आज कल एक बीमारी है जो तेजी से फैल रही है, डायबिटीज। ये एक लाइफस्टाइल की समस्या से जुड़ी बीमारी है। खराब रुटीन, स्ट्रेस और अनहेल्थी खाने से डायबिटीज की समस्या होती है। अब दौड़-भाग के चलते पढ़ाई करने वाले या नौकरी करने वाले युवा भी स्ट्रेस में रहते हैं और खाने-पीने का ध्यान नहीं रख पाते। इससे युवाओं में भी डायबिटीज तेजी से बढ़ी है। खाने-पीने की बात करें तो अक्सर ही लोग खाली पेट ऑफिस या स्कूल-कॉलेज चले जाते हैं। इससे खाली पेट शुगर का लेवल बढ़ या घट सकता है, जो खतरनाक होता है। अब फास्टिंग या खाली पेट शुगर कितनी होनी चाहिए, फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar fasting test in hindi) को कैसे कंट्रोल करना है। यही आज हम आपको बताएंगे।
डायबिटीज क्या और कितनी तरह का होता है?
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि डायबिटीज असल में क्या है। डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है, इसे केवल कंट्रोल रखा जा सकता है। डायबिटीज होने पर बल्ड में शुगर का लेवल घटने या बढ़ने लगता है। ये होता इसलिए है क्योंकि शरीर में ग्लूकोज को एनर्जी में बदलने के लिए जिम्मेदार इंसुलिन हार्मोन या तो बनना बंद हो जाता है, या इंसुलिन को शरीर इस्तेमाल नहीं कर पाता।
अब प्रकार की बात करें तो डायबिटीज तीन तरह की होती है। पहला, टाइप-1 डायबिटीज में ऑटोइम्यून डिसफंक्शन (autoimmune dysfunction) के कारण आपका शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता। दूसरा, टाइप-2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन का ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता। तीसरा, गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational diabetes) गर्भावस्था के दौरान होती है। इसमें सबसे आम है टाइप-2 डायबिटीज।
खाली पेट शुगर कितना होना चाहिए?
फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल बिना खाये-पीये कम से कम 8 घंटे रहने के बाद ब्लड में ग्लूकोज का लेवल नापने पर पता लगता है। इसका टेस्ट अक्सर सुबह किया जाता है, क्योंकि सोते समय इंसान फास्टिंग की स्टेज में ही होता है। यह डायबिटीज और प्रीडायबिटीज की बीमारी को कंफर्म करने का सबसे असरदार तरीका है।
फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल कितना होना चाहिए?
दुनियाभर में हेल्थ संबंधी समस्यों पर नजर रखने वाले वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार आमतौर पर सामान्य लोगों में 70 mg/dL (3.9 mmol/L) और 100 mg/dL (5.6 mmol/L) के बीच फास्टिंग ब्लड शुगर का लेवल ठीक मना जाता है। जब फास्टिंग बल्ड शुगर का लेवल 100 से 125 mg/dL (5.6 से 6.9 mmol/L) के बीच होता है।
साथ ही 100 mg/dL (5.6 mmol/L) और 125 mg/dL (6.9 mmol/L) के बीच फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल प्रीडायबिटीज का भी संकेत है। प्रीडायबिटीज वाले व्यक्तियों में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में जीवनशैली में बदलाव और ग्लाइसेमिया की जांच की सलाह दी जाती है।
25 से 35 की उम्र में फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल कितना होना चाहिए?
25 से 35 की उम्र में फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल 70 से 100 mg/dL के बीच होना चाहिए। अगर ब्लड शुगर लेवल 100 से 125 mg/dL है, तो मरीज को प्री-डायबिटिक्स डायग्नोस किया जाता है, जिसका मतलब है उसे डायबिटीज होने का खतरा है। वहीं ब्लड शुगर 126 mg/dL या उस से ऊपर जाने पर व्यक्ति को डायबिटीज डायग्नोस किया जाता है। अगर आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल बहुत अधिक है, तो इसका मतलब है कि आपका शरीर ग्लूकोज को ठीक से उपयोग नहीं कर रहा है। यह डायबिटीज का संकेत हो सकता है।
35 से 45 की उमर में फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल कितना होना चाहिए?
