हम ऐसे समय में हैं जहां हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज है हमारी हेल्थ(स्वास्थ)। इसी बीच हाई-ब्लड शुगर(हाइपरग्लाइसेमिया) जो मधुमेह(शुगर) से संबंधित समस्या है हमारे सामने आ खड़ी हुई है। हाई-ब्लड शुगर(हाइपरग्लाइसेमिया) एक मेडिकल टर्म है जिसका उपयोग ग्लूकोज लेवल ज्यादा होने के लिए किया जाता है। यह तो हम जानते ही हैं कि खून(ब्लड) में ग्लूकोज होता है, लेकिन जब इसका लेवल सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है तो इसे हाई ब्लड शुगर यानी हाइपरग्लाइसेमिया नाम से जाना जाता है।
इस ब्लॉग का उद्देश्य हाई-ब्लड शुगर पर प्रकाश डालना, इसके कारणों, लक्षणों, जटिलताओं, हाई-ब्लड शुगर मैनेजमेंट और उपचार पर प्रकाश डालना है। चाहे आप खुद इस समस्या से छुटकारा चाहते हैं या किसी अपने प्रियजन के लिए जानकारी की तलाश कर रहे हैं हाई-ब्लड शुगर की जटिलताओं को समझने और और खुद को स्वस्थ रखने के लिए इस ब्लॉग को ध्यानपूर्वक और पूरा पढ़ें।
हाई-ब्लड शुगर क्या है
इंटरनेट पर इस बात को लेकर काफी चर्चा है कि हाई-ब्लड शुगर क्या है? तो आइए सरल शब्दों में इसको समझते हैं। हाई-ब्लड शुगर की सरल परिभाषा यह है कि जब आपके ब्लड शुगर का लेवल बहुत ज्यादा हो जाता है। हाई-ब्लड शुगर होने का मतलब है कि आपको पहले से ही मधुमेह हो सकता है। शुगर के मरीजों में यह तब होता है जब उनका शरीर शुगर को ठीक से संभाल नहीं पाता है। आपके द्वारा खाया जाने वाला खाना और बिना किसी फिजिकल एक्टिविटी के कारण ये समस्या हो सकती है। डायबिटीज की दवा या इंसुलिन समय पर न लेना या उन्हें छोड़ना भी हाई-ब्लड शुगर का कारण बन सकता है।
यदि हाई-ब्लड शुगर पर लंबे समय तक ध्यान नहीं दिया जाता है तो यह नसों, ब्लड वेसल्स(रक्त वाहिकाओं) आदि को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। हाई-ब्लड शुगर लेवल से कोमा और शुगर से जुड़ी केटोएसिडोसिस जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है। इनका खतरा उन शुगर के मरीजों को ज्यादा होता है जो इंसुलिन ले रहे हैं या ऐसे लोग जिनमें टाइप 1 शुगर का पता नहीं चलता।
हाई-ब्लड शुगर की रेंज
टाइप 2 मधुमेह के मरीजों में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है। वे हाई-ब्लड शुगर रेंज में आसानी से चले जाते हैं। तीन परीक्षण(टेस्ट) से हाई-ब्लड शुगर लेवल का पता चलता है, जो इस प्रकार हैं-
- फास्टिंग(उपवास) हाई-ब्लड शुगर– शुगर के मरीजों के लिए 125-130 मिलीग्राम/डीएल से ज्यादा का फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल हाई-ब्लड शुगर(हाइपरग्लाइसेमिया) में आता है।
- पोस्टप्रैंडियल(खाने के बाद) हाई-ब्लड शुगर- पोस्टप्रैंडियल हाई-ब्लड शुगर परीक्षण आपके भोजन के 2-3 घंटे बाद किया जाता है। यदि ब्लड ग्लूकोज 180 मिलीग्राम/डीएल से ज्यादा है तो इसे हाई-ब्लड शुगर माना जाता है।
- HbA1c परीक्षण- HbA1c पिछले 2-3 महीनों में औसत ब्लड शुगर लेवल बताता है। शुगर के मरीजों में हाई-ब्लड शुगर की वजह से सामान्य HbA1c का स्तर 6.4% से ऊपर होता है। इसलिए डॉक्टर हाई-ब्लड शुगर वाले लोगों को HbA1c को 7% के आसपास रखने की सलाह देते हैं।
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हाई-ब्लड शुगर के लक्षण
