ग्लूकोज परीक्षण किसी व्यक्ति के मेटाबॉलिक हेल्थ का आकलन करने के लिए जरूरी डिवाइस में से एक है। ग्लूकोज लेवल को मापने के लिए उपयोग की जाने वाली विभिन्न विधियों में रैंडम ग्लूकोज परीक्षण एक विशिष्ट स्थान रखता है। यह परीक्षण किसी व्यक्ति की ब्लड शुगर लेवल में तुरंत के बदलावों की समीक्षा करता है और मधुमेह जैसी कंडीशन के निदान और निगरानी के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है। इस ब्लॉग में हम रैंडम ग्लूकोज परीक्षण के विवरण, इसके महत्व, रैंडम ग्लूकोज परीक्षण की सामान्य सीमा, व्याख्या और बहुत कुछ के बारे में विस्तार से जानेंगे।
रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट क्या है? | RBS Test in Hindi
रैंडम ग्लूकोज परीक्षण जिसे रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट (आरबीएस टेस्ट) या रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज परीक्षण के रूप में भी जाना जाता है, एक चिकित्सा प्रक्रिया है जिसका उपयोग किसी भी समय किसी व्यक्ति के ब्लड शुगर लेवल को मापने के लिए किया जाता है चाहे आपने आखिरी बार खाना कभी भी खाया हो। फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट जिसमें परीक्षण से पहले फास्टिंग की जरूरत होती है से अलग रैंडम ग्लूकोज परीक्षण बिना किसी फास्टिंग के किया जाता है। जब फास्टिंग जरूरी न हो तो यह ग्लूकोज लेवल का जल्दी से आकलन करने के लिए एक सुविधाजनक उपकरण बन जाता है।
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रैंडम ग्लूकोज टेस्ट के चरण
रैंडम ग्लूकोज परीक्षण(आरबीएस टेस्ट) करने में कुछ सीधे चरण शामिल होते हैं-
टेस्ट की तैयारी
फास्टिंग ग्लूकोज परीक्षण जिसमें रात भर के फास्टिंग की आवश्यकता होती है, वहीं रैंडम ग्लूकोज परीक्षण के लिए फास्टिंग की जरूरत नहीं हैं। आप परीक्षण से पहले सामान्य रूप से खा-पी सकते हैं। आपके द्वारा ली जा रही किसी भी दवा या हाल की किसी बीमारी के बारे में अपने हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर को सूचित करना जरूरी है जो परिणामों को प्रभावित कर सकती है।
सैंपल कलेक्शन
परीक्षण में ब्लड निकाला जाता है। एक हेल्थ केयर एक्सपर्ट नस के ऊपर की त्वचा को साफ करता है और बांह से थोड़ी मात्रा में ब्लड निकालने के लिए एक सुई डालता है। ब्लड को टेस्ट ट्यूब में या टेस्ट स्ट्रिप पर इकट्ठा किया जाता है।
प्रयोगशाला(लैब) की जांच
एकत्र किए गए ब्लड सैंपल की जांच के लिए लैब में भेजा जाता है। प्रयोगशाला में विशेष उपकरणों का उपयोग करके ग्लूकोज लेवल को मापा जाता है। परीक्षण या तो ग्लूकोज प्लाज्मा या संपूर्ण ब्लड ग्लूकोज को माप सकता है, और माप की मानक इकाइयों के आधार पर मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम/डीएल) या मिलीमोल प्रति लीटर (एमएमओएल/एल) में रिपोर्ट किया जाएगा।
परिणाम और व्याख्या
एक बार लैब जांच पूरी हो जाने पर हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर को परिणाम प्राप्त होंगे। परिणामों की व्याख्या में प्राप्त रैंडम ग्लूकोज लेवल की माप को रैंडम ग्लूकोज परीक्षण(आरबीएस टेस्ट) सामान्य सीमा से तुलना करना और किसी भी तरह के रिलेवेंट फैक्टर पर विचार करना शामिल है।
ज्यादा जानकारी और सिफ़ारिशें
परिणामों के आधार परहेल्थ सर्विस प्रोवाइडर गाइडेंस और सिफारिशें पेश करेंगें। यदि ग्लूकोज लेवल रैंडम ग्लूकोज परीक्षण की सामान्य सीमा के भीतर आता है तो किसी और कार्रवाई की जरूरत नहीं हो सकती है। लेकिन हाई लेवल आने पर शुगर या इससे जुड़ी दूसरी किसी जांच के लिए अतिरिक्त परीक्षण, लाइफस्टाइल या ट्रीटमेंट प्लान में बदलाव का कारण बन सकता है।
रैंडम ग्लूकोज टेस्ट का महत्व
