बेसन का भारत में पारंपरिक रूप से व्यंजनों में इस्तेमाल होता रहा है। चने से मिलने वाली इस चीज को भारत में “चने का आटा” भी कहा जाता है। यह भारतीय लोगों द्वारा खाने के साथ-साथ ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। प्राचीन काल से ही इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। त्योहारों के समय बेसन के लड्डू जैसी मिठाइयाँ तैयार करने से लेकर पूजा के प्रसाद में इसका उपयोग करने तक यह शुभ और परंपरा का प्रतीक माना जाता है। बेसन भारतीयों के खान-पान का जरूरी हिस्सा है इसलिए यह समझना जरूरी है कि इसका ब्लड शुगर लेवल पर क्या प्रभाव पड़ता है।
बेसन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, कम कैलोरी और धीमी गति से पचने वाले स्टार्च के कारण शुगर के मरीजों लिए काफी अच्छा है, यह लंबे समय तक भूख का अहसास नहीं होने देता है जिस कारण भोजन का सेवन कम हो जाता है। शुगर में बेसन खा सकते हैं क्या? शुगर में बेसन का क्या फायदा है? आइए इन सभी सवालों पर करीब से नज़र डालें और इस ब्लॉग के माध्यम से समझें कि बेसन शुगर के लिए कितना अच्छा है।
बेसन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स – Besan ka Glycemic Index
ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) से यह पता चलता है कि हमारे द्वारा खाया गया खाना या कोई भी चीज कितनी तेजी से ब्लड शुगर लेवल बढ़ाता है। जीआई 0 से 100 तक का एक पैमाना है जिसमें हाई रेंज ब्लड शुगर बढ़ने को बताता है। लो-जीआई मान वाली चीजें ज्यादा धीरे-धीरे पचती हैं जिससे ब्लड शुगर के लेवल धीरे-धीरे बढ़ता है।
बेसन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, बेसन का जीआई लगभग 6 होता है और बेसन से बनी चीजें जैसे कि कुछ स्नैक्स या व्यंजन 28 से 30 की रेंज में आते हैं। इससे पता चलता है कि बेसन से बनने वाली चीजें ब्लड शुगर लेवल पर बहुत कम प्रभाव डालती हैं। लो-जीआई वाली चीजें खाने से ब्लड शुगर लेवल को स्टेबल रखने में मदद मिलती है और यह शुगर के मरीजों के लिए बहुत ही जरूरी है।
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बेसन में मौजूद पोषक तत्व
शुगर में बेसन खा सकते हैं क्या? इस बात की और गहरी जानकारी के लिए हमें बेसन में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है। आइए नीचे दी गई सारणी के माध्यम से समझते हैं:
100 ग्राम बेसन में लगभग 387 कैलोरी होती है और यह हेल्दी डाइट के लिए जरूरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का अच्छा सोर्स होता है।
बेसन का पोषण मूल्य | ||||
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न्यूट्रिएंट (100 ग्राम में) | मात्रा | डेली वैल्यू परसेंटेज (दैनिक मूल्य प्रतिशत) | ||
फैट | 7 ग्राम | 10% | ||
कोलेस्ट्रॉल | 0 मि.ग्रा | 0% | ||
सोडियम | 64 मि.ग्रा | 2% | ||
पोटैशियम | 846 मि.ग्रा | 24% | ||
कार्बोहाइड्रेट | 58 ग्राम | 19% | ||
प्रोटीन | 22 ग्राम | 44% |
दैनिक मूल्य की गणना 2,000-कैलोरी डाइट पर की जाती है। आपकी व्यक्तिगत कैलोरी की जरूरतों के आधार पर वास्तविक दैनिक मूल्य अलग-अलग हो सकते हैं।
शुगर में बेसन के आटे का फायदा – Sugar me besan ka aata ke fayde
शुगर के मरीजों के लिए बेसन के कई लाभ हैं जो नीचे दिए गए हैं-
लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई)
बेसन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है जिससे ब्लड शुगर लेवल धीरे-धीरे बढ़ता है। यह शुगर के मरीजों के लिए लाभदायक है क्योंकि बेसन ब्लड शुगर को मैनेज करने में मदद करता है।
धीमी गति से पचने वाला स्टार्च
बेसन में प्रतिरोधी(रेजिस्टेंस) स्टार्च होता है जो धीरे-धीरे पचता है। यह लगातार एनर्जी रिलीज करता और यह शुगर के ऐसे मरीजों के लिए फायदेमंद है जिन्हे अपने डाइट पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