हाई-ब्लड शुगर(हाइपरग्लाइसेमिया) के लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते जब तक आपका ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा नहीं बढ़ जाता। जब ब्लड शुगर लेवल 200-250 mg/dL से ऊपर होता है तब ये लक्षण दिखाई देते हैं।
हाई-ब्लड शुगर के संकेत और लक्षणों में शामिल हैं-
- पॉलीडिप्सिया(ज्यादा प्यास लगना)- हाई ब्लड शुगर आपके शरीर से बार-बार पेशाब के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है,जिससे प्यास बढ़ सकती है।
- पॉलीयूरिया(बार-बार पेशाब लगना)- उच्चहाई ब्लड शुगर लेवल किडनी के काम को कठिन बना देता है। ग्लूकोज बढ़ जाने के कारण बार-बार पेशाब लग सकती है।
- थकान और कमजोरी- कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए जरूरी ग्लूकोज नहीं मिल पाता है। ऐसा इंसुलिन रेजिस्टेंस या पर्याप्त इंसुलिन न होने के कारण होता है। हाई-ब्लड शुगर से थकान और चक्कर आने की संभावना होती है।
- ब्लर विजन (धुंधली दृष्टि)- हाई-ब्लड शुगर आपकी आंख को कुछ नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे अस्थायी धुंधलापन हो सकता है।
- पॉलीफैगिया(ज्यादा भूख लगना)- हाई-ब्लड शुगर के कारण शरीर को ऊर्जा की जरूरत हो सकती हैं, जिससे भूख बढ़ सकती है।
लॉन्ग-टर्म में हाई-ब्लड शुगर के लक्षण
हाई-ब्लड शुगर के कुछ लक्षण जिन्हें आप लंबे समय तक महसूस कर सकते हैं
- धीमी गति से घाव भरना– हाई-ब्लड शुगर शरीर के घावों और चोटों को ठीक करने की क्षमता को ख़राब कर सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और घाव भरने में देरी होती है।
- बार-बार होने वाला इंफेक्शन– हाई-ब्लड शुगर इम्यूनिटी सिस्टम(प्रतिरक्षा प्रणाली) को कमजोर कर देती है, जिससे यूरिन इंफेक्शन और त्वचा संक्रमण हो सकता है।
- वजन घटना– कुछ मामलों में हाई-ब्लड शुगर की वजह से वजन घट सकता है। हाई-ब्लड शुगर के कारण शरीर अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए मांसपेशी फैट को तोड़ना शुरू कर देती हैं।
- झुनझुनी या सुन्नता– हाई ब्लड शुगर समय के साथ नसों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे डायबिटीज न्यूरोपैथी की समस्या हो सकती है। इसमें हाथ-पांव में झुनझुनी, सुन्नता या दर्द हो सकता है।
- चिड़चिड़ापन– ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव मूड को प्रभावित कर सकता है, जिससे चिड़चिड़ापन और मूड में बदलाव हो सकता है।
ब्लड शुगर लेवल जिस पर मरीज़ इन संकेतों और लक्षणों का अनुभव करते हैं, अलग-अलग हो सकते हैं। इसलिए शुरुआती दौर में ही इन संकेतों पर ध्यान दें।
गर्भावस्था में भी आपको हाई-ब्लड शुगर के कुछ संकेत मिल सकते हैं। यदि हाई-ब्लड शुगर पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो यह शुगर से जुड़े कीटोएसिडोसिस में बदल सकता है। इसमें इंसुलिन न होने और कीटोन्स की ज्यादा मात्रा के कारण ब्लड अम्लीय(एसिडिक) हो जाता है। यह आगे चलकर कोमा या मृत्यु का कारण बन सकता है।
हाई-ब्लड शुगर के कारण
हाई-ब्लड शुगर हमारे शरीर में इंसुलिन की कमी के कारण होता है। पैंक्रियाज(अग्न्याशय) इंसुलिन उत्पादन के लिए जिम्मेदार है, लेकिन हाई-ब्लड शुगर में योगदान देने वाले अन्य कारक भी हैं। ज्यादा कोर्टिसोल जिसे तनाव हार्मोन और ग्रोथ हार्मोन के रूप में भी जाना जाता है भी हाई ब्लड ग्लूकोज का कारण हो सकता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस
