इन्सुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो शुगर के मरीजों के लिए बहुत ही जरूरी होता है, ब्लड शुगर लेवल को सही बनाए रखने में मदद करता है। शुगर की समस्या की वजह से जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन नही बन पाता तो शुगर के मरीजों को इसे बाहर से लेने की जरूरत होती है। जहां एक तरफ इन्सुलिन के बहुत से लाभ हैं वहीं दूसरी ओर इन्सुलिन के नुकसान भी हो सकते हैं। इसके उपयोग से पड़ने वाले प्रभाव को समझना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। इस ब्लॉग में हम इन्सुलिन के साइड इफेक्ट्स के बारे में पूरी जानकारी का पता लगायेगें। चाहे आप पूरी तरह से इन्सुलिन के बारे में जानते हों या आपको हाल ही में शुगर के बारे में पता चला है, आपको इन्सुलिन के साइड इफेक्ट्स के बारे में जानना जरूरी है।
इन्सुलिन क्या है?
इन्सुलिन हार्मोन शुगर के मरीजों के लिए वरदान का काम करता है, शुगर के मरीजों को अपने इन्सुलिन का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। इन्सुलिन ही आपके शरीर में ब्लड फ्लो के माध्यम से ग्लूकोज को शरीर की विभिन्न कोशिकाओं तक पहुंचाता है और फिर कोशिकाएं अपने सामान्य कामकाज के लिए ईंधन के रूप में इसका उपयोग करती हैं। टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में पैंक्रियाज(अग्न्याशय) इन्सुलिन का उत्पादन सही से नही कर पाता, टाइप 2 डायबिटीज में शरीर पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता इसलिए ग्लूकोज लेवल बढ़ सकता है।
बढ़ते हुए शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए डॉक्टर अक्सर बाहर से इन्सुलिन लेने का सुझाव दे सकते हैं। कृत्रिम रूप से बनाई गई इन्सुलिन कई प्रकार की होती है जो शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म के तरीके की होती है। बाहरी इन्सुलिन भोजन के प्रति आपके शरीर की प्रतिक्रिया का अनुकरण करता है, जैसा कि प्राकृतिक इन्सुलिन द्वारा किया जाता है। इससे ब्लड में शुगर की मात्रा कम हो सकती है। इन्सुलिन के इस लाभ के अलावा आपको इन्सुलिन के नुकसान भी दिख सकते हैं या महसूस हो सकते हैं। इस ब्लॉग में हम इस बात पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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इन्सुलिन के साइड इफेक्ट्स – Insulin Ke Side Effects
इन्सुलिन कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला(लैब) में तैयार किया जाता है इसलिए आपके शरीर में इन्सुलिन के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। नीचे इन्सुलिन इंजेक्शन के कुछ प्रमुख साइड इफेक्ट बताए गए हैं। ये इन्सुलिन के सामान्य साइड इफेक्ट हैं और शायद इसमें वे साइड इफेक्ट शामिल नहीं हों जो आपको महसूस होते हैं। इन्सुलिन से होने वाले साइड इफेक्ट व्यक्ति दर व्यक्ति अलग-अलग होते हैं इसलिए इन्सुलिन लेने के विशेष साइड इफेक्ट के लिए अपने डॉक्टर से जरूर बात करें।
लो-ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया)
