अवलोकन – Overview
डाईबिटीज़ होने का मतलब यह नहीं कि आप अपनी धार्मिक जड़ों से दूर हो जाएं। हालांकि व्रत के दौरान आपकी डाइबीटिक डाइट में काफ़ी बदलाव आते हैं जिनका अगर ध्यान ना रखा जाए तो वह नुकसानदायक हो सकते है। इसलिए एक शुगर पेशेंट व्रत रख सकता है लेकिन उसके पहले आपको एक उचित डाइट चार्ट बनाने की ज़रूरत है। जिससे आप बिना शुगर लेवल बढ़ने के डर के साथ सुरक्षित रूप से अपने आराध्य के लिए व्रत रख सकते हैं। आइए इस ब्लॉग में जानते हैं कि क्या डाईबिटीज़ रोगी नवरात्रि व्रत कर सकते हैं, उनका डाइट चार्ट क्या होना चाहिए और कई अन्य ज़रूरी बातें व टिप्स।नवरात्रि का उपवास मधुमेह की समस्या को कैसे बढ़ा सकता है? – How Navratri Fast can increase the problem of Diabetes?
डाईबिटीज़ को नियंत्रित रखने का महत्वपूर्ण लक्ष्य ब्लड शुगर लेवल को सामान्य सीमा के भीतर रखना है। लेकिन अगर आप 9 दिनों तक व्रत करते हैं तो शुगर लेवल्स ऊपर नीचे हो सकते हैं। लेकिन साथ ही फास्टिंग शरीर को डीटॉक्स भी करता है। उपवास या फास्टिंग पाचन तंत्र के लिए फ़ायदेमंद होता है। इससे पाचन अंगों को आराम व हीलिंग का समय मिलता है। जिससे शरीर अपने आपको रीपेयर करता है। इसलिए सही तरीके से फास्टिंग करने से आप डाईबिटीज़ में भी इसके फ़ायदे ले सकते हैं। इसके लिए आप अपने शुगर लेवल्स व दवाओं के आधार पर अपने डाइटीशीयन से सलाह ले सकते हैं और अपना नवरात्रि व्रत का डाईबिटीज़ डाइट प्लान तैयार कर सकते हैं।और पढ़े: शुगर के मरीज लीची खा सकते है या नहीं?
नवरात्रि उपवास के दौरान एक आदर्श डाइट प्लान – An Ideal Diet Plan for Navratri Fast
भोजन का पैटर्न – Pattern of Food
उपवास में एक हेल्दी डाइट प्लान को फॉलो करना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए आप एक डाइट एक्सपर्ट या डाइटीशीयन की मदद ले सकते हैं। वह आपको कई प्रकार की जानकारी दे सकते हैं जैसे क्या खाना है, कब खाना है, खाना बनाने के तरीके आदि। कुछ व्यक्ति केवल एक या दो बार भोजन करते हैं। जबकि, कई लोग व्रत में फलों, सब्जियों या डेयरी उत्पादों का बार-बार सेवन करते हैं।भोजन में क्या करें शामिल – What to include in Food
नवरात्रि की थाली में सभी प्रमुख प्रकार के भोजन शामिल होने चाहिए। साधारण कार्ब के स्थान पर अपने खाने में कॉम्प्लेक्स कार्ब को शामिल करें। साथ ही कम कैलोरी वाले पेय पदार्थों को अपने व्रत में शामिल करें जिससे शुगर लेवल्स कंट्रोल में रह सके। इन खाद्य पदार्थों व पेय का जीआई कम होता है जो डाइबीटिक डाइट के लिए सबसे बेहतर चॉइस है। उपवास या व्रत के दौरान पर्याप्त तरल पदार्थ लेने चाहिए जो निम्नलिखित रूप से आपकी मदद करता है:- शरीर को हाइड्रेट करता है
- निर्जलीकरण को रोकता है
कार्बोहाइड्रेट – Carbohydrate
कार्ब हमारे भोजन का प्रमुख भाग है जो लगभग 45-65% होता है। व्रत के दौरान अनाज को अपनी डाइट में शामिल करना सुरक्षित रहता है। वे शरीर के अंगों को ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त चीनी और ऊर्जा प्रदान करते हैं। कुल कैलोरी का लगभग 50-60% प्रतिदिन कार्ब्स से मिलना महत्वपूर्ण है। उच्च जीआई वाले खाद्य पदार्थ शरीर के वज़न और शुगर लेवल पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। यह ग्लूकोज़ के स्तर और इंसुलिन प्रतिरोध (इंसुलिन रेज़िस्टेंस) को बढ़ाते हैं। यह खाने के बाद फैटी एसिड के उत्पादन को भी बढ़ाते है। उपवास के दौरान अनाज को अन्य फूड ग्रुप के साथ शामिल करें जैसे सब्जियाँ, फाइबरयुक्त खाना और कुछ स्वस्थ तेल। यह उस खाने के ग्लाइसीमिक लोड को कम करते हैं।और पढ़े: क्या मधुमेह के रोगी बेल का जूस पी सकते हैं?
