Last updated on सितम्बर 6th, 2023
जब बात आती है डायबिटीज मेनेजमेंट या प्रबंधन की तो करेला और डायबिटीज की बात हमेशा की जाती है। शुगर मरीजों के लिए करेला हमेशा से एक स्वस्थ विकल्प रहा है। करेला के रस के मधुमेह में फ़ायदे अनगिनत है और इसी वजह से यह सदियों से डायबिटीज के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। अपने विशिष्ट स्वाद और कई स्वास्थ्य लाभों के लिए करेला काफी लोकप्रिय है और ना सिर्फ मधुमेह और करेला के बीच एक गहरा संबंध है, यह अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में भी फ़ायदेमंद रहता है। करेला का जूस/रस शुगर मरीजों के लिए कैसे फायदेमंद है इस पर चिकित्सकों का अध्ययन जारी है। अपने इन एंटीडायबिटिक गुणों के कारण क्या सच में करेला मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा है?
इस ब्लॉग में, हम मधुमेह रोगियों के लिए करेले के फायदों के बारे में जानेंगे। ऐसे कौनसे यौगिक हैं जो करेले को डायबिटीज के लिए फायदेमंद बनाते हैं। और कैसे करेला का रस मधुमेह में फ़ायदे देने के साथ शुगर लेवल पर प्रभाव डालता है। इन सभी प्रश्नों का उत्तर हम इस ब्लॉग में जानेंगे। साथ ही डायबिटीज और करेला के संबंध को जानते हुए उसे कैसे अपने प्राकृतिक उपचार में शामिल कर सकते हैं, इसे भी जानेंगे।
करेला क्या है?
करेला जिसे वैज्ञानिक रूप से मोमोर्डिका चारेंटिया कहा जाता है, कुकुर्बिटेसी परिवार से संबंधित है। करेला एक ऐसी सब्जी है जिसके स्वाद को ले कर अलग-अलग राय हो सकती है। कुछ लोगों को यह पसंद आती है जबकि कई लोग इसके कड़वे स्वाद को पसंद नहीं करते हैं। यह एक हरा, आयताकार आकार का फल है जिसका बाहरी भाग ऊबड़-खाबड़ होता है। करेले की उत्पत्ति का पता भारतीय उपमहाद्वीप, विशेष रूप से दक्षिण एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लगाया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि इसकी खेती सबसे पहले 4,000 साल पहले की गई थी। बाद में यह व्यापार के माध्यम से दुनिया भर के कई देशों में फैल गया। इसका कड़वा स्वाद इसे हालांकि कई लोगों के लिए एक नापसंद सब्जी बनाता है लेकिन करेले के फ़ायदे इसे एक हेल्दी फूड बनाते हैं।
सदियों से, करेला पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का एक अभिन्न अंग रहा है। इसके ओषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग आयुर्वेद और पारंपरिक चीनी उपचार में किया जाता रहा है। इन प्राचीन औषधीय तरीकों में करेले का उपयोग कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता रहा है। करेला के रस के मधुमेह में फ़ायदे के बारे में कौन नहीं जानता और इसी वजह से आयुर्वेद में मधुमेह और करेला का गहरा संबंध बताया गया है। इसके साथ ही, करेले के अन्य फायदों में पाचन संबंधी समस्याओं और त्वचा की समस्याओं का इलाज भी शामिल है। भारत में, करेला का उपयोग करी और स्टू में किया जाता है, जबकि चीन और अन्य पूर्वी एशियाई देशों में, इसे अक्सर तलकर या सूप में उपयोग किया जाता है। करेले के फ़ायदे ही इसकी लोकप्रियता की प्रमुख वजहों में से एक है।
करेला का पोषण मूल्य
करेला एक कम कैलोरी वाली फाइबर और पोटेशियम से भरपूर सब्जी है। करेले के फ़ायदे उसमें मौजूद कई तरह के पोषक तत्वों की वजह से होते है। आइए नीचे दी गई पोषण तालिका से जानते हैं करेला का पोषण मूल्य:
करेला का पोषण मूल्य | ||||