आपके द्वारा लिए गया इन्सुलिन ज्यादा प्रभावशाली तरीके से काम करता है तो आपका ब्लड शुगर लेवल सुरक्षित सीमा से भी नीचे जा सकता है जिस कारण से लो ब्लड शुगर या हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। मेयो क्लिनिक के अनुसार इन्सुलिन या अन्य दवाएं लेने से लो ब्लड शुगर की समस्या हो सकती है। इसमें ग्लूकोज लेवल 70 mg/dL से भी नीचे चला जाता है। इन्सुलिन की ओवरडोज़ के साइड इफेक्ट्स के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
- ज्यादा पसीना आना
- कंफ्यूजन(भ्रम)
- कंपकपी
- ज्यादा भूख लगना
- चक्कर आना
- दिल की धड़कन बढ़ जाना(हार्ट बीट बढ़ जाना)
यह सभी इन्सुलिन के बड़े साइड इफेक्ट हैं और यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं तो तुरंत ब्लड शुगर लेवल की जांच कराएं। पता चल जाने के बाद इन्सुलिन के साइड इफेक्ट दिखाई दें 15-15 नियम का पालन करें। इस नियम में आप 15 ग्राम सिंपल कार्ब्स या 3 से 4 ग्लूकोज की गोलियां खा सकते हैं, ½ गिलास किसी भी फल का जूस या सिर्फ 1 बड़ा चम्मच सफेद चीनी भी ले सकते हैं।
15 से 20 मिनट के बाद दोबारा अपने ब्लड शुगर की जांच करें यदि आपका शुगर लेवल अभी भी 70 mg/dL से कम है तो ऊपर बताई गई प्रक्रिया को एक बार फिर दोहराएं। इसके बाद भी अगर ब्लड शुगर नहीं बढ़ता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इन्सुलिन के साइड इफेक्ट से बचने के लिए सही खुराक का पता होना बहुत ही जरूरी है और इसके लिए आपके डायबिटीज एक्सपर्ट आपकी मदद कर सकते हैं। शुगर के मरीजों में फास्टिंग ब्लड शुगर की सामान्य सीमा 80 मिलीग्राम/डीएल और 140 मिलीग्राम/डीएल के बीच है और भोजन के बाद ब्लड शुगर 180 mg/dL से कम होना चाहिए। इन्सुलिन के साइड इफेक्ट से बचने के लिए हमेशा अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें और उनकी बताई गई बताओं का ध्यान रखें।
वजन का बढ़ना
रैपिड या लैंटस इन्सुलिन के साइड इफेक्ट्स में वजन बढ़ना भी शामिल है। इन्सुलिन इंजेक्ट करने से आपकी कोशिकाएं ब्लड फ्लो से एक्स्ट्रा शुगर को एब्जॉर्ब कर लेती हैं और यही शुगर इकट्ठा होकर फैट में बदल जाती है। बिना किसी मदद के यदि आपका शरीर इन्सुलिन का ज्यादा प्रभावी ढंग से उपयोग करता है तो इस कारण आपका वजन बढ़ सकता है। डायबिटीज यूके के अनुसार यदि आप कृत्रिम इन्सुलिन लेते हैं तो आपका वजन बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है। अगर औसत देखा जाए तो इन्सुलिन लेने वाले लोगों का वजन 2 किलोग्राम से ज्यादा बढ़ सकता है। यह इन्सुलिन इस्तेमाल के लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट में से एक है, इसलिए इन साइड इफेक्ट से बचने के लिए शुगर-फ्रैंडली डाइट अपनाएं और अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
इसके साथ-साथ आप फिजिकल एक्टिविटी का भी ध्यान रखें जिससे एक्स्ट्रा फैट जमा होने के खतरे को कम किया जा सकता है और ब्लड से शुगर बेहतर तरीके से एब्जॉर्ब करने में मदद मिलेगी। इन सबके बाद भी अगर आपको इन्सुलिन से जुड़े साइड इफेक्ट नजर आते हैं या वजन बढ़ता है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। ऊपर बताए गए सुझाव अपनाने से आपके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद मिलेगी और इन्सुलिन के साइड इफेक्ट की भी संभावना कम हो जाती है।
