डायबिटीज दिन-ब-दिन आम समस्या होती जा रही है। लाइफस्टाइल से जुड़ी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। हालांकि संतुलित लाइफस्टाइल से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। प्रेंग्नेंसी के समय तो ये और भी खतरनाक हो जाती है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि पहला, टाइप-1 डायबिटीज, दूसरा, टाइप-2 डायबिटीज और तीसरी गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational diabetes) होती है। ये गर्भावस्था के दौरान होती है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज के खतरे से बचने के लिए सही डाइट और सही दिनचर्या जरूरी है। आज हम आपको प्रेगनेंसी शुगर डाइट चार्ट के बारे में बताएंगे। दरअसल गर्भवती महिलाओं के शुगर को कंट्रोल में रखने के लिए मन में एक सवाल जरूर उठता है कि प्रेग्नेंसी में क्या खाएं? (Pregnancy sugar me kya khaye), तो हम इस ब्लॉग में इन्हीं सवालों से जुड़े जवाबों को विस्तार में बताएंगे। तो आइए प्रेग्नेंसी शुगर डाइट प्लान के बारे में जानें।
प्रेगनेंसी शुगर या गर्भकालीन डायबिटीज क्या है?
प्रेगनेंसी शुगर, गर्भावस्था के समय महिलाओं में कई वजहों से हो सकती है। यह प्रेग्नेंसी के 24 हफ्ते की शुरुआत में या 28 हफ्ते के अंत में हो सकती है। इसके होने के कारणों में एडवांस प्रेग्नेंसी उम्र, पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज, मोटापा या इंसुलिन सेंसिटिविटी शामिल हैं। वहीं कई बार डायबिटीज के पारिवारिक इतिहास की वजह से भी प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज हो जाती है।
एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार गर्भवती महिलाओं का ग्लूकोज लेवल खाने से पहले और रात भर में 95 mg/dL से कम और खाने के बाद 140 mg/dL से कम होना चाहिए। हालांकि इसे कंट्रोल रखना मुश्किल होता है। प्रेगनेंसी डायबिटीज को कंट्रोल नहीं करने पर ये मां और बच्चे दोनों को खतरे में डाल सकती है। यह गर्भ में बच्चे की रेस्पिरेटरी समस्याओं, पीलिया, कम ब्लड शुगर लेवल या समय से पहले जन्म का कारण भी बन सकता है। इससे बच्चे और मां दोनों को जान का खतरा भी बन सकता है। इसीलिए प्रेगनेंसी शुगर को कंट्रोल रखना बहुत जरूरी है।
प्रेगनेंसी शुगर डाइट चार्ट | Pregnancy me Sugar Diet Chart in Hindi
प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज के खतरे को देखते हुए संतुलित डाइट लेने की जरूरत होती है (Pregnancy sugar diet chart in hindi)। इससे मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी पोषक तत्व भी मिलते रहें और बल्ड शुगर का लेवल भी कंट्रोल में रहे। प्रग्नेंसी में आपकी अपनी जरूरतों, प्राथमिकिताओं और हेल्थ कंडीशन के हिसाब से प्रेग्नेंसी डाइट प्लान (Pregnancy diet plan) करने की जरूरत होती है। इसके लिए किसी हेल्थ एक्सपर्ट या प्रोफेशनल डाइट प्लानर की सलाह लेना जरूरी है। हालांकि घर पर भी आप कुछ चीजों का ध्यान रखते हुए अपने लिए एक अच्छा डाइट प्लान बना सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों को जल्दी-जल्दी भूख लगती है। इसलिए दिन में 2 से तीन घंटे के अंतराल पर छोटे-छोटे मील लेते रहना जरूरी है। आप दिन को 6 छोटे मील में बांट सकते हैं। जैसे-
