डायबिटीज या शुगर एक गंभीर बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है। डायबिटीज मरीज को हमेशा अपना शुगर लेवल कंट्रोल रखना होता है। इसीलिए रेगुलर ब्लड शुगर मॉनिटरिंग डायबिटीज मरीजों के लिए जरूरी है। उधर हाल के सालों में टेक्नोलॉजी ने बड़ी तेजी से तरक्की की है, और इससे हेल्थकेयर में भी बड़े बदलाव हुए हैं। इन बदलावों में से एक बड़ा बदलाव है शुगर के मरीजों के लिए ब्लड शुगर मॉनिटरिंग में मोबाइल फोन का इस्तेमाल। पहले, शुगर नापने के लिए अलग-अलग मीटर होते थे, लेकिन अब मोबाइल से जुड़ने वाले डिवाइस आ गए हैं, जिससे डायबिटीज़ मैनेजमेंट में बिल्कुल नया तरीका आया है। आज हम आपको मोबाइल से शुगर चेक करने का तरीका बताएंगे। साथ ही जानेंगे कि फोन इस्तेमाल करने के क्या फायदे हैं, सही मीटर चुनने के लिए क्या करना चाहिए, और इस नए तरीके से भविष्य में क्या बदलाव हो सकते हैं।
पहले कैसे नापते थे शुगर?
पहले, शुगर के मरीज अपने ब्लड शुगर लेवल नापने के लिए अलग-अलग मीटर इस्तेमाल करते थे। इन मीटर में नापी खुद दर्ज करनी पड़ती थी, और डेटा मैनेजमेंट के लिए हाथ से लिखे रिकॉर्ड रखने या कंप्यूटर पर अलग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना पड़ता था। हालांकि ये तरीके कारगर थे, लेकिन उनमें कुछ कमियां थीं, जैसे इस्तेमाल में आसानी न होना, सुविधाजनक न होना और रियल-टाइम में डेटा एनालिसिस न हो पाना।
फोन से जुड़े मीटर अब नया तरीका-
मोबाइल से जुड़ने वाले ब्लड ग्लूकोज़ मीटर के आने से डायबिटीज़ की देखभाल में बड़ा बदलाव आया। ये डिवाइस स्मार्टफोन की ताकत का इस्तेमाल करते हैं और उनके साथ बने खास मोबाइल ऐप से जुड़ जाते हैं। इससे न सिर्फ शुगर नापना आसान हो गया है, बल्कि मरीज अपने डायबिटीज़ मैनेजमेंट में ज़्यादा सक्रिय भूमिका भी ले पाते हैं।
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मोबाइल से शुगर कैसे चेक करें? – Mobile se Sugar Kaise Check Kare
फोन से शुगर चेक करने के लिए आपको ऐसा ब्लड शुगर मीटर चाहिए, जो स्मार्टफोन से जुड़ सकें। आजकल के कई मीटरों में ब्लूटूथ या दूसरा वायरलेस कनेक्शन होता है, जिससे वे मोबाइल ऐप से जुड़ सकते हैं। फोन से शुगर चेक करने का तरीका आसान है। इन स्टेप्स को फॉलो कर आप सीख सकते हैं कि मोबाइल से शुगर कैसे चेक करें-
- सही ग्लूकोमीटर चुनें
- ऐप डाउनलोड करें
- ग्लूकोमीटर और ऐप जोड़ें
- शुगर टेस्ट करें
- डेटा सिंक करें
- रिजल्ट देखें और ट्रैक करें
- नोटिफिकेशन सेट करना (ऑप्शनल)
- डेटा की सटीकता करें
मोबाइल से शुगर चेक करते हुए ग्लूकोमीटर में इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आइए विस्तार से समझते हैं, ताकि शुगर चेक करते हुए चोटी सी भी गलती न हो.
