शुगर की दवा के साइड इफेक्ट और इनसे बचाव के आसान तरीके

डायबिटीज या शुगर की बीमारी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता। ऐसे में मरीजों के लिए इसे कंट्रोल रखना जरूरी होता है। शुगर कंट्रोल के लिए डॉक्टर हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज, वजन कंट्रोल और स्ट्रेस मेनेजमेंट की सलाह देते हैं। लेकिन कई बार कुछ मरीजों में ये सब करने के बाद भी शुगर कंट्रोल नहीं होती। ऐसे में इन मरीजों को डॉक्टर डायबिटीज की दवाओं की सलाह देते हैं। हालांकि हर दवाओं की तरह शुगर की दवा के साइड इफेक्ट भी होते हैं। आज हम आपको शुगर की दवा के साइड इफेक्ट, इससे कैसे बचा जाए और बिना दवा के शुगर कंट्रोल के तरीके विस्तार से बताएंगे। 

शुगर की दवाओं के प्रकार – types of sugar medicine in hindi

डायबिटीज़ में कई बार शुगर लेवल कंट्रोल में दिक्कत आने पर दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है। ये दवाइयां शरीर में ग्लूकोज़ को सही तरह से इस्तेमाल करने में मदद करती हैं। आमतौर पर डायबिटीज़ की दो वजह की होती है – शरीर या तो कम इंसुलिन बनाता है या फिर शरीर इंसुलिन का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाता। इसलिए दवाइयां भी इन दो समस्याओं के लिए अलग-अलग तरह से काम करती हैं। तो डायबिटीज या शुगर की कुछ आम दवाइयों के प्रकार को जान लेते हैं- 

खाने वाली दवाइयां:

ये गोलियों या कैप्सूल के रूप में ली जाती हैं। ये ब्लड शुगर को कम करने के लिए अलग-अलग तरीकों से काम करती हैं। कुछ उदाहरण हैं – मेटफॉर्मिन, सल्फोनील्यूरियाज़, मेग्लिटिनिड्स, डीपीपी-4 इनहिबिटर, एसजीएलटी2 इनहिबिटर और जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट।

इंजेक्शन से लगने वाली इंसुलिन:

ये वो हॉर्मोन है जो शरीर खुद बनाता है। ये ब्लड शुगर को कोशिकाओं तक पहुंचाता है ताकि शरीर ऊर्जा ले सके। डायबिटीज़ के मरीज़ों में कभी शरीर कम इंसुलिन बनाता है या फिर वो सही से काम नहीं करता, तो बाहर से इंसुलिन का इंजेक्शन लगाना पड़ता है। इंसुलिन अलग-अलग तरह के होते हैं, जो जल्दी असर करते हैं, थोड़ी देर में असर करते हैं या फिर लंबे समय तक काम करते हैं।

अन्य तरह की दवाएं:

ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए दवाइयों और इंसुलिन के अलावा भी कुछ और तरीके हैं। जैसे – एमिलिन एनालॉग्स जो इंसुलिन के साथ मिलकर काम करते हैं, एसजीएलटी1 इनहिबिटर जो आंतों में ग्लूकोज़ का अवशोषण कम करते हैं और अलग-अलग दवाइयों को मिलाकर दिया जाने वाला कॉम्बिनेशन थेरेपी।

कौन सी दवाई लेनी है ये कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे – डायबिटीज़ किस तरह की है और कितनी गंभीर है, मरीज़ की बाकी सेहत कैसी है, और उसकी आदतें कैसी हैं। डॉक्टर इन सब बातों को ध्यान में रखकर दवाइयां देते हैं।

और पढ़े : मेटफोर्मिन का उपयोग, खुराक, फायदे और कीमत

शुगर की दवाइयां और उनके साइड इफेक्ट – Sugar ki dawa aur unke side effect

शुगर की दवाइयां और उनके साइड इफेक्ट

शुगर की दवाइयां कई तरह की होती हैं, जो अलग-अलग तरीकों से काम करती हैं। ये दवाइयां ब्लड शुगर को कम करने में मदद करती हैं, जो डायबिटीज़ को कंट्रोल करने के लिए ज़रूरी है। हालांकि ध्यान रहे कि डायबिटीज़ की दवाइयां ज़रूरी हैं, लेकिन इनसे कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इसलिए कुछ आम दवाइयां और उनके साइड इफैक्ट जान लेते हैं- 