- सुबह का नाश्ता: (7 से 8 बजे के बीच)
- दोपहर से पहले का नाश्ता: (10 से 11 बजे के बीच)
- लंच या दोपहर का खाना: (1 से 2 बजे के बीच)
- दोपहर का नाश्ता: (4 से 5 बजे के बीच)
- शाम का नाश्ता: (6 से 7 बजे के बीच
- रात का खाना: (9 से 10 बजे के बीच)
डायबिटीज मरीज के लिए जरूरी है कि वे डाइट में उन्हें चीजों को लें जिससे शुगर लेवल कंट्रोल में रहे। ऐसे में जरूरी है कि इन सब मील के बारे में हमें डीटेल से पता हो। हालांकि डॉक्टर की सलाह से आपकी मेडिकल हालत को देखते हुए डाइट में बदलाव भी किए जा सकते हैं।
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1) सुबह का नाश्ता: (7 से 8 बजे के बीच)
सुबह सबसे पहले नाश्ते में आपको हल्का और प्रोटीन से भरी डाइट लेनी होती है। इसके लिए आप कुछ चीजें हैं, जिसे हर दिन नाश्ते में ले सकते हैं। गेहूं के सीरियल या दलिया को बिना मलाई के दूध या बिना चीनी वाले बादाम दूध के साथ मिलाकर खा सकते हैं। ये प्रोटीन का अच्छा स्रोत है।
आप अंडे भी खा सकते हैं। अंडे को प्रोटीन स्रोत के रूप में अपनी डाइट में शामिल करें। कम से कम तेल या मक्खन के साथ अंडे का आमलेट भी बना सकते हैं। वहीं उबले हुए अंडे खाना ज्यादा बेहतर विकल्प रहता है। जामुन को भी डाइट में नाश्ते के तौर पर शामिल कर सकते हैं। ये एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर के लिए बढ़िया विकल्प है। डायबिटीज में शुगर लेवल कंट्रोल रखने में भी जामुन फायदेमंद होते हैं।
2) दोपहर से पहले का नाश्ता: (10 से 11 बजे के बीच)
सुबह के नाश्ते के बाद और दोपहर के खाने से पहले, इस बीच एक बार और हल्की डाइट लेना जरूरी है। इसके लिए आप सादा दही या ग्रीक योगर्ट भी ले सकते हैं। बिना चीनी वाले ग्रीक योगर्ट में काफी पोषक तत्व होते हैं। इसमें कुछ मेवा, जैसे बादाम या अखरोट और चिया बीज मिलाकर खाने से ये प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत बन जाता है। दही में प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट होने की वजह से ये डायबिटीज कंट्रोल में भी मदद करता है।
3) लंच या दोपहर का खाना: (1 से 2 बजे के बीच)
दिन का तीसरा मील आप दोपहर के खाने के तौर पर ले सकते हैं। डायबिटीज मरीजों को ध्यान रखना चाहिए कि वे वेज या नॉनवेज खाते समय बेलेंस डाइट ही लें। इसमें अगर आप नॉन वेज खाते हैं तो ग्रिल्ड चिकन सलाद एक अच्छा विकल्प है। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक या पत्ता गोबी, ग्रिल्ड चिकन ब्रेस्ट, चेरी टमाटर, खीरा और बेल मिर्च के साथ सलाद तैयार करें। जैतून के तेल और सिरके की ड्रेसिंग का प्रयोग कम मात्रा में करें।