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इन्सुलिन इंजेक्शन के साइड इफेक्ट
इन्सुलिन इंजेक्ट करने के साइड इफेक्ट में इंजेक्शन लगाने वाली जगह पर असुविधा, सूजन और त्वचा पर लाल निशान हो सकते हैं, कई बार इस जगह पर खुजली भी हो सकती है। एक ही जगह पर कई बार इंजेक्शन लगाने के कारण ऐसा हो सकता है। इसे इन्सुलिन की एलर्जी से होने वाला साइड इफेक्ट नहीं माना जा सकता है।
इसमें अच्छी बात यह है कि ऐसे साइड इफेक्ट उतने चिंताजनक नहीं होते हैं, इस सूजन और दर्द से राहत पाने के लिए आप आइस पैक, मलहम और बेनाड्रिल जैसी दवाएं लगा सकते हैं। दर्द और परेशानी को कम करने के लिए इन्सुलिन इंजेक्शन लगाने का स्थान बदलते रहें एक ही जगह पर बार-बार इंजेक्शन न लगाएं और लगाने से पहले इन्सुलिन को रूम टेंपरेचर पर रखें ठंडा इन्सुलिन ज्यादा दर्द दे सकता है।
सिरदर्द
इन्सुलिन इंजेक्शन से सिरदर्द भी हो सकता है जो इसका एक सामान्य साइड इफेक्ट है, ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव से सिरदर्द हो सकता है। इन्सुलिन लेवल का लगातार कम होना भी इसका कारण हो सकता है। सिरदर्द के लिए आप एडविल या मोटरीन जैसी कोई भी सिरदर्द की दवा ले सकते हैं, लेकिन जब एक बार आप अपने लिए इन्सुलिन की सही डोज की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं तो आप इन्सुलिन इंजेक्शन से होने वाले साइड इफेक्ट से बच सकते हैं। ज्यादा सटीक और सही जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
लिपोडिस्ट्रोफी
लिपोडिस्ट्रोफी इन्सुलिन इंजेक्शन के साइड इफेक्ट में से एक है इसमें आपके शरीर में फैट असमान तरीके से जमा हो सकता है। नियमित इन्सुलिन के उपयोग के साइड इफेक्ट के कारण होने वाली लिपोडिस्ट्रोफी दो प्रकार की होती है। पहला है लिपोएट्रोफी जिसमें त्वचा से फैट लॉस होता है और दूसरा है लिपोहाइपरट्रॉफी जिसमे ऑयली स्किन बढ़ जाती है, यह उस जगह पर होता है जहां इन्सुलिन का इंजेक्शन लगाया जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार त्वचा के नीचे इन्सुलिन इंजेक्शन से लिपोडिस्ट्रोफी हो सकता है इसलिए एक ही जगह पर बार-बार इन्सुलिन का इंजेक्शन लगाने से बचें।
एडिमा
इन्सुलिन इंजेक्शन के सामान्य साइड इफेक्ट में एडिमा की समस्या भी होती है, इसमें हाथ-पैर में सूजन आ जाती है। इन्सुलिन सोडियम और अन्य लिक्विड को एब्जॉर्ब करने की क्षमता होती है और जब आप बाहर से इन्सुलिन लेते हैं तो ज्यादा मात्रा में लिक्विड जमा हो सकता है जिससे आपके हाथ,पैर और शरीर के अन्य हिस्सों में सूजन आ सकती है। ऑक्सफोर्ड एकेडमिक के अनुसार यह एक दुर्लभ इन्सुलिन साइड इफेक्ट्स में से एक है लेकिन इसके बारे में पूरी जानकारी होना हमेशा फायदेमंद होता है। एडिमा का इलाज करते समय डायबिटीज एक्सपर्ट आपके लाइफ स्टाइल में कुछ बदलाव की सलाह देंगे, इसमें हाथ और पैर से जड़े एक्सरसाइज भी शामिल हो सकते हैं, नमक का सेवन बहुत कम मात्रा में करने की सलाह भी दे। इन सबके बाद भी अगर आपको इन्सुलिन इंजेक्शन के साइड इफेक्ट नजर आते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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इन्सुलिन के अन्य साइड इफेक्ट्स
