पहले के समय में हम क्या खा रहे हैं इस बारे में ज्यादा ध्यान नहीं देते थे। लेकिन आज ऐसे समय में जहां हेल्थ के बारे में हर व्यक्ति बात कर रहा है। हर व्यक्ति पूरी तरह से हेल्दी और खुशहाल जीवन जीना चाहता है। हमारे ओवरऑल हेल्थ पर प्रतिदिन खाए जाने वाले चीजों से हमें कितना न्यूट्रिशन वैल्यू मिल रहा है इस बारे में जानना बहुत जरूरी है। न्यूट्रिशन की खोज में हमारे सामने जो सबसे जरूरी चीज आई वो है ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI)।इस ब्लॉग में हम बात करेंगे “सबसे बेस्ट लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ” ये लो-ग्लाइसेमिक भारतीय फूड्स(Indian Foods) अपने न्यूट्रिशन वैल्यू के कारण बहुत ही जरूरी हो जाते हैं। ये लगातार ऊर्जा, बेहतर ब्लड शुगर कंट्रोल के साथ और भी कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।
तो चलिए इस ब्लॉग में उनके बारे में विस्तार से बात करते हैं।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) क्या है?
ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) एक पैमाना(स्केल) है जो कार्बोहाइड्रेट के आधार पर फूड्स को अलग-अलग करता है। ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें कार्ब्स होते हैं ब्लड शुगर लेवल पर प्रभाव डालते हैं। जीआई मापता है कि शुद्ध ग्लूकोज की तुलना में एक विशिष्ट भोजन कितनी तेजी से ब्लड शुगर बढ़ाता है। स्केल की सीमा 0-100 है। हाई वैल्यू 100, 50 ग्राम ग्लूकोज का प्रभाव है, और 0 ब्लड शुगर में कोई वृद्धि नहीं होने को इंडिकेट करता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स कनाडा के मेडिकल स्कॉलर डॉ. डेविड जेनकिंस द्वारा बताया गया था। जीआई स्केल खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में विभाजित करता है जो हैं-
लो-ग्लाइसेमिक फूड:– 55 से लो- स्कोर वाले फूड्स
मीडियम-जीआई फूड:– 55-70 के बीच स्कोर करने वाले फूड्स
हाई-जीआई फूड:– 70 से ऊपर स्कोर करने वाले फूड्स
नीचे तालिका में कुछ हाई और कुछ लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स को दर्शाया गया है। चलिए इस पर एक नजर डालते हैं-
हाई और लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स | ||||
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लो-ग्लाइसेमिक फूड | मीडियम-ग्लाइसेमिक फूड | हाई-ग्लाइसेमिक खाद्य फूड | ||
रोल किया हुआ या कटा हुआ जई(ओट्स) | ब्राउन चावल | सफेद चावल | ||
बिना स्टार्च वाली सब्जियाँ | साबुत अनाज की रोटी | सफ़ेद आटा(मैदा) | ||
जौ | शहद | आलू | ||
मसूर की दाल | राई की रोटी | शुगर वाले प्रोडक्ट | ||
मटर | स्वीट कॉर्न | कुकीज़ और क्रीम बिस्कुट | ||
फल जैसे जामुन, सेब आदि। | फल जैसे अनानास, केला, चेरी आदि। | पास्ता | ||
चना | अनाज | नूडल्स और मोमोज |
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लो-ग्लाइसेमिक फूड क्या हैं?
