डायबिटीज या शुगर तेजी से फैल रही एक गंभीर बीमारी है, जिसका कोई पर्मानेंट इलाज नहीं है। हालांकि इसे कंट्रोल किया जा सकता है। शुगर में शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या इंसुलिन का उपयोग ठीक से नहीं कर पाता है। डायबिटीज मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है, टाइप 1 और टाइप 2। अब शुगर की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर मरीजों को शुगर लेवल के निगरानी की सलाह देते हैं। अब भागदौड़ भरी जिंदगी में बार-बार लैब जाकर टेस्ट कराना हर किसी के लिए संभव नहीं है, इसलिए घर में शुगर की जांच के बारे में जानना जरूरी है। आज हम आपको बताएंगे कि घर में शुगर की जांच कैसे करें? शुगर टेस्ट कब करना चाहिए और घर में शुगर की जांच करते हुए क्या सावधानियां बरतें।
घर में शुगर की जांच कैसे करें? – ghar par sugar test kaise kare
डायबिटीज मरीज के लिए जरूरी है कि शुगर लेवल मैनेज रहे, इसके लिए घर पर शुगर लेवल चेक करना बहुत जरूरी होता है। नियमित रूप से शुगर की जांच करने से आप अपने शुगर लेवल के हिसाब से सावधानियां बरत सकते हैं। शुगर चेक करने का घरेलू उपाय है, ग्लूकोमीटर। ये बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला भरोसेमंद उपकरण है। ग्लूकोमीचर से शुगर की जांच के लिए इन स्टेप्स का ध्यान रखना चाहिए-
- ज़रूरी चीज़ें इकट्ठा करें
- अपने हाथ धोएं
- लैंसेट डिवाइस तैयार करें
- उंगली में सुई चुभाएं
- टेस्ट स्ट्रिप पर खून लगाएं
- रिजल्ट का इंतज़ार करें
- रिजल्ट को रिकॉर्ड करें
- रिजल्ट को समझें
सही रिजल्ट और रीडिंग के लिए जरूरी है कि सभी स्टेप्स का सही से पालन किया जाए। तो आइए इन स्टेप्स को विस्तार से समझ लेते हैं, ताकि शुगर जांच में बाद में कोई दिक्कत न आए।
स्टेप 1: ज़रूरी चीज़ें इकट्ठा करें-
- ग्लूकोमीटर: सबसे पहले ये चंक कर लें कि ग्लूकोमीटर साफ और ठीक से काम कर रहा है।
- टेस्ट स्ट्रिप्स: टेस्ट स्ट्रिप्स की एक्सपायरी डेट देखें और एक नई स्ट्रिप इस्तेमाल करें।
- लैंसेट डिवाइस: खून का सैंपल लेने के लिए लैंसेट डिवाइस तैयार करें।
- अल्कोहल स्वैब्स: उंगली की नोक को अल्कोहल स्वैब से साफ करें।
स्टेप 2: अपने हाथ धोएं-
- अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं। इससे संक्रमण से बचने में मदद मिलती है और सही नतीजे मिलते हैं।
स्टेप 3: लैंसेट डिवाइस तैयार करें-
- डिवाइज पर बने निर्देशों के हिसाब से लैंसेट डिवाइस में लैंसेट लगाएं। अगर आपके डिवाइस में डेप्थ सेटिंग है तो उसे एडजस्ट करें।
स्टेप 4: उंगली में सुई चुभाएं-
- लैंसेट डिवाइस से अपनी उंगली के किनारे पर सुई चुभाएं। (कम दर्द के लिए किनारे का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है)
स्टेप 5: टेस्ट स्ट्रिप पर खून लगाएं-
- टेस्ट स्ट्रिप को अपनी उंगली के बल्ड की बूंद पर रखें और उसे सैंपल सोखने दें।
स्टेप 6: नतीजों का इंतज़ार करें-
- टेस्ट स्ट्रिप को ग्लूकोमीटर में डालें और डिवाइस के ब्लड सेंपल में शुगर का लेवल दिखाने का इंतज़ार करें। इसमें आमतौर पर कुछ सेकंड लगते हैं।
स्टेप 7: नतीजे रिकॉर्ड करें-
- नतीजे को लॉगबुक में या अपने ग्लूकोमीटर की मेमोरी में रिकॉर्ड करें। दिन का समय, खाना, और दवाइयां आदि की जानकारी भी लिख लें।
स्टेप 8: नतीजों को समझें-
