आयुर्वेद में शुगर (डायबिटीज) को शुगर कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लड में ग्लूकोज (शुगर) का स्तर बहुत अधिक होता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो शरीर को ग्लूकोज का उपयोग करने में मदद करता है। जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं करता है, तो शुगर हो जाता है। आयुर्वेद में शुगर के इलाज के लिए कई जड़ी-बूटियों और दवाओं का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ जड़ी-बूटियां इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं, जबकि अन्य शरीर को इंसुलिन का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद कर सकती हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रभावित लोग का व्यक्तिगत इतिहास लेते हैं और उसकी प्रकृति के अनुसार औषधि, आहार, और विचार देते हैं। इसे इंसुलिन बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। इंसुलिन बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा का उपयोग शुगर के इलाज में किया जाता है। यह दवा आयुर्वेद में विशेष रूप से शुगर नियंत्रण के लिए उपयोग की जाती है। इसमें विभिन्न प्राकृतिक तत्वों का मिश्रण होता है जो शुगर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। इस आयुर्वेदिक दवा का मुख्य उद्देश्य इंसुलिन की उत्पत्ति को बढ़ाना होता है। इंसुलिन शरीर के खाने को एनर्जी में परिवर्तित करने में मदद करता है और शुगर के प्रभावित लोग के ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह दवा अनुकूल भोजन, योग और ध्यान के साथ सेवन किया जाता है ताकि प्रभावित लोग की स्थिति में सुधार हो सके। इस आयुर्वेदिक दवा में कई प्राकृतिक सामग्रीयां होती हैं जैसे कि जम्बू, करेला, गुड़मार, त्रिकटु, तुलसी, आमला, गिलोय आदि। ये सामग्रीयां शुगर के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं और इंसुलिन के स्तर को संतुलित रखने में सहायक होती हैं। इसके अलावा, ये आयुर्वेदिक दवा शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने में भी सहायक होती हैं जिससे प्रभावित लोग का सामान्य जीवन उत्तम हो सके।
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इंसुलिन बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवाएं
शुगर, जिसे आयुर्वेद में शुगरा भी कहा जाता है, एक पुरानी बीमारी है जो ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में, शुगर को वात, पित्त और कफ के असंतुलन के कारण माना जाता है। आयुर्वेद में शुगर के इलाज के लिए कई जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है, यह जड़ी-बूटियों के द्वारा इंसुलिन बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवाएं बनाने भी मदद करती है । आयुर्वेदिक इलाज में कई जड़ी-बूटियां डायबिटीज़ को मैनेज करने में मदद कर सकती हैं। ऐसी ही कुछ जड़ी-बूटियों की जानकारी नीचे दी गई है:
गिलोय :
गिलोय एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है और शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
मेथी :
मेथी ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है और शुगर के लक्षणों को कम करती है। यह पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है और कब्ज से राहत देता है।
नीम :
नीम शुगर के इलाज में एक प्रभावी जड़ी-बूटी है। यह ब्लड शुगर के लेवल को कम करने, मूत्र में शुगर की मात्रा को कम करने और शुगर के जटिलताओं को रोकने में मदद करता है।
तुलसी :
तुलसी एक एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी जड़ी-बूटी है जो ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने और शुगर के लक्षणों को कम करने में मदद करती है। यह शरीर को संक्रमण से लड़ने में भी मदद करता है।
दालशुगर:
दालशुगर ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है और शुगर के लक्षणों को कम करती है। यह इंसुलिन प्रतिरोध को भी कम करता है और शुगर के जटिलताओं को रोकने में मदद करता है।
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जामुन :
जामुन ब्लड शुगर के लेवल को कम करने और शुगर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यह मूत्र में शुगर की मात्रा को भी कम करता है और शुगर के जटिलताओं को रोकने में मदद करता है।
अश्वगंधा :
अश्वगंधा एक एंटीऑक्सीडेंट और अडैप्टोजेनिक (adaptogenic) जड़ी-बूटी है जो ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने और शुगर के लक्षणों को कम करने में मदद करती है। यह तनाव को कम करने और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में भी मदद करता है।
करेला :