अगर आप वेजीटेरियन हैं तो गेंहूं के आटे की रोटी के साथ हरी सब्जियों को खा सकते हैं। हल्के प्रोटीन के सोर्स जैसे, टोफू, हरी सब्जियां और एवोकाडो को साथ में खाने से एक अच्छी डाइट बन सकती है।
4) दोपहर का नाश्ता: (4 से 5 बजे के बीच)
दिन के चौथे मील यानि दोपहर के नाश्ते को हल्का रखना जरूरी है। नॉन वेज खाने वाले अंडे के साथ हरी सब्जी का सलाद खा सकते हैं। वहीं वेज खाने वाले लोग जूस के साथ हरी सब्जी का सलाद खा सकते हैं। जूस लेते समय मीठे और ज्यादा खट्टे फलों को अवाइड करना चाहिए। डायबिटीज में मीठे फल नुकसान करते हैं, वहीं ज्यादा खट्टे फल एसिडिटी कर सकते हैं।
5) शाम का नाश्ता: (6 से 7 बजे के बीच)
दिन के पांचवें मील के दौर पर शाम के नाश्ते को भी हल्का रखना जरूरी है। इसमें आप पनीर को खा सकते हैं। कम फैट वाले पनीर को दालचीनी के या खीरे के कुछ स्लाइस के साथ खाने से भूख भी कम होती है और पोषण भी सही मिलता है। डायबिटीज में वजन कम रखना जरूरी है, वहीं प्रेगनेंसी के समय तो ये समस्या और बढ़ सकती है। ऐसे में बिना चीनी का दही एक अच्छा विकल्प है।
6) रात का खाना: (9 से 10 बजे के बीच)
दिन का आखिरी मील डिनर हल्का लेकिन पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। एक बार में ज्यादा हेवी खाना डायबिटीज के लेवल को बढ़ा सकता है। इसीलिए छोटी-छोटी डाइट जरूरी हो जाती हैं। रात की डाइट में नॉन वेज खाने वालों के लिए ग्रिल्ड मछली या लीन मीट सबसे अच्छे विकल्प हैं। ग्रिल्ड मछली जैसे, सैल्मन या कॉड या लीन मीट जैसे, चिकन लीन प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।
वहीं वेज डाइट यानी शाकाहारी खाने वालों के लिए उबली हुई सब्जियां खाना अच्छा विकल्प है। अगर बहुत जरूरी लगे तो हल्के तेल मसाले में सेक सकते हैं। सब्जियों में ब्रोकोली, फूलगोभी और हरी बीन्स सबसे अच्छे विकल्प रहते हैं। स्वाद के लिए खड़े मसालों और पिसे मसालों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन तीखे मसालों से बचना चाहिए। इसके साथ ही रात की डाइट में क्विनोआ या ब्राउन चावल भी शामिल कर सकते हैं। कार्बोहाइड्रेट और फाइबर के लिए क्विनोआ या ब्राउन चावल का एक छोटा सा हिस्सा खाने में जोड़ें।
हाइड्रेशन का ध्यान रखना जरूरी
गर्भवती महिलाओं को पोषण से भरे खाने के साथ ही शरीर को हाइड्रेटेड रखना भी जरूरी है। प्रेगनेंसी डायबिटीज के मरीजों में सबसे ज्यादा दिक्कत डिहाइड्रेशन की होती है। ऐसे में प्रेगनेंसी में ध्यान रहे कि दिनभर में कम से कम 4-5 लीटर पानी जरूर पिएं। इसके लिए पूरे दिन खूब सारा पानी पीते रहें। मीठे पेय पदार्थों को सीमित करें और पानी, हर्बल टी या बिना चीनी वाले पेय पदार्थों को लें। डॉक्टर की सलाह से कुछ जूस भी पी सकते हैं। बाकी खीरे, ककड़ी और पानी से भरपूर फल खाने से भी हाइड्रेट रहने में मदद मिलती है।
प्रेग्नेंसी डाइट में और किन चीजों का ध्यान रखें?