- डॉक्टर ने आपको शुगर का एक टारगेट लेवल बताया होगा। तो अपनी कंडीशन के हिसाब से जो शुगर का सामान्य लेवल है उसे ध्यान रखते हुए टेस्ट रिजल्ट को देखें। अगर रीडिंग टारगेट से कम या ज्यादा है, तो कार्रवाई के लिए अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें।
यहां ये जानना जरूरी है कि WHO के मुताबिक खाली पेट ब्लड शुगर का सामान्य स्तर 70 से 100 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) के बीच होता है। अगर खाली पेट ब्लड शुगर का स्तर 100 से 125 mg/dL के बीच है, तो लाइफस्टाइल में बदलाव लाने और ब्लड शुगर की निगरानी बढ़ाने की सलाह दी जाती है। वहीं खाने के बाद शुगर लेवल 140 mg/dL से कम होना चाहिए।
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घर पर शुगर टेस्ट में ध्यान रखने वाली बातें – sugar check kaise kare
घर पर ब्लड शुगर चेक करते हुए कई बातों का खास ध्यान रखना होता है। डायबिटीज की रीडिंग बहुत सेंसिटिव तरह से ली जाती है, ताकि रिजल्ट पर किसी भी तरह का कोई फर्क न पड़े और सही रीडिंग मिल सके। इसके लिए इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
- हाथ अच्छे से धोएं- ब्लड शुगर चेक करने से पहले हमेशा अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं। अगर उंगलियों पर कुछ लगा है तो शुगर का लेवल सही नहीं आएगा।
- नई सुई इस्तेमाल करें- अगर आप लैंसेट डिवाइस से खून ले रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि सुई साफ हो और ठीक से लगी हो। पुरानी सुइयों को पंचर-प्रूफ कंटेनर में फेंक दें।
- स्ट्रिप्स की एक्सपायरी डेट देखें- टेस्ट स्ट्रिप्स के पैकेज पर एक्सपायरी डेट जरूर देखें। पुरानी स्ट्रिप्स से गलत रीडिंग आ सकती है।
- ग्लूकोमीटर कैलिब्रेट करें (अगर जरूरी हो)- कुछ ग्लूकोमीटर को समय-समय पर कैलिब्रेट करने की जरूरत होती है। सही रीडिंग के लिए मेन्युफैक्चरर के निर्देशों का पालन करें।
- स्ट्रिप्स बंद रखें- टेस्ट स्ट्रिप्स को उनके मूल सीलबंद कंटेनर में ही रखें ताकि हवा आदि से उनका असर कम न हो।
- उंगली निचोड़ें नहीं- जब आप खून ले रहे हों, तो उंगली को ज्यादा निचोड़ें नहीं। इससे खून का सैंपल बदल सकता है और रीडिंग सही नहीं आएगी।
- उंगली के किनारे पर चुभाएं- उंगली के बीच में नहीं, बल्कि किनारे पर चुभाएं। किनारों पर आमतौर पर कम नसें होती हैं, इसलिए दर्द कम होता है।
- सुइयों को सुरक्षित फेंकें- इस्तेमाल की हुई सुइयों को एक खास कंटेनर में फेंकें। इससे हादसा होने का खतरा कम होता है।
- सही तरीका अपनाएं- ग्लूकोमीटर के मेन्युफैक्चरर के निर्देशों का स्टेप-बाय-स्टेप पालन करें। सही तरीका अपनाना जरूरी है ताकि रीडिंग सही आए।
- रिजल्ट को रिकॉर्ड करें: ब्लड शुगर रीडिंग को एक लॉगबुक में रिकॉर्ड करें। साथ में दिन का समय, खाना, शारीरिक गतिविधि और दवाइयां आदि जानकारी भी लिखें। सही समय पर टेस्ट करना और रिजल्ट को लॉगबुक या डिजिटल ऐप में रिकॉर्ड करना ज़रूरी है। नियमित निगरानी से डॉक्टरों को इलाज के प्लान में बदलाव करने में मदद मिलती है और आपको अपने डायबिटीज को बेहतर तरीके से मैनेज करने में मदद मिलती है। हमेशा अपनी हेल्थकेयर टीम की सलाह का पालन करें।
- उपकरण साफ रखें: ग्लूकोमीटर और अन्य उपकरणों को समय-समय पर मेन्युफैक्चरर के निर्देशों के अनुसार साफ करें। सही रखरखाव से ये उपकरण सही और बिल्कुल ठीक काम करते हैं।