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पोषक तत्व एक कप में (प्रति 100 ग्राम ) | मात्रा | |||
ऊर्जा | 16 kcal | |||
कार्बोहाइड्रेट्स | 3.4 ग्राम | |||
प्रोटीन | 930 मिलिग्राम | |||
शर्करा या चीनी | 0 ग्राम | |||
वसा | 158 मिलीग्राम | |||
फाइबर | 2.6 ग्राम | |||
जल | 87.4 ग्राम | |||
विटामिन ए | 471 IU | |||
मेग्नेशियम | 17 मिलिग्राम | |||
विटामिन सी | 84 मिलीग्राम | |||
पोटेशियम | 296 मिलीग्राम | |||
फोलेट | 78 माइक्रोग्राम |
करेले का ग्लाइसेमिक इंडेक्स सिर्फ 18 है जो इसे कम जीआई भोजन के रूप में वर्गीकृत करता है। करेले का कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स बताता है कि इसके सेवन से शुगर लेवल नहीं बढ़ता है। करेले का ग्लाइसेमिक लोड भी बहुत कम होता है। डायबिटीज में करेले को सबसे ज़्यादा करेले के रस या जूस के रूप में सेवन किया जाता है और इसका कम जीआई व जीएल के कारण करेले का रस शुगर मरीजों के लिए सुरक्षित व लाभकारी होता है।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) एक पैमाना है जो खाद्य पदार्थों को उस क्रम में वर्गीकृत करता है जिसमें वे रक्तप्रवाह में शुगर लेवल को बढ़ाते हैं। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला भोजन शुगर स्पाइक नहीं करता वहीं उच्च या हाई जीआई वाला भोजन ब्लड में अचानक शुगर स्पाइक करता है। ग्लाइसेमिक लोड (जीएल) भोजन में कार्ब की मात्रा के उत्पाद का मूल्य है, और आपके द्वारा खाई जाने वाली भोजन की मात्रा (कैलोरी में) को 100 से विभाजित कर के निकाला जाता है।
करेला व करेला के रस के मधुमेह में फ़ायदे की मुख्य वजह उसका कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स ओर ग्लाइसेमिक लोड है जो शुगर लेवल्स को नियंत्रित रखता है।
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करेला और डायबिटीज
‘क्या करेला मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा है?’ इसका उत्तर निश्चित रूप से हाँ है! डायबिटीज मेनेजमेंट में करेले के सेवन से काफी मदद मिलती है। कई शोधों में जब शुगर लेवल पर करेले के प्रभाव की जांच की गई है तो उसके परिणाम काफी सकारात्मक मिले। करेले के शुगर में फायदे में से मुख्य है कि यह इंसुलिन संवेदनशीलता या इंसुलिन सेंसीटिविटी में सुधार करने की क्षमता रखता है। शरीर में इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए इंसुलिन संवेदनशीलता महत्वपूर्ण है, और मधुमेह के रोगी अक्सर इससे जूझते हैं। ऐसे में करेले को अपनी डाइट में शामिल करना एक अच्छा विकल्प है।
2019 में जर्नल ऑफ एथनोफार्माकोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि करेले या करेले का अर्क इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ा सकता है, जो बेहतर ब्लड शुगर रेगुलेशन में मदद कर सकता है। इसके अलावा, कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि करेला ब्लड शुगर को स्थिर करने में भी मदद करता है। ‘जर्नल ऑफ मेडिसिनल फूड’ में प्रकाशित 2018 के एक अध्ययन से पता चला है कि करेले के सेवन से टाइप 2 डायबिटीज रोगियों में फास्टिंग शुगर के स्तर में गिरावट आई है।