हाई-ब्लड शुगर के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस बनता है। कमजोर इंसुलिन सेंसटिविटी इंसुलिन रेजिस्टेंस का दूसरा नाम है। जब मांसपेशियां, अंग और फैट इंसुलिन के प्रति कम क्रियाशील होते हैं तब यह समस्या होती है। इंसुलिन रेजिस्टेंस होने पर आपके शरीर को ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए ज्यादा इंसुलिन की जरूरत होती है। पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन न होने से हाई-ब्लड शुगर हो सकता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस टाइप 2 शुगर का प्राथमिक कारण है यहां तक कि बिना मधुमेह के भी हाई-ब्लड शुगर हो सकता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस अस्थायी या स्थायी दोनो रूप से हो सकता है।
इंसुलिन रेजिस्टेंस होने के कुछ सामान्य कारण-
- मोटापा
- शारीरिक कसरत कम या बिल्कुल न होना
- सिंपल कार्ब्स, ट्रांस फैट, शुगर से भरपूर चीजों का सेवन।
- ब्लड प्रेशर की कुछ दवाएं, एचआईवी उपचार, और कुछ साइकेट्रिक(मानसिक रोग) से जुड़ी दवाएँ।
कुछ हार्मोन से जुड़ी बीमारियाँ भी इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण हो सकती हैं और ब्लड शुगर को हाई लेवल तक पहुंचा सकती हैं। इसमे शामिल है-
- ज्यादा कोर्टिसोल
- प्रेगनेंसी
- ग्रोथ सिंड्रोम या एक्रोमेगाली
- जेस्टेशनल डायबिटीज़
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पैंक्रियाज(अग्न्याशय)
अग्न्याशय के सही से काम न करने की वजह से इंसुलिन का उत्पादन कम या बिल्कुल भी नहीं होता है, जिससे हाई-ब्लड शुगर हो सकता है।
पैंक्रियाज(अग्न्याशय) में निम्न समस्याएं हो सकती हैं-
- क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस– इसमें पैंक्रियाज में सूजन हो जाती है, जो इंसुलिन रिलीज करने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है। पैंक्रियाज(अग्न्याशय) से इंसुलिन रिलीज न होने की वजह से हाई-ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है।
- पैंक्रियाज कैंसर– अग्न्याशय कैंसर इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। अग्न्याशय कैंसर के 25%-30% से ज्यादा मरीजों में कैंसर का पता चलने से पहले ही उनमें हाई-ब्लड शुगर का पता चल जाता है।
- ऑटोइम्यून सिंड्रोम– यह टाइप 1 मधुमेह के मरीजों में होता है। इसमें इम्युनिटी सिस्टम(प्रतिरक्षा प्रणाली) इंसुलिन रिलीज करने वाली कोशिकाओं पर हमला करती है जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस- इस बीमारी के मरीजों में बलगम होने लगता है, जिससे पैंक्रियाज सही से काम नहीं कर पाता है। पैंक्रियाज से इंसुलिन का उत्पादन कम होता है और आपको हाई-ब्लड शुगर की समस्या हो सकती है।
हाई-ब्लड शुगर के अस्थायी कारण
शुगर के मरीजों और जिन्हें शुगर नहीं है दोनों के लिए हाई-ब्लड शुगर होने के कुछ अस्थायी कारण होते हैं। खराब लाइफस्टाइल, तनाव(स्ट्रेस) और सर्जरी अस्थायी रूप से आपके ब्लड शुगर को बढ़ाकर हाई-ब्लड शुगर लेवल तक पहुंचा सकते हैं। भावनात्मक तनाव(इमोशनल स्ट्रेस) आपके शरीर में कोर्टिसोल या एपिनेफ्रिन रिलीज करता है जिससे ब्लड शुगर लेवल भी बढ़ जाता है। इनके साथ-साथ कुछ हाई-ब्लड शुगर पैदा करने वाली दवाएं हैं जिनसे बचना चाहिए।