- डॉक्टर से सलाह लें: टेस्ट करने का समय और बार-बार टेस्ट करने की ज़रूरत के बारे में डॉक्टर से बात करें। वो आपकी सेहत, इलाज के प्लान और लक्ष्यों के आधार पर व्यक्तिगत सलाह दे सकते हैं।
इन सावधानियों को अपनाकर, आप घर पर अपने ब्लड शुगर की मॉनिटरिंग को और बेहतर बना सकते हैं, साथ ही डायबिटीज मैनेजमेंट अच्छा कर सकते हैं। हमेशा व्यक्तिगत सलाह, मॉनिटरिंग की फ्रीक्वेंसी, टारगेट रेंज और रिजल्ट्स को समझने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।
घर पर शुगर टेस्ट कब करना चाहिए? – Sugar Test kab karna chaheye
घर पर शुगर चेक करने का समय आपको यह समझने में मदद कर सकता है कि अलग-अलग चीज़ें, जैसे खाना और व्यायाम, ब्लड शुगर लेवल को कैसे प्रभावित करती हैं। टेस्ट कितनी बार और कब करना है, यह हर व्यक्ति के हालात और डायबिटीज के प्रकार पर निर्भर करता है। इसके लिए डॉक्टर की सलाब जरूर लेनी चाहिए। हालांकि हम आपको घर पर शुगर टेस्ट करने के लिए कुछ सामान्य समय बताएंगे, जिनसे कोई नुकसान नहीं है।
फास्टिंग ब्लड शुगर (फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज़ – FPG)-
रात में सोने के बाद सुबह उठने पर या लगभग 8 से 9 घंटे की फास्टिंग के बाद इसे करना चाहिए। ध्यान रखें कि कुछ भी खाने या पानी के अलावा कुछ भी पीने से पहले ही इसे करना होता है।शरीर में फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल बताता है कि बिना कुछ खाए पिए हुए आपका शरीर शुगर को कैसे मैनेज कर रहा है।
खाने से पहले का ब्लड शुगर (प्री-प्रैन्डियल)-
यह नाश्ते, दोपहर के खाने या रात के खाने से तुरंत पहले टेस्ट की जाती है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि खाने से पहले ब्लड शुगर कैसा है और खाने के बाद कैसे बढ़ेगा। डॉक्टर को ये जानकारी आपके लिए सही दवाएं सजेस्ट करने में मदद करती है।
खाने के बाद का ब्लड शुगर (पोस्ट-प्रैन्डियल):
नाश्ते, दोपहर और रात के खाने के एक से दो घंटे इसे टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट से आपको पता चलता है कि आपका शरीर आपके खाने के बाद ग्लूकोज़ को कैसे पचाता है और मैनेज करता है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि अलग-अलग तरह के खाने आपके ब्लड शुगर को कैसे प्रभावित करते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर आप किसी एक खाने के बाद पाते हैं कि आपका ब्लड शुगर ज़्यादा बढ़ जाता है, तो आप उसे खाने से कम कर सकते हैं या उसके साथ कोई दूसरा खाद्य पदार्थ मिला सकते हैं, जो ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकता हो। इस तरह, पोस्ट-प्रैन्डियल टेस्ट के जरिए आप डॉक्टर के साथ मिलकर अपने लिए सही डाइट प्लान बना सकते हैं और डायबिटीज़ को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं।
सोने से पहले ब्लड शुगर टेस्ट (बेडटाइम ब्लड शुगर):
रात को खाना पीना निपटाने के तीन से चार घंटे बाद सोने से पहले शुगर टेस्ट कर सकते हैं। रात भर बिना खाए-पिए रहने पर ब्लड शुगर का स्तर कैसे रहता है, ये देखने के लिए सोने से पहले टेस्ट किया जाता है, फिर सुबह और रात की रीडिंग की तुलना की जाती है। इससे डॉक्टर ज़रूरत पड़ने पर रात की इंसुलिन की मात्रा को एडजस्ट कर सकते हैं।
अलग-अलग समय पर टेस्ट (ऑकेशनल टेस्टिंग):
