Last updated on सितम्बर 27th, 2023
इंसुलिन रेजिस्टेंस तब होता है जब ग्लूकोज की अधिकता ब्लड सेल्स की एनर्जी के लिए ब्लड ग्लूकोज को एब्जॉर्ब करने और इस्तेमाल करने की क्षमता को कम कर देती है। जब आपके शरीर का इंसुलिन रेजिस्टेंस ज्यादा होता है, तो ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करने के लिए आपके पैंक्रियाज(अग्न्याशय) पर ज्यादा इंसुलिन प्रोड्यूज करने का दबाव पड़ता है। इस कारण आपके शरीर में इंसुलिन का प्रोडक्शन बहुत कम या ज्यादा हो सकता है। जिससे हार्ट डिजीज और डायबिटीज जैसी कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस डाइट सहित कई ऐसी चीजें हैं जो नेचुरल तरीके से इसमें सुधार करती हैं।
कोई भी हेल्थ प्रॉब्लम आपके हेल्थ को खराब करने से पहले आपके शरीर में कई विजिबल या इनविजिबल बदलाव लाती है। ऐसा तब भी होता है जब आपको टाइप-2 डायबिटीज का पता चलता है। डायबिटीज का इलाज होने से पहले आपके शरीर में कई बदलाव होते हैं। उनमें से एक है इंसुलिन रेजिस्टेंस। आपका शरीर बिना कोई लक्षण दिखाए इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है। यह वह कंडीशन है जो आगे चलकर डायबिटीज में बदल जाती है।
इसलिए रेगुलर अपने ब्लड शुगर लेवल की मॉनिटरिंग करना जरूरी है।
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इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या है?
इंसुलिन एक जरूरी हार्मोन है जिसे पैंक्रियाज (अग्न्याशय) आपके शरीर में रिलीज करता है। यह आपके ब्लड फ्लो में जरूरी न्यूट्रीशन को रेगुलेट करने में मदद करता है। इंसुलिन कोशिकाओं को ग्लूकोज एब्जॉर्ब करने और इस्तेमाल करने की अनुमति देता है। यह आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने में मदद करता है। कभी-कभी आपकी मांसपेशी,फैट और लीवर सेल्स इंसुलिन के लिए अच्छा रिएक्शन नहीं देती हैं। उन्हें एनर्जी के लिए आपके ब्लड से ग्लूकोज का इस्तेमाल करने में भी दिक्कत होती है। यह स्थिति इंसुलिन रेजिस्टेंस है।
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इंसुलिन रेजिस्टेंस- डायबिटीज डेवलप होने का खतरा
यह एक ऐसा फैक्टर है जो प्री-डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज और जेस्टेशनल डायबिटीज की ओर ले जाता है। कभी-कभी कोई पीड़ित बिना जानकारी के कई सालों तक इंसुलिन रेजिस्टेंस से पीड़ित हो सकता है। यह कंडीशन किसी भी लक्षण को ट्रिगर नहीं करती है। यदि आपको हाई-ब्लड शुगर लेवल, हाई-ट्राइग्लिसराइड्स और हाई-कोलेस्ट्रॉल लेवल हैं तो आपके डॉक्टर को इंसुलिन रेजिस्टेंस पर संदेह हो सकता है। इसलिए आप अपना ब्लड ग्लूकोज लेवल टेस्ट कराते रहें।
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इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण
इंसुलिन रेजिस्टेंस का सटीक कारण अभी भी नहीं पता है। व्यक्तियों में इंसुलिन रेजिस्टेंस होने के लिए कुछ रिस्क फैक्टर्स हैं। इनमें से कुछ फैक्टर नीचे दिए गए हैं-
- हाई-कैलोरी, हाई-कार्बोहाइड्रेट, और हाई-शुगर डाइट
- क्रोनिक डिजीज
- ओवरवेट
- बहुत कम या बिलकुल भी फिजिकल एक्टिविटी नहीं
- लंबे समय तक स्टेरॉयड की हाई-डोज लेना
इनके साथ-साथ कुछ दवाएं,हाई-इंसुलिन लेवल, लीवर और पैंक्रियाज में स्टोर फैट भी इंसुलिन रेजिस्टेंस डेवलप होने के कुछ कारण हैं।
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इंसुलिन रेजिस्टेंस के सिम्पटम्स (लक्षण)
जैसा कि ऊपर बताया गया है इंसुलिन रेजिस्टेंस वाले व्यक्ति को लंबे समय तक कोई सीरियस सिंपटम दिखाई नहीं दे सकते हैं। जब यह डायबिटीज में बदला जाता है तो उसमें लक्षण दिखाई दे सकते हैं। प्री-डायबिटीज से पीड़ित ज्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि उन्हें यह समस्या है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस कुछ ऐसे विजिबल कंडीशन को जन्म देता है-
- एकेंथोसिस नाइग्रिकन्स- यह एक नॉर्मल स्किन कंडीशन है, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस वाले लोगों में डेवलप होती है। आर्मपिट, कमर और गर्दन के पिछले हिस्से पर काले धब्बे बन जाते हैं।
