डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है, जो इंसानों को धीरे-धीरे अपनी चपेट में लेता है। पुरुष और महिलाएं दोनों इस बीमारी से समान रूप से पीड़ित हैं। खासतौर से आजकल की लाइफ स्टाइल की वजह से ये बीमारी इंसानों के बीच तेजी से फैली है। इस ब्लॉग में हम महिलाओं में शुगर के लक्षण को कैसे पहचानें इस पर बात करेंगे। इसके साथ ही बताएंगे कि किन तरीकों से शुगर से बचा जा सकता है। दरअसल, महिलाओं में शुगर के लक्षण पुरुषों के मुकाबले अलग तरह से दिखाई दे सकते हैं। इसके साथ ही महिलाओं में डायबिटीज होने पर बचाव और इलाज के तरीके भी पुरुषों से अलग हो सकते हैं। दरअसल डायबिटीज मेटाबोलिक रोगों (metabolic diseases) का एक समूह है, जिसमें इंसुलिन हार्मोन बनाने या इस्तेमाल करने में होने वाली समस्याओं के कारण, ब्लड में शुगर का लेवल हाई हो जाता है। जिसे ब्लड शुगर (blood sugar) भी कहा जाता है।
आपको बता दें, डायबिटीज के लक्षण पुरूषों की तुलना में महिलाओं में काफी अलग तरह से देखने को मिलते हैं। साथ ही डायबिटीज महिलाओं के शरीर की ओवरऑल स्वास्थ्य पर भी असर करता है। इसी वजह से महिलाओं के स्वाथ्य पर डायबिटीज का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। डायबिटीज आजकल खाने-पीने की गलत आदतों और बिगड़े लाइफ स्टाइल के कारण बहुत आम हो गया है। आज के समय में शुगर के लक्षण किसी भी उम्र में दिख सकते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि डायबिटीज से हमारे देश में पुरूषों की तुलना में महिलाएं अधिक पीड़ित हैं। इसलिए डायबिटीज जैसी बीमारी से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि आप स्वस्थ रहें और नियमित रूप से शुगर की स्क्रीनिंग टेस्ट करवाएं।
डायबिटीज के मुख्य लक्षण पुरूषों और महिलाओं में अलग-अलग होते हैं और महिलाओं में शुगर के इन लक्षणों को आसानी से पहचानना मुश्किल हो जाता है। हालांकि आप इन लक्षणों को ध्यान से पहचानने की कोशिश करेंगे, तो आप इस समस्या से बच सकते हैं।
डायबिटीज के प्रकार
पहला टाइप 1 डायबिटीज होता है। जिसमें ऑटोइम्यून डिसफंक्शन (autoimmune dysfunction) के कारण आपका शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता है। इसी की वजह से आप टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित होते हैं।
दूसरा प्रकार टाइप 2 डायबिटीज है। यह सबसे आम डायबिटीज का प्रकार है और यह तब होता है जब आपका शरीर इंसुलिन का ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है।
वहीं तीसरा है गर्भकालीन डायबिटीज, जिसे अंग्रेजी में जेस्टेशनल डायबिटीज भी (Gestational diabetes) कहा जाता है। यह महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान होता है।
महिलाओं में शुगर के लक्षण(Symptoms of Diabetes in Women)
महिलाओं में शुगर के लक्षण (Sugar ke lakshan) अलग तरीके से दिखाई देते हैं, जिनमें ये मुख्य लक्षण हैं-
- कैंडिडा इन्फेक्शन
- UTI यानी पेशाब के रास्ते में इन्फेक्शन
- बार-बार मूड स्विंग होना
- योनि से जुड़ी बीमारियां
- आंखों की रोशनी धुंधली होना
- त्वचा के रंग में बदलाव
- घावों का तेजी से न भरना
- जेस्टेशनल डायबिटीज
नीचे हम महिलाओं में दिखने वाले शुगर के इन लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
महिलाओं में शुगर के लक्षण और बचाव के तरीके(Signs of Diabetes in Women & Prevention)