  1. मेटफॉर्मिन  
  2. सल्फोनील्यूरियाज़ 
  3. मेग्लिटिनिड्स
  4. डीपीपी-4 इनहिबिटर5. एसजीएलटी2 इनहिबिटर 
  5. जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट 
  6. इंसुलिन
  7. एमिलिन एनालॉग
  8. एसजीएलटी1 इनहिबिटर 
  9. कॉम्बिनेशन थेरेपी 

हालांकि इन दवाइयों में ये भी ध्यान देना चाहिए कि हर किसी को ये साइड इफेक्ट्स नहीं होते. कुछ लोगों को कुछ दवाइयां ज़्यादा रास आती हैं। वहीं कुछ साइड इफेक्ट्स शरीर को दवाइयों की आदत पड़ने पर कम हो जाते हैं। इसलिए दवाइयों और उनके साइड इफेक्ट के बारे में विस्तार से जानना जरूरी है.  

1. मेटफॉर्मिन (Metformin):

यह सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली दवाई है। यह लिवर में बनने वाले शुगर को कम करती है और शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन का बेहतर इस्तेमाल करने में मदद करती है। इसे अक्सर टाइप 2 डायबिटीज़ के शुरुआती इलाज में दिया जाता है। 

साइड इफेक्ट- पेट में गड़बड़ी (मिचली, उल्टी, दस्त), मुंह में धात जैसा स्वाद, विटामिन B12 की कमी, बहुत ही कम मामलों में लैक्टिक एसिडोसिस (किडनी खराब होने पर हो सकता है)।

2. सल्फोनील्यूरियाज़ (Sulfonylureas): 

ये दवाइयां पैंक्रियाज़ को ज़्यादा इंसुलिन बनाने का संकेत देती हैं, जिससे ब्लड शुगर कम होता है। कुछ उदाहरण हैं – ग्लिपिज़ाइड, ग्लाइब्यूराइड और ग्लिमपीराइड।  साइड इफेक्ट- ब्लड शुगर बहुत कम हो जाना (खाना ना खाने पर या ज़्यादा दवाई लेने पर), वजन बढ़ना, चकत्ते या खुजली।

3. मेग्लिटिनिड्स (Meglitinides):

ये भी सल्फोनील्यूरियाज़ की तरह काम करती हैं, लेकिन कम समय के लिए असर करती हैं। कुछ उदाहरण हैं – रेपाग्लिनाइड और नाटेग्लिनाइड। 

साइड इफेक्ट- ब्लड शुगर बहुत कम हो जाना (खाना ना खाने पर या ज़्यादा दवाई लेने पर), वजन बढ़ना, चकत्ते या खुजली।

4. डीपीपी-4 इनहिबिटर (DPP-4 Inhibitors):

ये दवाइयां शरीर में एक एंजाइम को रोकती हैं, जिससे इंसुलिन ज़्यादा बनता है और ब्लड शुगर कम होता है। कुछ उदाहरण हैं – सिटागिलिप्टिन, सैक्सागिलिप्टिन और लिनाजिलिप्टिन। 

साइड इफेक्ट- सांस की नली में इंफेक्शन, सिरदर्द, बहुत कम मामलों में अग्नाशय में सूजन, जोड़ों में दर्द।

5. एसजीएलटी2 इनहिबिटर (SGLT2 Inhibitors):

ये दवाइयां किडनी में शुगर को दोबारा सोखने से रोकती हैं, जिससे पेशाब के रास्ते ज़्यादा शुगर बाहर निकल जाता है और ब्लड शुगर कम होता है। कुछ उदाहरण हैं – कैनाग्लिफ़्लोज़िन, डापाग्लिफ़्लोज़िन और एम्पाग्लिफ़्लोज़िन। 

साइड इफेक्ट- महिलाओं और पुरुषों में गुप्तांगों में फंगल इंफेक्शन, मूत्र मार्ग में इंफेक्शन, ज़्यादा पेशाब आना और प्यास लगना, इंसुलिन या इंसुलिन बढ़ाने वाली दवाइयों के साथ लेने पर ब्लड शुगर बहुत कम हो जाना।

6. जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट (GLP-1 Receptor Agonists):

ये दवाइयां शरीर में एक हॉर्मोन की तरह काम करती हैं, जिससे इंसुलिन बनता है, ब्लड शुगर कम होता है और खाना धीरे-धीरे पेट से निकलता है। 

साइड इफेक्ट-  मिचली और उल्टी, दस्त, ब्लड शुगर बहुत कम हो जाना (खासकर सल्फोनील्यूरियाज़ के साथ लेने पर), इंजेक्शन वाली जगह पर दिक्कत।

7. इंसुलिन (Insulin):