लो-ग्लाइसेमिक फूड्स, ग्लाइसेमिक पैमाने(Glycemic Scale) पर 55 से लो-स्कोर की श्रेणी में आते हैं।
भारत में लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके पीछे कई कारण हैं।सबसे पहले यह बाज़ार में आसानी से उपलब्ध है। दूसरा यह सस्ता है। तीसरा ये पाचन(डाईजेशन) में काफी आसान होते हैं। इसके अलावा डायबिटीज के पीड़ितों के लिए लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ सबसे अच्छे माने जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये शुगर लेवल में बहुत नाममात्र का बदलाव करते हैं। डायबिटीज पीड़ितों में पहले से ही ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ होता है, इसलिए उन्हें लो-ग्लाइसेमिक डाइट वाले खाद्य पदार्थ खाने चाहिए। इसके विपरीत हाई-जीआई(GI) खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए क्योंकि वे जल्दी पच जाते हैं और तेजी से ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाते हैं।
फूड्स(Foods) के ग्लाइसेमिक इंडेक्स को प्रभावित करने वाले कारक(फैक्टर्स)
ऐसे कई कारक हैं जो किसी भोजन की जीआई प्रोफ़ाइल को प्रभावित करते हैं। कुछ लो कार्ब लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ आपके ब्लड शुगर पर ज्यादा प्रभाव डाल सकते हैं। और कुछ हाई-जीआई खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर पर लो- प्रभाव डाल सकते हैं। सब कुछ नीचे दिए गए कारकों पर निर्भर करता है-
शुगर का प्रकार
एक धारणा है कि सभी शुगर में हाई-जीआई होता है। लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है, क्योंकि शुगर का जीआई 23 से लेकर (जो फ्रुक्टोज का होता है) 105 तक चला जाता है (जो कि माल्टोज का होता है)।
रिफाइंड कार्ब्स लेवल
कार्ब्स को रिफाइन करने से खाद्य पदार्थों की फाइबर सामग्री समाप्त हो जाती है या बहुत लो- हो जाती है और ग्लाइसेमिक मान बढ़ता है। रोलिंग, ग्राइंडिंग(पिसना) आदि जैसी प्रक्रियाएं एमाइलोज और एमाइलोपेक्टिन को नुकसान पहुंचाती हैं। इन अणुओं(मॉलिक्यूल्स) को हटाने से जीआई बढ़ जाता है और भोजन को लो-ग्लाइसेमिक फूड की सूची से हटा दिया जाता है। इसलिए, शोधन(रिफाइनमेंट) का शुगर (लेवल) जितना ज्यादा होगा इसका जीआई वैल्यू उतना ही ज्यादा होगा।
स्टार्च की संरचना(स्ट्रक्चर)
हमारे भोजन में स्टार्च दो घटकों(कंपोनेंट) से मिलकर बना होता है- एमाइलोज़ और एमाइलोपेक्टिन। एमाइलोज को डाईजेस्ट होने में समय लगता है और एमाइलोपेक्टिन जल्दी डाईजेस्ट हो जाता है। इसलिए यदि भोजन में एमाइलोज ज्यादा होगा तो यह लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थों की श्रेणी में आएगा।
पोषण(न्यूट्रिशन) संबंधी संरचना(कंपोजिशन)
हेल्दी फैट और लीन प्रोटीन जैसे न्यूट्रियंट के शामिल होने से डाईजेशन में देरी होती है। इस प्रकार खाद्य पदार्थों में ग्लाइसेमिक इंडेक्स लो- हो जाता है।
खाना पकाने की प्रक्रिया
भोजन पकाने और तैयार करने का तरीका भोजन के ग्लाइसेमिक प्रोफाइल को प्रभावित करता है। खाना पकाने की प्रक्रिया जितनी लंबी होगी शुगर उतनी ही तेजी से अवशोषित(एब्जॉर्ब) होगी।
पके हुए फल
कच्चे फलों में लो-शुगर और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स होते हैं। इसलिए इन्हें लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ माना जाता है। जैसे-जैसे फल पकता है शुगर लेवल बढ़ता जाता है और जीआई मान भी बढ़ता है।
गार्निश
नींबू के रस जैसे अम्लीय पदार्थों से गार्निश करने से पकवान का जीआई वैल्यू लो- हो जाता है।