ऊपर बताए गए इन्सुलिन के साइड इफेक्ट (insulin side effects in hindi) के अलावा भी कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं जो किडनी, हार्ट और नसों आदि पर अपना बुरा प्रभाव दिखा सकते हैं। एनएचएस के अनुसार इन्सुलिन से निम्नलिखित साइड इफेक्ट हो सकते हैं:
- ब्लर विज़न
- हकलाना
- हथेलियों, होठों, जीभ आदि में झुनझुनी होना
- एंग्जाइटी
- मूड स्विंग
- प्यास का बढ़ना
- भूख का बढ़ना
- धब्बों में सूजन
- कमजोरी
- बुरे सपने
- होश खो देना
- असमंजस(कन्फ्यूजन) की स्थिति
- भावनात्मक(इमोशनल) इफेक्ट
- रक्त में पोटैशियम की कमी (हाइपोकैलिमिया)
- मांसपेशियों में ऐंठन(क्रैंप)
- साँस लेने में परेशानी
- एलर्जी
इन्सुलिन के उपयोग के लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट में हार्ट से जुड़ी समस्याएं भी सामने आती हैं। इनके लक्षणों निम्नलिखित हैं:
- साँस लेने में कठिनाई
- टखनों में सूजन
- वजन का अचानक से बढ़ना
अन्य दवाओं के साथ इन्सुलिन लेने के प्रभाव
इन्सुलिन के साइड इफेक्ट तब भी हो सकते हैं जब आपके द्वारा ली जाने वाली दूसरी दवाओं के साथ इन्सुलिन प्रतिक्रिया करता है। इसके अलग-अलग परिणाम हो सकते हैं जैसे इन्सुलिन के नुकसान बढ़ सकते हैं या केवल आपके द्वारा ली जाने वाली दवाओं का प्रभाव कम हो सकता है। नीचे कुछ दवाओं के साथ इन्सुलिन के साइड इफेक्ट (insulin side effects in hindi) बताए गए हैं:
शुगर की अन्य दवाएँ
एनएलएम के अनुसार इन्सुलिन के साथ थियाजोलिडाइनायड्स लेने से वॉटर रिटेंशन (शरीर में तरल की अधिकता) और हार्ट स्ट्रोक हो सकता है। ऐसी दवाओं के उदाहरण हैं:
- रोसिग्लिटाज़ोन
- पियोग्लिटाजोन
इन्सुलिन लेने के साथ इन्हें लेने से लो-ब्लड शुगर की समस्या हो सकती है इसलिए इन दोनों दवाओं को लेने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें।
एंटी-डिप्रेशन की दवाएं
- फ्लुओक्सेटीन
- मोनोमाइन ऑक्सीडेज इन्हिबिटर्स
जैसी दवाओं के साथ इन्सुलिन इंजेक्शन लेने से लो-ब्लड शुगर की समस्या हो सकती है।
हाई बीपी (ब्लड प्रेशर) की दवाएँ
इन्सुलिन शॉट्स के साथ ब्लड प्रेशर की दवाएं लेने से ब्लड प्रेशर जरूरत से ज्यादा कम हो सकता है। इन्सुलिन के नुकसान से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है। ये दवाएं निम्नलिखित हैं:
- लिसीनोप्रिल
- कैप्टोप्रिल
- एनालाप्रिल
- वाल्सार्टन
- प्रोप्रानोलोल
- मेटोप्रोलोल
हार्ट और कोलेस्ट्रॉल की दवाएँ
इन्सुलिन के साथ डिसोपाइरामाइड जैसी हार्ट की दवाएं लेने से ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है। सेज जर्नल्स के अनुसार डिसोपाइरामाइड की वजह से होने वाला लो-ब्लड शुगर लेवल खतरनाक हो सकता है। नियासिन जैसी कोलेस्ट्रॉल की दवाएं लेने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इन्सुलिन की वजह से होने वाले ऐसे साइड इफेक्ट से बचने के लिए हमेशा अपने डॉक्टर को अपनी दवाओं के बारे में सही और पूरी जानकारी दें। हार्ट की और दूसरी दवाएँ जिनसे समस्या हो सकती है वे हैं:
- बीटा-ब्लॉकर्स
- गुआनेथिडीन
- रिसरपाइन
- क्लोनिडाइन
एंटीबायोटिक्स
