Last updated on अक्टूबर 23rd, 2023
जैसा कि हम सभी जानते हैं डायबिटीज एक लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी है जो आपके सामान्य जीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है। दुनिया भर में डायबिटीज पीड़ितों की संख्या में बढ़ोतरी का सिलसिला लगातार जारी है। केवल 2 वर्षों, 2019 और 2021 के बीच भारत में 31 मिलियन व्यक्तियों को डायबिटीज से पीड़ित पाया गया। पुरानी बीमारी की गंभीर जटिलताओं से दूर रहने के लिए आपको कुछ फिजिकल एक्टिविटी करके और एक विशेष डाइट लेकर अपनी लाइफस्टाइल को सही करना होगा। डाइट जो आपके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है। टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज के लिए अच्छे कीटोजेनिक डाइट के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को पढ़ें।
यदि आप भी उन लोगों में से एक हैं जिन्हें अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखना मुश्किल हो रहा है, तो कीटो डाइट, जिसे केटोजेनिक डाइट भी कहा जाता है। आपके ओवरऑल हेल्थ के लिए एक बढ़िया विकल्प हो सकता है। कई स्टडीज से पता चला है कि कीटो डाइट आपके शरीर में ग्लाइसेमिक कंट्रोल को प्रभावी ढंग से सुधारता है। यह उन डायबिटीज पीड़ितों के लिए सबसे अच्छा है जो अपना वजन कम करना चाहते हैं।
वैज्ञानिक अभी भी रिसर्च कर रहे हैं कि यह डाइट आपको काम में कैसे मदद करता है। लेकिन हम इस कीटोजेनिक डाइट के बारे में जो कुछ जानते हैं वह इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे।
सारांश
यह एक कठिन काम है और सख्त डाइट प्लान को फॉलो किए बिना आप इसे पूरी तरह से अपना नहीं सकते हैं। डायबिटीज पीड़ितों के लिए कीटो डाइट एक बहुत ही प्रभावी डाइट योजना है।
डायबिटीज में Keto Diet के बारे में आपको ये जानकारी होनी चाहिए
डायबिटीज पीड़ितों के लिए कीटो डाइट लो-कार्ब और हाई-फैट डाइट प्लान है। हम अनसैचुरेटेड फैट जैसे सीड्स(बीज), नट्स, एवोकाडो, मक्खन या नारियल तेल खाते हैं। कीटो डाइट में क्या खाना है इसका पालन बहुत ही सख्त तरीके से किया जाता है। यह सलाह दी जाती है कि आपको अपने डाइट में लगभग 10 से 20 प्रतिशत प्रोटीन और 70 से 80 प्रतिशत हेल्दी फैट का सेवन करना चाहिए। इस डाइट पर रहते हुए अपने आप को कार्ब्स से थोड़ा दूर रखना चाहिए। हेल्दी कार्ब का भी सेवन कम ही करना चाहिए जैसे कि बीन्स, साबुत अनाज, फल और सब्जियां। जब आप कीटो डायबिटिक डाइट पर होते हैं तो आप एक दिन में 10% से कम कार्ब्स खाते हैं। इस तरह से एक सेब खा सकते हैं क्योंकि इसमें 25 ग्राम कार्ब्स होते हैं।
सारांश
कीटो डाइट में डायबिटीज पीड़ितों को हाई-फैट और लो-कार्ब वाले डाइट पर रखा जाता है। इस कीटो डायबिटीज डाइट में पीड़ित व्यक्ति को नट्स, एवोकैडो, मक्खन या नारियल तेल जैसे अनसैचुरेटेड फैट खाने के लिए कहा जाता है। आपको अपने सभी भोजन में कुल मिलाकर लगभग 75 ग्राम प्रोटीन खाने की सलाह दी जाती है। यह कीटो डायबिटीज डाइट आपकी कार्बोहाइड्रेट की खपत को सीमित करने के लिए भी प्रेरित करता है। कीटो डाइट प्लान में आप प्रतिदिन 20 से 30 ग्राम से ज्यादा कार्ब्स नहीं खा सकते हैं।
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डायबिटीज के लिए केटोजेनिक डाइट कैसे काम करता है?