वैसे तो महिलाओं और पुरुषों में डायबिटीज के लक्षण अक्सर सामान होते हैं। लेकिन, कुछ लक्षण महिलाओं में अलग होते हैं। इन लक्षणों को समझने से आपको डायबिटीज या शुगर की पहचान करने और इसका जल्द से जल्द इलाज कराने में मदद मिल सकती है।
1- कैंडिडा इन्फेक्शन(Candida infections)
महिलाओं में डायबिटीज के जो लक्षण पुरूषों से अलग होते हैं, उनमें सबसे आम लक्षण है। कैंडिडा फंगस इन्फेक्शन एक फंगल इन्फेक्शन है, जो हाइपरग्लेसेमिया या हाई ब्लड शुगर का लेवल (High blood sugar levels) होने पर बढ़ सकता है। कैंडिडा फंगस के कारण होने वाले यीस्ट के तेजी से बढ़ने से योनि (Vaginal) या ओरल यीस्ट इनफेक्शन हो सकता है। मुंह के अंदर होने वाले इन सामान्य इनफेक्शन को थ्रश (Thrush) भी कहा जाता है। वहीं ओरल यीस्ट इंफेक्शन की वजह से अक्सर जीभ पर और मुंह के अंदर सफेद या लाल पैच बनने लगता है।
आपको बता दें इसकी वजह से जब महिलाओं के योनि क्षेत्र में इन्फेक्शन होता है, तो योनि के आसपास खुजली होती है। साथ ही योनि स्राव भी बढ़ जाता है। अपने पार्टनर के साथ संबध बनाने के दौरान असहनीय दर्द होता है। महिलाओं में यह लक्षण बताते हैं कि वह शुगर से पीड़ित है।
बचाव के उपाय
इससे बचाव के लिए तुरंत डायबिटीक हेल्थ एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए। आपके डॉक्टर आपको एंटीफंगल क्रीम, पाउडर, सलूशन या ऐसे अन्य प्रोडक्ट के इस्तेमाल का सुझाव दे सकते हैं, साथ ही शुगर को कंट्रोल करने के लिए उचित ट्रीटमेंट की शुरूआत कर सकते हैं। सही वक्त पर ट्रीटमेंट लेने से कैंडिडा इन्फेक्शन से होने वाले जोखिमों से बचा जा सकता है।
2- यूरिनरी ट्रैक्ट यानी पेशाब के रास्ते में इन्फेक्शन (UTI)
पेशाब के रास्ते में संक्रमण तब होता है जब बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट में प्रवेश करते हैं। जिन महिलाओं को डायबिटीज होता है, उनमें यूरिनरी ट्रैक्ट के इन्फेक्शन (यूटीआई) का जोखिम अधिक होता है। दरअसल जब शुगर लेवल हाई होता है, तब शरीर में बनने वाले नेचुरल एंटीबायोटिक्स और एंटी माइक्रोबायल पेप्टाइड की मात्रा को कम कर देता है। नेचुरल एंटीबायोटिक्स हमें किसी भी तरह के इन्फेक्शन से बचाने के लिए जरूरी होता है।
इतना ही नहीं, शुगर लेवल हाई होने के चलते इम्यून सिस्टम भी कमजोर होने लगता है, जिससे महिलाएं यूटीआई (UTI) के लक्षण महसूस कर सकती हैं। इस दौरान महिलाओं को पेशाब करने में दर्द होता है और जलन भी सकता है। इसके अलावा पेशाब में झाग या खून आने को शुगर लेवल हाई होने का एक मुख्य लक्षण माना जाता है।
बचाव के उपाय
कई रिसर्चों से मालूम चलता है कि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से बचाव के लिए शुगर की नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए और शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए। इसके लिए निश्चित अंतराल पर उचित मात्रा में पानी पिएं और खुद को हाइड्रेट रखने की कोशिश करें। जब आप खुद को हाइड्रेट रखते हैं तब यूरिन में बैक्टीरिया कंसंट्रेशन कम हो सकता है।
इसके अलावा आप फाइबर से भरपूर खाना खाने की कोशिश करें। फल और सब्जियों के सेवन से शरीर के लिए जरूरी फाइबर की पूर्ति की जा सकती है और कब्ज जैसे समस्याओं से बचा जा सकता है। दरअसल कब्ज यानी कॉन्स्टिपेशन होने पर यूटीआई का जोखिम बढ़ सकता है। इसलिए अपनी डाइट का विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए और पर्सनल डाइट के लिए किसी हेल्थ केयर प्रोवाइडर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।