फाइबर
बेसन फाइबर का एक अच्छा सोर्स है जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बेसन में मौजूद फाइबर ग्लूकोज एब्जॉर्ब करने को धीमा कर देता है और ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। इंसुलिन सेंसटिविटी को भी सही रखता है, फाइबर होने की वजह से पाचन सही रखता है और कब्ज को रोकने में मदद करता है।
प्रोटीन
बेसन एक पौधे से मिलने वाला प्रोटीन सोर्स है और अध्ययनों से पता चलता है कि प्रोटीन से भरपूर डाइट ग्लाइसेमिक कंट्रोल करने में सहायता कर सकता है। कुल भोजन में 20 से 30% प्रोटीन लेने से इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार होता है और ब्लड शुगर लेवल के अचानक बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
खनिज
बेसन में आयरन और जिंक जैसे जरूरी खनिज पाए जाते हैं जो काफी लाभदायक होते हैं। ये खनिज संपूर्ण स्वास्थ्य में भूमिका निभाते हैं और शुगर के मरीजों के लिए विशेष रूप से जरूरी हो सकते हैं।
हार्ट(दिल) के लिए फायदेमंद
बेसन हृदय(हार्ट) से जुड़ी समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। हार्ट से जुड़ी बीमारियां शुगर के मरीजों के लिए चिंता का विषय है। बेसन में पाया जाने वाला फाइबर कोलेस्ट्रॉल लेवल सही रखता है और हार्ट को स्वस्थ रखता है।
वजन प्रबंधन
बेसन में हाई-प्रोटीन पाया जाता जो शरीर को भरपूर ऊर्जा देता है और वजन घटाने में सहायता करता है। शुगर के मरीजों के लिए सही वजन बनाए रखना जरूरी है।
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बेसन में पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट
शुगर में बेसन खा सकते हैं क्या? इसका सीधा सा जवाब है हां, क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इसमें धीमी गति से पचने वाला रेजिस्टेंस स्टार्च, फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है। लेकिन इसमें पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट से सावधान रहने की जरूरत है। बेसन में भी किसी अन्य आटे की तरह ही कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट सेवन से ब्लड शुगर लेवल प्रभावित हो सकता है, इसलिए शुगर वाले व्यक्तियों को अपने संपूर्ण कार्बोहाइड्रेट सेवन के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है।
पोर्शन साइज को कंट्रोल करने से कार्बोहाइड्रेट के सेवन को भी कंट्रोल किया जा सकता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल को अचानक बढ़ने से रोका जा सकता है। इसलिए बेसन खाते समय मात्रा का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है।
भोजन में बेसन को शामिल करने का तरीका मायने रखता है। उदाहरण के लिए पकाने के तरीके के कारण बेसन चीला (फ्लैटब्रेड) का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बेसन के लड्डू की तुलना में कम हो सकता है।
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बेसन से बनने वाले शुगर-फ्रैंडली व्यंजन
बेसन को आप अपने शुगर डाइट में आसानी से शामिल कर सकते हैं। बेसन से बनने वाले पांच आसान और शुगर-फ्रैंडली व्यंजन यहां नीचे दिए गए हैं।
नाश्ते में बेसन का चीला
शुगर के मरीज अपने दिन की शुरुआत पौष्टिक और स्वादिष्ट बेसन चिल्ला से कर सकते हैं। आप चटनी के साथ सादा चीला खा सकते हैं, पनीर चीला या अन्य सब्जियों से भरा हुआ चीला भी शुगर मैनेजमेंट के हिसाब से हेल्दी विकल्प हो सकता है।
दोपहर के खाने में बेसन कढ़ी
दोपहर के खाने में बेसन कढ़ी खा सकते हैं, इसे शुगर-फ्रैंडली बनाए रखने के लिए इसमें पकौड़ी, भजिया या कोफ्ते जैसी तली-भुनी चीजें मिलाने से बचें। स्वाद के लिए आप इसमें भिंडी या मेथी मिला सकते हैं।
नाश्ते में घर का बना ढोकला