करेले के रस के मधुमेह में फ़ायदे में से एक है हीमोग्लोबिन A1C (HbA1C) के स्तर पर इसका प्रभाव। एक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित 2018 के एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि करेले का सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज रोगियों में एचबीए1सी का स्तर काफी कम हो जाता है। हालाँकि, सिर्फ करेला डायबिटीज मेनेजमेंट के लिए काफी नहीं है। यह थोड़ी मदद कर सकता है लेकिन एक बेहतर डायबिटीज मेनेजमेंट के लिए अन्य कई फेक्टर भी जिम्मेदार होते हैं जैसे सही आहार, एक्सर्साइज़, दवा आदि। मधुमेह रोगियों को मधुमेह के आहार में करेले को शामिल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसके सेवन से कोई समस्या न हो।
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मधुमेह में करेले के फायदे
मधुमेह रोगियों के लिए करेले के फायदे बहुत हैं। आइए जानते हैं करेले या करेले के रस के मधुमेह में फ़ायदे:
रक्त शर्करा को प्रबंधित करने में मदद करता है
मधुमेह रोगियों के लिए करेले के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक इसकी शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने या शुगर लेवल को मेनेज करने में मदद करने की क्षमता। करेले में ऐसे यौगिक होते हैं जिनमें इंसुलिन जैसे गुण होते हैं, जो बढ़े हुए रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में सहायता कर सकते हैं। ये यौगिक इंसुलिन संवेदनशीलता को भी बढ़ा सकते हैं। इस प्रकार शरीर इंसुलिन को जल्दी अवशोषित कर पाता है। अपने इसी गुण के कारण करेले का जूस/रस शुगर मरीजों के लिए अच्छा और फायदेमंद माना जाता है।
करेले में ग्लाइसेमिक इंडेक्स और कैलोरी बहुत कम होती है, जो मधुमेह रोगियों के लिए बेस्ट है। इसके अलावा इसमें कार्ब की मात्रा बहुत कम होती है जो वजन कम करने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए एक हेल्दी ऑप्शन है। शुगर मरीजों के लिए इसका लो कार्ब गुण इसे एक बेहतर सब्जी बनाता है क्योंकि यह शुगर लेवल को प्रभावित नहीं करता है।
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पोषक तत्वों से भरपूर
करेले के कड़वे स्वाद को नजरअंदाज किया जा सकता है क्योंकि यह पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी है। यह भारी मात्रा में विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है। इनमें विटामिन सी, पोटेशियम, विटामिन ए और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं और यह मधुमेह प्रबंधन या डायबिटीज मेनेजमेंट के लिए भी प्रभावी हो सकते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट गुण
करेले के अन्य लाभों में शामिल है इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट, जो शरीर की कोशिकाओं को हानिकारक मुक्त कणों या फ्री रेडिकल्स से बचाती है। ये एंटीऑक्सिडेंट शरीर के सकारात्मक चयापचय या मेटाबोलिज़्म को बढ़ावा देते हैं और मधुमेह से संबंधित जटिलताओं के जोखिम को कम करते हैं।
एंटीइंफ़्लेमेट्री गुण
पुरानी सूजन या इंफ़्लेमेशन अक्सर मधुमेह और इसकी जटिलताओं से जुड़ी होती है। करेले में सूजन-रोधी या एंटीइंफ़्लेमेट्री गुण पाए जाते है जो शरीर में सूजन से लड़ने में मदद कर सकते हैं और कई गंभीर बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं। शुगर में करेले के रस को पीने से इसके एंटीइंफ़्लेमेट्री गुणों का फ़ायदा मिल सकता है।
आंतों के स्वास्थ्य को बढ़ाता हैं