आपका शरीर खुद को शुगर या ग्लूकोज से एनर्जी देता है। जो उसे कार्ब्स से मिलता है। कीटोजेनिक डाइट के कुछ दिनों के बाद डायबिटीज टाइप 2 पीड़ितों को महसूस होगा कि उनके शरीर में ग्लूकोज की कमी हो गई है। जिसके बाद फैट बर्न होना शुरू हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को पोषण से जुड़ी कीटोसिस के रूप में जाना जाता है। यह प्रक्रिया कीटोन्स नामक फैटी एसिड पदार्थ उत्पन्न करती है। जिसका इस्तेमाल मानव शरीर एनर्जी के लिए करता है।
केटोसिस बनाम केटोएसिडोसिस
डायबिटीज से पीड़ित लोगों को पोषण से जुड़े कीटोसिस और कीटोएसिडोसिस के बीच अंतर महसूस करना बहुत जरूरी है। क्योंकि दोनों में कीटोन्स शामिल होते हैं।
कीटोएसिडोसिस एक जोखिम भरी स्थिति है जो पीड़ित व्यक्ति के शरीर में होती है जिसमें इंसुलिन और कीटोन शामिल नहीं होते हैं। कुछ लक्षणों में ज्यादा प्यास, बार-बार पेशाब आना, भ्रम, कमजोरी और थकान शामिल हैं। टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में कीटोएसिडोसिस बहुत आम है।
केटोसिस एक ऐसी स्थिति है जो दैनिक जीवन में बहुत कम होती है। यह व्यक्ति द्वारा खाए जाने वाले कार्ब्स और प्रोटीन की संख्या पर निर्भर करता है। इस स्थिति के कारण व्यक्ति के शरीर में वजन कम हो सकता है, चक्कर और A1C लेवल कम हो सकता है।
सारांश
पोषण से जुड़ी कीटोसिस और कीटोएसिडोसिस दो अलग-अलग चीजें हैं। प्रत्येक डायबिटीज पीड़ित को उनके बीच का अंतर जानना होगा। केटोएसिडोसिस एक जोखिम भरी स्थिति है जिसमें पीड़ित व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन और कीटोन शामिल नहीं होते हैं। दूसरी ओर केटोसिस एक ऐसी स्थिति है जो दैनिक जीवन में बहुत कम होती है। यह व्यक्ति द्वारा खाए जाने वाले कार्ब्स और प्रोटीन की संख्या पर निर्भर करता है।
डायबिटीज में केटोजेनिक डाइट के लाभ
कीटो डाइट और डायबिटीज मैनेजमेंट एक बहुत अच्छा संयोजन है। खासकर उन डायबिटीज पीड़ितों के लिए जिनका वजन बढ़ा हुआ है। हाई-प्रोटीन और फैट की वजह से आपको लंबे समय तक भूख का अहसास नही होता है। बीएमजे न्यूट्रिशन पत्रिका में हाल ही में 2023 के अध्ययन में कहा गया है कि कीटो डाइट चार्ट पीड़ितों को डायबिटीज से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। अध्ययन में पाया गया कि 50% से अधिक डायबिटिक लोग जो लो-कार्ब वाले कीटो डायबिटीज डाइट पर थे उनमें बड़ा बदलाव हो गया। लेकिन इस बात को लेकर कोई गारंटी नहीं है कि ये कितने समय तक चलेगा।
विशेष रूप से ज्यादा वजन वाले डायबिटीज से पीड़ित लोगों को फिजिकल एक्टिविटी शुरू करनी चाहिए। वजन कम करने से डायबिटीज कंट्रोल में काफी मदद मिलती है। कीटो डाइट के लाभ में वजन घटाना भी शामिल है।
कीटो डाइट प्लान में शामिल कुछ लाभ-
- ब्लड प्रेशर कम करता है।
- खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करता है।
- उपवास(फास्टिंग) शुगर लेवल सही रखता है।
- इंसुलिन सेंसटीविटी में सुधार करता है।
- डायबिटीज की दवाओं पर आपकी निर्भरता को कम करता है।
- एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन) में सुधार करता है।
- इंसुलिन प्रोडक्शन कम हो जाता है।
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टाइप 2 डायबिटीज के लिए कीटो डाइट के साइड इफेक्ट्स