टाइप 1 डायबिटीज़ या गंभीर टाइप 2 डायबिटीज़ में शरीर खुद कम इंसुलिन बनाता है या बिल्कुल नहीं बनाता, इसलिए बाहर से इंसुलिन का इंजेक्शन लगाना पड़ता है। इंसुलिन कई तरह के होते हैं, जो जल्दी असर करते हैं, थोड़ी देर में असर करते हैं या फिर लंबे समय तक काम करते हैं। 

साइड इफेक्ट- ब्लड शुगर बहुत कम हो जाना, वजन बढ़ना, इंजेक्शन वाली जगह पर दिक्कत (लालिमा, खुजली, सूजन), इंजेक्शन वाली जगह पर त्वचा मोटी या खड्डी हो जाना।

8. एमिलिन एनालॉग (Amylin Analog):

प्रैमलिनाइड एक ऐसी दवाई है जो शरीर में एक हॉर्मोन की तरह काम करती है। इससे खाना धीरे-धीरे पेट से निकलता है, ब्लड शुगर कम होता है और पेट भरा हुआ महसूस होता है। 

साइड इफेक्ट-  मिचली, ब्लड शुगर बहुत कम हो जाना (खासकर इंसुलिन के साथ लेने पर), इंजेक्शन वाली जगह पर दिक्कत।

9. एसजीएलटी1 इनहिबिटर (SGLT1 Inhibitors):

एरटुग्लिफ़्लोज़िन एक ऐसी दवाई है जो आंतों में शुगर को रोकती है, जिससे ब्लड शुगर कम होता है। 

साइड इफेक्ट- दस्त, गुप्तांगों में फंगल इंफेक्शन, मूत्र मार्ग में इंफेक्शन।

10. कॉम्बिनेशन थेरेपी (Combination Therapies):

कभी-कभी डॉक्टर अलग-अलग तरह की दवाइयों को मिलाकर देते हैं ताकि ब्लड शुगर को और बेहतर तरीके से कंट्रोल किया जा सके। ये दवाइयां एक साथ एक ही गोली में भी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, मेटफॉर्मिन और सल्फोनील्यूरियाज़ या मेटफॉर्मिन और डीपीपी-4 इनहिबिटर को मिलाकर एक गोली बनाई जा सकती है।

साइड इफेक्ट- कॉम्बिनेशन थेरेपी के साइड इफेक्ट उन दवाइयों के साइड इफेक्ट्स का मिश्रण होते हैं जो एक साथ दी जाती हैं।

दवाइयां लेना बहुत ज़रूरी है, ताकि ब्लड शुगर कंट्रोल रहे और शरीर को नुकसान न पहुंचे। लेकिन डॉक्टर जैसा कहे वैसा ही करना चाहिए। दवाइयों के साथ-साथ ब्लड शुगर का नियमित चेकअप, अच्छी डाइट, व्यायाम और डॉक्टर से बातचीत करना भी ज़रूरी है। दवाइयों के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, इसलिए कोई दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।

और पढ़े : जानिए मधुमेह प्रबंधन में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स का क्या महत्व है?

शुगर दवाओं के साइड इफेक्ट्स से कैसे बचें?

डायबिटीज़ की दवाइयों के साइड इफेक्ट्स को कम करने और बेहतर सेहत बनाए रखने के लिए आप ये सब कर सकते हैं:

  1. डॉक्टर की बात मानें: दवाइयां वैसे ही लें जैसा डॉक्टर ने बताया है और नियमित रूप से चेकअप के लिए जाएं ताकि वो दवाइयों को एडजस्ट कर सकें।
  2. ब्लड शुगर चेक करते रहें: नियमित रूप से ब्लड शुगर चेक करने से ब्लड शुगर बहुत कम या बहुत ज़्यादा होने का पता जल्दी चलता है और डॉक्टर इलाज कर सकते हैं।
  3. स्वस्थ आदतें अपनाएं: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, तनाव कम करना और अच्छी नींद लेना दवाइयों के साइड इफेक्ट्स को कम करने और सेहत को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  4. जानकारी रखें और डॉक्टर से बात करें: दवाइयों के साइड इफेक्ट्स के बारे में जानकारी रखें और कोई परेशानी हो या कोई लक्षण दिखें तो डॉक्टर को बताएं। इससे वो आपके इलाज में बदलाव कर सकते हैं।

इन तरीकों से आप डायबिटीज़ की दवाइयों के साइड इफेक्ट्स को कम कर सकते हैं और स्वस्थ रह सकते हैं।