मधुमेह रोगियों के लिए करेला आहार फाइबर प्राप्त करने का एक अच्छा स्रोत है। फाइबर आंत के अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत प्रभावी है। पर्याप्त फाइबर का सेवन पाचन में सहायता कर सकता है और लंबे समय तक आपकी भूख शांत रखता है। इससे ना केवल आपके शुगर लेवल नियंत्रित रहते हैं बल्कि आपको वजन कम करने में भी सहायता मिलती है जो टाइप 2 डायबिटीज के मुख्य रिस्क फेक्टर्स में से एक है। करेला शुगर मरीजों के आंतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और पाचन सुचारु करता है।
हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मधुमेह प्रबंधन के लिए सिर्फ करेले पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। यह आपकी दवाओं की जगह नहीं ले सकता बल्कि एक अच्छी डायबिटिक-फ़्रेंडली लाइफस्टाइल के एक हिस्से के रूप में आपके शुगर लेवल को सामान्य रखने में मदद करता है।
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मधुमेह में करेला का सेवन करने के तरीके
भारत में, करेला एक लोकप्रिय सब्जी है जिसका उपयोग घरेलू खाना पकाने में बड़े पैमाने पर किया जाता है। हालांकि इसका कड़वा स्वाद कुछ लोगों की नाक सिकोड़ सकता है लेकिन जब बात आती है मधुमेह रोगियों की तो उनके लिए यह एक बहुत असरदार और स्वस्थ भोजन साबित होता है। करेले की कई रेसिपी तैयार की जाती है जो इसे स्वादिष्ट बनाती है। आइए जाने मधुमेह रोगियों के लिए करेले के सेवन के कुछ पारंपरिक लेकिन स्वादिष्ट तरीके:
1. करेले की सब्जी
करेला पकाने का सबसे लोकप्रिय तरीका इसकी करी बनाना है। आप करेले को पतले गोल टुकड़ों में काट सकते हैं। कड़वाहट कम करने के लिए इसे नमक के साथ थोड़ी देर के लिए मैरीनेट कर सकते हैं, और फिर इसे प्याज, टमाटर और भारतीय मसालों के साथ भून सकते हैं। विभिन्न मसाले इसके कड़वे स्वाद को संतुलित करने में मदद करते है।
2. करेले के चिप्स
करेला चिप्स एक कुरकुरा और स्वादिष्ट स्नैक विकल्प है। करेले को पतले-पतले टुकड़ों में काट लें, टुकड़ों पर थोड़ा नमक डालें और फिर उन्हें कुरकुरा होने तक डीप फ्राई या एयर फ्राई करें। यह मधुमेह रोगियों के लिए आलू चिप्स का एक उत्कृष्ट और हेल्दी विकल्प हो सकते है। यह चिप्स आपको न सिर्फ स्वाद में अच्छे लगेंगे बल्कि आलू चिप्स के हाई और सिम्पल कार्ब से होने वाले नुकसान से भी बचाएंगें।
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3. भुने हुए करेले
करेले को प्याज, शिमला मिर्च और हरी बीन्स जैसी अन्य सब्जियों के साथ भून कर आप एक शानदार और स्वादिष्ट व्यंजन बना सकते हैं। विभिन्न सब्जियों के साथ करेले को पकाने पर उसकी कड़वाहट को कम करने में मदद मिलती है। ऐसे में शुगर मरीज करेले के फ़ायदे अच्छे स्वाद के साथ उठा सकते हैं।
4. करेले का जूस
करेले का रस या करेला जूस शुगर रोगियों के लिए भारत में एक लोकप्रिय घरेलू उपचार है। करेले का जूस बनाने के लिए करेले से बीज और गूदा निकाल लें, इसे पानी के साथ मिला लें और फिर मिश्रण को छान लें। स्वाद बढ़ाने के लिए आप इसमें नींबू निचोड़ सकते हैं और थोड़ा शहद डाल सकते हैं। याद रखें, करेले के जूस के फायदे पाने के लिए जूस का सेवन कम मात्रा में करें। यह आपके ब्लड शुगर लेवल पर काफी प्रभाव डाल सकता है इसलिए इसके अधिक सेवन से बचें। करेला के जूस के मधुमेह में फ़ायदे अनगिनत है इसलिए यह शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के सबसे आम उपचारों में से एक है।
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5. भरवां करेला