रैंडम ग्लूकोज परीक्षण कई कारणों से जरूरी है-
मधुमेह का पता चलना– हाई रैंडम ग्लूकोज लेवल मधुमेह का संकेत दे सकता है। मान लीजिए कि परीक्षण में काफी हाई ग्लूकोज लेवल (200 मिलीग्राम/डीएल या 11.1 एमएमओएल/एल से ऊपर) का पता चलता है और व्यक्ति अत्यधिक प्यास, बार-बार पेशाब आना और वजन घटाने जैसे मधुमेह के लक्षणों का अनुभव कर रहा है। उस स्थिति में निदान की पुष्टि के लिए आगे के परीक्षण किए जाते हैं।
शुगर मैनेजमेंट की निगरानी– पहले से ही जिसे शुगर है ऐसे किसी मरीज के लिए रैंडम ग्लूकोज परीक्षण(आरबीएस टेस्ट) यह जानकारी प्रदान करता है कि पूरे दिन ब्लड शुगर लेवल को कितनी अच्छी तरह मैनेज किया जा रहा है। यह हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर को दवा, डाइट और लाइफस्टाइल की सिफारिशों मे जरूरी एडजस्टमेंट करने में मदद करता है।
तुरंत स्थिति का आकलन– परीक्षण किसी व्यक्ति के वर्तमान ब्लड शुगर लेवल का एक स्नैपशॉट प्रदान करता है भले ही उसने हाल ही में कुछ भी खाया हो। यह इमरजेंसी सिचुएशन में, अस्पताल में रहने के दौरान, या किसी व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य का आकलन करते समय काफी जरूरी हो सकता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज़ की जांच– जेस्टेशनल डायबिटीज़ (गर्भकालीन मधुमेह) की जांच के लिए प्रेगनेंसी के दौरान रैंडम ग्लूकोज परीक्षण का भी उपयोग किया जाता है। गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड शुगर लेवल माँ और बच्चे के लिए जोखिम पैदा कर सकता है, जिससे निगरानी काफी जरूरी हो जाती है।
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट क्या है? | Plasma Glucose Random in Hindi
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज परीक्षण एक प्रक्रिया है जो किसी भी समय ब्लड में ग्लूकोज को मापती है चाहे व्यक्ति ने हाल ही में कुछ भी खाया हो।
फास्टिंग ग्लूकोज परीक्षण के विपरीत इस टेस्ट के लिए व्यक्ति को पहले लंबे समय तक भोजन से परहेज करने की जरूरत नहीं होती है। यह ब्लड शुगर लेवल का रियल-टाइम स्नैपशॉट प्रदान करता है जिससे यह तुरंत मूल्यांकन के लिए एक अच्छा डिवाइस बन जाता है।
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट का महत्व
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज परीक्षण कई कारणों से हेल्थ केयर में ज्यादा महत्व रखता है-
इमिडिएट ब्लड शुगर
बिना फास्टिंग के ब्लड शुगर लेवल को मापकर परीक्षण यह जानकारी प्रदान करता है कि शरीर पूरे दिन ग्लूकोज को कैसे मैनेज करता है। यह मधुमेह के मरीजों के लिए विशेष रूप से जरूरी है क्योंकि यह भोजन के बाद और दवा की खुराक के बीच के दौरान उनके ब्लड शुगर कंट्रोल का आकलन करने में मदद करता है।
मधुमेह का जल्दी से निदान
हाई ब्लड शुगर लेवल मधुमेह(शुगर) का संकेत हो सकता है। रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज परीक्षण जल्दी से मधुमेह का पता करने का एक प्रभावी साधन है खासकर जब अत्यधिक प्यास, बार-बार पेशाब आना और वजन घटाने जैसे लक्षण दिखते हैं। यदि परीक्षण में ग्लूकोज लेवल काफी बढ़ा हुआ दिखता है तो यह पुष्टि के लिए आगे के परीक्षणों को प्रेरित कर सकता है।
शुगर मैनेजमेंट की निगरानी
जो लोग पहले से ही शुगर के मरीज हैं उनके लिए ब्लड शुगर लेवल को स्थिर बनाए रखना जरूरी है। रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज परीक्षण हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर को शुगर मैनेजमेंट के बारे में सही रणनीति बनाने में मदद करता है। यह बढ़िया शुगर मैनेजमेंट के लिए दवा की खुराक, डाइट प्लान और लाइफस्टाइल में बदलाव के लिए सहायता करता है।
रैंडम ब्लड ग्लूकोज़ टेस्ट क्यों जरूरी है?