कीटो डाइट प्लान के कुछ गंभीर दुष्प्रभाव(साइड इफेक्ट) भी हो सकते हैं। कीटो डाइट के अल्पकालिक(शॉर्ट-टर्म) और दीर्घकालिक(लॉन्ग-टर्म) साइड इफेक्ट्स के बारे में नीचे बताया गया है-
अल्पावधि(शॉर्ट-टर्म) कीटो डाइट के साइड इफेक्ट्स
- कीटो-फ्लू
- कब्ज और पेट दर्द
- पैर में ऐंठन पैरों में ऐंठन
- ऊर्जा की हानि(एनर्जी लॉस)
- मानसिक थकान
- जल्दी पेशाब आना(फ्रीक्वेंट यूरीनेशन)
- सिरदर्द
- चक्कर आना
- सोडियम की कमी(नमक)
दीर्घकालिक(लॉन्ग-टर्म) कीटो डाइट के साइड इफेक्ट्स
- किडनी की समस्याएं जैसे पथरी(स्टोन) और हड्डियों के फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है (एसिडोसिस के कारण)
- डिस्लिपिडेमिया का खतरा।
- हाइपोग्लाइसेमिक एपिसोड बढ़ाएँ।
- हार्ट से जुड़ी समस्याएं (फैट के कारण)
- हार्ट डिजीज(कार्डियोवैस्कुलर) का खतरा बढ़ जाता है।
- इंसुलिन का लो-लेवल
क्या कीटो डाइट डायबिटीज से पीड़ित लोगों की मदद करता है?
कई स्टडीज के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए कीटो डाइट की वजह से होने वाले फायदों में वजन कम करना और लो-ब्लड शुगर लेवल शामिल है। एक अध्ययन में कीटो और डायबिटीज टाइप 2 वाले लोगों को कीटो डाइट पर नहीं रहने वाले लोगों की तुलना में कम दवा की जरूरत होती है। इसके साथ ही उन्होंने अपने वजन में भी गिरावट महसूस की है। डायबिटीज के पीड़ितों का A1C लेवल ए1सी लेवल भी कंट्रोल में देखा गया जब उन्हें एक वर्ष तक कीटो डाइट पर रखा गया।
कई अध्ययनों से साबित हुआ है कि जो भी पीड़ित व्यक्ति (डायबिटीज टाइप 2 और टाइप 1) कीटो डाइट का पालन करते हैं उनमें ए1सी लेवल में गिरावट देखी जाती है। बता दें कि कीटो डाइट और डायबिटीज से इसके संबंध को समझने के लिए काफी रिसर्च हुए हैं। लेकिन यह अभी भी चर्चा का विषय है कि कीटोजेनिक डाइट और डायबिटीज आपस में कितने जुड़े हुए हैं।
यदि आप कीटो डायबिटिक डाइट का पालन करने का प्रयास कर रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि आप इसका सख्ती से पालन करें। डायबिटीज के साथ कीटो का सेवन करना कठिन है क्योंकि इसमें कार्ब्स की मात्रा बहुत कम होती है। इसलिए यह एक व्यक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण और बड़ा बदलाव है।
कीटो डाइट प्लान किसी व्यक्ति को शुरुआती हफ्तों में कमजोर बना सकती है जब तक कि उनका शरीर नई डाइट प्लान के साथ एडजस्ट न हो जाए। कीटो डाइट प्लान को सफल बनाने के लिए आपको एक चार्ट बनाना होगा और कुछ इंस्टेंट रेसिपी तैयार करनी होंगी।
सारांश
कई अध्ययनों से साबित हुआ है कि टाइप 2 डायबिटीज के पीड़ितों के लिए कीटो डाइट उनके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद करता है और वजन घटाने को भी सुनिश्चित करता है। कीटो डाइट चार्ट डायबिटीज पीड़ितों को लंबे समय तक A1C का सही लेवल बनाए रखने में भी मदद करता है। टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को कीटोजेनिक डाइट शुरू करने से पहले डॉक्टर से बात करने की सलाह दी जाती है। कीटो डाइट प्लान को बनाए रखना वास्तव में कठिन है क्योंकि इसमें पीड़ितों को बहुत कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट खाने की जरूरत होती है।
कीटो डाइट प्लान में लो-कार्ब काउंट बनाए रखने के लिए टिप्स