करेला ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद करता है और शुगर के लक्षणों को कम करता है। यह इंसुलिन प्रतिरोध को भी कम करता है और शुगर के जटिलताओं को रोकने में मदद करता है।
हल्दी :
हल्दी एक एंटीऑक्सीडेंट और विरोधी भड़काऊ जड़ी-बूटी है जो ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने और शुगर के लक्षणों को कम करने में मदद करती है। यह शुगर के जटिलताओं को रोकने में भी मदद करता है।
अदरक :
अदरक ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने और शुगर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यह पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है और कब्ज से राहत देता है।
आंवला :
आंवला, जिसे भारतीय आंवला भी कहा जाता है, एक ताकतवर आयुर्वेदिक जड़ी है। यह विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो डायबिटीज़ को ठीक करने और नियंत्रित रखने में मदद करता है। आंवला क्रोमियम से भी भरपूर होता है। यह मिनरल कार्बोहाइड्रेट को सही तरीके से पचाने में मदद करता है। क्रोमियम शरीर को इंसुलिन के प्रति प्रतिक्रिया करने में भी सक्षम बनाता है, जिससे ब्लड शुगर को नियंत्रित रखा जा सकता है। आंवला में कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे मिनरल भी पाए जाते हैं। ये शरीर को इंसुलिन को सोखने और ब्लड शुगर लेवल को नियमित करने में मदद करते हैं।
त्रिफला :
त्रिफला एक चूर्ण है जो तीन चीजों – हरितकी, आंवला और बहेड़ा को मिलाकर बनाया जाता है। त्रिफला के इस्तेमाल का जिक्र सुश्रुत संहिता में भी मिलता है, जो 1500 ईसा पूर्व का ग्रंथ है। कब्ज दूर करने और आंतों को स्वस्थ रखने के अलावा, यह खून में शुगर का संतुलन बनाए रखने के लिए भी एक आयुर्वेदिक दवा के रूप में काम करती है। चूंकि त्रिफला एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, यह शरीर के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकता है। अगर आपको त्रिफला चूर्ण का स्वाद पसंद नहीं है, तो आप त्रिफला की गोलियां भी ले सकते हैं।
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घर पर आयुर्वेद से इन्सुलिन का उत्पादन
आपके शरीर में प्राकृतिक रूप से इंसुलिन बनाने में आयुर्वेद कई तरीकों से मदद करता है। ये तरीके ऐसी चीज़ों और आदतों का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आसानी से शामिल कर सकते हैं। इनका मकसद आपकी सेहत को अच्छा रखना, शरीर के दोषों (ऊर्जा) को संतुलित करना और पाचन और मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त बनाना है। आयुर्वेद में इंसुलिन को बढ़ाने के कुछ आसान नुस्खे ये हैं:
खानपान में बदलाव:
आयुर्वेद संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए, खासकर सही मात्रा में इंसुलिन बनाने के लिए, संतुलित आहार पर ज़ोर देता है। ताज़े फल और सब्ज़ियां, साबुत अनाज, कम चर्बी वाला प्रोटीन और हेल्दी फैट जैसे पोषण और एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर आहार लें। पैकेटबंद खाने, मीठे नाश्ते और ज़्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट खाने से बचें, क्योंकि ये इंसुलिन रेज़िस्टेंस ( शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का सही इस्तेमाल ना कर पाना) का कारण बन सकते हैं।
कड़वे पदार्थ:
अपने आहार में कड़वे चीज़ों को शामिल करें, क्योंकि माना जाता है कि ये अग्नाशय को सक्रिय करती हैं और इंसुलिन बनाने में मदद करती हैं। करेला, मेथी दाना, नीम की पत्तियां और करेले जैसी चीज़ें कड़वी होती हैं। आप इन्हें भोजन के साथ खा सकते हैं या फिर इनकी चाय या जूस बनाकर पी सकते हैं।
जड़ी-बूटियां:
आयुर्वेद में सदियों से अग्नाशय के स्वास्थ्य और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। इंसुलिन बनाने में मददगार कुछ जानी-मानी जड़ी-बूटियां हैं गिलोय (gurmar), आंवला (amla), हल्दी (turmeric), दालचीनी (cinnamon) और तुलसी (holy basil)। इन जड़ी-बूटियों को कैप्सूल, पाउडर या चाय के रूप में लिया जा सकता है, लेकिन लेने से पहले किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें।
जीवनशैली:
अच्छी जीवनशैली अपनाना इंसुलिन को ठीक से बनाने के लिए बहुत ज़रूरी है। नियमित व्यायाम, जैसे पैदल चलना, योग या बागवानी करना, शरीर के संचार, मेटाबॉलिज्म और पूरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। गहरी सांस लेने, ध्यान करने या प्रकृति में समय बिताने जैसे तरीकों से तनाव को कम करें, क्योंकि तनाव इंसुलिन की संवेदनशीलता को कम कर सकता है।
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आयुर्वेदिक चिकित्सा:
कुछ खास आयुर्वेदिक इलाज इंसुलिन बनाने में मदद कर सकते हैं और शरीर के क्रिया को बेहतर बना सकते हैं। पंचकर्म, जो शरीर के विषाक्त पदार्थों को निकालने का उपचार है, अग्नाशय को स्वस्थ बनाता है।