- सही ग्लूकोमीटर चुनें- सबसे पहले ऐसा ग्लूकोमीटर चुनें जो फोन के ऐप के साथ जुड़ सके। ग्लूकोमीटर लेते समय पता कर लें कि आपका मीटर फोन से ब्लूटूथ या किसी और टेक्नोलॉजी से जुड़ सकता है या नहीं।
- ऐप डाउनलोड करें- ग्लूकोमीटर बनाने वाली कंपनी का ऐप अपने फोन में डाउनलोड करें। ज़्यादातर कंपनियां आईओएस (ios) और एंड्रॉयड (android) दोनों के लिए ऐप बनाती हैं।
- ग्लूकोमीटर और ऐप जोड़ें- ग्लूकोमीटर की कंपनी के बताए निर्देशों के मुताबिक, मीटर और फोन का ऐप जोड़ें। इसमें आमतौर पर दोनों डिवाइस पर ब्लूटूथ ऑन करना और ऐप में ग्लूकोमीटर को चुनना शामिल होता है।
- शुगर टेस्ट करें- ग्लूकोमीटर से अपने ब्लड शुगर का टेस्ट ऐसे ही करें जैसे हमेशा करते हैं। मीटर के साथ आए निर्देशों के मुताबिक खून का सैंपल लें, टेस्ट स्ट्रिप का इस्तेमाल करें और स्ट्रिप को मीटर में डालें।
- डेटा सिंक करें- टेस्ट पूरा होने के बाद, ग्लूकोमीटर पने आप ही डेटा ऐप को भेज देगा, अगर दोनों डिवाइस करीब हों। कुछ मीटर में मैनुअल सिंक का ऑप्शन भी होता है, जहां आप ग्लूकोमीटर पर एक बटन दबाकर डेटा ऐप को भेज सकते हैं।
- रिजल्ट देखें और ट्रैक करें- ऐप खोलकर अपने शुगर के रिजल्ट देखें और ट्रैक करें। कई ऐप में ग्राफ्स बनाने, टेस्ट के लिए रिमाइंडर सेट करने और डॉक्टर से डेटा शेयर करने के फीचर्स होते हैं।
- नोटिफिकेशन सेट करना (ऑप्शनल)- कुछ ऐप में आप दवाई लेने के रिमाइंडर, टेस्ट करने के शेड्यूल और दूसरे पर्सनलाइज़्ड अलर्ट सेट कर सकते हैं। अपने डॉक्टर की सलाह के मुताबिक और अपनी पसंद के हिसाब से ये सेटिंग्स करें।
- डेटा की सटीकता करें- ये हमेशा चेक करते रहें कि ऐप में रिकॉर्ड किया गया डेटा ग्लूकोमीटर पर दिखने वाले रिजल्ट से मिलता है या नहीं। अगर अंतर हो तो ग्लूकोमीटर कंपनी या ऐप डेवलपर के बताए ट्रबलशूटिंग स्टेप्स फॉलो करें।
ग्लूकोमीटर और ऐप का इस्तेमाल करते हुए ये ध्यान रखना चाहिए कि सभी ब्लड ग्लूकोज़ मीटर फोन से जुड़ने के लिए नहीं बनाए जाते हैं, इसलिए ज़रूरी है कि ऐसा ग्लूकोमीटर चुनें जो स्पष्ट रूप से यह फीचर दे। हमेशा अपने ग्लूकोमीटर और ऐप के साथ आए निर्देशों को फॉलो करें ताकि रिजल्ट सही और भरोसेमंद हों। और सबसे ज़रूरी, अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें ताकि आप जो सिस्टम इस्तेमाल कर रहे हैं वो आपके डायबिटीज़ मैनेजमेंट प्लान के हिसाब से सही हो।
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मोबाइल से शुगर चेक करते हुए क्या सावधानियां बरतें?