वैसे घर पर किसी इमरजेंसी में कभी भी टेस्ट कर सकते हैं, जैसे तबीयत खराब होने पर, हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर कम होना) या हाइपरग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर बढ़ना) के लक्षण होने पर, या जीवनशैली में हुए किसी बदलाव के असर को देखने के लिए भी ये टेस्ट कर सकते हैं। इससे किसी भी रेंडम समय में शरीर में शुगर के लेवल को जानने में मदद मिलती है।
एक्सरसाइज से पहले और बाद में:
एक्सरसाइज से पहले और बाद में टेस्ट करने से ये समझने में मदद मिलती है कि एक्सरसाइज कैसे ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित करता है। इससे दवाओं, खाने की मात्रा या एक्सरसाइज के स्तर को एडजस्ट करने में मदद मिलती है।
हाइपोग्लाइसीमिया का शक होने पर:
अगर हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण दिखें, जैसे हाथ कांपना, पसीना आना या चक्कर आना, तो तुरंत ब्लड शुगर का स्तर चेक करें ताकि ये पता चल सके कि वो बहुत कम तो नहीं है।
दवाइयां बदलते समय:
जब दवाइयां बदली जाती हैं, तो ब्लड शुगर के स्तर पर उनके प्रभाव की निगरानी के लिए ज़्यादा बार टेस्ट करना ज़रूरी हो सकता है।
इस सबके अलावा आप डॉक्टर की सलाह पर भी शुगर लेवल चेक कर सकते हैं। किसी पार्टी या फंक्शन में जाने से पहले भी कई बार लोग शुगर टेस्ट करते हैं। लंबे सफर में जाने से पहले भी शुगर टेस्ट किया जा सकता है।
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घर पर शुगर टेस्ट किसके लिए जरूरी?
घर पर शुगर टेस्ट करना कुछ खास लोगों के लिए बहुत ज़रूरी होता है, खासकर जिन लोगों को डायबिटीज हो चुकी है या जिन्हें डायबिटीज होने का खतरा ज़्यादा है। आइए ऐसे कुछ लोगों के बारे में जानें जो नियमित रूप से घर पर शुगर टेस्ट कर सकते हैं:
डायबिटीज के मरीज़-
जिन लोगों को डायबिटीज (टाइप 1 या टाइप 2) है, उन्हें आमतौर पर अपने ब्लड शुगर के लेवल की नियमित रूप से जांच करने की सलाह दी जाती है। घर पर टेस्ट करने से उन्हें अपनी बीमारी को मैनेज करने, दवाओं, खाने और लाइफस्टाइल के बारे में सोच-समझकर फैसले लेने, और अनियंत्रित ब्लड शुगर के कारण होने वाली परेशानियों से बचने में मदद मिलती है।
गर्भावस्था में डायबिटीज (गेस्टेशनल डायबिटीज)-
गर्भवती महिलाओं को अगर गर्भावस्था में डायबिटीज (गेस्टेशनल डायबिटीज) होती है, तो उन्हें अक्सर घर पर अपने ब्लड शुगर का स्तर देखने की सलाह दी जाती है। इससे गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर को मैनेज करने और मां और बच्चे दोनों के लिए परेशानियों का खतरा कम करने में मदद मिलती है।
डायबिटीज का खतरा ज़्यादा होने पर-
जिन लोगों के परिवार में डायबिटीज का इतिहास है, जो ज़्यादा वज़न वाले हैं या मोटापे से ग्रस्त हैं, और जिन्हें डायबिटीज के चलते अन्य जोखिम हैं, उन्हें घर पर नियमित रूप से शुगर टेस्ट करने पर विचार करना चाहिए। शुरुआती पता लगाने और निगरानी से डायबिटीज को रोकने या देरी करने में मदद मिल सकती है।
ब्लड शुगर बढ़ाने वाली दवाइयां लेने वाले लोग-
कुछ दवाइयां, जैसे स्टेरॉयड या कुछ एंटी-साइकोटिक दवाइयां, ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में दवाइयां लेने वाले लोगों को यह सुनिश्चित करने के लिए घर पर अपने ब्लड शुगर की निगरानी करने की ज़रूरत हो सकती है कि वह सही सीमा के अंदर रहे।
डायबिटीज के लक्षण दिखने वाले लोग-