स्वस्थ वजन बनाए रखें:
इंसुलिन को ठीक से बनने और शरीर की संवेदनशीलता के लिए वजन का संतुलित होना ज़रूरी है। आयुर्वेद संतुलित आहार और जीवनशैली की आदतों को अपनाने की सलाह देता है, जिससे वज़न धीरे-धीरे और स्थायी रूप से कम हो सके। क्रैश डाइट या बहुत ज़्यादा उपवास करने से बचें, क्योंकि ये मेटाबॉलिज्म को बिगाड़ सकते हैं और इंसुलिन के स्तर में असंतुलन पैदा कर सकते हैं।
यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि आयुर्वेदिक इलाज शुगर को कंट्रोल करने और इंसुलिन बनाने में मददगार हो सकते हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल पूरे शरीर के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर आयुर्वेद के पूरे तरीके से करना चाहिए। कोई भी नई जड़ी-बूटी या इलाज शुरू करने से पहले, खासकर अगर आपको कोई बीमारी पहले से है या आप दवाइयां ले रहे हैं, तो किसी योग्य आयुर्वेदिक डॉक्टर या अपने डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें। सही सलाह और आयुर्वेद के नियमों को अपनाने से आप प्राकृतिक रूप से इंसुलिन बनाने में मदद कर सकते हैं और अपने पूरे स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
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निष्कर्ष
इस दवा का सेवन करते समय ध्यान देने योग्य बातें हैं। पहले तो, यह दवा केवल विशेषज्ञ की सलाह पर ही लेनी चाहिए। दूसरे, इसे नियमित रूप से और निर्धारित मात्रा में ही लेना चाहिए। तीसरे, सेवन के बाद कोई तत्काल परिणाम नहीं मिले तो धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि इसके प्रभाव को दिखने में समय लग सकता है। चौथी, इसके साथ सेवन करने के साथ-साथ नियमित व्यायाम करना भी जरूरी है।
साथ ही, ध्यान देने वाली बात यह है कि इसे केवल बुजुर्गों या बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि हर वयस्क व्यक्ति को भी इसका उपयोग कर सकते हैं, जो शुगर से पीड़ित हैं। यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्प हो सकता है जो लंबे समय तक उपयोग किया जा सकता है और उसे आराम और सही सम्पूर्ण सेहत प्राप्त करने में मदद कर सकता है। अखिर में, इस आयुर्वेदिक दवा का उपयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर लेना चाहिए। यह दवा अनुभवी और प्रशिक्षित वैद्य द्वारा सलाहित की जाती है, ताकि प्रभावित लोग को सही मात्रा और सही तरीके से इसका उपयोग करने में मदद मिल सके और वह स्वस्थ जीवन जी सके।
जीवनशैली में बदलाव भी शुगर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुगर को नियंत्रित करना एक चुनौती हो सकती है, लेकिन यह असंभव नहीं है। इंसुलिन से मौत तब हो सकती है जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक इंसुलिन लेता है। इससे रक्त में शुगर का स्तर बहुत कम हो सकता है, जिससे मस्तिष्क को नुकसान हो सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। इंसुलिन बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवाओं, स्वस्थ जीवनशैली और नियमित चिकित्सा देखभाल के साथ, आप शुगर को नियंत्रित कर सकते हैं और एक लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और दवाएं रक्त शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं, जिससे इंसुलिन के स्तर में भी सुधार हो सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन दवाओं का प्रभाव सभी पर समान नहीं होता है और इन्हें डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए।
आयुर्वेदिक दवाएं शुगर का पूर्ण इलाज नहीं कर सकती हैं, लेकिन वे रक्त शुगर के स्तर को नियंत्रित करने और शुगर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
इंसुलिन बढ़ाने में आम आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में करेला, मेथी बीज, आंवला, हल्दी, दालचीनी, और तुलसी शामिल हैं। ये जड़ी-बूटियाँ इंसुलिन के उत्सर्जन को प्रोत्साहित करने और ग्लूकोज मेटाबोलिज़्म को सुधारने में मदद करने के लिए मानी जाती हैं।
आयुर्वेद में इंसुलिन बढ़ाने के लिए संतुलित आहार का सुझाव दिया जाता है जिसमें ताजा फल और सब्जियाँ, पूरे अनाज, कम वसा वाले प्रोटीन, और स्वस्थ तेल शामिल होते हैं। कड़वे स्वाद वाले खाद्य पदार्थ, जैसे करेला और मेथी, इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाने में विशेष रूप से उपयोगी होते हैं।
आयुर्वेद में इंसुलिन बढ़ाने के लिए स्वस्थ जीवनशैली के कुछ सुझाव हैं जैसे नियमित शारीरिक गतिविधि में भाग लेना, ध्यान तकनीकों के माध्यम से तनाव को नियंत्रित करना, स्वस्थ वजन बनाए रखना, और एक स्थिर दैनिक दिनचर्या का पालन करना।
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