3- बार-बार मूड स्विंग होना(Frequent Mood Swings)
कुछ महिलाओं में मूड स्विंग की समस्या होती है, जिसे अक्सर नॉर्मल स्थिति मानकर छोड़ दिया जाता है। लेकिन बार-बार मूड स्विंग होना शुगर होने का लक्षण है। दरअसल जब शुगर का लेवल बढ़ता है, तो पीड़ित महिलाओं में थकान, पसीना आना, भूख न लगना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। वहीं जब शुगर लेवल कम होता है, तो चिड़चिड़ापन, गुस्सा, दुखी होना जैसी लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज करना घातक हो सकता है, इसलिए समय रहते डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जिससे गंभीर परिणाम से बचा जा सकता है।
बचाव के उपाय
डायबिटीज में मूड स्विंग जैसी स्थिति से बचाव का सबसे सही उपाय है, अपनी लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव लाना। इसके लिए आपको ब्लड शुगर की नियमित रूप से जांच करनी चाहिए और हेल्दी डाइट अपनानी चाहिए। साथ ही लाइफस्टाइल में योग शामिल करने से स्ट्रेस जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। हालांकि ध्यान रखें कि बेहतर ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
4- योनि से जुड़ी बीमारियां(Vaginal Infection)
कुछ महिलाओं में शुगर लेवल हाई होने पर डायबिटीज न्यूरोपैथी यानी योनि का सूखापन जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसके चलते यौन अंगों तक ब्लड उचित मात्रा में नहीं पहुंच पाता है। जिसके चलते उत्तेजना में भी कमी आती है। अनियमित रूप से पीरियड्स आना भी शुगर का लक्षण माना जाता है क्योंकि इस दौरान शरीर से एस्ट्रोजन हॉर्मोन का लेवल बहुत कम हो जाता है, जिससे योनि में सुखापन जैसी स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं।
बचाव के उपाय
हालांकि डायबिटीज न्यूरोपैथी बहुत ही गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन लंबे वक्त तक इसे नजरअंदाज करना घातक हो सकता है। इससे बचाव के लिए अपने खान-पान में सुधार करने से काफी मदद मिलती है। साथ ही मेंटल हेल्थ को बनाए रखने के लिए योग की प्रैक्टिस करनी चाहिए। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है, वे आपके ब्लड शुगर को ध्यान में रखते हुए जेल, क्रीम या दवा इस्तेमाल करने का सुझाव दे सकते हैं।
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5- आंखों की रोशनी धुंधली होना(Blurred Eye Vision)
समय के साथ कुछ लोगों में आंखों से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिसमें आंखों की रोशनी धुंधली होना आम बात है। लेकिन कई महिलाओं में ये समस्या कम समय में अचानक ही शुरू हो जाती है। जिसे ब्लड में शुगर लेवल बढ़ने का एक प्रमुख लक्षण माना जाता है। जब महिलाएं अपनी डायबिटीज का देखभल नहीं रखती हैं, तब कभी-कभी या कुछ दिनों के लिए उनके आंखों की रोशनी धुंधली हो जाती है। शुगर लेवल हाई होने पर आंखों का फ्ल्यूड लेवल बदल जाता है या आंखों के ऊतकों में सूजन पैदा हो सकता है। जिसके चलते ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। इन लक्षणों में डायबिटिक रेटिनोपैथी, डायबिटिक मैक्यूलर एडिमा, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा भी शामिल हैं।