एक और स्वादिष्ट विकल्प है जो करेले के स्वाद को बढ़ाता है। करेले को बेसन या दाल के मसालेदार मिश्रण से भर कर भरवां करेले बनाना। फिर भरवां करेले को टमाटर आधारित ग्रेवी में नरम होने तक पकाया जाता है, जो कड़वाहट को संतुलित करने में मदद करता है।
6. करेले का सूप
स्वादिष्ट और पौष्टिक करेले का सूप बनाकर करेले के फायदे का सेवन किया जा सकता है। कटे हुए करेले को गाजर, प्याज और टमाटर जैसी अन्य सब्जियों के साथ उबालें, और फिर एक सूप बनाने के लिए सभी को एक साथ ब्लेन्ड करें। इसे थोड़े से हेल्दी ऑइल में करी पत्ती व राई के साथ छोंके।
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7. करेले का अचार
अगर आपको अचार पसंद है, तो आप करेले का अचार बना सकते हैं। करेले को पतले-पतले टुकड़ों में काट लें, इसे मसाले और तेल के मिश्रण में मैरीनेट करें और खाने से पहले इसे कुछ देर के लिए छोड़ दें। अचार बनाने की प्रक्रिया से कड़वाहट कम हो जाती है और इसका स्वाद तीखा हो जाता है।
मधुमेह रोगियों के लिए करेला पकाते समय, खाना पकाने के तरीके और उपयोग की जाने वाली सामग्री का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। करेले के अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए तेल, चीनी या नमक के अत्यधिक उपयोग से बचें। खाना पकाने के हेल्दी तरीकों, जैसे भूनना, भाप में पकाना या ग्रिल करना, को अपनाएं।
करेले के दुष्प्रभाव
हालांकि शुगर मरीजों के लिए करेले के कई फ़ायदे हैं लेकिन इसके कई दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए करेले को अपनी डाइट में शामिल करने से पहले उसके दुष्प्रभावों के बारे में जरूर जानकारी रखें। आइए जानते हैं करेले के दुष्प्रभाव के बारे में:
हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा
करेले के साइड इफेक्ट्स में ब्लड शुगर को कम करने वाले गुण शामिल हैं, जो एक अच्छी बात हो सकती है। लेकिन यदि आप अपने मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए दवाएँ या इंसुलिन ले रहे हैं, तो उन्हें करेले के साथ लेने से हाइपोग्लाइसीमिया (निम्न रक्त शर्करा) हो सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि अपने रक्त शर्करा के स्तर या ब्लड शुगर लेवल को मॉनीटर करें और अपनी दवाओं के साथ इसे सावधानी से शामिल करें। अपने शुगर लेवल कंट्रोल के आधार पर कितना और कब करेले का सेवन करना है इसे बारे में अपने डॉक्टर के साथ परामर्श करें।
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जठरांत्र या गेस्ट्रोइंटेसटाइनल समस्या
कुछ मधुमेह रोगियों को करेला खाने के बाद गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या या डिसट्रेस का अनुभव हो सकता है। करेले में हाई फाइबर होता है जो कुछ लोगों के लिए समस्या का कारण बन सकता है जो फाइबर आसानी से पचा नहीं पाते। इसकी वजह से सूजन, गैस या ऐंठन जैसी समस्या हो सकती है। यदि आपको इस तरह के कोई लक्षण दिखते हैं, तो करेले का सेवन कम करें या खाना पकाने की विधि बदलें।
एलर्जी
कुछ मधुमेह रोगियों को करेले से एलर्जी हो सकती है जो करेले के साइड इफ़ेक्ट्स में से एक है। हालांकि यह बहुत कम देखते को मिलता है। एलर्जी के लक्षणों में शामिल है खुजली, बेचैनी, सांस लेने में समस्या आदि। इस स्थिति में तत्काल चिकित्सा सहायता लें।
दवाओं के साथ इंटरेक्शन