प्रोटीन – Protein
कुल ऊर्जा का लगभग 15% से 20% प्रोटीन से मिलना चाहिए। हर व्यक्ति में इसकी आवश्यक मात्रा अलग-अलग होती है। उपवास में कई प्रकार के अनाज, लहसुन, प्याज, फलियां और दालें जैसे प्रोटीन के स्त्रोतों को खाने में शामिल नहीं किया जा सकता। इन्हें तामसिक भोजन माना जाता है। इसलिए व्रत के दौरान सात्विक भोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये आस-पास की नकारात्मक ऊर्जाओं को शांत करते हैं। इसलिए उपवास या व्रत के लिए एक स्वस्थ डाइट प्लान में दही, दूध, पनीर, शुगर-फ्री शेक, भारतीय मसालों वाला फ्लेवर्ड मिल्क, मट्ठा, सब्जी रायता, लस्सी, छाछ, और नट्स शामिल किये जा सकते हैं। यह एक उत्कृष्ट प्रोटीन के स्रोत होते हैं। उपवास के दौरान नट्स एक अच्छा प्रोटीन का स्त्रोत माना जाता है इसलिए इन्हें अपनी व्रत डाइबीटिक डाइट में ज़रूर जोड़ें।फैट – Fat
दैनिक भोजन में वसा या फैट का कुल कैलोरी में 30% का योगदान होना चाहिए। कई अध्ययनों के अनुसार जब कम ग्लाइसेमिक कंट्रोल वाले लोगों के खाने में लो फैट, मीडियम कार्ब और हाई फाइबर डाइट को शामिल किया जाता है तो उनके ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) में काफ़ी कमी देखी जाती है। इसलिए व्रत या उपवास के दौरान इसी स्ट्रक्चर पर अपना व्रत का डाइट चार्ट तैयार करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, वसा और तेलों की विशेष फैटी एसिड या फैटी एसिड संरचना डाईबिटीज़ रोगियों की भोजन योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक डाइबीटिक पेशेंट की डाइट में प्रति दिन 300 मिलीग्राम से कम कोलेस्ट्रॉल और 10% से कम संतृप्त वसा को शामिल करना आदर्श माना जाता है।विटामिन और मिनरल्स – Vitamins & Minirals
खाने के फलों और सब्जियों को शामिल करने से प्लाज़्मा कैरोटेनॉयड्स और विटामिन सी की मात्रा बढ़ जाती है जो एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोकंपाउंड प्रदान करते हैं। साथ ही रेशेदार सब्जियों या हाई फाइबर सब्जियों को उच्च कार्ब-उच्च वसा वाले भोजन के साथ मिलाने पर उनका ग्लाइसेमिक लोड कम हो जाता है। यह खाने के बाद के ग्लूकोज के स्तर को भी कम करता है। एक डाइबीटिक व्यक्ति को जूस पीने के बजाय पूरे फल का सेवन करना चाहिए जिससे फाइबर की मात्रा बनी रहे। साबुत फल और पत्तेदार साग ऊर्जा घनत्व (एनर्जी डेंसीटी) में कम होते हैं। इसके अलावा हाई फाइबर, कम ग्लाइसेमिक लोड, हाई सूक्ष्म पोषक तत्व वाले खाने को अपनी डाइट में शामिल करने से कुल और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर (खराब कोलेस्ट्रॉल) में सुधार होता है। डाइबीटी में व्रत के दौरान शुगर लेवल कंट्रोल रखने के लिए छोटे मील के बीच में जूस और मीठी डिश के जगह सलाद, फ्रूट चाट, कस्टर्ड, वेजिटेबल स्मूदी, वेजिटेबल सूप ट्राई करें।फाइबर – Fiber
एक डाईबिटीज़ रोगी को नवरात्रि उपवास के दिनों में लगभग 25 ग्राम प्रति 1000 किलो कैलोरी या 30 से 40 ग्राम फाइबर का सेवन रोजाना बनाए रखना चाहिए। इन दिनों में शुगर कंट्रोल के लिए डाइट पैटर्न और मील की संख्या का ध्यान रखने की ज़रूरत है।और पढ़े: क्या डायबिटीज के मरीज खजूर खा सकते हैं ?