लो-ग्लाइसेमिक लोड वाले फूड्स को डिकोड करना
ब्लड शुगर बढ़ने में मुख्य रूप से तीन कारक(फैक्टर) जिम्मेदार हैं- भोजन में कार्ब्स का प्रकार, इसकी पोषण संरचना(कंपोजिशन) और खाई जाने वाली मात्रा। जीआई एक सापेक्ष पैमाना(रिलेटिव स्केल) है और इसमें खाए जाने वाले भोजन की मात्रा को ध्यान में नहीं रखा जाता है। इसलिए इसमें तीसरे कारक का आभाव होता है। इस दोष के लिए इसकी आलोचना भी की गई है। इस दोष को दूर करने के लिए एक और स्केल ग्लाइसेमिक लोड (GL) बनाया गया है।
ग्लाइसेमिक लोड किसी खाद्य पदार्थ की खाई जाने वाली मात्रा सहित सभी तीन कारकों पर विचार करता है। इसलिए लो-ग्लाइसेमिक लोड वाले खाद्य पदार्थों को आवश्यक रूप से लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों की सूची में शामिल नहीं किया जा सकता है। लेकिन ये आपके शुगर लेवल पर बहुत लो- प्रभाव डालते हैं। ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्केल में ग्लाइसेमिक लोड की तरह तीन श्रेणियां होती हैं-
- लो-ग्लाइसेमिक लोड फूड:- 10 या उससे लो-वैल्यू
- मीडियम-जीएल फूड:- 11-19 के बीच वैल्यू
- हाई-जीएल फूड:- 20 या उससे ज्यादा वैल्यू
लो-ग्लाइसेमिक डाइट वाले खाद्य पदार्थों में ग्लाइसेमिक लोड एक जरूरी फैक्टर है। इसके अलावा एक ऑस्ट्रेलियाई गैर-लाभकारी संगठन ग्लाइसेमिक इंडेक्स फाउंडेशन जो लो-ग्लाइसेमिक फूड्स और डाइट के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। इनका कहना है कि ग्लाइसेमिक लोड की निगरानी करना बहुत जरूरी है। और रोजाना के ग्लाइसेमिक लोड को 100 से कम रखने की सलाह देता है। इसलिए हाई-कैलोरी और लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स से बचना सबसे अच्छा है। दैनिक(रोज के) ग्लाइसेमिक लोड को 100 से कम रखने का सबसे अच्छा तरीका लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स और मॉडरेशन वाले खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करना है।
डायबिटीज पीड़ितों के लिए लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स
डायबिटीज एक लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रहा है। डायबिटीज के पीड़ितों को सबसे ज्यादा परेशानी उनके शुगर लेवल को लेकर होती है। वे अपनी इंसुलिन की कमी के कारण शुगर को प्रॉसेस नहीं कर सकते हैं। इससे उनके ब्लड शुगर को सुरक्षित सीमा में रखना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाता है। अच्छा और हेल्दी शुगर लेवल बनाए रखना हार्ट स्ट्रोक, तंत्रिका(नर्व) और ऑर्गन डैमेज जैसी समस्याओं की शुरुआत को रोकता है।
ऐसे कई स्टडीज हैं जो डायबिटीज पीड़ितों के लिए लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थों का सुझाव देते हैं क्योंकि ये प्रभावी रूप से शुगर को कम करते हैं। इसके अलावा, 2019 में किए गए 54 स्टडीज के एक सेट से पता चला कि लो-ग्लाइसेमिक फूड्स एचबीए1सी(HbA1c) और फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज को कम कर देता हैं। इसके अलावा ये डायबिटीज और प्री-डायबिटीज में पीड़ित व्यक्ति के वजन(वेट) मैनेजमेंट में भी सहायता करते हैं।
एक स्टडी में हाई-जीआई डाइट लेने वाले 2 लाख से अधिक लोगों में लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड लेने वाले लोगों की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना 33% अधिक थी। लो-ग्लाइसेमिक डाइट वाले फूड्स जेस्टेशनल डायबिटीज में मदद करने के साथ-साथ गर्भावस्था की समस्याओं को भी कम करते हैं। लो-ग्लाइसेमिक कार्ब वाले खाद्य पदार्थ मैक्रोसोमिया के खतरे को 75% तक कम कर देते हैं। मैक्रोसोमिया में माँ और बच्चे के लिए कई छोटी और दीर्घकालिक परेशानियां होती हैं।
