एचबीए1सी (HbA1c) टेस्ट, चार्ट, मात्रा और नार्मल रेंज | All About HbA1c Test in Hindi

Last updated on अक्टूबर 23rd, 2023

Table of Contents

HbA1c टेस्ट क्या है? (Hba1c Test Kya hai)

HbA1c क्या है | hba1c test kya hai

HbA1c test kya hai

HbA1c का फुल फॉर्म हीमोग्लोबिन A1c या ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन है। यह हीमोग्लोबिन का ही एक रूप है, जिसमें शुगर होता है। हीमोग्लोबिन एक प्रकार का अणु (molecule) है जो लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) में मौजूद होता है और शरीर के ऊतकों (Body’s tissue) तक ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। आइए इस ब्लॉग में जानते हैं कि HbA1c टेस्ट का क्या मतलब होता है और इसके टेस्ट में कितनी लागत आती है। इसके चार्ट की नॉर्मल रेंज क्या होती है और कैसे हजारों लोगों ने डायबिटीज रिवर्सल विधि (Diabetes Reversal Method) की मदद से नॉर्मल HbA1c (एचबीए1सी) लेवल को हासिल किया है।

नॉन-डायबटिक लोगों की तुलना में डायबिटिज से पीड़ित लोगों में ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन का लेवल अधिक होता है। जिसके चलते बल्ड शुगर (Blood sugar) के कंट्रोल लेवल को पूरा करने के लिए HbA1c (एचबीए1सी) टेस्ट कराना बेहतर ऑप्शन होता है।

इसको भी पढ़े: मधुमेह जाँच की सूची, मूल्य, प्रक्रिया, व लागत | Sugar Test in Hindi

HbA1c या A1c टेस्ट का उपयोग किसके लिए किया जाता है? Hba1c Test Means in hindi

HbA1c या A1c टेस्ट का उपयोग

hba1c परीक्षण

HbA1c टेस्ट यानी A1c टेस्ट, टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबटीज, प्री-डायबिटीज और प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज सहित डायबिटीज के विभिन्न रूपों से निदान (डायग्नोस) के लिए यह एक महत्वपूर्ण टेस्ट माना जाता है। यह ब्लड में हीमोग्लोबिन के प्रतिशत को मापता है, जिसमें ग्लूकोज जुड़ा होता है। जो पिछले 2 से 3 महीनों में औसत बल्ड शुगर (Blood sugar) लेवल को दिखाता है। आइए जानते हैं कि HbA1c टेस्ट का उपयोग किस लिए किया जाता है।

टाइप 2 डायबिटीज और प्री-डायबिटीज से निदान (डायग्नोस): HbA1c टेस्ट का उपयोग आमतौर पर टाइप 2 डायबिटीज और प्री-डायबिटीज से निदान (डायग्नोस) के लिए किया जाता है। टाइप 2 डायबिटीज के लिए 6.5% या उससे अधिक का HbA1c लेवल डायबिटीज का संकेत देता है। प्री-डायबिटीज के लिए 5.7% और 6.4% के बीच HbA1c लेवल नॉर्मल से अधिक ब्लड शुगर (Blood sugar) लेवल को दिखाता है। जो टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ने की चेतावनी देता है। प्री-डायबिटीज का जल्द पता लगने से स्वास्थ्य संबंधी सेवा देने वाले (हेल्थकेयर प्रोवाइडर) डायबिटीज के बढ़ने के खतरे को कम करने के लिए, मरीज के लाइफस्टाइल में बदलाव लाते हैं और इसके जोखिम को कम करने के लिए रोकथाम-संबंधी उपाय अपनाते हैं।

डायबिटीज मैनेजमेंट की मॉनिटरिंग: पहले से ही डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए HbA1c टेस्ट का उपयोग समय के साथ उनके ब्लड शुगर (Blood sugar) कंट्रोल की मॉनिटरिंग के लिए किया जाता है। HbA1c टेस्ट आमतौर पर हर 3 से 6 महीने के अंतराल में किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य-संबंधी सेवा देने वालों (हेल्थकेयर प्रोवाइडर) को इसका असरदार इलाज और जरूरत पड़ने पर ट्रीटमेंट प्लान में जरूरी बदलाव करने में मदद मिलती है। डायबिटीज से जुड़ी लंबे समय की जटिल समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए सुझाए गए टारगेट रेंज के भीतर HbA1c लेवल को बनाए रखना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