अपने डाइट में कार्ब की मात्रा को कई दिनों तक एक जैसा ही बनाए रखना आसान नहीं है। कीटो डायबिटिक डाइट में कार्ब की मात्रा आमतौर पर 30 ग्राम से कम रखी जाती है। और आपके रोज की डाइट में 5% से 10% प्रतिशत के बीच कैलोरी होती है। इस गाइडलाइन का पालन करने के लिए डायबिटीज पीड़ितों को अपनी लाइफस्टाइल में बड़े बदलाव लाने पड़ते हैं।
दाल चावल और रोटी सब्जी जैसे लोकप्रिय भारतीय भोजन इस कीटो डाइट प्लान में फिट नहीं होते हैं। ऐसी चीजें जो काफी समय से आपके डाइट का हिस्सा रहे हैं जैसे आलू, ब्रेड आदि से बचना होगा। इसलिए इन बदलावों को तुरंत पूरी तरह लागू करना कठिन होगा।
डायबिटीज के साथ इस कीटो डाइट को बनाए रखने के लिए फूड ट्रैकिंग ऐप्स का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जाता है। दूसरा सुझाव यह कि इस डाइट को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए इससे साप्ताहिक अवकाश लिया जाए। तीसरा सुझाव है कि सोशल मीडिया पर कीटो डायबिटीज डाइट को फॉलो करने वाले व्यक्तियों के ग्रुप में शामिल होना होगा। ग्रुप से जुड़कर नए-नए तरीके सीखने को मिलेंगें। इसके साथ ही आपको नई कीटो डाइट रेसिपी के बारे में भी पता चलता रहेगा जिन्हें आप भी आज़मा सकते हैं।
डायबिटीज-फ्रैंडली कीटो डाइट फूड
यदि कोई डायबिटीज पीड़ित व्यक्ति डॉक्टर की देखरेख में कीटो डाइट शुरू करता है तो यह उसके लिए सुरक्षित है। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि हाई-कार्ब वाली सभी चीजों से आपको दूर रहना है। अपने कीटो डाइट में हेल्दी फैट और भरपूर प्रोटीन वाली चीजों को शामिल करें।
जिन चीजों को आप अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं वे हैं-
- ड्राई फ्रूट और नट्स
- एवोकाडो
- नट बटर
- बिना स्टार्च वाली सब्जियाँ
- जैतून और सरसों का तेल
- अंडा
- लीन प्रोटीन जैसे टोफू, सोयामिल्क, बादाम दूध, आदि।
- चिकन और मछली (केवल कभी-कभी)
वेज कीटो डाइट प्लान पर ज्यादा ध्यान दें। हरी पत्तेदार सब्जियाँ ज्यादा खाएं क्योंकि उनमें कार्ब्स बहुत कम होते हैं।
नीचे कुछ चीजें हैं जिन्हें और डायबिटीज-फ्रैंडली केटोजेनिक डाइट का पालन करते समय(फॉलो करते समय) बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- फल
- शराब
- सभी प्रकार के अनाज
- प्रोसेस्ड फूड
- रेड मीट/फैट(जो जानवरों से मिलते हैं)
- चीनी
- आलू, चावल से बने प्रोडक्ट ।
क्या कीटो डाइट शुगर रोगियों के लिए सुरक्षित है?
यह इस पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार का डायबिटीज है। टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों (विशेष रूप से ज्यादा वजन वाले लोगों) को कीटो डाइट फॉलो करने पर अच्छे और सुरक्षित परिणाम मिलते हैं। कीटोजेनिक डाइट डायबिटीज टाइप 1 के पीड़ितों को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर का सुझाव लेना जरूरी है। आपको रेगुलर खुद की देखभाल करनी चाहिए और कीटोएसिडोसिस के किसी भी लक्षण पर नज़र रखनी चाहिए। कीटो डाइट पर रहने का एक प्रमुख साइड इफेक्ट कीटोएसिडोसिस है। इसलिए अपने डायबिटीज एक्सपर्ट के साथ लगातार संपर्क में रहना जरूरी है।
सारांश
टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित और ज्यादा वजन वाले(ओवरवेट) लोगों में कीटो डाइट प्लान के अच्छे परिणाम दिखते हैं। टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को डॉक्टर से सलाह करने के बाद ही कीटो डाइट शुरू करना चाहिए।
क्या डायबिटिक पीड़ितों को कीटो डाइट लेना चाहिए?