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लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स डाइट लिस्ट(सूची)
लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली डाइट सूची पर स्विच करते समय। कैलोरी ट्रैकिंग की ज्यादा जरूरत नहीं है। हाई-जीआई फूड्स के स्थान पर लो-ग्लाइसेमिक डाइट वाले फूड का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आप लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं-
- सब्जी दलिया
- बिना स्टार्च वाली सब्जियाँ जैसे फूलगोभी, ब्रोकोली, मटर, गाजर आदि।
- फल जैसे जामुन, खट्टे फल, सेब, नाशपाती, आदि।
- चना, बेक्ड बीन्स, बटर बीन्स और फलियाँ।
- साबुत अनाज जैसे जौ, क्विनोआ, बाजरा आदि।
- सूखे मेवे जैसे अखरोट, बादाम, काजू आदि।
- दालें जैसे अरहर, मूंग, उड़द आदि।
- चिया बीज, सन बीज, और भी बहुत से बीज
- अंकुरित अनाज जैसे मूंग दाल स्प्राउट्स, बीन स्प्राउट्स आदि।
- लीन प्रोटीन जैसे सोया मिल्क, टोफू और भी बहुत कुछ।
- जड़ी-बूटियाँ और मसाले जैसे अदरक, लहसुन, करी पत्ता, काली मिर्च और नमक
- फैट के सोर्स जैसे जैतून का तेल और सरसों का तेल
- हर्बल स्मूदी में पालक, तुलसी, पान, बेथुआ और अन्य पत्ते शामिल हैं।
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हाई-जीआई (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) वाले फूड से बचना चाहिए
हाई-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ ग्लाइसेमिक स्केल पर 70 से ज्यादा स्कोर करने वाले खाद्य पदार्थ हैं। संख्या जितनी अधिक होगी, ब्लड शुगर पर इसका प्रभाव उतना ही ज्यादा होगा। लो-ग्लाइसेमिक फूड्स की सूची में कुछ भी सख्ती से मना नहीं किया गया है। ऊपर दिए गए लो-ग्लाइसेमिक फूड्स हैं जिन्हें आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। यहां कुछ हाई-जीआई खाद्य पदार्थ हैं जिनसे आपको बचना चाहिए-
- सभी प्रकार की ब्रेड
- अनाज
- स्टार्च से भरी सब्जियाँ जैसे आलू, शकरकंद आदि।
- डेयरी प्रोडक्ट, जिनमें दूध, दही, पनीर आदि शामिल हैं।
- पशुओं से मिलने वाली प्रोटीन सोर्स जैसे चिकन, मटन, बीफ़ आदि।
- तरबूज़, आम, जैसे फल
- केक, पेस्ट्री, बिस्कुट और कुकीज़ जैसे बेकरी प्रोडक्ट
- चावल, जिसमें सफेद चावल, रिसोट्टो आदि शामिल हैं।
- पास्ता और नूडल्स
- मक्कई के भुने हुए दाने
- जेली
लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स का सैंपल चार्ट
अब हम आपके लिए लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स के चार्ट का एक साप्ताहिक सैंपल प्रस्तुत करते हैं, जिसका आप अनुसरण कर सकते हैं-
लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स | |||||||||
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समय | विकल्प 1 | विकल्प 2 | विकल्प 3 | विकल्प 4 | विकल्प 5 | ||||
सुबह की ड्रिंक | हर्बल चाय | तुलसी का पानी | मेथी दाना ड्रिंक | नीम का पानी | पानी के साथ आंवला जामुन का रस | ||||
नाश्ता | मूंग दाल इडली और मूंगफली चटनी | बेसन चिल्ला | सब्जी से भरी(स्टफिंग) रोटी | अंडे का सैंडविच | सब्जी उपमा | ||||
दिन का खाना | पका हुआ ब्राउन राइस + सब्जी सलाद + आपकी कोई भी करी | बाजरे की 2 रोटी + वेजीटेबल सलाद + मछली/चिकन/अंडा करी + कोई भी सब्ज़ी | सब्जी + चावल + पुलाव + स्प्राउट्स | मल्टीग्रेन रोटी 2 + सब्जी के स्प्राउट्स सलाद + पनीर सब्जी या करी |