एनआईएच के अनुसार एंटीबायोटिक्स को इन्सुलिन के साथ लेने से शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव हो सकता है। जैसे:
- पेंटामिडाइन
- सल्फोनामाइड एंटीबायोटिक्स
पेन किलर
इन्सुलिन के साथ एस्पिरिन जैसी दवाएं लेने से शुगर लेवल में कमी आ सकती है।
ब्लड पतला करने वाली दवाएं
इन्सुलिन के साइड इफेक्ट की वजह से लो-ब्लड शुगर लेवल की समस्या हो सकती है। पेंटोक्सिफाइलाइन जैसी दवाओं के कारण भी ऐसा हो सकता है।
अस्थमा और एलर्जी की दवाएँ
अस्थमा और एंटी-एलर्जी की दवाओं के साथ इन्सुलिन लेने से शुगर का लेवल बढ़ सकता है। इन दवाओं में शामिल हैं:
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स
- सिम्पैथोमिमेटिक दवाएं
इन्सुलिन इंजेक्शन से होने वाले साइड इफेक्ट्स के लिए ध्यान देने योग्य बातें:
अगर आप इन्सुलिन पर स्विच कर रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा और सावधानी बरतनी होगी-
किडनी की समस्या वाले लोग
क्लिनिकल डायबिटीज और एंडोक्रिनोलॉजी द्वारा कहा गया है कि किडनी से जुड़ी समस्या के मरीजों पर इन्सुलिन के साइड इफेक्ट ज्यादा होते हैं। इन्सुलिन का सिक्रेशन किडनी की मदद से शरीर में होता है, जब किडनी ठीक से काम नहीं करती तो शरीर में इन्सुलिन जमा होने लगता है और इससे ब्लड ग्लूकोज में जरूरत से ज्यादा कमी आ जाती है। इसलिए किडनी के मरीज डॉक्टर से सलाह के बाद ही इन्सुलिन का इस्तेमाल करें।
लीवर की समस्या वाले मरीज
लीवर के मरीजों में लैंटस इन्सुलिन के साइड इफेक्ट ज्यादा होते हैं। जब लीवर सही से काम नही करता तब शरीर में इन्सुलिन जमा होने लगता है। ऐसी स्थिति में आपके डॉक्टर शुरुआत में डोज कम रख सकते हैं और बाद में धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं।
हार्ट की समस्या के मरीज
हार्ट के मरीजों में इन्सुलिन लेने के साइड इफेक्ट ज्यादा हो सकते हैं। इन्सुलिन के साथ थियाजोलिडाइनायड्स (टीजेडडी) जैसी दवाएं लेने से हार्ट पर इसका बुरा असर हो सकता है इसलिए इन्सुलिन थेरेपी अपनाते समय हमेशा अपने डॉक्टर को अपने हार्ट कंडीशन के बारे में जरूर बताएं। जिन लोगों को पहले कभी भी हार्ट अटैक जैसी समस्या हुई है उन्हे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
हाइपोकैलिमिया के मरीज
इन्सुलिन इंजेक्शन का एक साइड इफेक्ट यह है कि इसकी वजह से पोटैशियम लेवल में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। इन्सुलिन ब्लड में पोटैशियम लेवल को कम कर सकता है इसलिए यदि आप ऐसी कोई दवाएं ले रहें हैं जिनसे पोटैशियम में कमी हो सकती है तो आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
एलर्जी
कुछ व्यक्तियों को बाहरी इन्सुलिन से एलर्जी हो सकती है। इन्सुलिन से एलर्जी वाले व्यक्तियों में इस प्रकार के साइड इफेक्ट नजर आ सकते हैं: (insulin side effects in hindi)
- खुजली
- साँस की परेशानी
- त्वचा पर चकत्ते
- सीने में जकड़न(स्टिफनेस)
- पसीना आना
- चेहरे, होंठ, जीभ आदि में सूजन
- हार्ट रेट में तेजी
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इन्सुलिन के साइड इफेक्ट्स होने पर चिकित्सा सहायता (मेडिकल हेल्प) कब लेनी चाहिए?