भरपूर पानी और तरल पदार्थ – Enough Water & Liquid Items
विशेष रूप से गर्मियों के दौरान प्यास बुझाने के लिए कम कैलोरी वाले पेय जैसे ग्रीन टी, नींबू पानी, लस्सी, छाछ, मट्ठा, पुदीना पानी आदि शामिल करना अच्छा होता है। चैत्र नवरात्रि में गर्मी होती है जिसकी वजह से पर्याप्त पानी और तरल पदार्थों का सेवन करना बेहतर होता है। यह शुगर लेवल को नहीं बढ़ाते और नियंत्रित करने में मदड करते हैं। उपवास के दिनों में शक्कर से बनी चीजों से परहेज़ करना बेहतर है।डाईबिटीज़ रोगियों के लिए 10 स्पेशल नवरात्रि व्रत व्यंजन – 10 Special Navratri Vrat Dishes for Diabetes Patients
डाईबिटीज़ रोगी जब व्रत या उपवास करते हैं तब उन्हें उनके डाइट प्लान में काफ़ी बदलाव करने होते हैं। यह बदलाव उनके शुगर लेवल को सांनीय रखने के लिए किये जाते हैं। नवरात्रि में सात्विक भोजन का विशेष महत्व है और इसके अनुरूप ही एक डाइ प्लान तैयार किया जाता है। आइए जानते हैं 10 ऐसी स्वादिष्ट और मुंह में पानी लाने वाली वाली नवरात्रि स्पेशल रेसीपीज़ जो “डाईबिटीज़ रोगियों के लिए नवरात्रि सात्विक भोजन (आहार) योजना” में शामिल की जा सकती है:सेब की स्मूदी या कुछ वेजिटेबल स्मूदी
सेब की स्मूदी या एप्पल स्मूदी बहुत ही स्वादिष्ट होती है। सेब पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। ये कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन ए, सी, पोटैशियम, आयरन और फाइबर के अच्छे स्त्रोत होते हैं। इसके अलावा इसमें पत्तेदार साग मिलाकर इसे और हेल्दी व स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। उपवास के दिनों में ये शुगर पेशेंट के लिए अच्छे माने जाते हैं।सिंघारा या कुट्टू के आटे की टिक्की
इस प्रकार के आटे में अच्छी मात्रा में पोटैशियम और कम मात्रा में सोडियम होता है। यह शरीर में वॉटर रिटेंशन के लिए मददगार है। इस आटे को पानी के साथ मिलाएं और इसमें थोड़ी सी उबली हुई लौकी डालें। थोड़े से जैतून के तेल का उपयोग करके इसकी स्वादिष्ट टिक्की बनाएं। एक कप चाय के साथ शाम के भोजन के रूप में इस विशेष नवरात्रि नाश्ते का आनंद लें। साथ ही स्वाद बढ़ाने के लिए पुदीने से हरी चटनी बना लें।और पढ़े: क्या शुगर के मरीज खीरा खा सकते हैं?