बचाव के उपाय
शुगर बढ़ने से आंखों में होने वाली समस्याओं से बचना का सबसे अच्छा उपाय है, आंखों की रोशनी धुंधली होती है अपने आंखों की जांच कराएं। इसे लंबे समय तक नजरअंदाज करना आपकी आंखों की रोशनी के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर आप स्मोकिंग करती हैं, तो उसे छोड़ने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही कुछ महीनों के अंतराल या साल में दो बार किसी आई स्पेशलिस्ट से चेकअप कराना चाहिए, वे आपकी शुगर की स्थिति को देखते हुए अलग से सुझाव दे सकते हैं। वे आपके A1C लेवल, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल आदि की जांच करा सकते हैं, जिससे समय रहते आपके शुगर का उचित ट्रीटमेंट किया जा सकता है।
6- त्वचा के रंग में बदलाव(Change in Skin Color)
जब महिलाओं में शुगर (Diabetes in women) लेवल हाई होता है तो उनकी त्वचा में कई तरह के बदलाव दिखाई देते हैं। जैसे- शरीर पर गहरे काले धब्बे, अंडरआर्म और गले पर काले पैच, त्वचा पर खुजली होना आदि शुगर के लक्षण माने जाते हैं। अगर त्वचा पर पीले, लाल या ब्राउन स्पॉट होने लगें तो ये प्री-डायबिटीज के लक्षण माने जाते हैं। कई मामलों में महिलाओं की त्वचा रूखी और बेजान लगने लगती है। इन संकेतों को किसी भी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर सही समय पर उचित इलाज लिया जाय, इन लक्षणों से होने वाले गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
बचाव के उपाय
जब आपको ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत शुगर की जांच करानी चाहिए। रूखी त्वचा से बचाव के लिए खुद को हाइड्रेट रखें और पर्याप्त पानी पिएं। वहीं काले धब्बे को छूने पर मखमली एहसास हो, तो तुरंत डायबिटीज एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए। वह आपके शुगर लेवल व लाइफस्टाइल के आधार पर जरूरी सुझाव दे सकते हैं। इस लक्षण को मेडिकल की भाषा में एकैंथोसिस निग्रीकैन्स कहा जाता है।
7- घावों का तेजी से न भरना(Slow Healing of Wounds)
कई बार मामूली चोट को हम नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन कई ऐसे चोट भी होते हैं जो भरने में काफी समय लेते हैं। महिलाओं में घावों के तेजी से न भरने की स्थिति को डायबिटीज का लक्षण माना जाता है। जब ब्लड में शुगर बढ़ जाता है, तब शरीर की नसों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है। जिसके चलते ब्लड सर्कुलेशन ठीक से नहीं हो पाता है। नतीजन, छोटा से छोटा घाव भी भरने में हफ्तों या महीनों का समय लग जाता है।
साथ ही शुगर होने पर एजियोजेनेसिस में कमी आती है, जिससे घाव को भरने में देरी होती है, मेडिकल की भाषा में कहें तो शुगर मैक्रोफेज की प्रो-इंफ्लेमेटरी फेनोटाइप से प्रो-रिपेरेटिव फेनोटाइप में स्विच करने की क्षमता को भी बदल देता है, जिससे घाव जल्दी नहीं भरते हैं।
बचाव के उपाय
ऐसी स्थिति में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए। और, जैसे ही उन्हें लगे कि उनके शरीर में किसी भी घाव को भरने में वक्त लग रहा है, तो तुरंत ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए। ब्लड शुगर की जांच से एक संतुष्ठि मिल जाती है कि आप सही समय पर उचित ट्रीटमेंट शुरू कर रही हैं। घाव वाले स्थान साफ-सुथरा रखना चाहिए, जिससे किसी भी तरह के इन्फेक्शन होने की संभावना न हो।