एक बार जब आपका शरीर इन्सुलिन का आदी हो जाता है तो इसके कई प्रकार के साइड इफेक्ट अपने आप खत्म हो जाते हैं लेकिन साइड इफेक्ट अगर कुछ हफ़्ते के बाद भी बने रहते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह करना जरूरी है। आपके डॉक्टर आपके शरीर के हिसाब से इन्सुलिन की खुराक(डोज) तय करेंगें। बिना डॉक्टर की सलाह के लेने पर इन्सुलिन के नुकसान हो सकते हैं।
अलग-अलग प्रकार के इन्सुलिन के अपने अलग- अलग प्रकार के साइड इफेक्ट हो सकते हैं, हमारा सुझाव है कि आप अपने लिए किसी भी प्रकार के इन्सुलिन को शुरू करने से पहले अपने शरीर की सभी स्थितियों को लेकर अपने डॉक्टर से चर्चा जरूर करें।
निष्कर्ष
यह सच है कि इन्सुलिन शुगर मैनेजमेंट में गेम-चेंजर हो सकता है और हमने विस्तार से इन्सुलिन के साइड इफेक्ट्स के बारे में बात की है। इन सभी साइड इफेक्ट्स के बारे में पूरी जानकारी होने के बाद आप खुद इनका ध्यान रखकर अपने शुगर मैनेजमेंट के लिए काम कर सकते हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से हमने इन्सुलिन के इस्तेमाल को लेकर आपके रास्ते में आने वाली किसी भी समस्या से निपटने के बीच संतुलन बनाने के बारे में बात की है। इन्सुलिन के कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं लेकिन इसकी अपनी विशेषता भी है इसके इस्तेमाल से आप ब्लड शुगर के लेवल को कम कर सकते हैं और एक हेल्दी लाइफ अपना सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इन्सुलिन के साइड इफेक्ट्स (insulin side effects in hindi) से बचने के लिए 1 ग्राम इन्सुलिन ठीक रहता है।1 ग्राम इन्सुलिन में 12 से 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट की खपत होती है। यह मानक आपके वजन और इन्सुलिन के प्रति आपकी प्रतिक्रिया के अनुसार अलग-अलग हो सकता है इसलिए इन्सुलिन लेने से पहले अपने डायबिटीज एक्सपर्ट से सलाह लें।
फायदे के साथ-साथ इन्सुलिन के नुकसान भी हैं इसलिए सही जानकारी के बिना इन्सुलिन के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे: लो-ब्लड शुगर लेवल, हाथ-पैर में सूजन, सिर दर्द, वजन बढ़ना, त्वचा से जुड़ी समस्याएं, फैट बढ़ जाना आदि।
हां, किडनी पर इन्सुलिन के साइड इफेक्ट्स (insulin side effects in hindi) हो सकते हैं। अगर डॉक्टर की देखरेख में इन्सुलिन ली जाए तो स्वस्थ किडनी आसानी से काम कर सकती है लेकिन किडनी के मरीजों को इन्सुलिन लेते समय सावधान रहने की जरूरत है।
इन्सुलिन के कई साइड इफेक्ट्स हैं जिसमे से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं: चक्कर आना, ब्लर विज़न, दिल की धड़कन बढ़ना, भ्रम(इल्यूज़न), ज्यादा भूख का लगना, हाथ, पैर, जीभ में झुनझुनी आदि।
इन्सुलिन का सबसे बड़ा और गंभीर साइड इफेक्ट है लो-ब्लड शुगर लेवल। टाइप 1 के लगभग 16% और टाइप 2 के 10% शुगर के मरीजों में लो-ब्लड शुगर लेवल की समस्या होती है इसलिए इन्सुलिन लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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