कद्दू के कटलेट्स
नवरात्रि के दिनों में सबसे ज्यादा कद्दू की सब्जी खाई जाती है। इसे आप सहगारी कुट्टु की पूड़ी या रोटी में मिला सकते हैं। इसके अलावा, व्रत के खाने को और अच्छा बनाने के लिए आप कद्दू के कटलेट आज़मा सकते हैं। इसे बनाने के लिए सबसे पहले कद्दू का छिलका उतार लें और, इन्हें छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इन्हें प्रेशर कुकर में तब तक पकाएं जब तक कि सब्जी नरम और मुलायम न हो जाए। इसमें कुट्टु का आटा मिला कर इसमें हरी मिर्च, अदरक, लाल मिर्च, काली मिर्च, नामक आदि मिला कर इन्हे लंबे गोल शेप बना लीजिए। अब इन्हें फ्राई करें और दही में डिप कर के गर्मागर्म खाएं।भुना हुआ मखाना या मेवे
त्योहार के दौरान मखाना एक पसंदीदा और लोकप्रिय स्नैक है। डाईबिटीज़ रोगियों के लिए नाश्ते के विकल्प के रूप में बादाम, मूंगफली, या मखाने जैसे नट्स का उपयोग करना फायदेमंद होता है।लौकी या तोरी जैसी सब्जियों के साथ कुट्टू या सिंघाड़े के आटे की रोटी
कुट्टू के आटे में डाइटरी फाइबर, प्रोटीन, जिंक, कैल्शियम, आयरन, विटामिन बी होता है। इसके अलावा, यह डाईबिटीज़ वाले व्यक्ति के लिए भी बहुत उपयोगी है। इसमें लौकी या तौरी जैसे सब्जियाँ मिला कर रोटियाँ बनाएं। यह बहुत ही हेल्दी और डाइबीटिक-फ़्रेंडली होती है।पनीर भुर्जी
पनीर कैल्शियम, प्रोटीन और लिनोलिक एसिड जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह वज़न घटाने में उपयोगी है और डाईबिटीज़ रोगियों के लिए भी अच्छा है। आप अपनी पसंद के अनुसार पनीर (भुर्जी या बेक्ड टिक्का फॉर्म) का सेवन करें। यह विटामिन ए से भी भरपूर होता है और ट्रांस-फैट-फ्री भी है।फ्रूट रायता
विटामिन्स, मिनरल्स (कैल्शियम) से भरपूर यह बेहतरीन फूड चॉइस है। उपवास के दिनों में यह भरपूर ऊर्जा प्रदान करता है। यह शुगर लेवल को बनाए रखने के लिए भी अच्छा है।और पढ़े: क्या डायबिटीज़ में ग्रेपफ्रूट या चकोतरा खाना सुरक्षित है?
मखाने की खीर
व्रत के दौरान लोगों को कुछ मीठा खाने का मन होता है। उपवास के दौरान इस इच्छा को पूरा किया जा सकता है मखाने की खीर से। इससे कई हेल्थ बेनेफिट्स मिलते हैं। इसे दूध, मखाना, स्टीविया और सूखे मेवों से तैयार करें।फल
फलों का सेवन पूरे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। साथ ही डाईबिटीज़ रोगी इन दिनों में फलों का सेवन कर सकते हैं। ऐसे कुछ फल हैं सेब, जामुन, अमरूद या पपीता। लेकिन ध्यान रहें भोजन में दो से अधिक फल न लें।डाईबिटीज़ रोगियों के लिए नवरात्रि डाइट चार्ट – Navratri Fast Diet Chart for Diabetes Patients
Navratri Vrat Diet Chart | ||||
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समय | भोजन (मेन्यू) | |||
सुबह जल्दी (6-7 बजे) | 1 गिलास गुनगुना पानी | |||
ब्रेक फास्ट (सुबह 9-10 बजे) | चाय ( बिना चीनी) या दूध (स्किम्ड) / एक सेब की स्मूदी (200 मिली) + पनीर या सब्जियों की स्टफिंग के साथ सिंघाड़ा आटे का चीला / कुट्टू चीला | |||
दोपहर 11-12 बजे | एक मौसमी फल (संतरा/अमरूद/जामुन/सिंघाड़ा) या मुट्ठी भर नट्स के साथ एक गिलास छाछ या कोल्ड कॉफी | |||
दोपहर का भोजन (दोपहर 1-2 बजे) | लोकी की सब्जी (1 कटोरी) या तोरी/कद्दू + सिंगारा/कुट्टू रोटी (एक या दो) दही या सब्जी का रायता (1 कटोरी) | |||
शाम 4-5 बजे | चाय/कॉफी/दूध के साथ कुछ मखाना या मूंगफली | |||
शाम 6-7 बजे | घर का बना टमाटर का सूप / सेब की स्मूदी / नारियल पानी / ग्रीन टी (150 मिली) | |||
रात का खाना (रात 8-9 बजे) | 1-2 सिंगारा/कुट्टू चीला हरी चटनी + दही या कोई भी सब्जी के साथ फलों के साथ 1 गिलास दूध |
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नवरात्रि में डाईबिटीज़ रोगियों के लिए कुछ महत्वपूर्ण डाइट टिप्स – Important Diet Tips for Diabetes Patients in Navratri Fast