और पढ़े : हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण, कारण और उपचार

बिना दवाओं के शुगर कंट्रोल के तरीके

बिना दवाओं के शुगर कंट्रोल के तरीके

शुगर दवाओं के साइड इफेक्ट को देखते हुए कई बार दवाओं से बचने का मन होता है। हालांकि डायबिटीज़ की दवाओं से पूरी तरह बचना हमेशा संभव या सही नहीं होता, खासकर अगर सिर्फ लाइफस्टाइल बदलने से डायबिटीज़ कंट्रोल नहीं हो पा रही है। लेकिन, कुछ चीजें हैं जो आप कर सकते हैं, जिससे दवाओं पर निर्भरता कम हो सकती है या दवाओं की ज़रूरत को टाला जा सकता है:

  1. हेल्दी डाइट: फल, सब्जियां, साबुत अनाज, कम चर्बी वाले प्रोटीन, और हेल्दी फैट्स से भरपूर बेलेंस डाइट लें। ज्यादा मैदा, मीठी चीजें, और प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें।
  2. नियमित एक्सरसाइज: तेज चलना, साइकिलिंग, तैराकी, या वेट ट्रेनिंग जैसी कोई भी शारीरिक गतिविधि नियमित रूप से करें। स्वास्थ्य के लिए हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट मीडियम इंटेनसिटी की एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है।
  3. वेट कंट्रोल: हेल्दी वजन बनाए रखें या डाइट और एक्सरसाइज से हेल्दी वजन तक पहुंचने की कोशिश करें। खासकर पेट के आसपास का अतिरिक्त वजन कम करने से इंसुलिन की संवेदनशीलता और ब्लड शुगर कंट्रोल बेहतर होता है।
  4. ब्लड शुगर चेक करें: डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित रूप से अपना ब्लड शुगर चेक करें। इससे आपको पता चलेगा कि आपकी जीवनशैली के चुनाव आपके ब्लड शुगर को कैसे प्रभावित करते हैं और ज़रूरी बदलाव कर सकेंगे।
  5. तनाव कम करें: गहरी सांस लेना, मेडिटेशन, योग, या प्रकृति में समय बिताना जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें। लगातार तनाव इंसुलिन प्रतिरोध और ब्लड शुगर बढ़ाने में योगदान दे सकता है।
  6. अच्छी नींद लें: हर रात 7-9 घंटे की अच्छी नींद लेने की कोशिश करें। नींद की कमी या खराब नींद का असर ब्लड शुगर कंट्रोल पर पड़ता है और इंसुलिन प्रतिरोध का खतरा बढ़ाता है।
  7. शराब कम पिएं: अगर आप शराब पीते हैं, तो सीमित मात्रा में और खाना खाकर पिएं। शराब, खासकर ज़्यादा या खाली पेट पीने पर, ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकती है।
  8. धूम्रपान छोड़ें: अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ने पर विचार करें। धूम्रपान इंसुलिन प्रतिरोध और डायबिटीज़ की जटिलताओं के बढ़ते खतरे से जुड़ा है।
  9. दवाइयां नियम से लें: अगर आपको डायबिटीज़ की दवाइयां दी गई हैं, तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लें। दवाइयां छोड़ना या कम मात्रा में लेना बिना डॉक्टरी सलाह के खतरनाक हो सकता है।
  10. नियमित चेकअप: डॉक्टर से नियमित चेकअप करवाएं ताकि वो आपके डायबिटीज़ कंट्रोल को मॉनिटर कर सकें, इलाज प्लान की समीक्षा कर सकें और ज़रूरी बदलाव कर सकें।

लाइफस्टाइल में बदलाव डायबिटीज़ को कंट्रोल करने में कारगर हो सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों को बेहतर ब्लड शुगर कंट्रोल के लिए फिर भी दवाओं की ज़रूरत पड़ सकती है। अपने डायबिटीज़ कंट्रोल प्लान में कोई भी बदलाव करने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें। वो आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति और ज़रूरतों के आधार पर आपको सही सलाह दे सकते हैं।

और पढ़े : दवाईयां जो आपके शुगर लेवल को बढ़ाती है: जानें इन दवाओं के बारे में

निष्कर्ष

शुगर की दवाइयां डायबिटीज़ को कंट्रोल करने में बहुत मदद करती हैं। लेकिन जैसा हमने बताया कि दवाओं के साइड इफैक्ट भी हो सकते हैं। इसीलिए हमेशा डॉक्टर की सलाह से सही दवा ही लेनी चाहिए। साथ ही अगर डाइट या सप्लीमेंट में कोई बदलाव करते हैं, तो इसका असर भी दवाओं पर पड़ता है, इसलिए डॉक्टर को इन बदलावों के बारे में जरूर बताते रहें। दवाइयों के सही इस्तेमाल, अच्छी आदतों और डॉक्टरी सलाह से डायबिटीज़ कंट्रोल करके आप एक स्वस्थ और खुशहाल ज़िंदगी जी सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

डायबिटीज में दवाओं की जरूरत कब पड़ती है?