ब्लड शुगर लेवल की जांच करते रहें
डायबिटीज मरीज प्रेगनेंसी में नियमित तौर पर शुगर लेवल की जांच करते रहें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार शुगर लेवल घटने या बढ़ने पर डाइट में बदलाव करना बहुत जरूरी है।
ज्यादा शुगर वाले खान-पान से बचें
एक्सट्रा शुगर वाले खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों से बचें। इससे शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
भोजन मिस न करें
डायबिटीज के मरीज को समय पर खाने का ध्यान रखना चाहिए। वहीं प्रेगनेंसी में तो समय पर डाइट लेना और भी जरूरी हो जाता है। ऐसा न करने पर शुगर लेवल कम या ज्यादा हो सकता है।
डाइट एक्सपर्ट या डॉक्टर के संपर्क में रहें
प्रेगनेंसी में डायबिटीज कंट्रोल के लिए घर पर खुद से ध्यान रखना तो जरूर है ही, लेकिन अगर सब सही भी चल रहा है तब भी आपको डॉक्टर या डाइट एक्सपर्ट से संपर्क में रहना चाहिए।
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गर्भकालीन डायबिटीज के लिए सामान्य सुझाव
गर्भवती महिलाओं में शुगर लेवल बढ़ने का जोखिम बना रहता है, ऐसे में सामान्य लाइफस्टाइल के साथ गर्भवती महिलाएं इन सामान्य सुझावों का पालन करके शुगर लेवल में होने वाले अचानक बदलाव से बच सकती हैं।
1) छोटे और निश्चित अंतराल पर भोजन-
गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए। चूंकि गर्भावस्था के दौरान कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी सामने आती हैं। ऐसे में शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने और मतली जैसी समस्या से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को छोटी-छोटी मात्रा में एक निश्चित अंतराल पर भोजन लेना चाहिए। छोटी मात्रा में भोजन लेने से ओवर इटिंग से बचा जा सकता है और एक निश्चित अंतराल पर भोजन लेने से कमजोरी जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
2) कैफीन और शुगर पर कंट्रोल:
जैसा कि हमने ऊपर गर्भवती महिलाओं में शुगर लेवल के बढ़ने के कारणों की चर्चा की है, वैसे में प्रेगनेंट महिलाओं को अच्छी नींद लेने और शुगर लेवल को बनाए रखने के लिए अपने पेय पदार्थों पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए चीनी मिश्रित ड्रिंक्स से बचना चाहिए। मिठास के लिए शहद या मेपल सिरप जैसे प्राकृतिक मिठास को चुन सकते हैं।
वहीं कॉफी जैसी ड्रिंक में कैफीन पाया जाता है, जिसका सेवन आलस, ऊंघाई दूर करने और एक्टिव महसूस करने के लिए करते हैं। पर गर्भवती महिलाओं को कैफीन के सेवन से बचना चाहिए। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) को प्रभावित करने वाला एक उत्तेजक पदार्थ है। जिसके चलते गर्भवती महिलाओं के पेट में जलन पैदा कर सकता है, साथ ही चिड़चिड़ापन और स्ट्रेस जैसी भी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। इतनी ही नहीं यह नींद में भी खलल डाल सकता है।
3) अपने डॉक्टर से परामर्श करें:
हर व्यक्ति की स्वास्थ्य जरूरतें भिन्न-भिन्न होती हैं। ऐसे में किसी भी गंभीर समस्या से बचाव के लिए लोगों को समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है। वहीं गर्भवती महिलाओं में कई तरह के स्वास्थ्य बदलाव होते हैं, जिसके लिए उन्हें अपनी डाइट, लाइफस्टाइल और दवाओं का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श की सलाह दी जाती है। हेल्थ केयर प्रोवाइडर या डॉक्टर आपके वजन, स्वास्थ्य स्थिति, खान-पान व लाइफस्टाइल को देखते हुए आपकी डाइट के लिए उचित सुझाव दे सकते हैं।
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प्रेग्नेंसी में डायबिटीज में क्या नहीं खाना चाहिए?