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शुगर के मरीजों में हाई-ब्लड शुगर का कारण
मधुमेह के मरीजों में हाई-ब्लड शुगर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। ऐसा विशेष रूप से तब हो सकता है जब आप अनहेल्दी चीजें खाते हैं और शुगर की दवा खाने से बचते हैं। शुगर के मरीजों में हाई-ब्लड शुगर कुछ कारणों में शामिल हैं-
- इंसुलिन की ज्यादा खुराक, एक्सपायर या गलत इंसुलिन का इंजेक्शन लेना।
- रिफाइंड और प्रोसेस्ड फूड ज्यादा खाना।
- इंसुलिन की तुलना में कार्ब्स का सेवन ज्यादा करना।
- किसी तरह की एक्सरसाइज या फिजिकल एक्टिविटी न करना।
- डॉन फिनोमेनन(सुबह के समय हाई ब्लड शुगर)
हाई-ब्लड शुगर के रिस्क फैक्टर(जोखिम कारक)
हाई-ब्लड शुगर में योगदान देने वाले कुछ प्रमुख कारक हैं, जिनमें शामिल हैं-
- अनियमित खान-पान
- अनियमित मधुमेह जांच
- बीमारी और सर्जरी
- उचित इंसुलिन थेरेपी न लेना
- विशेष दवाएं
- तनाव(स्ट्रेस) और चिंता(एंजाइटी)
- स्टेरॉयड और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स
ये कुछ प्रमुख कारक हैं जो आपके ब्लड शुगर को हाई-ब्लड शुगर लेवल तक पहुंचा सकते हैं। बीमारी और तनाव के दौरान अपने शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए आपको एक्स्ट्रा इंसुलिन या दवाओं की भी जरूरत हो सकती है।
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हाई-ब्लड शुगर की जटिलताएँ (कॉम्प्लिकेशन)
लंबे समय तक यदि आपका ब्लड शुगर लेवल हाई रहता है तो ये कई हाई-ब्लड शुगर से जुड़ी जटिलताओं को जन्म दे सकता है। इससे अंगों, ऊतकों(टिश्यू) और ब्लड वेसल्स(रक्त वाहिकाओं) को भारी नुकसान हो सकता है।
जो जटिलताएँ हो सकती हैं उनमें शामिल हैं-
- हृदय रोग(दिल की बीमारी)
- स्ट्रोक
- पैरालिसिस स्ट्रोक
- रेटिनोपैथी
- न्यूरोपैथी
- नेफ्रोपैथी
- गैस्ट्रोपैरेसिस
- डायबिटीज कीटोएसिडोसिस या हाई-ब्लड शुगर कीटोएसिडोसिस
- हाई-ब्लड शुगर के दौरे
एक अन्य महत्वपूर्ण कारक जो मधुमेह या हाई-ब्लड शुगर जटिलताओं में योगदान देता है वह जेनेटिक्स(आनुवंशिकी) है। इसके अलावा जिस समय से आपको शुगर की समस्या है वह भी प्रमुख भूमिका निभाता है।
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हाई-ब्लड शुगर का पता चलना
डॉक्टर रक्त परीक्षण(ब्लड टेस्ट) के माध्यम से हाई-ब्लड शुगर का पता लगाने की सलाह देते हैं। हाई-ब्लड शुगर के निदान(पता लगने) के लिए तीन मुख्य परीक्षण हैं-
- फास्टिंग ब्लड शुगर परीक्षण
- एचबीए1सी परीक्षण
- ग्लूकोज टॉलरेंस(सहनशीलता) परीक्षण
उपवास रक्त शर्करा के लिए, मधुमेह के मरीजों के लिए फास्टिंग शुगर लेवल की सीमा 100 मिलीग्राम/डीएल से 120 मिलीग्राम/डीएल के बीच है।
60 वर्ष से अधिक आयु के शुगर के मरीजों के लिए जिन्हें हार्ट, फेफड़े या किडनी की बीमारियों के साथ हाई-ब्लड शुगर सीमा 100 मिलीग्राम/डीएल से 140 मिलीग्राम/डीएल है।
हाई-ब्लड शुगर की परेशानियों से बचने के लिए खाना खाने के बाद ब्लड शुगर 180 मिलीग्राम/डीएल से कम होना चाहिए। प्रेगनेंसी और ऑर्गन डिजीज के दौरान उम्रदराज मरीजों के लिए ये लक्ष्य सीमा बदल सकती है।
HbA1c परीक्षण आरबीसी में ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन जिसे हीमोग्लोबिन भी कहा जाता है के विरुद्ध ब्लड शुगर प्रतिशत को मापता है। मधुमेह के मरीज में HbA1c 6.4% से ज्यादा होता है। हाई-ब्लड शुगर में डॉक्टरों ने HbA1c लेवल को लगभग 7% और फिर उससे नीचे लाने की सलाह दी है।