घर पर बने ढोकले को आप अपने नाश्ते में शामिल कर सकते हैं। ढोकला को भाप में पकाया जाता है और मैदे की जगह बेसन से बनाया जाता है इसलिए यह शुगर-फ्रैंडली होता है। इसे बनाते समय तेल का ध्यान रखें ज्यादा तेल के इस्तेमाल से बचें।
गेहूं के आटे की जगह बेसन
गेहूं के आटे की जगह बेसन का इस्तेमाल किया जा सकता है। बेसन से आप रोटी या पराठा बना सकते हैं और इसे रोजाना इस्तेमाल कर सकते हैं।
बेसन से बनने वाले अन्य हेल्दी व्यंजन
बेसन की सब्जी से लेकर पारंपरिक महाराष्ट्रीयन ज़ुंका भाकरी, कई विकल्प मौजूद हैं। ज़ुंका भाकरी को शुगर-फ्रैंडली बनाने के लिए रोज इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री से बनाएं और यह काफी झट-पट तैयार किया जा सकता है।
निष्कर्ष
बेसन में प्रोटीन, फाइबर और जरूरी विटामिन सहित पोषक तत्व भारी मात्रा में पाया जाता है। बेसन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है जो इसे ब्लड शुगर लेवल सही रखने में मदद करता है। बेसन के काफी लाभ हैं लेकिन बेसन को अपने डाइट में शामिल करने के लिए काफी सावधान रहने की जरूरत है खासकर इसकी मात्रा का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है। ऐसा करने से आप बिना किसी परेशानी के बेसन को अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं और इससे जुड़े लाभ प्राप्त कर सकते हैं। बेसन को विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों के साथ अपने डाइट में शामिल करने से काफी लाभ हो सकता है। हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि शुगर-फ्रैंडली डाइट में केवल कुछ ही चीजें नहीं होनी चाहिए बल्कि खाने की सभी पौष्टिक और लाभकारी चीजों को डाइट में शामिल किया जाना चाहिए।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हां, शुगर के मरीज अपने डाइट में बेसन की रोटी का खा सकते हैं। बेसन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है जिससे ब्लड शुगर लेवल तेजी से नही बढ़ता है। लेकिन अपने डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले अपने हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर से सलाह लेना जरूरी है।
हां, शुगर में बेसन चीला खाने से कोई परेशानी नही होती केवल मात्रा का ध्यान रखना जरूरी है। हाई कार्ब वाले खाने की जगह बेसन चीला का उपयोग किया जा सकता है जिससे ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखा जा सकता है। अगर बेसन चीला तेल में पकाया गया है तो मात्रा का ध्यान रखें, ज्यादा तेल का इस्तेमाल न करें और ब्लड शुगर लेवल की नियमित जांच करें।
ब्लड शुगर पर बेसन का प्रभाव बनाने के तरीके पर निर्भर करता है। हाई फैट या ज्यादा चीनी से बनने वाले बेसन के व्यंजन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी हाई हो सकता है, जिससे ब्लड शुगर तेजी से बढ़ सकता है। साबुत चने में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए साबुत चने से बनी चीजों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो सकता है और धीरे-धीरे प्रभाव पड़ता है।
हाँ, बेसन का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है इसलिए टाइप 2 डायबिटीज के मरीज भी इसे खा सकते हैं। लो-जीआई वाले खाद्य पदार्थ (जैसे कि बेसन) ज्यादा धीरे-धीरे अवशोषित(एब्जॉर्ब) होते हैं, जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद मिलती है। लेकिन बनाने के तरीके और भी कई तरह के कारक जीआई को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए डाइट का ध्यान रखें।
शुगर के मरीज कुछ बातों को ध्यान में रखकर बेसन से बने पकोड़े खा सकते हैं, जैसे कि खाने की मात्रा और कम तेल व कम मसाले का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है। पकौड़ा खाते समय अतिरिक्त प्रोटीन सोर्स को अपने डाइट में शामिल करें।
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