25 से 35 साल तक के लोगों के लिए, खाली पेट (फास्टिंग) ब्लड शुगर लेवल 80 से 110 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) होना चाहिए। यदि इस ऐज ग्रुप के लोगों में फास्टिंग ब्लड शुगर का लेवल 110 mg/dL से अधिक है, तो यह प्री-डायबिटीज का संकेत हो सकता है। यदि लेवल 126 mg/dL से अधिक है, तो यह मधुमेह का संकेत हो सकता है। सामान्य स्तर न होने पर इस ऐज ग्रुप के लोगों को तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
45 से 55 साल तक के लोगों का खाली पेट Blood Sugar Level कितना होना चाहिए?
45 से 55 साल तक के ऐज ग्रुप वाले लोगों का खाली पेट Blood Sugar Level 90 से 120 mg/dL होना चाहिए। अगर ब्लड शुगर लेवल 120 से 130 mg/dL है, तो इसे प्री-डायबिटिक्स डायग्नोस किया जाता है, जिसका मतलब है उसे डायबिटीज होने का खतरा है। वहीं ब्लड शुगर 135 mg/dL या उससे ऊपर जाने पर व्यक्ति को डायबिटीज डायग्नोस किया जाता है।
उम्र बढ़ने के साथ डायबिटीज का खतरा और तेज़ी से बढ़ता है। शरीर में इंसुलिन सेंसटिविटी कम होने लगती है। इसीलिए फास्टिंग शुगर लेवल पर भी असर पढ़ता है। इसीलिए उम्र बढ़ने के साथ डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है।
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कितने फास्टिंग शुगर लेवल में डायबिटीज होता है? (Fasting blood sugar in hindi)
दो अलग-अलग टेस्ट में अगर 126 mg/dL (7.0 mmol/L) या इससे अधिक फास्टिंग शुगर लेवल आ रहा है, तो डायबिटीज की बीमारी हो गई है। इसके अलावा यदि आपको ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, बिना कारण वजन कम होना या थकान जैसे मधुमेह के लक्षण हैं, तो तुरंत फास्टिंग शुगर लेवल की जांच करनी चाहिए। क्योंकि ये सभी लक्षण डायबिटीज के हैं।
फास्टिंग शुगर लेवल क्यों जरूरी है
फास्टिंग शुगर लेवल जरूरी है क्योंकि यह डायबिटीज की बीमारी का पता लगाने का सबसे कारगार तरीका है। साथ ही इससे डायबिटीज के मरीज अपने शुगर लेवल को बेहतर तरह से कंट्रोल कर सकते हैं।
डाइट और रूटीन सही रखने में मदद: डायबिटीज के मरीज पर डाइट और रूटीन का क्या असर हो रहा है, ये फास्टिंग डायबिटीज से पता लगता है। ऐसे में अगर फास्टिंग डायबिटीज लेवल सामान्य से अलग आ रहा है तो इसमें बदलाव की जरूरत है।
इंसुलिन लेने में मदद: डायबिटीज के कई मरीजों को इंसुलिन अलग से लेना पड़ता है। ऐसे में फास्टिंग डायबिटीज लेवल जांचने से पता लगता है कि शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल सही से कर पा रहा है या नहीं। साथ ही इंसुलिन कितना लेना शरीर के लिए सही है। हालांकि फास्टिंग शुगर लेवल की जांच करने के बाद डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल सामान्य नहीं तो क्या करें? (Blood sugar fasting in hindi)
फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल का कम या ज्यादा आने पर सबसे पहले तो डॉक्टर की सलाह लें। हालांकि घर पर भी कुछ तरीकों को अपनाकर आप शुगर लेवल को सामान्य कर सकते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव: फाइबर वाले फलो, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर बेलेंस डाइट लेना शुरू करना चाहिए। ज्यादा कार्बोहाइड्रेट, फैट और शुगर वाले खाने-पीने से बचना चाहिए।
एक्सरसाइज: योग और एक्सरसाइज लगातार करते रहनी चाहिए। योग और एक्ससाइज से शरीर में इंसुलिन प्रभावी ढंग से काम करता है। हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाले व्यायाम का लक्ष्य रखें।