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)- यदि आपको पीसीओएस है तो आपको पीरियड्स में दिक्कत और इनफर्टिलिटी (बांझपन) हो सकता है। पीसीओएस से पीड़ित लोगों में जब इंसुलिन रेजिस्टेंस हो जाता है तो उनके लिए ये काफी खराब कंडीशन हो जाती है।
यदि आपके ब्लड फ्लो में इंसुलिन लेवल हाई है,आपका वजन ज्यादा हैं, आपको बार-बार पेशाब जाना पड़ता हैं, या आपकी स्किन ड्राई है तो आपका डॉक्टर आपको इंसुलिन रेजिस्टेंस से डायग्नोस कर सकता है।
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इंसुलिन रेजिस्टेंस का निदान(डायग्नोसिस)
समरी
आपके शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस है या नहीं इसका पता लगाने के लिए आप हीमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट, फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट या रैंडम ग्लूकोज टेस्ट ले सकते हैं। इससे आपको सावधानी बरतने और लाइफस्टाइल में बदलाव करने में मदद मिलेगी। यह टाइप-2 डायबिटीज और उससे जुड़ी समस्याओं को होने से रोकता है।
आपकी इंसुलिन सेंसटिविटी डिसाइड करने के लिए कोई स्पेसिफिक टेस्ट नहीं है।
आपका डॉक्टर आपको प्री-डायबिटीज और डायबिटीज के लिए कुछ नीचे दिए गए टेस्ट कराने को कह सकता है-
- हीमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट- यह डायबिटीज के लिए एक सरल ब्लड टेस्ट है। यह टेस्ट आपको पिछले दो तीन महीनों में एवरेज ब्लड शुगर लेवल बताता है। यह टेस्ट आपके प्री-डायबिटीज और डायबिटीज का निदान करने के लिए ग्लाइकेटेड फॉर्म हीमोग्लोबिन को मापता है। जब आपके हीमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट की टेस्ट वैल्यू 4% और 5.6% के बीच होता है तो आप नॉर्मल रेंज में होते हैं। यदि आपके हीमोग्लोबिन ए1सी का लेवल 5.7% और 6.3% के बीच है तो आप इंसुलिन रेजिस्टेंस हैं। तब आपको डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा है।
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- फास्टिंग(उपवास) ग्लूकोज टेस्ट- फास्टिंग(उपवास) ब्लड ग्लूकोज टेस्ट भी प्री-डायबिटिक और डायबिटीज का पता करने के लिए एक ब्लड टेस्ट है। टेस्ट के सही रिजल्ट मिलने के लिए एक व्यक्ति को रात भर या कम से कम 8-10 घंटे का फास्टिंग(उपवास) करना होगा। नॉर्मल फास्टिंग(उपवास) ब्लड शुगर लेवल 70 मिलीग्राम/डीएल और 100 मिलीग्राम/डीएल के बीच होता है। यदि आपके ब्लड टेस्ट का रिजल्ट 101 मिलीग्राम/डीएल और 125 मिलीग्राम/डीएल के बीच है तो आपका शरीर इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है या आपको प्री-डायबिटीज है।
- रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट- आप दिन में किसी भी समय यह ब्लड टेस्ट करा सकते हैं। यह टेस्ट किसी व्यक्ति के ब्लड में सर्कुलेट होने वाली शुगर काउंट बताता है। यह तय करने के लिए कि क्या आपको प्री-डायबिटीज या डायबिटीज है डॉक्टर आपको यह टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं। 70 मिलीग्राम/डीएल और 150 मिलीग्राम/डीएल के बीच ब्लड शुगर टेस्ट का टेस्ट वैल्यू नॉर्मल है। यदि इस टेस्ट में आपका ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल से ज्यादा है, तो आपका शरीर इंसुलिन रेजिस्टेंस है। साथ ही आपके शरीर में प्री-डायबिटीज या डायबिटीज डेवलप होने के चांस हैं।
इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा पाने के तरीके
समरी
अपने कार्ब्स और शुगर कम करें, पानी और फाइबर वाले फूड ज्यादा लें, पर्याप्त नींद लें, रेगुलर एक्सरसाइज करें, वेट मैनेजमेंट, रुक-रुक कर फास्टिंग(उपवास) करना और सैचुरेटेड फैट से परहेज करना ऐसे तरीके हैं जो आपको इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं। एक बार जब आपका शरीर इंसुलिन के प्रति सेंसटिव हो जाता है, तो आप टाइप-2 डायबिटीज और उसके बाद होने वाली बीमारियों को बढ़ने से रोक सकते हैं। आपको अपनी इंसुलिन सेंसटिविटी को बेहतर बनाने के लिए इन रणनीतियों को सही तरीके से लागू करना होगा। इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा पाने के कुछ अनोखे तरीके हैं-
- कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल कम करें- बहुत ज्यादा सिंपल कार्बोहाइड्रेट लेने से आपके शरीर में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है। आपका शरीर सरल कार्बोहाइड्रेट के टूटने के कारण बनने वाले ग्लूकोज की बड़ी मात्रा को स्टोर नहीं कर पाता है। आपके शरीर द्वारा एक्स्ट्रा ग्लूकोज का इस्तेमाल ना कर पाने से इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है।
इसलिए इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने के लिए कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन का इस्तेमाल कम करें।
- शुगर का सेवन कम करें- इंसुलिन रेजिस्टेंस या प्री-डायबिटिक जैसी किसी भी इंसुलिन-आधारित स्थिति का मुख्य कारण शुगर है। शुगर ज्यादा इस्तेमाल करने से ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है। यह आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए ज्यादा इंसुलिन का प्रोडक्शन करने की मांग को बढ़ाता है जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है। इसलिए आपको मीठा कम से कम खाना चाहिए।
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- अपनी नींद के पैटर्न में सुधार करें– नींद की कमी से कोर्टिसोल और अन्य हार्मोन जैसे थायराइड और टेस्टोस्टेरोन बढ़ जाते हैं। यह आपके शरीर की कोशिकाओं(सेल्स) को इंसुलिन रेजिस्टेंस बनाता है और ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाता है। इसलिए इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार के लिए लगभग 7-8 घंटे की पर्याप्त और अच्छी नींद लें।
- तनाव को अपने जीवन से दूर रखें- तनाव से लड़ने और दूर करने के लिए आपके शरीर को ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है। जब आप स्ट्रेस में होते हैं तो आपका अग्न्याशय शरीर की ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए ज्यादा काम करता है और थक जाता है। यह ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस को एक्टिव करता है। इसलिए आपको स्ट्रेस फ्री रहने की कोशिश करनी चाहिए। ज़्यादा न सोचें, पॉजिटिव रहें, मेडिटेशन, योग आदि जैसी तकनीकों को आज़माएँ और उस स्थिति के साथ तालमेल बिठाएँ जिसे आप बदल नहीं सकते।
- नियमित एक्सरसाइज करें- एक्सरसाइज आपके शरीर को फिट और हेल्दी रखने का सबसे अच्छा तरीका है। जब ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने या इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार करने की बात आती है तो एक्सरसाइज सबसे जरूरी है। आप अपनी फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ाने के लिए पैदल चल सकते हैं, साइकिल चला सकते हैं, तैर सकते हैं, लो-इंटेंसिटी वाले एक्सरसाइज कर सकते हैं। आप अपने शरीर को फ्लेक्सिबल रखने के लिए डांस भी कर सकते हैं।
- हाई-फाइबर डाइट- जिनमें फाइबर नहीं होता है वे ग्लूकोज रिलीज करते हैं। इसलिए आपका शरीर ग्लूकोज एबजॉरबेशन रेट में तेजी चाहता है। यह अग्न्याशय पर ज्यादा इंसुलिन प्रोड्यूज करने के लिए दबाव डालता है जो अंत में इंसुलिन इंसेंसटिविटी को बढ़ाता है। फाइबर वाले भोजन खाने से आपकी इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार करने में मदद मिलती है। हाई फाइबर वाला भोजन आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकता है।
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- खूब पानी पियें– आपके शरीर से एक्स्ट्रा टॉक्सिन को बाहर निकालने के लिए आपके शरीर को पानी की जरूरत होती है। टॉक्सिन के साथ-साथ आपका शरीर एक्स्ट्रा ब्लड ग्लूकोज को भी बाहर निकाल देता है। यह ज्यादा इंसुलिन के प्रोडक्शन के लिए अग्न्याशय पर पड़ने वाले बोझ को कम करता है। इसलिए इंसुलिन रेजिस्टेंस को रोकने के लिए दिन में खूब पानी पिएं। एक एडल्ट को हर दिन कम से कम 3 लीटर पानी पीना चाहिए।