8- जेस्टेशनल डायबिटीज(Gestational Diabetes)
कुछ महिलाओं में गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान डायबिटीज होने की संभावना होती, जिसे जेस्टेशनल डायबिटीज के रूप में जाना जाता है। यह आमतौर पर प्रेग्नेंसी के 24 से 28 सप्ताह के दौरान होती है। इस डायबिटीज की एक सकारात्मक चीज है कि अधिकांश महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद डायबिटीज खत्म हो जाती है।
दरअसल प्रेग्नेंसी के दौरान, प्लेसेंटा या गर्भनाल (जो आपके पेट में पल रहे बच्चे को पोषण देता है) द्वारा निर्मित कुछ हॉर्मोन, गर्भवती महिलाओं की इंसुलिन क्रिया को कम कर देती हैं। जिसे इंसुलिन प्रतिरोध कहा जाता है। इस स्थिति में कोशिकाओं में कम ग्लूकोज प्रवेश करता है जिसके कारण ब्लड में शुगर का लेवल हाई हो जाता है।
बचाव के उपाय
जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव के लिए ओरल ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट कराया जाता है। जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान यह पता चलता है कि ग्लूकोज देने पर आपका शरीर किस तरह से प्रतिक्रिया करता है। इसके लिए 8–12 घंटे तक उपवास रखने के बाद ब्लड सैंपल लिया जाता है। फिर 75 ग्राम ग्लूकोज वाली एक ड्रिंक पिलाई जाती है। और 1–2 घंटे बाद जांच के लिए दोबारा ब्लड सैंपल लिया जाता है। जिससे डॉक्टर को समय रहते आपके इलाज के लिए जरूरी जानकारी मिल जाती है। जिससे बाद में प्रसव के दौरान आने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।
महिलाओं में शुगर के सामान्य लक्षण(Common Symptoms of Diabetes in Women)
जैसा कि ऊपर हमने महिलाओं में शुगर के लक्षणों (symptoms of diabetes in women’s) के बारे में विस्तार चर्चा कि लेकिन महिलाओं में शुगर के कुछ सामान्य लक्षण भी होते हैं। जैसे- मतली आना, भूख न लगना, कमजोरी और थकान महसूस होना, अत्याधिक प्यास लगना, ब्लड प्रेशर हाई रहना आदि महिलाओं में शुगर होने के सामान्य लक्षण हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
महिलाओं में फास्टिंग ब्लड शुगर 70 और 100 mg/dL के बीच के लेवल को नॉर्मल माना जाता है। वहीं रैंडम शुगर टेस्ट कराते हैं, तो यह आपके खाने पर निर्भर करता है कि आखिरी बार आपने क्या खाया था। ऐसे में 125 mg/dL या उससे कम हो तो, महिलाओं में इसे नॉर्मल शुगर लेवल माना जाता है।
जब महिलाओं में शुगर लेवल हाई हो, तो सबसे पहले उन्हें किसी भी प्रकार का स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए। इसके तुरंत बाद भरपूर पानी पीना चाहिए, जिससे शुगर लेवल को नॉर्मल स्थिति में आने में मदद मिलती है। अगर संभव हो तो 20-30 मिनट तक टहलने की कोशिश करें।
जब महिलाओं में शुगर बढ़ता है तो वे काफी कमजोर और सुस्त महसूस करती हैं। इसके अलावा उन्हें मामूली बात पर भी चिड़चिड़ापन महसूस होता है और योनि ड्राई हो जाती है। साथ ही उन्हें त्वचा में खुजली, अधिक प्यास, मतली जैसा महसूस होता है।
महिलाओं की योनि में इन्फेक्शन होना और पेशाब करने के दौरान दर्द होना शुगर के मुख्य लक्षणों में से एक है। इसके अलावा पेशाब के रास्ते में इन्फेक्शन, बार-बार मूड स्विंग होना, आंखों की रोशनी धुंधली होना, त्वचा के रंग में बदलाव, घावों का तेजी से न भरना आदि महिलाओं में शुगर के लक्षण हैं।
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