएं। रागी और चने के आटे में फाइबर पाया जाता है जो भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल को कम रखने में मदद करता है।
गेहूं और जौ के आटे का मिश्रण एक कप गेहूं का आटा, 1/2 कप जौ का आटा, पानी, चुटकी भर नमक एक बाउल में आटा मिला लें, पानी डालकर नरम आटा गूंथ लें, चपाती बेल लें, दोनों तरफ सही से पकाएं। जौ मेटाबॉलिज्म सही करता है, सूजन से आराम दिलाता है जिससे यह रोटी शुगर के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
राजगिरा/चौलाई/अमरंथ और गेहूं के आटे का मिश्रण एक कप गेहूं का आटा, 1/2 कप चौलाई का आटा, पानी, चुटकी भर नमक एक कटोरे में आटा मिलाएं, धीरे-धीरे पानी डालकर आटा गूंथ लें, अब गोल चपाती बना लें, दोनों तरफ से गोल्डन ब्राउन होने तक पकाएं। चौलाई शुगर के लिए फायदेमंद होता हैं इसमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं जो रोटी को और पौष्टिक बनाते हैं।

ध्यान रखें:

  • ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए रोज चपाती की मात्रा पर ध्यान दें।
  • सही पोषण लाभ के लिए चपाती को सब्जियों और प्रोटीन सोर्स के साथ खाएं।
  • पाचन सही रखने के लिए नाश्ते में या दोपहर के भोजन में गेहूं की चपाती शामिल करें।
  • बिना तेल के रोज 2-3 गेहूं के आटे की चपाती खाने से कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
  • अपने लिए सही मात्रा की जानकारी के लिए अपने हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर या डाइट एक्सपर्ट से सलाह लें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

शुगर में कितनी रोटी खानी चाहिए?

शुगर के मरीज 4 से 6 रोटी तक खा सकते हैं, लेकिन अपने डाइट में अपनी जरूरत के हिसाब से रोटी शामिल करने के लिए अपने हेल्थ केयर एक्सपर्ट या डाइट एक्सपर्ट से सलाह जरूर करें।

शुगर के लिए क्या अच्छा है आटा या मैदा ?

चोकर वाले गेहूं के आटे में फाइबर पाया जाता है जो कार्बोहाइड्रेट के पाचन को धीमा कर देता है। वहीं मैदा में फाइबर की मात्रा कम होती है, जिससे ब्लड शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है। मैदा की जगह आटा इस्तेमाल करने से शुगर के मरीजों को ब्लड शुगर सही रखने में मदद मिलती है।

शुगर के मरीजों के लिए सबसे अच्छा आटा कौन सा है?

शुगर के मरीजों के लिए सबसे अच्छा आटा साबुत गेहूं(चोकर सहित) का आटा है क्योंकि इसमें चोकर रहता है, इसमें जरूरी पोषक तत्व और फाइबर मिलता है। रागी, चना या जौ जैसे आटे भी काफी लाभकारी हो सकते हैं।

क्या शुगर के मरीज चावल की रोटी खा सकते हैं?

ब्राउन राइस या अन्य साबुत अनाज के साथ चावल के आटे से बनी रोटी शुगर के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। ब्लड शुगर सही बनाए रखने के लिए साबुत अनाज को प्राथमिकता देनी चाहिए और मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

क्या मैं शुगर में पराठा खा सकता हूँ?

चोकर सहित गेहूं के आटे से बना पराठा शुगर-फ्रैंडली डाइट में शामिल किया जा सकता है। ब्लड शुगर के लेवल को सही रखने के लिए मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है। कोशिश करें कि परांठे बनाते समय रिफाइंड तेल की जगह थोड़ी मात्रा में देसी घी का इस्तेमाल करें।

क्या गेहूं की रोटी ब्लड शुगर बढ़ाती है?

मैदा की तुलना में चोकर सहित गेहूं के आटे की रोटी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे ब्लड शुगर के लेवल बहुत तेजी से नहीं बढ़ता है।

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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