करेला कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया या इंटरेक्ट कर सकता है, विशेष रूप से डायबिटीज, रक्त पतला करने वाली (ब्लड थिनर) या एंटीप्लेटलेट दवाओं के साथ। ये इंटरैक्शन आपकी दवाओं की क्षमताओं को प्रभावित कर सकते हैं या इसके कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए हमेशा, मधुमेह रोगियों को अपने आहार में करेला शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से चर्चा करनी चाहिए, खासकर यदि वे कोई दवा ले रहे हों।
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गर्भावस्था संबंधी समस्याएं
गर्भवती महिलाओं को अधिक मात्रा में करेले का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह गर्भाशय के संकुचन को उत्तेजित कर सकता है जिससे कई गर्भावस्था जटिलताओं या प्रेगनेंसी कोंपलिकेशन हो सकती है।
गुर्दे की पथरी
करेले में ऑक्सालेट होता है, जो कुछ व्यक्तियों में गुर्दे की पथरी या किडनी स्टोन के विकास को बढ़ावा दे सकता है। यदि आपको पहले से गुर्दे की पथरी है या पहले कभी हुई हो तो इसके फ़िर से होने का खतरा और बढ़ जाता है। ऐसे में करेले का सीमित सेवन करने की सलाह दी जाती है।
हेमोलिटिक एनीमिया (G6PD की कमी)
G6PD की कमी, एक आनुवंशिक स्थिति है, और ऐसे लोगों को करेले के सेवन से सावधान रहना चाहिए। इस कमी वाले व्यक्तियों में करेला हेमोलिटिक एनीमिया नामक स्थिति को ट्रिगर कर सकता है।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि हर मधुमेह रोगी को करेले या करेले के रस के दुष्प्रभाव देखने नहीं मिलते हैं। बहुत से लोग बिना किसी समस्या के करेले का सेवन करते हैं और मधुमेह प्रबंधन या डायबिटीज मेनेजमेंट में इसका फायदा उठा सकते हैं। अपने शरीर की ज़रूरत के अनुसार छोटी मात्रा से शुरुआत करें और इसके प्रभावों को देखें। अगर आपको करेले के सेवन को लेकर कोई प्रश्न या संदेह है तो अपने डॉक्टर या पंजीकृत आहार विशेषज्ञ से बात करें। वे आपकी मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर एक कस्टमाइज्ड सोल्यूशन प्रदान कर सकते हैं। डॉक्टर आपकी मधुमेह प्रबंधन योजना या डायबिटीज मेनेजमेंट प्लान को बनाने में आपकी मदद करता है।
निष्कर्ष
करेले के इन गुणों से समझा जा सकता है कि यह शुगर मरीजों में डायबिटीज मेनेजमेंट में सहायता करता है। करेला इंसुलिन संवेदनशीलता और शर्करा स्तर प्रबंधन में लाभ पहुंचाता है। ऐसे में इस सवाल का जवाब आसानी से मिल जाता है कि क्या करेला मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा है? हालंकी इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि आप इसे दवाओं की जगह लेने लगे। एक अच्छे आहार और दवाओं के साथ करेले को अपनी दिनचर्या में शामिल करके इसके अधिकतम लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। साथ ही इसकी सही मात्रा का ध्यान रखें जिससे इसके संभावित दुष्प्रभावों से बचा जा सके। करेले का उपयोग अन्य डायबिटीज मेनेजमेंट तरीकों के साथ किया जा सकता है। करेला का रस शुगर मरीजों के लिए सबसे ज़्यादा असरदार होता है इसलिए ज्यादातर लोग डायबिटीज़ में करेले का जूस पीना पसंद करते हैं। हालांकि करेले को अपनी डाइट में शामिल करने से पहले, अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें जिससे वो आपको इसे सही फ़ायदों और नुकसान के बारे में आगाह कर सके। करेला का रस के मधुमेह में फ़ायदे के आधार पर इसे डायबिटीज के रामबाण इलाजों में से एक बनाता है।
सामान्यतया पूछे जाने वाले प्रश्न
करेला के सेवन का सबसे अच्छा समय क्या है?