डायबिटीज के जटिल समस्याओं का आकलन करना: HbA1c टेस्ट का मतलब सिर्फ ब्लड शुगर (Blood sugar) लेवल को मापना नहीं होता है, बल्कि इसकी जटिलताओं का आकलन करना भी होता है। लंबे समय तक HbA1c लेवल टेस्ट ना करने से डायबिटीज संबंधी जटिल समस्याएं, जैसे- हार्ट संबंधी बीमारी, किडनी की बीमारी और नसों के डैमेज (क्षति) होने का जोखिम बढ़ जाता है। HbA1c लेवल की नियमित रूप से मॉनिटरिंग करने से हाई रिस्क वाले मरीजों की पहचान करने और उनकी जटिल समस्याओं को कम करने के लिए, समय पर उचित इलाज करने में मदद मिलती है।

इसको भी पढ़े: क्‍या डायबिटीज के मरीज अंगूर खा सकते हैं?

टाइप 1 डायबिटीज मैनेजमेंट: अगर हम HbA1c को देखें तो इसका उपयोग आमतौर पर टाइप 2 डायबिटीज की मॉनिटरिंग और उसे मैनेज करने के लिए किया जाता है। साथ ही इसका उपयोग टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए भी किया जाता है। वहीं HbA1c टेस्ट से स्वास्थ्य संबंधी सेवा देने वालों (हेल्थकेयर प्रोवाइडर) को भी मदद मिलती है। जिससे वह टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों को इंसुलिन थेरेपी और अन्य इलाज की मदद से उनके ब्लड शुगर (Blood sugar) लेवल को बेहतर तरीके से कंट्रोल करते हैं।

प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज: कुछ महिलाओं में गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational Diabetes) हो जाता है। यह डायबिटीज का एक अस्थायी रूप होता है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान होता है और यह बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाता है। वैसे आमतौर पर HbA1c टेस्ट का उपयोग गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational Diabetes) से निदान (डायग्नोस) के लिए नहीं किया जाता है, लेकिन प्रेग्नेंसी से पहले यदि महिला डायबिटीज से पीड़ित होती है, तो प्रेग्नेंसी के दौरान उसके ब्लड शुगर को कंट्रोल करने या डायबिटीज को मॉनिटर करने के लिए HbA1c टेस्ट किया जा सकता है।

यदि संक्षेप में कहें तो HbA1c टेस्ट डायबिटीज, प्री-डायबिटीज और गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational Diabetes) से निदान (डायग्नोस) के साथ-साथ इन स्थितियों की मॉनिटरिंग और मैनेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह किसी व्यक्ति के औसत ब्लड शुगर (Blood sugar) लेवल की महत्वपूर्ण और गहन जानकारी देता है, जिससे हेल्थकेयर प्रोवाइडर को डायबिटीज के ट्रीटमेंट प्लान और इलाज को लेकर सही फैसला लेने में काफी मदद मिलती है।

इसको भी पढ़े: Diabetes Causes in Hindi

HbA1c लेवल की मॉनिटरिंग करने की आवश्यकता: Need to Monitor HbA1c in Hindi

आपकी एक्टिविटी और आपके द्वारा लिए जाने वाले भोजन के आधार पर ब्लड ग्लुकोज (Blood glucose) लेवल में हर मिनट उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसलिए अपने ब्लड ग्लुकोज या शुगर लेवल की नियमित रूप से मॉनिटरिंग करना महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे यह समझने में मदद मिलती है कि आपके ब्लड ग्लुकोज का लेवल कैसे बदल रहा है और आपका भोजन उन्हें कैसे प्रभावित कर रहा है। वहीं मोटिवेशन और निरंतरता के साथ संतुलित डाइट प्लान अपनाने से आपके ब्लड ग्लुकोज (Blood glucose) लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।

आमतौर पर हाई ब्लड शुगर वाले लोगों में शुगर लेवल को मापने के लिए यूरीन टेस्ट और डेली प्रिक मेथड (Daily prick methods) या फिंगर स्टिक चेक (finger stick check) का उपयोग किया जाता है। हालांकि ये टेस्ट कुछ हद तक ही सटीक जानकारी देते हैं लेकिन कई बार यह गलत रिपोर्ट भी दे सकते हैं।

HbA1c टेस्ट पिछले 2 से 3 महीनों में औसत ब्लड शुगर (Blood sugar) लेवल को मापने में मददगार होता है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों को नियमित रूप से शुगर की टेस्टिंग HbA1c करवाना जरूरी होता है, ताकि वे अपने ब्लड शुगर लेवल की टेस्ट कर सकें। यह प्रक्रिया डायबिटीज को मैनेज करने में काफी मददगार साबित होता है।