एक अन्य विधि भी है जिसे कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटरिंग (सीजीएम) के रूप में जाना जाता है। यह ग्लूकोज मीटर का उपयोग करके किया जाने वाला एक घरेलू परीक्षण डिवाइस है। डिवाइस बताता है कि आपका ब्लड शुगर हाई-ब्लड शुगर सीमा तक कब पहुंचता है। इसमें गलती होने की संभावना है इसलिए पारंपरिक ब्लड शुगर परीक्षणों के साथ रीडिंग का मिलान करें।
हाई-ब्लड शुगर का उपचार
हाई-ब्लड शुगर का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है, जो इसकी गंभीरता और व्यक्ति की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं-
- इंसुलिन या दवा– यदि आपको मधुमेह के साथ हाई-ब्लड शुगर है तो आपके डॉक्टर आपके ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए विशिष्ट इंसुलिन और दवाएं लिख सकते हैं।
- डाइट में बदलाव– अपने डाइट को व्यवस्थित करने से ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। लो-कार्ब, हाई-फाइबर वाली चीजें खाएं, चीनी कम खाएं और हाई-ब्लड शुगर डाइट लें। अपने हिसाब से जुड़े सुझावों के लिए डाइट एक्सपर्ट से सलाह लें।
- नियमित एक्सरसाइज– फिजिकल एक्टिविटी इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार करके ब्लड शुगर को कम करने में सहायता कर सकती है। मांसपेशियों के लिए फायदेमंद वर्कआउट करें। मांसपेशियाँ ब्लड से शुगर को एब्जॉर्ब करती हैं और हाई-ब्लड शुगर लेवल को कम कर देती है।
- निगरानी– अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच करें और सुझाव के अनुसार जरूरी एडजस्टमेंट करें।
- हाइड्रेशन– अपने ब्लड फ्लो से एक्स्ट्रा शुगर को बाहर निकालने में मदद के लिए अच्छी मात्रा में पानी पियें। हाई-ब्लड शुगर होने से प्यास भी बढ़ती है।
- तनाव मैनेजमेंट– तनाव ब्लड शुगर को हाई-ब्लड शुगर लेवल तक बढ़ा सकता है। गहरी साँस लेना, मेडिटेशन और हल्की एक्सरसाइज तनाव मैनेज करने में मदद कर सकती हैं।
- दवाओं का एडजस्टमेंट– यदि आप शुगर की दवाएँ ले रहे हैं तो आपके डॉक्टर आपकी खुराक एडजस्ट कर सकते हैं या किसी अन्य हाई-ब्लड शुगर दवा पर स्विच करने की जरूरत हो सकती है।
- हॉस्पिटल– आशा करते हैं कि नौबत यहां तक न पहुंचे लेकिन हाई-ब्लड शुगर के गंभीर मामलों में आपातकालीन उपचार के लिए हॉस्पिटल में भर्ती करना जरूरी हो सकता है।
अपने डॉक्टर के साथ मिलकर काम करना जरूरी है। निर्धारित दवाओं, भोजन और हाई-ब्लड शुगर डाइट प्लान फॉलो करें। मधुमेह और हाई-ब्लड शुगर में मेडिकल हेल्प लेने में संकोच न करें। ये किसी मेडिकल इमरजेंसी के संकेत हो सकते हैं।
हाई-ब्लड शुगर को रोकने के लिए आप ये कदम उठा सकते हैं
पहले से ही शुगर होने से हाई-ब्लड शुगर को पूरी तरह से रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है, लेकिन मधुमेह हाई-ब्लड शुगर से बचा जा सकता है। मधुमेह और हाई-ब्लड शुगर मैनेजमेंट एक जैसा ही है। आपके ब्लड शुगर का हाई-ब्लड शुगर लेवल तक पहुंचने का कारण जानने के लिए अपने डॉक्टर के साथ मिलकर काम करें। दवा की खुराक और खान-पान की आदतों को व्यवस्थित करने से लेकर गंभीर ऑर्गन डिजीज तक इसका कारण हो सकता है, इसलिए समय पर हाई-ब्लड शुगर का निदान और उपचार की सलाह दी जाती है।