वेट मेनेजमेंट: यदि आपका वजन अधिक है या आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो थोड़ा सा वजन कम करने से भी आपके ब्लड शुगर लेवल में काफी सुधार हो सकता है।
स्ट्रेस मेनेजमेंट: लंबे समय तक स्ट्रेस में रहना ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकता है। स्ट्रेस को कंट्रोल करने के लिए स्वस्थ तरीके योग, ध्यान, या प्रकृति में समय बिताने जैसे तरीके अपना सकते हैं।
दवाओं का सेवल: आप डॉक्टर की सलाह से शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन और बाकी दवाएं भी ले सकते हैं।
लगातार निगरानी: डायबिटीज होने और न होने, दोनों स्थितियों में फास्टिंग शुगर लेवल की जांच करते रहना जरूरी है।
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निष्कर्ष
अगर आपको डायबिटीज नहीं है या आप इसके मरीज हैं। दोनों ही स्थिति में शुगर लेवल की नियमित जांच करते रहना जरूरी है। नियमित फास्टिंग शुगर लेवल की जांच करने से शुगर की बीमारी से बचा जा सकता है। वहीं फास्टिंग शुगर कंट्रोल रखने के लिए सही खान-पान, स्ट्रेस मेनेजमेंट और दवाओं का सेवन भी करना एक अच्छा विकल्प है। हालांकि WHO की गाइडलाइन के मुताबिक डायबिटीज की स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
ब्लड शुगर कका लेवल कम होने डायबिटीज मरीजों के लिए चिंता का विषय है। लेकिन अगर फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल कम आता है तो कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। WHO के मुताबिक 70 mg/dL से नीचे ब्लड शुगर लेवल हाइपोग्लाइसीमिया माना जाता है। वहीं 55 mg/dL से नीचे ब्लड शुगर को अधिक गंभीर श्रेणी में रखा जाता है। डायबिटीज के बिना ही हाइपोग्लाइसीमिया खतरनाक है लेकिन फास्टिंग शुगर लेवल कम आने पर हाइपोग्लाइसीमिया होता है तो ये जानलेवा भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
अगर आपको शुगर की बीमारी है, तो सुबह उठकर खाली पेट आपके खून में शुगर का स्तर ये बता सकता है कि आपको अपने इलाज में कोई बदलाव करने की ज़रूरत है या नहीं। फास्टिंग शुगर लेवल चेक करने से बेसल रेट, कोरैक्शन रेट या सेंसिटिविटी फैक्टर में बदलाव के ज़रिए पता लगता है कि आपके शरीर को इंसुलिन की मात्रा कम या ज़्यादा करने की जरूरत है या नहीं। फास्टिंग शुगर लेवल टेस्ट तब और ज़रूरी हो जाता है जब आप इंसुलिन लेना शुरू कर रहे हैं।
फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल का कम या ज्यादा आने आना डायबिटीज मरीजों के लिए चिंता की बात है। ऐसे में अगर आप डॉक्टर की सलाह ले रहे हैं, तो उन्हें इसके बारें में बताएं और दवा लें। वहीं घर पर भी लाइफस्टाइल में बदलाव, खान-पान में बदलाव, एक्सरसाइज, वेट मेनेजमेंट, स्ट्रेस मेनेजमेंट करके भी आप डायबिटीज के लेवल को कंट्रोल में रख सकते हैं। साथ ही जरूरी है कि आप फास्टिंग शुगर लेवल को लगातार चेक भी करते रहें, ताकि समस्या बढ़े नहीं।
खाने के बाद की शुगर लेवल पर आपकी डाइट का असर पड़ता है। किसी दिन ज्यादा शुगर, फैट वाला अनहेल्थी खाना खाने से भी शुगर के लेवल पर फर्क पड़ता है। हालांकि अगर लगातार खाने के बाद शुगर लेवल बढ़ा हुआ आता है तो आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। वहीं फास्टिंग शुगर लेवल टेस्ट में अगर शुगर कम या ज्यादा आ रही है तो ये डायबिटीज के लक्षण में गिना जाता है। अगर किसी की फास्टिंग ब्लड शुगर रीडिंग 100 से 125 mg/dL के बीच आती है तो इसका मतलब है कि उन्हें प्री-डायबिटीज (डायबिटीज की शुरुआत) का खतरा है। इसके अलावा 125 से ऊपर की रीडिंग डायबिटीज का इशारा करती है।
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