डायबिटीज मरीजों के लिए शुगर लेवल की सही रीडिंग बहुत जरूरी है। जरा सी भी गलती भारी पड़ सकती है। इसीलिए फोन से शुगर चेक करते समय, सही नतीजे पाने के लिए भी कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है-
इस्तेमाल में सुविधा
ऐसा सिस्टम चुनें जो इस्तेमाल करने में आसान हो। मोबाइल ऐप को समझने में आसान होना चाहिए, और उसमें शुगर के लेवल के बदलावों को साफ-साफ दिखाना चाहिए। खासकर बड़े लोगों या टेक्नोलॉजी से कम परिचित लोगों के लिए, इसका आसान होना बहुत ज़रूरी है।
प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी
चूंकि स्वास्थ्य का डेटा बहुत निजी होता है, इसलिए ऐसे ग्लूकोमीटर और ऐप चुनें जिनमें सुरक्षा के अच्छे इंतज़ाम हों। देखिए कि क्या मोबाइल ऐप स्वास्थ्य डेटा प्रोटेक्शन के नियमों का पालन करता है और क्या वह आपकी जानकारी की सुरक्षा के लिए एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करता है।
ग्लूकोग्लूकोमीटर ठीक हो
ग्लूकोमीटर को कंपनी के बताए हिसाब से ठीक कर लें (कैलिब्रेट करें)। इसे नियमित रूप से ठीक करते रहें ताकि नाप सही आए।
सफाई
ग्लूकोमीटर, लैंसेट डिवाइस और अपने हाथों को शुगर लेवल टेस्ट करने से पहले साफ कर लें। गंदगी से फाइनल रिजल्ट में गड़बड़ी हो सकती है।
सही रखरखाव
ग्लूकोमीटर और टेस्ट स्ट्रिप्स को कंपनी के बताए हिसाब से रखें। ज़्यादा गर्मी या नमी ग्लूकोमीटर और स्ट्रिप्स को खराब कर सकती है।
एक्सपायरी डेट
टेस्ट स्ट्रिप्स और कंट्रोल सॉल्यूशन की एक्सपायरी डेट देखें। खराब स्ट्रिप्स से फाइनल रिजल्ट गलत हो सकता है।
कोड सही हो (अगर ज़रूरी हो)
अगर आपके ग्लूकोमीटर में हर नए पैकेट के साथ कोड डालना होता है, तो सही कोड डालें जो स्ट्रिप्स के बैच से मेल खाता हो।
टेस्ट करने का तरीका सही हो
हर बार टेस्ट करने का तरीका सही और एक जैसा रखें। इसमें नया लैंसेट इस्तेमाल करना, स्ट्रिप पर सही मात्रा में खून लगाना और टेस्टिंग एरिया को साफ रखना शामिल है।
हाथ सूखे और साफ हों
ब्लड लेने से पहले पक्का करें कि आपके हाथ सूखे और साफ हों। गीले या गंदे हाथ लैंसेट के काम को प्रभावित कर सकते हैं और फाइनल रिजल्ट गलत हो सकता है।
कनेक्शन ठीक हो
मोबाइल ऐप पर ट्रैकिंग शुरू करने से पहले, सुनिश्चित करें कि ग्लूकोमीटर आपके फोन से ठीक से जुड़ा हुआ है। कनेक्शन की जांच करते रहें ताकि डेटा ट्रांसफर में कोई दिक्कत न हो।
डेटा वेरिफिकेशन
कभी-कभी मोबाइल ऐप में रिकॉर्ड हुए डेटा को ग्लूकोमीटर पर दिखने वाले रिजल्ट से मिलाएं। अगर अंतर हो, तो ग्लूकोमीटर कंपनी या ऐप डेवलपर के बताए तरीकों से समस्या सुलझाएं।
नियमित रखरखाव
ग्लूकोमीटर की नियमित रखरखाव करें जैसा कंपनी ने बताया है। इसमें ग्लूकोमीटर को साफ करना शामिल है।
खर्च और हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज
सिस्टम के कुल खर्च का हिसाब लगाएं, जिसमें मीटर खरीदने का खर्च, टेस्ट स्ट्रिप्स का खर्च और ऐप के प्रीमियम फीचर्स के लिए सब्सक्रिप्शन का खर्च शामिल है। इसके अलावा, यह भी देखिए कि क्या आपका हेल्थ इंश्योरेंस इस मोबाइल मीटर और उससे जुड़े सामान का खर्च उठाएगा।
डॉक्टर के साथ डेटा शेयर