- अपना वजन कम करें- जब आपका शरीर ग्लूकोज का इस्तेमाल नहीं कर पाता है तो एक्स्ट्रा ग्लूकोज को एनर्जी के लिए खर्च करने के बजाय फैट के रूप में स्टोर करता है। यह आपके शरीर को इंसुलिन रेजिस्टेंट बनाता है और आपके शरीर का वजन बढ़ाता है। जब आप इंसुलिन रेजिस्टेंट होते हैं तो आपका मेटाबॉलिज्म एनर्जी के लिए कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल करता है। इसलिए आपका शरीर ज्यादा शुगर चाहता है जिस कारण आपका वजन बढ़ता है। इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार के लिए आपको वजन कम करने की जरूरत है।
- रुक-रुक कर फास्टिंग(उपवास)- रुक-रुक कर फास्टिंग(उपवास) करना इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा पाने का एक और तरीका है। यह सरल है और इसको फॉलो करना आसान है। आप रात भर की फास्टिंग(उपवास) से शुरुआत कर सकते हैं और फिर अपने नाश्ते में समय ले सकते हैं। जब आप उपवास करते हैं तो इंसुलिन का लेवल नाटकीय रूप से गिर जाता है और इस प्रकार आपकी इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार होता है।
- सैचुरेटेड फैट से बचें- सैचुरेटेड फैट आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड शुगर लेवल दोनों को बढ़ाती है। ये हेल्दी नहीं हैं।अनसैचुरेटेड फैट का इस्तेमाल। अनसैचुरेटेड फैट तेल, नट्स और सीड्स में मौजूद होती है। अपने भोजन को हमेशा अनसैचुरेटेड फैट में पकाएं और इसमें चिया बीज, अखरोट, सूरजमुखी के बीज आदि शामिल करें। यह आपके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है और इंसुलिन सेंसटिविटी को कम करने में मदद करता है।
ऐसे सुपरफूड जो आपके इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं-
सारांश
प्रकृति(नेचर) ने हम इंसानों को ऐसी चीजें की सौगात दी है जिनमें बीमारियों के इलाज करने के गुण हैं। ऐसी ही कुछ चीजों में से लहसुन, अदरक, एप्पल साइडर विनेगर, दालचीनी और हल्दी हैं। ये वस्तुएं इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा दिलाने और ओवरऑल हेल्थ में सुधार करने में मदद करती हैं। अपने शरीर पर इनका प्रभाव देखने के लिए इन वस्तुओं को रेगुलर थोड़ी सी मात्रा में लें।
जब आप हेल्दी लाइफस्टाइल की आदत बनाते हैं, रोजाना एक्सरसाइज करते हैं और बेहतर खाना शुरू करते हैं, तब आप इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा पा सकते हैं।
यहां कुछ सुपरफूड की लिस्ट दी गई है जो स्वाभाविक रूप से आपकी इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं-
लहसुन(गार्लिक)- लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो आपके शरीर में इंसुलिन सिक्रेशन को बढ़ावा देते हैं। इसलिए यह आपके इंसुलिन रेजिस्टेंस से आजादी दिला सकता है। शरीर की इंसुलिन सेंसटिविटी को बनाए रखने के लिए अपने भोजन में हर दिन कम से कम 3 से 4 लहसुन की कलियाँ शामिल करने की कोशिश करें।
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अदरक- अदरक का अर्क आपके शरीर में सेरोटोनिन रिसेप्टर्स के साथ इंटरैक्ट करता है। ये रिसेप्टर्स आपके शरीर में इंसुलिन प्रोडक्शन को अनियमित करने में सक्षम हैं। इसलिए आपका शरीर आपके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए ज्यादा इंसुलिन सेंसटिव हो जाता है।
सेब का सिरका- सेब के सिरके का मुख्य इंग्रिडेंट सिरका(विनेगर) है। यह ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है और इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाता है। यह पेट से आंतों तक भोजन रिलीज करने में देरी करता है। जिससे शरीर को ब्लड फ्लो में ग्लूकोज को एब्जॉर्ब करने के लिए ज्यादा समय मिलता है और इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार होता है।
दालचीनी- यह एक मसाला है जो इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार करने में मदद करता है। यह शरीर की कोशिकाओं तक ग्लूकोज के ट्रांसपोर्टेशन में मदद करता है। यह इंसुलिन रेजिस्टेंस को रोकने के लिए आपके ब्लड फ्लो में शुगर की मात्रा को बढ़ाता है।