मधुमेह के निदान और निगरानी में रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट जरूरी है। इससे हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर को यह पता लगाने में मदद मिलती है कि किसी व्यक्ति का शरीर पूरे दिन ग्लूकोज लेवल को कितनी अच्छी तरह से मैनेज करता है। शुगर के मरीजों के लिए यह परीक्षण उनके ब्लड शुगर कंट्रोल में तत्काल जानकारी प्रदान कर सकता है और दवा की खुराक, लाइफस्टाइल में बदलाव और ट्रीटमेंट प्लान (उपचार योजनाओं) को एडजस्ट करने में सहायता कर सकता है।
रैंडम ब्लड ग्लूकोज़ टेस्ट का महत्व
रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट महत्वपूर्ण महत्व रखता है और हेल्थ केयर के विभिन्न पहलुओं में जरूरी भूमिका निभाता है। आइए गहराई से जानें कि यह परीक्षण इतना जरूरी क्यों है-
मधुमेह का तुरंत पता चलना
शुगर (मधुमेह) एक लॉन्ग-टर्म कंडीशन है जो ब्लड शुगर के हाई लेवल की वजह से होता है। मधुमेह को जल्दी से पता करने के लिए रैंडम शुगर परीक्षण एक जरूरी डिवाइस है। यदि किसी व्यक्ति में मधुमेह के लक्षण दिखाई देते हैं जैसे ज्यादा प्यास, बार-बार पेशाब आना, थकान और वजन कम होना तो एक रैंडम ग्लूकोज परीक्षण उनके ब्लड ग्लूकोज लेवल के बारे में तत्काल जानकारी प्रदान कर सकता है। यदि परीक्षण में ग्लूकोज लेवल काफी बढ़ा हुआ ( 200 mg/dL या 11.1 mmol/L से ऊपर) दिखता है तो यह शुगर होने का संकेत दे सकता है और इसकी पुष्टि के लिए आगे के परीक्षणों की जरूरत हो सकती है।
ब्लड शुगर कंट्रोल की रियल-टाइम मॉनिटरिंग
पहले से ही जो शुगर के मरीज हैं उनके लिए परेशानियों को रोकने के लिए ब्लड शुगर लेवल को स्थिर बनाए रखना जरूरी है। रैंडम ग्लूकोज परीक्षण हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर को यह आकलन करने की जरूरत है कि फास्टिंग के अलावा पूरे दिन ब्लड शुगर लेवल कितनी अच्छी तरह कंट्रोल होता है। रियल-टाइम निगरानी से शुगर मैनेजमेंट के लिए दवा, डाइट और जीवनशैली में बदलाव के बारे में सही निर्णय लेने में मदद होती है।
इमरजेंसी सिचुएशन और हॉस्पिटल की देखभाल
इमरजेंसी सिचुएशन में रैंडम ग्लूकोज परीक्षण(आरबीएस टेस्ट) मरीज की तुरंत ब्लड शुगर लेवल का पता करने के लिए एक त्वरित तरीका प्रदान करता है। यह उन मरीजों के लिए विशेष रूप से जरूरी है जो गंभीर रूप से बीमार हैं या मेडिकल कंडीशन के कारण फास्टिंग (उपवास) में असमर्थ हैं। ब्लड शुगर की तुरंत जानकारी के कारण हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर को समय पर उपचार करने में मदद करती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज़ जांच
(जेस्टेशनल डायबिटीज़) गर्भकालीन मधुमेह जो गर्भावस्था के दौरान होता है माँ और बच्चे दोनों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। गर्भावधि मधुमेह की जांच के लिए रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट (आरबीएस टेस्ट) प्रसव से पहले नियमित देखभाल का हिस्सा है। इस कारण किसी भी तरह की परेशानी से बचने में और उचित कार्यवाही में मदद करता है।
ब्लड शुगर रेगुलेशन की पूरी समझ
ब्लड शुगर फास्टिंग टेस्ट जो केवल फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल के बारे में जानकारी देता है वहीं रैंडम ग्लूकोज परीक्षण भोजन के बाद पूरे दिन ब्लड शुगर रेगुलेशन की ज्यादा जानकारी प्रदान करता है। यह जरूरी है क्योंकि भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है जो सम्पूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और मधुमेह से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा सकता है।
आपके हिसाब से ट्रीटमेंट प्लान
रैंडम ग्लूकोज परीक्षण हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर को व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार ट्रीटमेंट प्लान तैयार करने में सहायता करता है। दिन के अलग-अलग समय में ब्लड शुगर लेवल पता करके हेल्थ केयर एक्सपर्ट आपके लिए बेहतर रणनीति बना सकते हैं जो आपके शुगर मैनेजमेंट में आपकी मदद कर सकता है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य जांच