जो लोग डायबिटीज के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, जैसे ज़्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, बिना कारण वज़न कम होना, थकान, या धुंधला दिखाई देना, उन्हें डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और उन्हें घर पर शुगर टेस्ट करने की सलाह दी जा सकती है।
हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) से परेशान लोग-
जो लोग हाइपोग्लाइसीमिया से ग्रस्त हैं या जिनका ब्लड शुगर अक्सर कम हो जाता है, उन्हें घर पर अपने स्तरों की निगरानी करने की ज़रूरत हो सकती है, खासकर अगर वे इंसुलिन या कुछ डायबिटीज की दवाइयां ले रहे हैं।
गर्भवती महिलाओं का खतरा ज़्यादा होने पर-
गर्भवती महिलाओं को जिनका गर्भावस्था में डायबिटीज होने का खतरा ज़्यादा है, जैसे कि जिनको पिछली गर्भधारण में जेस्टेशनल डायबिटीज हो चुकी है, उन्हें घर पर शुगर टेस्ट करने की सलाह दी जा सकती है।
जीवनशैली बदलने पर-
जो लोग अपनी जीवनशैली में बड़े बदलाव कर रहे हैं, जैसे नया व्यायाम शुरू करना, अपना आहार बदलना, या वज़न कम करना, वे नियमित शुगर टेस्टिंग से लाभ उठा सकते हैं। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि ये बदलाव उनके ब्लड शुगर के स्तर को कैसे प्रभावित करते हैं।
यह याद रखना ज़रूरी है कि घर पर शुगर टेस्ट करने की बार-बार ज़रूरत और टेस्ट का समय डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही तय करें।
निष्कर्ष
शुगर लेवल चेक करना केवल डायबिटीज के मरीजों के लिए ही नहीं, बल्कि स्वस्थ्य लोगों के लिए भी जरूरी है। ताकि डायबिटीज के खतरे से बचा जा सके। वहीं घर पर डायबिटीज चेक करने के लिए सही तरीके से सही उपकरणों का इस्तेमाल भी जरूरी है, इससे सही रिजल्ट मिलता है। साथ ही रिजल्ट अगर कम या ज्यादा आए तो घबराएं नहीं, तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
डायबिटीज होने पर ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी और उसे मैनेज करने के लिए घर पर टेस्ट करना बहुत ज़रूरी है। इससे आपको रीयल-टाइम में जानकारी मिलती है, जिससे आप दवाइयों, खाने और अपने लाइफस्टाइल के बारे में सोच-समझकर फैसले ले सकते हैं।
टेस्ट करने की बार-बार ज़रूरत आपके डायबिटीज के टाइप, इलाज के प्लान और डॉक्टर की सलाह के आधार पर तय होती है। ये ज़रूरत दिन में कई बार से लेकर कम बार तक भी हो सकती है।
बेहतर होगा कि आप सुबह खाली पेट, खाने से पहले, खाने के 1-2 घंटे बाद, और सोने से पहले टेस्ट करें। हालांकि, व्यक्तिगत स्थिति और डॉक्टर की सलाह के हिसाब से खास समय थोड़ा बदल सकता है।
घर पर टेस्ट करने से आपको तुरंत ही पता चल जाता है कि ब्लड शुगर कैसा है, लेकिन ये डॉक्टर द्वारा बताए गए लैब टेस्ट की जगह नहीं ले सकते। लैब टेस्ट लंबे समय के ब्लड शुगर कंट्रोल का गहराई से आकलन देते हैं।
ग्लूकोमीटर चुनते समय उसकी सटीकता, इस्तेमाल में आसानी, कीमत और अतिरिक्त फीचर्स पर ध्यान दें। डॉक्टर से सलाह लें और मेमोरी स्टोरेज और कनेक्टिविटी जैसी सुविधाओं पर भी विचार करें।
कीटोन टेस्ट खासकर इंसुलिन लेने वाले डायबिटीज के मरीज़ों के लिए ज़रूरी होता है। अगर ब्लड शुगर लगातार ज़्यादा रहता है या बीमारी के दौरान कीटोन टेस्ट की सलाह दी जा सकती है। डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
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