मधुमेह के रोगियों को करेले के अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए खाली पेट करेला जूस पीने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से आपका फास्टिंग शुगर लेवल नियंत्रित रहता है और पेट के अच्छे स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिलता है। खाली पेट करेला के रस के मधुमेह में फ़ायदे शक्तिशाली और असरदार होते हैं।
प्रति दिन कितने करेले खा सकते हैं?
करेला के फायदों में से एक है शुगर लेवल को नियंत्रित रखना। लेकिन अधिक सेवन से लाभ की जगह अधिक नुकसान हो सकता है। इसलिए प्रति दिन करेले का सुरक्षित सेवन करें और इसकी मात्रा लगभग 1-2 करेले तक सीमित रखें। इसके अधिक सेवन से पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और शुगर लेवल भी कम हो सकता है।
क्या करेला HbA1C को कम कर सकता है?
हां, ऐसे कई अध्ययन हैं जो बताते हैं कि करेला शर्करा स्तर और एचबीए1सी स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप इसे किसी डायबिटीज की दवा के विकल्प के रूप में उपयोग में ले सकते हैं। करेले को डायबिटिक-फ़्रेंडली डाइट व दवाओं के साथ लेने पर इसके अधिकतम लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। करेला का रस शुगर मरीजों के लिए फायदेमंद होता है लेकिन इसे एक हेल्दी लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाएं और केवल इस पर ही निर्भर ना रहें।
क्या करेले का जूस किडनी के लिए हानिकारक है?
नहीं, करेले का जूस किडनी के लिए बिल्कुल भी बुरा नहीं है। अपने कड़वे स्वाद के कारण, करेला गुर्दे की पथरी को तोड़ने में मदद करता है, जिससे पथरी बनने का खतरा कम हो जाता है। तो, मधुमेह के रोगियों के लिए करेले के जूस का सीमित सेवन किडनी के अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है। लेकिन इसे सीमित मात्रा में लें। करेले में ऑक्सालेट होते हैं जो अधिक मात्रा में खाने पर उन लोगों के लिए किडनी स्टोन का खतरा बढ़ा सकते हैं जिनका किडनी स्टोन का इतिहास रहा हो।
किन लोगों को करेले के सेवन से बचना चाहिए?
ग्लूकोज 6-फॉस्फेट की कमी वाले मरीजों को करेले के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से अमेनिया या रक्त की कमी हो सकती है। इसके अलावा, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को भी करेले के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही, शुगर रोगियों को अतिरिक्त लो शुगर लेवल या हाइपोग्लाइसिमिया से बचने के लिए प्रतिदिन करेले का सेवन उचित मात्रा में ही करना चाहिए।
क्या मधुमेह रोगी रोजाना करेले का जूस पी सकते हैं?
हां, मधुमेह के रोगी रोजाना करेले का जूस पी सकते हैं क्योंकि यह महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होता है। करेले में पोटैशियम, आयरन, विटामिन सी आदि अच्छी मात्रा में होते हैं और इसमें इंसुलिन जैसी क्षमता भी होती है। लेकिन ध्यान रहे कि करेले के रस का सेवन नियंत्रित मात्रा में करें और वह भी केवल अपने डॉक्टर से परामर्श करने के बाद। यह हाइपोग्लाइसिमिया का कारण बन सकता है जो शुगर मरीजों के लिए खतरनाक स्थिति है।
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