मधुमेह के खतरे वाले व्यक्तियों या ऐसे लोगों की पहचान करने के लिए जिनमें मधुमेह का पता नहीं चला है, कभी-कभी सार्वजनिक स्वास्थ्य जांच में रैंडम ग्लूकोज परीक्षण का उपयोग किया जाता है। इनके माध्यम से जल्दी पता लगाया जा सकता है जिससे मधुमेह से जुड़ी समस्याओं को शुरुआत में ही रोकने के लिए सही समय पर काम किया जा सकता है।
रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट परिणामों की व्याख्या करना
रैंडम ग्लूकोज परीक्षण के परिणामों की व्याख्या करने में रैंडम ग्लूकोज परीक्षण की सामान्य सीमा और उस सीमा के बाहर रीडिंग के प्रभावों को समझना शामिल है।
रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट सामान्य रेंज
रैंडम शुगर लेवल के लिए रैंडम ग्लूकोज परीक्षण की सामान्य सीमा उम्र, हेल्थ कंडीशन और लैब के स्पेसिफिक वैल्यूज जैसे फैक्टर्स के आधार पर थोड़ी अलग हो सकती है। 140 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम/डीएल) या उससे कम का ग्लूकोज लेवल रैंडम ग्लूकोज परीक्षण सामान्य सीमा के अंदर माना जाता है।
रीडिंग के प्रभाव
- रैंडम ग्लूकोज परीक्षण की सामान्य रेंज– यदि रैंडम ग्लूकोज लेवल सामान्य सीमा के अंदर आता है तो यह संकेत करता है कि शरीर का ब्लड शुगर कंट्रोल में है और मधुमेह के बारे में तत्काल चिंता करने की जरूरत नहीं है।
- हाई-ग्लूकोज लेवल– 140 मिलीग्राम/डीएल से ऊपर का रैंडम शुगर लेवल हाई-ब्लड शुगर (हाइपरग्लेसेमिया) का संकेत दे सकता है, जो मधुमेह, खराब ग्लूकोज लेवल या दूसरी मैटाबॉलिक समस्याओं का संकेत दे सकता है। ज्यादा सटीक रूप से पता करने के लिए आगे किए जाने वाले परीक्षण जैसे ब्लड शुगर फास्टिंग टेस्ट या ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (परीक्षण) की सलाह दी जा सकती है।
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज परीक्षण करना
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज परीक्षण कई चरण में संपन्न होती है-
तैयारी
ब्लड शुगर फास्टिंग टेस्ट के विपरीत इस परीक्षण में किसी तरह की फास्टिंग की जरूरत नहीं होती है। व्यक्ति परीक्षण से पहले सामान्य रूप से खा-पी सकते हैं। लेकिन हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर को किसी भी दवा या बीमारी के बारे में सूचित करना जरूरी है जो परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
ब्लड सैंपल
हेल्थ केयर एक्सपर्ट बांह की नस से ब्लड सैंपल लेते हैं। इस ब्लड सैंपल को प्रोसेस्ड किया जाता है और प्लाज्मा को अलग किया जाता है।
प्रयोगशाला द्वारा प्रमाणित
ग्लूकोज सांद्रता को मापने के लिए प्रयोगशाला में प्लाज्मा की जांच की जाती है। इसकी माप क्षेत्रीय मानकों के आधार पर मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम/डीएल) या मिलीमोल प्रति लीटर (एमएमओएल/एल) में रिपोर्ट किया जाता है।
व्याख्या और ज्यादा जानकारी
रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट के परिणामों की व्याख्या स्थापित सीमाओं के साथ मापे गए ग्लूकोज लेवल की तुलना करके की जाती है। माप में बढ़ा हुआ लेवल शुगर, ग्लूकोज टॉलरेंस की खराब स्थिति या दूसरी मैटाबॉलिक कंडीशन का संकेत दे सकता है। परिणाम के आधार पर आगे का परीक्षण या सलाह दी जाती है।