डाईबिटीज़ रोगी नवरात्रि में स्वादिष्ट भोजन खाने के साथ अपने शुगर लेवल को भी नियंत्रित रख सकते हैं। लेकिन इसी के साथ कुछ बातों का ध्यान रखना भी ज़रूरी है जिससे आप नवरात्रि के उत्सव का आनंद निश्चिंत हो कर ले सकें। आइए जाने कुछ डाइट टिप्स डाइबीटिक लोगों के लिए: नवरात्रि के दौरान ग्लूकोज के स्तर को मेनेज करने के लिए कुछ टिप्स:- डाईबिटीज़ रोगी या शुगर पेशेंट को लंबे समय तक भूखा नहीं रहना चाहिए। उन्हें थोड़े अंतराल के बाद कुछ ना कुछ खाते रहना चाहिए। ऐसा करने से शुगर लेवल सीमा के भीतर रहते है।
- एक व्यक्ति को दिन में कई बार ग्लूकोज़ के स्तर की जांच करनी चाहिए।
- डाइबीटिक लोग उपवास शुरू करने से पहले कम जीआई वाले धीमी गति से अवशोषित होने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। इस प्रकार के खाद्य पदार्थ उपवास या व्रत के दौरान भी शुगर लेवल को बनाए रखते हैं।
- उपवास के दिनों में, यदि कोई व्यक्ति थका हुआ महसूस करता है, तो चाय या कॉफी के अधिक सेवन का सहारा लेने से बचें। इसके स्थान पर, दिन भर पर्याप्त पानी और शुगर-फ्री पेय जैसे नींबू पानी, छाछ आदि का सेवन करना अच्छा है।
- डाइबीटिक लोगों को इन दिनों आलू या अन्य स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों से पूरी तरह बचना चाहिए।
- मधुमेह रोगी जो इंसुलिन इंजेक्शन का उपयोग कर रहे हैं उन्हें अपने डोज़ को मेनेज करने की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि इन दिनों में इंसुलिन की आवश्यकता 4% तक कम हो सकती है।
- व्रत या उपवास के दौरान ऊर्जावान रहने के लिए डाइट प्लान का पालन करें।
- ऐसे खाद्य समूहों का चयन करें जो फास्ट कोर्स के दौरान शुगर के स्तर को और भी अधिक बनाए रखने के अलावा पेट भरने में व्यक्ति की मदद करें। इनमें फल, सब्जियां या सलाद शामिल हो सकते हैं।
- निर्जलीकरण को रोकने के लिए, पर्याप्त चीनी मुक्त और डिकैफ़िनेटेड पेय (पानी, छाछ, या नींबू पानी) का सेवन करें।
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सारांश – Conclusion
व्रत या उपवास के दौरान डाईबिटीज़ मेनेजमेंट आसान और कम जटिल होता है। इसमें बस आपको फ्लेकसीबल होने की ज़रूरत है। अपने हाई और लो शुगर लेवल के संकेतों को समझ कर आप अपनी डाइबीटिक और व्रत वाली डाइट में परिवर्तन कर सकते हैं। आपात स्थिति में हमेशा पानी और नाश्ता साथ रखें। ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर की मदद ज़रूरी है। हमेशा स्वस्थ विकल्पों को अपनाएं। सही व्यवहार व व्रत के डाइट प्लान के साथ आप व्रत-त्योहारों का आनंद ले सकते हैं बिना किसी चिंता के।इसको भी पढ़ो: मधुमेह (Diabetes) में क्या खाएं और क्या न खाएं?
सामान्यतया पूछे जाने वाले प्रश्न – Frequently Asked Questions
क्या ग्लूकोज का स्तर अधिक होने पर उपवास करना अच्छा है?
डाईबिटीज़ रोगी कितने घंटे उपवास कर सकता है?
उपवास के सबसे सामान्य रूप को 16:8 विधि कहा जाता है। इसमें 16 घंटे का उपवास व 8 घंटे बिना व्रत या उपवास का सुझाव दिया जाता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति शाम के लगभग 7 बजे रात का खाना खा सकता है, अगले दिन नाश्ता छोड़ सकता है, और फिर लगभग 11 बजे दोपहर का भोजन कर सकता है।
डाईबिटीज़ में व्रत में कौन से फल सुरक्षित नहीं हैं?
हाई शुगर फल जैसे अनानास, तरबूज, सूखे खजूर और अत्यधिक पके केले डाईबिटीज़ में सुरक्षित नहीं माने जाते।
शरीर में ग्लूकोज का स्तर किस समय सबसे अधिक होता है?
सुबह के समय, आम तौर पर सुबह 3 से 8 बजे के बीच, एक व्यक्ति का शरीर स्टोर हुई चीनी को बाहर निकालना शुरू कर देता है और अगले दिन के लिए शरीर को तैयार करता है।
संदर्भ – References
- https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5240068/
- https://www.abbott.in/corpnewsroom/diabetes-care/guide-to-diabetes-management-during-navratri-fasting.html
- https://www.breathewellbeing.in/blog/navratri-special-diet-plan-for-diabetics/
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