ज्वार की रोटी 2 सब्जी सलाद + अंडा भुर्जी + कोई भी सब्जी आपकी पंसद की |
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शाम का नाश्ता | छाछ(बटर मिल्क) | मिश्रित फलों का कटोरा | चिया बीज हलवा | भुना हुआ चना | सूखे मेवे और कोई भी मौसमी फल | ||||
रात का खाना | बाजरे की रोटी 2 + सब्जी सलाद + कोई भी दाल और सब्जी अपनी पसन्द की | फॉक्सटेल बाजरा पुलाव + सब्जी सलाद | मिक्स दाल डोसा 2 + 1 चम्मच नारियल चटनी + 1 कटोरी सांभर | मूंग दाल डोसा प्लस सांभर | ग्रील्ड/भुना हुआ मछली या चिकन 100 ग्राम + पका हुआ वेजीटेबल सलाद |
नाश्ते में लो-ग्लाइसेमिक डाइट वाले फूड्स
भोजन के साथ-साथ बीच में नाश्ते में कुछ लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थों का उपयोग स्नैक्स के रूप में भी किया जा सकता है। यहां नाश्ते में कुछ लो-ग्लाइसेमिक भारतीय फूड्स दिए गए हैं-
- सादे सूखे मेवे और नट्स
- सलाद
- स्प्राउट्स
- मिश्रित फल जैसे जामुन, सेब, मौसमी आदि
- हार्ड उबला हुआ अंडा
- तली हुई ब्रोकोली
- सादा पॉपकॉर्न
लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स का नुकसान
लो- ग्लाइसेमिक फूड्स के जहां कई फायदे हैं, वहीं कुछ नुकसान भी हैं।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स किसी भी खाद्य पदार्थ को पूरी तरह से न्यूट्रिशन कंपोजिशन प्रदान नहीं करता है। लो- ग्लाइसेमिक इंडेक्स नाश्ता, खाद्य पदार्थों की सूची में होने के अलावा इनमें प्रोटीन, फैट, फाइबर, विटामिन आदि जैसे अन्य न्यूट्रिशन भी हो सकते हैं।
लो-ग्लाइसेमिक डाइट वाले खाद्य पदार्थों का यह मतलब नहीं है कि वे हेल्दी हैं। कुछ लो-ग्लाइसेमिक फूड्स, जैसे आइसक्रीम में जीआई रेंज 27 से 55 के बीच होती है। लेकिन यह नियमित उपभोग के लिए ठीक नहीं है।
लो-ग्लाइसेमिक खाद्य सूची का एक और नुकसान यह है कि यह किसी एक खाद्य पदार्थ के जीआई मूल्य को दर्शाता है। जब हम लंच या डिनर करते हैं तो कई चीजों को मिलाकर खाते हैं। हाई-जीआई फूड्स को लो-ग्लाइसेमिक फूड्स के साथ मिलाने से ब्लड शुगर में कम तेजी आती है। इस एक सीधा सा उदाहरण चावल के साथ सब्जी दाल को मिलाना है। अकेले चावल में हाई-जीआई होता है, लेकिन जब इसे दाल के साथ मिलाया जाता है, तो ओवरऑल ग्लाइसेमिक रिएक्शन काम हो जाता है।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स भोजन की कार्ब सामग्री पर विचार नहीं करता है। यह कार्ब और उसका प्रकार है, जो ब्लड स्पाइक्स लाता है। इसका एक सरल उदाहरण तरबूज़ है यह लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थों की सूची में नहीं है। लेकिन इसमें प्रति 100 ग्राम में केवल 8 ग्राम कार्ब्स होते हैं। इसलिए यह लो-ग्लाइसेमिक लोड वाले खाद्य पदार्थों की सूची में आता है।
तो केवल ग्लाइसेमिक इंडेक्स पर निर्भर रहना हमेशा अच्छा नहीं हो सकता है। हेल्दी खाने के लिए सब चीजें जरूरी हैं,लेकिन लिमिट में।
निष्कर्ष
ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) को समझने और लो-ग्लाइसेमिक फूड्स को अपने डाइट में शामिल करने से जरूरी स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। डायबिटीज पीड़ितों के लिए लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड उनके ब्लड शुगर को मैनेज करने में मदद करते हैं। सबसे बढ़िया लो-ग्लाइसेमिक फूड लगातार एनर्जी रिलीज करते हैं, भूख को कंट्रोल करने में मदद करते हैं और ओवरऑल हेल्थ सही करने में काफी योगदान कर सकते हैं। एक बैलेंस डाइट जिसमें