डायबिटीज में दवाओं की जरूरत तब पड़ती है जब आप हेल्दी डाइट ले रहे हैं, नियमित व्यायाम कर रहे हैं, और वजन कंट्रोल कर रहे हैं, लेकिन फिर भी आपके ब्लड शुगर का लेवल ज्यादा है, तो आपको दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। वहीं यदि आपको टाइप 1 डायबिटीज है, तो आपके शरीर में इंसुलिन नहीं बनता  है, इसलिए आपको इंसुलिन लेने की आवश्यकता होगी। टाइप 2 डायबिटीज के गंभीर मामलों में भी इंसुलिन या अन्य दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। इसके यदि आपको हृदय रोग, स्ट्रोक, या गुर्दे की बीमारी जैसी जटिलताओं का खतरा बढ़ा हुआ है, तो डॉक्टर आपको ब्लड शुगर को और भी कड़ाई से नियंत्रित करने के लिए दवाएं दे सकते हैं।

शुगर की दवा से क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं?

डायबिटीज़ की दवाइयों के साइड इफेक्ट्स दवा के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन आम तौर पर इनमें पेट में गड़बड़ी (मिचली, उल्टी, दस्त, कब्ज़), सिरदर्द, चक्कर, थकान, वजन बढ़ना, या एलर्जी शामिल हो सकते हैं। हर किसी को ये सब साइड इफेक्ट्स नहीं होते और कई बार ये दवा लेने की आदत पड़ने पर कम भी हो जाते हैं। किसी भी परेशानी होने पर डॉक्टर से ज़रूर बात करें।

क्या शुगर की सभी दवाओं में साइड इफेक्ट हो सकते हैं?

नहीं, सभी दवाओं में ये परेशानियां नहीं होतीं और इनका असर हर व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकता है। कुछ लोगों को दवाओं से कोई दिक्कत नहीं होती, जबकि कुछ को ज़्यादा परेशानी हो सकती है। डॉक्टर से बात करके अपने साइड इफेक्ट्स के बारे में ज़रूर बताएं। वहीं डॉक्टर की सलाह से ज़्यादातर साइड इफेक्ट्स को कम किया जा सकता है। जैसे दवाओं की खुराक या समय बदलना, उन्हें खाने के साथ लेना, या कोई दूसरी दवा लेना। किसी भी परेशानी का सामना करने पर तुरंत डॉक्टर को बताएं।

क्या शुगर दवा के कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं?

ज़्यादातर साइड इफेक्ट्स हल्के या मीडियम होते हैं, लेकिन कुछ दवाओं के गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जिनके लिए तुरंत डॉक्टरी मदद की ज़रूरत होती है। जैसे, इंसुलिन या सल्फोनील्यूरिया जैसी दवाओं से ब्लड में शुगर बहुत कम हो सकता है (हाइपोग्लाइसीमिया), जो खतरनाक हो सकता है। कुछ दवाओं से दिल की समस्या या दूसरी जटिलताओं का खतरा भी बढ़ सकता है। इसलिए गंभीर साइड इफेक्ट्स के बारे में जानकारी रखें और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से मिलें।

क्या लाइफस्टाइल से इन साइड इफेक्ट को कम किया जा सकता है?

स्वस्थ खान-पान, नियमित व्यायाम, ब्लड शुगर का नियमित चेकअप, और शराब-तंबाकू से परहेज़ से डायबिटीज़ का बेहतर प्रबंधन हो सकता है और दवाओं या उनके साइड इफेक्ट्स को कम किया जा सकता है।

दवाओं से कोई साइड इफेक्ट होने पर क्या करें?

तुरंत डॉक्टर से बात करें। वो आपके लक्षणों की जांच कर सकते हैं, इलाज प्लान बदल सकते हैं, या कोई दूसरी दवा दे सकते हैं जो ज़्यादा रास आए। बिना डॉक्टर की सलाह के कभी भी दवा लेना बंद न करें या उसकी खुराक कम न करें, क्योंकि इससे ब्लड शुगर अनियंत्रित होकर जटिलताएं पैदा कर सकता है।

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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