निम्नलिखित तरीकों से लो-ब्लड शुगर लेवल को रोका जा सकता है
- निर्धारित समय पर दवा लेना।
- नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच।
- मधुमेह और हाई-ब्लड शुगर डाइट का पालन करें।
निष्कर्ष
हाई-ब्लड शुगर एक ऐसी स्थिति है जो दुनिया भर में लाखों व्यक्तियों को प्रभावित करती है, लेकिन इसे सही जानकारी और उपकरणों के साथ प्रभावी ढंग से मैनेज किया जा सकता है। हमने इसके कारणों, लक्षणों, जटिलताओं, नियंत्रण(कंट्रोल) और हाई-ब्लड शुगर के उपचार के विभिन्न तरीकों का पता लगाया है। याद रखें कि जब हाई-ब्लड शुगर मैनेजमेंट की बात आती है तो जानकारी ही आपकी ताकत है। हाई-ब्लड शुगर की कोई सामान्य सीमा नहीं है, इसलिए शुगर लेवल की नियमित जांच करें। बैलेंस डाइट, मांसपेशियों के निर्माण से जुड़े व्यायाम और सही दवा को फॉलो करना बहुत जरूरी है। वयस्कों और बुजुर्गों में हाई-ब्लड शुगर के लक्षणों पर हमेशा ध्यान दें और बचाव के लिए तैयार रहें।
यह केवल हाई-ब्लड शुगर के फिजिकल बेनिफिट के बारे में ही नहीं है, बल्कि इमोशनल हेल्प के रूप में भी लाभकारी है। सहायता के लिए ब्रीथ वेल-बीइंग में हमारे अनुभवी हेल्थ एक्सपर्ट से संपर्क करें। हम और आप साथ मिलकर हाई-ब्लड शुगर को प्रभावी तरीके से मैनेज करते हुए एक स्वस्थ, खुशहाल जीवन की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हम कह सकते हैं कि हाइपोग्लाइसीमिया और हाइपरग्लाइसीमिया एक दूसरे के विलोम हैं। हाइपोग्लाइसीमिया का सीधा सा मतलब है लो-ब्लड शुगर लेवल जबकि हाइपरग्लाइसीमिया का मतलब है हाई-ब्लड शुगर लेवल। फास्टिंग ग्लूकोज हाइपोग्लाइसीमिया(लो-ब्लड शुगर) में ब्लड शुगर 70 मिलीग्राम/डीएल से नीचे है। फास्टिंग ग्लूकोज हाइपरग्लाइसीमिया(हाई-ब्लड शुगर में) फास्टिंग ब्लड शुगर 140 mg/dL से ऊपर होता है।
हाँ, हाइपरगलीसीमिया(हाई-ब्लड शुगर) सिरदर्द का कारण बन सकता है। हाई-ब्लड शुगर लेवल के कारण होने वाला सिरदर्द हाई-ब्लड शुगर के लॉन्ग-टर्म लक्षणों के रूप में होता है। ब्लड शुगर खराब होने के साथ ही सिरदर्द की गंभीरता बढ़ जाती है। हाई-ब्लड शुगर के मरीजों को सिरदर्द होने का खतरा ज्यादा होता है।
बिना मधुमेह की हाई-ब्लड शुगर एक अस्थायी स्थिति है और इसे बहुत अच्छी तरह से मैनेज किया जा सकता है। डॉक्टर लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव के साथ-साथ उचित दवाएं भी बता सकते हैं। कार्ब्स का सेवन कम और फाइबर और प्रोटीन वाली चीजें ज्यादा खाएं। धूम्रपान और शराब से बचें और रोजाना कुछ फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें।
ज्यादा शराब पीने वाले शुगर के मरीजों को शराब की वजह से हाई-ब्लड शुगर का अनुभव हो सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि शराब से ब्लड शुगर बढ़ जाता है। इसलिए मधुमेह के मरीजों को शराब कम पीना चाहिए या इससे पूरी तरह से बचना चाहिए।
हाई-ब्लड शुगर को तीन प्रकार के परीक्षणों के माध्यम से मापा जाता है। फास्टिंग हाई-ब्लड शुगर सीमा 140 मिलीग्राम/डीएल से ऊपर है, और खाने के बाद हाई-ब्लड शुगर 180 मिलीग्राम/डीएल से ऊपर है। HbA1c परीक्षण में 7% से ऊपर को हाई-ब्लड शुगर रेंज माना जाता है।
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