प्रेग्नेंसी में हम जितना अपने खाने का ख्याल रखते हैं, उतना ही हमें खानों से बचना भी चाहिए। दरअसल गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट में विशेष बदलाव करने की जरूरत होती है। ऐसे में इन चीजों के सेवन से बचना चाहिए।
1) शराब से दूर रहें
आजकल शराब का सेवन करना बहुत ही आम बात हो गई है, लेकिन गर्भवती महिलाओं को शराब और अन्य नशीली चीजों से दूर रहना चाहिए। मां जो खाती है, उसका असर गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है, ऐसे में नशा करने से बच्चे के शारीरिक और मानसिक दोनों के विकास पर असर पड़ सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी शुगर डाइट चार्ट (Pregnancy Sugar Diet Chart) में शराब व अन्य नशीले पदार्थों की कोई जगह नहीं है।
2) कच्चा पपीता न खाएं
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कच्चे पपीते के सेवन से बचना चाहिए। कच्चे पपीते में लेटेक्स होता है, जो गर्भवती महिला के यूट्रस में संकुचन कर सकता है, जिसकी वजह से बच्चे पर भी असर पड़ सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी शुगर डाइट चार्ट (Pregnancy Sugar Diet Chart) में कच्चे पपीते को शामिल नहीं किया जाता है।
3) मछली से बचें
वैसे तो मछली खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है और प्रेगनेंसी में मछली का सेवन करने की सलाह भी दी जाती है। लेकिन मछली की कुछ किस्मों में बहुत ही अधिक पारा होता है। जैसे- रे, स्वोर्डफिश, बारामुंडी, जेमफिश, ऑरेंज रफी, लिंग और दक्षिणी ब्लूफिन ट्यूना मछलियों में पारा अधिक होता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को मछली के सेवन से बचना चाहिए।
4) अंकुरित पदार्थ न खाएं
अगर किसी डाइट चार्ट को देखा जाए तो सबसे अधिक महत्व अंकुरित पदार्थों को ही दिया जाता है, लेकिन गर्भावस्था में महिलाओं को अंकुरित पदार्थ खाने से बचने की सलाह दी जाती है। दरअसल अंकुरित पदार्थों में साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोलाई जैसे बैक्टिरिया होते हैं, जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं में फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है।
निष्कर्ष
प्रेगनेंसी डायबिटीज में शुगर लेवल कंट्रोल रखने के लिए सही डाइट जरूरी है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को क्या और कब खाना फायदेमंद होता है, साथ ही किन चीजों को गर्भावस्था के दौरान नहीं खाना चाहिए, हमने इसको लेकर विस्तार में बताया है। मां और शिशु दोनों स्वस्थ्य रहें, इसके लिए सही समय पर डाइट के साथ पानी और अन्य पोषक तत्वों का भी विशेष रूप से ध्यान रखना जरूरी होता है। लेकिन ध्यान रहे कि एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह के बिना कुछ भी खाने से बचें। अपनी डाइट प्लान तैयार करने के बाद डॉक्टर से सलाह जरूर लें। बिना डॉक्टर की सलाह के प्रेगनेंसी में कुछ भी नया करने का जोखिम उठाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्या पैदा हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श को प्राथमिकता दें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
डायबिटीज में आमतौर पर ज्यादा शुगर लेवल वाले फलों को खाने बचना चाहिए। लेकिन कई ऐसे फल हैं जिनसे डायबिटीज तेजी से बढ़ जाती है। जैसे, आम, शरीफा और चीकू खाने से अचानक ब्लड शुगर बढ़ जाता है। डायबिटीज के मरीज को चीकू नहीं खाना चाहिए। डायबिटीज रोगियों को सूखे खजूर खाने से भी बचना चाहिए। इसमें पहले से ही नेचुरल हाई शुगर मौजूद होती है जो सूखने के बाद और ज्यादा बढ़ जाती है।
प्रेगनेंसी शुगर, गर्भावस्था के 24 हफ्ते की शुरुआत में या 28 हफ्ते के अंत में हो सकती है। इसके होने के कारणों में एडवांस प्रेग्नेंसी उम्र, पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज, मोटापा या इंसुलिन सेंसिटिविटी शामिल हैं। एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार गर्भवती महिलाओं का ग्लूकोज लेवल खाने से पहले और रात भर में 95 mg/dL से कम और खाने के बाद 140 mg/dL से कम होना चाहिए। हालांकि इसे कंट्रोल रखना मुश्किल होता है। लेकिन सही डाइट के साथ इसे कंट्रोल रखा जा सकता है।
प्रेगनेंट महिलाएं अपनी डाइट में थोड़ा बदलाव कर काफी हद तक डायबिटीज कंट्रोल कर सकती हैं। इसके लिए डायट में कुछ सुपरफूड्स जोड़ सकती हैं, जो प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज की वजह से होने वाली परेशानियों से बचा सकते हैं। इन सुपरफूड्स से प्रेगनेंट महिलाओं को अनहेल्दी चीजों को खाने की क्रेविंग भी नहीं होती है। इसमें बादाम, अंडे, राजमा, चिया के बीज, दही और सलाद शामिल हैं। इसके साथ ही समय-समय पर पानी पीते रहना भी जरूरी है।
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