हल्दी- यह एक ऐसा मसाला है जिसमें करक्यूमिन मिलता है जो इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप -2 डायबिटीज के इलाज में मदद करता है। यह डायबिटीज और वजन बढ़ने से जुड़ी और भी समस्याओं का इलाज करता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस के लिए इलाज
डायबिटीज के लिए दो दवाएं कॉमन हैं जो इंसुलिन रेजिस्टेंस के इलाज में सहायक हैं। टैब मेटफॉर्मिन 500एमजी इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार करने वाली दवाओं में से एक है। यह ग्लूकोज के प्रोडक्शन को कम करती है और इंसुलिन सेंसटिविटी को बढ़ाती है। पियोग्लिटाज़ोन एक और दवा है जो इसे छुटकारा दिलाने में मदद करती है। ये दवाएं न केवल इंसुलिन रेजिस्टेंस से आजादी दिलाती हैं बल्कि टाइप-2 डायबिटीज में भी काफी फायदेमंद हैं। हालाँकि, आपको इन दवाओं को अपने डॉक्टर से सलाह के बाद ही लेना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
इंसुलिन सेंसटिविटी कैसे टाइप-2 डायबिटीज बन जाती है?
प्री-डायबिटिक व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल लेवल से थोड़ा ज्यादा होता है। जिस वजह से ऐसे व्यक्ति का अग्न्याशय ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन जारी करने में ज्यादा मेहनत करता है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो अग्न्याशय की इंसुलिन जारी करने की क्षमता कम हो जाती है। इससे टाइप-2 डायबिटीज होता है।
क्या ऐसे कोई सप्लीमेंट हैं जो इंसुलिन रेजिस्टेंस सही करने में मदद करते हैं?
ऐसे कई सप्लीमेंट हैं जो इंसुलिन रेजिस्टेंस को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। कुछ स्ट्डीज हैं जो साबित करती हैं कि क्रोमियम, बर्बेरिन, मैग्नीशियम और रेस्वेराट्रोल बढ़िया सप्लीमेंट हैं। ये ब्लड शुगर लेवल को कम करने और इंसुलिन सेंसटिविटी को बढ़ाने के लिए इंसुलिन रिसेप्टर्स की क्षमता में सुधार करते हैं। ये सप्लीमेंट नैचुरल तरीके से पाए जाते हैं। आपको इन सप्लीमेंट्स को सीमित मात्रा में लेने की जरूरत है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा पाने में कितना समय लगता है?
एक बार जब आप हेल्दी फैट और कम कार्बोहाइड्रेट वाला डाइट लेना शुरू कर देते हैं और अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करते हैं तो इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा पाने में कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक का समय लग सकता है। शुरुआत में 36 घंटे से 3 दिन तक का लंबा फास्टिंग(उपवास) इंसुलिन रेजिस्टेंस से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
मैं इंसुलिन रेजिस्टेंस को कैसे रोक सकता हूं?
इंसुलिन रेजिस्टेंस को रोकना संभव नहीं है। लेकिन आप उन रिस्क फैक्टर्स को एडजस्ट कर सकते हैं जो इंसुलिन रेजिस्टेंस के लिए जिम्मेदार हैं। आप एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपना सकते हैं, रेगुलर रूप से एक्सरसाइज कर सकते हैं, अपना वजन कंट्रोल रख सकते हैं। हाई-कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट वाले खाने से बच सकते हैं। डायबिटीज अनुवांशिक भी होता है अगर आपके परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो आपको प्री-डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज के लिए ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।
मुझे कैसे पता चलेगा कि मैं इंसुलिन रेजिस्टेंस से पीड़ित हूं?
बहुत से लोग अपने शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस के बारे में कई सालों तक अनजान रह सकते हैं। यदि आपमें कोई लक्षण दिखाई दे रहा है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करने की ज़रूरत है। कुछ लक्षण में हाई-ब्लड प्रेशर, फास्टिंग(उपवास) ग्लूकोज लेवल, ट्राइग्लिसराइड लेवल और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवल शामिल हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस ज्यादा होने पर कुछ पीड़ितों में पैची स्किन भी हो जाता है।
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