रेगुलर एक्सरसाइज और ओवरऑल हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड भी शामिल है। बेहतर हेल्थ और बेहतर शुगर कंट्रोल में योगदान कर सकता है। खाना पकाने के तरीके और भोजन एडजस्टमेंट जैसे कारक(फैक्टर) भोजन के जीआई को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए न केवल अलग-अलग खाद्य पदार्थों पर ध्यान देना आवश्यक है बल्कि उन्हें कैसे तैयार किया जाता है इस पर भी ध्यान देना आवश्यक है। जबकि लो-ग्लाइसेमिक भारतीय खाद्य पदार्थ कई फायदे प्रदान करते हैं। सभी के लिए ये एक समान नहीं होंगे इसलिए लोगों को अपनी शारीरिक जरूरतों के हिसाब से न्यूट्रिशन प्लान बनाने के लिए डॉक्टरों या डाइट एक्सपर्ट से सलाह लेना चाहिए।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ वे हैं जो ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्केल पर 55 से कम स्कोर करते हैं। इन खाद्य पदार्थों में शामिल हैं-
बिना स्टार्च वाली सब्जियाँ जैसे फूलगोभी, गाजर, ब्रोकोली, पालक, मसूर की दाल, फलियाँ, अंडा, चिया बीज और सन बीज।
सबसे लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थों का पता इस बात पर निर्भर करता है कि आप उन्हें बिना किसी नुकसान के किस हद तक खा सकते हैं। उदाहरण के लिए बाल्सेमिक सिरका का ग्लाइसेमिक स्कोर 0 होता है। लेकिन क्या आप इसका नियमित और पर्याप्त मात्रा में सेवन कर सकते हैं? नहीं आप इसे नियमित तौर पर नही खा सकते हैं। उबला हुआ मेमना(लैंब), मटन और हैम में जीरो कार्ब्स होते हैं। इसलिए ये ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्केल पर शून्य स्कोर करते हैं। लेकिन आपको इनका अधिक मात्रा में और नियमित रूप से सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये अम्लीय होते हैं और इनमें फैट की मात्रा भी ज्यादा होती है। लो-ग्लाइसेमिक फूड हैं- बिना स्टार्च वाली सब्जियां, मशरूम, सोया मिल्क, टोफू, मटर, खट्टे फल, सेब, नाशपाती, सूखे मेवे आदि।
अंडे का ग्लाइसेमिक स्कोर शून्य है। इसलिए इसे लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थों की सूची में शामिल किया जा सकता है। अंडे में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। और अंडे से हमारे शरीर में प्रोटीन का अवशोषण सबसे ज्यादा होता है। लेकिन अंडा एक पशु उत्पाद होने के कारण अम्लीय होता है इसलिए वे सूजन बढ़ाते हैं। अंडे को डायबिटीज पीड़ितों के लिए एक लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स डाइट फूड में शामिल किया जाना चाहिए।
जी हां, केला लो-ग्लाइसेमिक श्रेणी में आता है। इंटरनेशनल ग्लाइसेमिक इंडेक्स डेटाबेस के अनुसार, पके केले का स्कोर 51 है। और कच्चे केले का ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्केल पर स्कोर 42 है। जिस कारण ये लो-ग्लाइसेमिक कैटेगरी में आता है लेकिन केले का ग्लाइसेमिक लोड 13 है जो काफी ज्यादा है। इसलिए यह लो-ग्लाइसेमिक लोड वाले खाद्य पदार्थों की सूची में नहीं आता है। इसलिए डायबिटीज पीड़ितों को केला कम से कम खाना चाहिए।
हां,लो-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थों में आमतौर पर शुगर की मात्रा कम होती है। इसलिए ये ब्लड शुगर को कम बढ़ाते हैं। इस लो-ग्लाइसेमिक डाइट के कारण प्रीडायबिटीज और डायबिटीज वाले व्यक्तियों के लिए ऐसे ही खाद्य पदार्थों की सिफारिश की जाती है। ये खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को कम बढ़ाते हैं।
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