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज परीक्षण(आरबीएस टेस्ट) किसी व्यक्ति की तुरंत ब्लड शुगर का एक स्नैपशॉट प्रदान करता है, जिससे समय पर इसके पता चलने से लेकर, प्रभावी शुगर मैनेजमेंट और ब्लड शुगर कंट्रोल का आकलन संभव हो पाता है। यह मधुमेह का तेजी से निदान करने, ब्लड शुगर लेवल की निगरानी करने और ट्रीटमेंट प्लान में सहायता करता है। अपने मेटाबॉलिक हेल्थ के बारे में चिंतित या पहले से ही मधुमेह के मरीजों के लिए रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज परीक्षण एक जरूरी डिवाइस (उपकरण) के रूप में काम करता है जो उन्हें अपनी भलाई की जिम्मेदारी लेने के लिए सशक्त बनाता है। व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर सटीक व्याख्या और गाइडेंस के लिए हेल्थ केयर एक्सपर्ट की सलाह लेना जरूरी है।
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रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट को प्रभावित करने वाले कारक
कई कारक रैंडम शुगर परीक्षण परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं-
- तुरंत किया गया भोजन– हाल ही में हाई कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन अस्थायी रूप से ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है।
- तनाव– शारीरिक या भावनात्मक तनाव से ग्लूकोज का लेवल बढ़ सकता है।
- दवाएं– कुछ दवाएं ग्लूकोज लेवल को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए किसी भी चल रहे उपचार के बारे में हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर को सूचित करना जरूरी है।
- बीमारी या संक्रमण– संक्रमण और बीमारियाँ ब्लड शुगर लेवल को अस्थायी रूप से बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष
रैंडम शुगर परीक्षण बिना फास्टिंग की जरूरत के ब्लड शुगर लेवल में तत्काल जानकारी प्रदान करता है। मधुमेह के निदान और निगरानी में इसके महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है। रैंडम ग्लूकोज परीक्षण की सामान्य सीमा को समझकर, परिणामों की व्याख्या करके, प्रभावित करने वाले कारकों पर विचार करके और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को संबोधित करके, व्यक्ति मेटाबॉलिक हेल्थ को बढ़िया बनाए रखने में इस परीक्षण के महत्व को समझ सकते हैं। रैंडम शुगर परीक्षण परिणामों के संबंध में सटीक व्याख्या और गाइडेंस के लिए हेल्थ केयर एक्सपर्ट के साथ सलाह जरूरी है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या मैं रैंडम ग्लूकोज परीक्षण से पहले खा सकता हूँ?
आप रैंडम ग्लूकोज परीक्षण से पहले खा सकते हैं क्योंकि इसमें फास्टिंग की जरूरत नहीं होती है, लेकिन परीक्षण से पहले ज्यादा कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने के बजाय नियमित भोजन करने का प्रयास करें।
क्या रैंडम ग्लूकोज परीक्षण का उपयोग केवल मधुमेह का पता करने के लिए किया जाता है?
रैंडम ग्लूकोज परीक्षण मधुमेह के निदान के लिए मूल्यवान है, इसका उपयोग शुगर के मरीजों में ग्लूकोज कंट्रोल करने और शरीर इन स्थितियों पर कैसे रिएक्ट करता है का आकलन करने के लिए किया जाता है।
यदि मेरे रैंडम ग्लूकोज परीक्षण का परिणाम ज्यादा है तो मुझे क्या करना चाहिए?
यदि आपके रैंडम ग्लूकोज परीक्षण का परिणाम हाई है तो अपने हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर से संपर्क करें, वे इसकी जांच करेंगें और सही रणनीति के साथ आगे के होने वाले परीक्षणों का सुझाव देंगे।
क्या तनाव रैंडम ग्लूकोज लेवल को प्रभावित कर सकता है?
तनाव से ब्लड ग्लूकोज लेवल अस्थायी रूप से बढ़ सकता है। यह शरीर की “फाइट या फ्लाइट” प्रतिक्रिया के कारण होता है, जो हार्मोन रिलीज करता है और ब्लड ग्लूकोज लेवल को प्रभावित कर सकता है।
यदि मुझे मधुमेह है तो मुझे कितनी बार रैंडम ब्लड ग्लूकोज परीक्षण करवाना चाहिए?
मधुमेह के मरीजों के लिए रैंडम ब्लड ग्लूकोज परीक्षण उनकी स्थिति की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। आपके हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर आपकी जरूरतों के हिसाब से एक उपयुक्त परीक्षण कार्यक्रम की सलाह देंगें।Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal
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