कीटो डाइट प्लान को आजमाने से पहले अपने डॉक्टर से बातचीत करने की सख्त सलाह दी जाती है। कुछ मामलों में कीटो डाइट सुरक्षित है, लेकिन कुछ मामलों में यह काफी असुरक्षित है। इसलिए डॉक्टर के संपर्क में रहें और उनके द्वारा सलाह दिए जाने पर ही इसका पालन करें। शुरुआती दिनों में कीटो डाइट प्लान व्यक्ति को कमजोर बना सकता है। जब आप कीटो डाइट बंद कर देंगे, तो आपको सावधान रहने की जरूरत होगी। दोबारा से कार्ब्स को वापस लेने से ब्लड शुगर लेवल तेजी से बढ़ सकता है और आपका वजन कुछ हद तक बढ़ सकता है।
सारांश
कीटो डाइट चार्ट को भी डॉक्टर के सुझाव से लेना चाहिए। यह सकारात्मक(पॉजिटिव)और नकारात्मक(नेगेटिव)दोनों परिणाम दे सकता है। शुरुआत में व्यक्ति को कुछ दिनों तक कमजोरी महसूस हो सकती है। यदि आप कीटो डाइट को बंद कर देते हैं, तो आपको धीरे-धीरे सामान्य डाइट पर लौटना चाहिए। तुरंत ही ज्यादा कार्बोहाइड्रेट का सेवन शुरू करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है और वजन भी काफी तेजी से बढ़ सकता है।
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शुगर में कीटो डाइट के विकल्प क्या-क्या हैं?
डायबिटीज पीड़ितों के लिए कीटो डाइट एक बहुत अच्छा डाइट प्लान है। लेकिन इसके अलावा भी कई डाइट हैं, जैसे वेजी कीटो डाइट प्लान। दूसरे और भी विकल्प हैं जो बीमारी के साथ-साथ वजन मैनेजमेंट में भी मदद कर सकते हैं।
ऐसे बहुत से प्रोफेशनल डॉक्टर हैं जो डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए कीटो डाइट प्लान को सही नही मानते हैं।
ऐसे कई डाइट और भी हैं जो कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट के सेवन में बेहतरीन बैलेंस देते हैं। ये वजन मैनेजमेंट करने और ब्लड शुगर लेवल को सही रखने में भी मदद करते हैं।
आप इनके बारे में अपने डॉक्टर से चर्चा कर सकते हैं। डॉक्टर आपकी कंडीशन के हिसाब से बेस्ट डाइट का सुझाव देंगें।
सारांश
कई डॉक्टर डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए केटोजेनिक डाइट को सही नहीं मानते हैं। किसी विशेष पीड़ित की जरूरत के हिसाब से ज्यादा बैलेंस डाइट प्लान का सुझाव देते हैं। जिसके काफी कम साइड इफेक्ट होते हैं।
मधुमेह में केटोजेनिक डाइट की आलोचना
कीटो डाइट और डायबिटीज के कई आलोचक हैं, जो किडनी की समस्याओं, हार्ट डिजीज और हाइपोग्लाइसीमिया सहित इस डाइट के सभी प्रभावों को प्रमुखता से उजागर करते हैं।
आलोचकों का यह भी सुझाव है कि लंबे समय तक इस तरह के डाइट को फॉलो करना वास्तव में कठिन है क्योंकि इसमें बहुत सारे प्रतिबंध शामिल हैं।
इससे तेजी से वजन बढ़ने का भी खतरा होता है क्योंकि जिन लोगों को इस तरह के डाइट पर रखा जाता है। वे सामान्य डाइट पर लौटने के बाद अपने कार्बोहाइड्रेट सेवन को कंट्रोल नहीं रख पाते और ज्यादा खाना शुरू कर देते हैं।
आलोचक इस बात पर भी प्रकाश डालते रहे हैं कि ऐसे कोई अध्ययन नहीं हैं जो यह साबित करते हों कि कीटो डाइट किसी भी प्रकार से लॉन्ग-टर्म में कोई लाभ प्रदान कर सकता है।
सारांश