अगर आप डॉक्टरों की देखरेख में हैं, तो ऐसा सिस्टम चुनें जो आपकी मेडिकल टीम के साथ डेटा शेयर करने में मदद करे। अगर सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड्स से जुड़ सकता है या डॉक्टरों के लिए रिपोर्ट जनरेट कर सकता है, तो इससे डायबिटीज़ मैनेजमेंट में सबका साथ मिलकर काम करना आसान हो जाएगा।
डॉक्टर से सलाह लें
मोबाइल से जुड़े ग्लूकोमीटर के इस्तेमाल के बारे में अपने डॉक्टर से ज़रूर बात करें। वे आपको आपके लिए सही डिवाइस, ऐप और टेस्टिंग फ्रिक्वेंसी के बारे में बता सकते हैं।
बैकअप रखें
हालांकि मोबाइल ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल सुविधाजनक है, हमेशा एक वैकल्पिक तरीका भी रखें जैसे पारंपरिक ग्लूकोमीटर, ताकि मोबाइल ऐप या कनेक्शन में कोई दिक्कत होने पर आप शुगर चेक कर सकें।
इन सावधानियों से, आप मोबाइल से शुगर चेक करते समय सही नतीजे पा सकते हैं। अपने डॉक्टर से नियमित रूप से बात करना डायबिटीज़ मैनेजमेंट प्लान के लिए ज़रूरी है।
मोबाइल से शुगर चेक करने के फायदे- Mobile se Sugar-check karne ke fayde
मोबाइल से शुगर चेक करने के कई फायदे हैं। सबसे पहले, यह बहुत ही सुविधाजनक है। ग्लूकोमीटर को ऐप से जोड़ने के बाद, आप कहीं भी, कभी भी अपनी शुगर चेक कर सकते हैं। इससे व्यस्त लोगों या लगातार दौड़-भाग करने वालों के लिए यह बहुत आसान हो जाता है। मोबाइल ऐप्स दूसरी हेल्थ डेटा, जैसे एक्टिविटी, डाइट और दवाइयों के इस्तेमाल, को भी शामिल करते हैं। इससे आप अपनी पूरी हेल्थ एक जगह देख सकते हैं। आइए इसके फायदों को विस्तार जानते हैं-
कहीं भी, कभी भी शुगर चेक
मोबाइल मीटर ऐप से जुड़ जाते हैं, जिससे आप कहीं भी, कभी भी अपनी शुगर नाप सकते हैं। ये खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो ज़्यादा घूमते-फिरते रहते हैं या व्यस्त ज़िंदगी जीते हैं।
रियल-टाइम में डेटा एनालिसिस
मोबाइल ऐप्स शुगर के लेवल के बदलावों का रियल-टाइम में विश्लेषण करते हैं। आप उतार-चढ़ाव देख सकते हैं, पैटर्न ढूंढ सकते हैं और समझ सकते हैं कि आपकी लाइफस्टाइल शुगर पर कैसे असर डालती है। इससे आप अपनी डाइट, एक्सरसाइज और दवाइयों के बारे में समझदारी से फैसले ले सकते हैं।
पूरी हेल्थ का डेटा एक जगह
कई मोबाइल ऐप्स दूसरी हेल्थ डेटा, जैसे एक्टिविटी, डाइट और दवाइयों के इस्तेमाल, को भी शामिल करते हैं। इससे आप अपनी पूरी हेल्थ एक जगह देख सकते हैं और अपने लिए खास डायबिटीज़ मैनेजमेंट प्लान बना सकते हैं।
दूर से मॉनिटरिंग और सपोर्ट
मोबाइल ग्लूकोमीटर उन लोगों के लिए मददगार हैं जो खुद या किसी की देखभाल कर रहे हैं, खासकर बड़े लोगों के लिए। देखभाल करने वाले या डॉक्टर रियल-टाइम में शुगर लेवल देख सकते हैं, जिससे ज़रूरत के हिसाब से मदद मिल सकती है।
रिमाइंडर और अलर्ट्स
मोबाइल ऐप्स में अक्सर ब्लड शुगर टेस्ट, दवा लेने का समय और दूसरे ज़रूरी कामों के लिए रिमाइंडर सेट करने का ऑप्शन होता है। इससे आप अपने इलाज के प्लान को अच्छे से फॉलो कर सकते हैं और खुद को मैनेज करने में मदद मिलती है।
गेम बनाकर मोटिवेशन