कई आलोचकों का मानना है कि डायबिटीज के साथ कीटो डाइट किडनी और हार्ट के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है, और इससे ब्लड शुगर लेवल भी कम हो सकता है। उनका यह भी मानना है कि लंबे समय तक इसे फॉलो करना बहुत चुनौतीपूर्ण है।
डायबिटीज के लिए कुछ लोकप्रिय केटोजेनिक डाइट व्यंजन
कीटो डाइट की बात करें तो यहां उन लोकप्रिय व्यंजनों की सूची दी गई है जिन्हें कीटो डाइट में शामिल किया जा सकता है-
ककड़ी किम्ची
यह एक कोरियाई व्यंजन है जो धीरे-धीरे किण्वित(फर्मेंटेड) गोभी और लहसुन से बनाया जाता है जिसमें सभी प्रकार की सब्जियाँ शामिल होती हैं। यह कीटो डाइट व्यंजनों में से लोकप्रिय, स्वादिष्ट और पकाने में आसान है।
आइए जानते हैं इन्हें घर पर कैसे बनाया जा सकता है
सामग्री(इंग्रिडेंट)
- दो बड़े खीरे और आठ छोटे खीरे
- एक चम्मच नमक
- लहसुन की दो कलियाँ (कटी हुई)
- दो स्कैलियन (कटा हुआ)
- थोड़ी मात्रा में अदरक (कटा हुआ)
- राइस विनेगर के दो बड़े चम्मच
- एक बड़ा चम्मच चिली पाउडर
- दो चम्मच चीनी
- ½ चम्मच मछली सॉस
बनाने की विधि
- खीरे को आधे चांद के आकार में काट कर एक बाउल में रखें।
- इसे कमरे के तापमान पर अच्छी तरह नमक मिलाएं।
- अब एक कटोरे में लहसुन, हरा प्याज, अदरक, सिरका, चिली पाउडर, चीनी और मछली सॉस मिलाएं।
- खीरे को छान लें, पानी निकाल दें और सिरके में मिला दें।
- परोसने से पहले मिश्रण को ढककर 12 से 24 घंटे के लिए फ्रिज में रखें।
घर का बना चिकन टेंडर्स बैगेल सीज़निंग
अब हम एक और लोकप्रिय कीटो डाइट रेसिपी के बारे में बात करते हैं जो चिकन और बैगेल है।
सामग्री(इंग्रिडेंट)
- दो चम्मच मैदा
- एक बड़ा अंडा
- ½ कप ब्रेडक्रम्ब्स
- एक बड़ा चम्मच बैगेल मसाला
- एक पाउंड चिकन टेंडर
- ¼ कप कनोला तेल
- दो चम्मच जैतून का तेल
- एक बड़ा चम्मच सिरका
- एक बड़ा चम्मच सफेद वाइन सिरका
- डिजॉन सरसों का एक चम्मच
- एक चम्मच शहद
- चुटकी भर जीरा
- गोल मिर्च
- एक चम्मच शहद
बनाने की विधि
- एक बर्तन में मैदा रखें और दूसरे बर्तन में अंडा फेंटें।
- अब दूसरे बर्तन में ब्रेडक्रंब और बैगेल सीजनिंग मिलाएं और चिकन टेंडर को आटे में अंडे और ब्रेडक्रंब के साथ मिलाएं।
- एक पैन में कैनोला तेल गर्म करें और उसमें चिकन डालकर पकाएं।
- इसे सुनहरा भूरा होने तक पकाएं।
- एक बड़े कटोरे में जैतून का तेल, सिरका, सरसों, शहद और काली मिर्च मिला लें।
- ऊपर से हरी सब्जियाँ डालें और परोसें।
फैक्ट
डायबिटीज के लिए केटोजेनिक डाइट अलग-अलग तरह के पीड़ितों में अलग-अलग प्रकार के परिणाम देने के लिए जाना जाता है। इसका प्रभाव पीड़ित व्यक्ति की ओवरऑल कंडीशन पर निर्भर करता है। कई डॉक्टर्स का मानना है कि कीटो डाइट और डायबिटीज टाइप 2 डायबिटीज के पीड़ितों में अच्छे परिणाम दे सकते हैं। लेकिन टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को डॉक्टर से चर्चा करने के बाद ही कीटो डाइट या कीटो डायबिटीज डाइट को शुरू करना चाहिए।
Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal
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