कुछ मोबाइल ऐप्स में गेम की तरह के एलिमेंट्स होते हैं, जिससे शुगर चेक करना मज़ेदार बन जाता है। अचीवमेंट्स, रिवॉर्ड्स और प्रोग्रेस ट्रैकिंग लोगों को लगातार शुगर चेक करने के लिए मोटिवेट करते हैं।
मोबाइल से शुगर चेक करना डायबिटीज़ मैनेजमेंट को और भी आसान और प्रभावी बनाता है। हालांकि शुगर चेक को लेकर डॉक्टर से सलाह जरूरी लेनी चाहिए।
निष्कर्ष
शुगर टेस्ट के लिए मोबाइल डिवाइस का इस्तेमाल डायबिटीज़ मैनेजमेंट में एक बड़ा बदलाव है। ये सिस्टम आसान हैं, रियल-टाइम में डेटा एनालिसिस करते हैं और आपके लिए खास जानकारी देते हैं। इससे आप अपनी सेहत का ज़िम्मा खुद ले सकते हैं। टेक्नोलॉजी आगे बढ़ती रहती है, और भविष्य में शुगर नापने के तरीके में और भी ज़बरदस्त बदलाव आने वाले हैं। इन बदलावों को अपनाने से डायबिटीज़ मैनेजमेंट बेहतर हो सकता है। हालांकि फिर भी आपको डायबिटीज़ मैनेजमेंट में कोई भी बदलाव से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
हां, अब कई ब्लड ग्लूकोज़ मीटर या ग्लूकोमीटर स्मार्टफोन से जुड़ जाते हैं, जिससे आप मोबाइल ऐप्स के ज़रिए शुगर चेक कर सकते हैं और देख सकते हैं। ये मीटर सटीक रिजल्ट देने के लिए बनाए गए हैं। सही रिजल्ट के लिए कैलिब्रेशन प्रक्रिया का पालन करना और मैन्युफैक्चरर के गाइडलाइंस के अनुसार मीटर इस्तेमाल करना ज़रूरी है।
ब्लड ग्लूकोज़ मीटर आपके स्मार्टफोन से ब्लूटूथ या दूसरे वायरलेस तरीकों से जुड़ता है। खून का सैंपल लेने के बाद, मीटर सीधे मोबाइल ऐप में रिजल्ट भेजता है, जहां आप शुगर का डेटा देख और समझ सकते हैं। ज़्यादातर मोबाइल ऐप्स आपको डॉक्टरों के साथ डेटा शेयर करने देते हैं। इससे डायबिटीज़ मैनेजमेंट में सबका साथ मिलकर काम करना आसान होता है।
यह मीटर और ऐप पर निर्भर करता है। ज़्यादातर डिवाइस iOS और Android दोनों के साथ काम करते हैं। हमेशा प्रोडक्ट के स्पेसिफिकेशन में कम्पैटिबल डिवाइसों की लिस्ट देख लें।
मोबाइल मीटर के बाद अब भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कॉन्टिनुअस ग्लूकोज़ मॉनिटरिंग सिस्टम के साथ जुड़ाव, स्मार्ट इंसुलिन पेन और बेहतर रिमोट पेशेंट मॉनिटरिंग प्लेटफॉर्म जैसे नई टेक्नॉलजी आ सकती है।
इसके कई फायदे हैं, जैसे- रियल-टाइम डेटा एनालिसिस, आसानी, रिमोट मॉनिटरिंग, रिमाइंडर और दूसरी हेल्थ डेटा (जैसे एक्टिविटी और डाइट) के साथ जुड़ना। हालांकि मोबाइल ग्लूकोमीटर चुनते समय डिवाइस कम्पैटिबिलिटी, सटीकता, डेटा सिक्योरिटी, इस्तेमाल में आसानी, कनेक्टिविटी, डॉक्टरों के साथ जुड़ाव और कुल खर्च को जरूरी ध्यान में रखना चाहिए।
ऐप्स में डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी सबसे ज़रूरी है। सुनिश्चित करें कि ऐप हेल्थ डेटा प्रोटेक्शन के नियमों का पालन करता है और पर्सनल जानकारी की सुरक्षा के लिए एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करता है। मोबाइल मीटर के बाद अब भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कॉन्टिनुअस ग्लूकोज़ मॉनिटरिंग सिस्टम के साथ जुड़ाव, स्मार्ट इंसुलिन पेन और बेहतर रिमोट पेशेंट मॉनिटरिंग प्लेटफॉर्म जैसे नई टेक्नॉलजी आ सकती है। इससे डेटा सुरक्षा और बेहतर होगी।
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