लाइफस्टाइल में सुधार करके यानी सोने के तरीकों, डाइट पर कंट्रोल (क्या और कितना खाएं), और उचित फिटनेस गाइडेंस HbA1c की नॉर्मल रेंज को बनाए रखने और हेल्दी जीवन जीने में मददगार साबित होती है। ब्रीथ वेल-बीइंग के डायबिटीज रिवर्सल प्रोग्राम (Breathe Well-being’s Diabetes Reversal Program) से लोगों ने अपना HbA1c 9.8% से घटाकर 5.6% किया है।

इसको भी पढ़े: ट्राइग्लिसराइड्स सामान्य स्तर

शुगर टेस्ट HbA1c कितनी बार आवश्यक है?

शुगर टेस्ट HbA1c कितनी बार आवश्यक है

एडीए (अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन) द्वारा 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को हर 3 महीने में डायबिटीज टेस्ट (Diabetes Screening) का सुझाव दिया जाता है। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति में डायबिटीज के यह जोखिम फैक्टर्स हैं, तो किसी भी उम्र में स्क्रीनिंग यानी टेस्टिंग कराना ठीक होता है:

  • मोटापा या शारीरिक रूप से मेहनत ना करना
  • परिवार में किसी का डायबिटीज से पीड़ित होना
  • प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज था (जिसे गर्भकालीन डायबिटीज भी कहा जाता है)
  • इंसुलिन प्रतिरोध के लक्षण या हाइपरटेंशन, गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होना (Low good cholesterol), हाई ट्राइग्लिसराइड्स, साथ ही पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम जैसी इंसुलिन प्रतिरोध से संबंधित स्थितियां होना।

स्थिर ब्लड शुगर लेवल वाले डायबिटीज मरीजों को एक वर्ष में लगभग दो बार शुगर टेस्ट HbA1c जरूर कराना चाहिए। आपके डॉक्टर यह फैक्टर्स होने पर तीन महीने के अंतराल में भी टेस्ट कराने (हर 3 महीने में) का सुझाव दे सकते हैं:

  • डायबिटीज से हाल ही में निदान (डायग्नोस) मिलने पर
  • प्रेग्नेंसी-संबंधित डायबिटीज
  • HbA1c लेवल में बदलाव
  • ट्रीटमेंट या इंसुलिन डोज में बदलाव
  • हाइपोग्लाइसीमिया (Low blood glucose) की हिस्ट्री

यह भी पढ़ें: डायबिटीज (शुगर) के मरीजों को तरबूज खाना चाहिए या नहीं?

HbA1c टेस्ट की तैयारी

HbA1c टेस्ट की तैयारी

HbA1c टेस्ट जिसे A1c टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है। यह एक सिंपल ब्लड टेस्ट है जो ब्लड में हीमोग्लोबिन के प्रतिशत को मापता है, जिसमें ग्लूकोज जुड़ा होता है। इस टेस्ट से पिछले दो से तीन महीनों में किसी व्यक्ति के औसत ब्लड शुगर (Blood sugar) लेवल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। सटीक परिणाम सुनिश्चित करने के लिए HbA1c टेस्ट कराने से पहले कुछ बेसिक तैयारी के गाइडेंस की सलाह दी जाती है:

फास्टिंग (उपवास) की आवश्यकता नहीं: डायबिटीज से निदान (डायग्नोस) या फास्टिंग ब्लड शुगर (Fasting blood sugar) लेवल का आकलन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले अन्य ब्लड टेस्टों की तुलना में, HbA1c टेस्ट के लिए फास्टिंग की आवश्यकता नहीं होती है। आप दिन के किसी भी समय टेस्ट करा सकते हैं, और टेस्ट से पहले भोजन छोड़ने की कोई जरूरत नहीं होती है।

हेल्थकेयर प्रोवाइडर को सूचित करें: आपको स्वास्थ्य संबंधी सेवा देने वालों (हेल्थकेयर प्रोवाइडर) को उन सभी दवाओं के बारे में बताएं जो दवा आप वर्तमान में ले रहे हैं, जिनमें डॉक्टर के पर्चे वाली दवाएं, ओवर-द-काउंटर दवाएं (काउंटर से ली जाने वाली दवाएं) और सप्लीमेंट हों। कुछ दवाएं HbA1c टेस्ट को प्रभावित कर सकती हैं और साथ ही हेल्थकेयर प्रोवाइडर टेस्ट के दौरान इसकी जानकारी चाहेंगे।

संतुलित डाइड और एक्टिविटी जारी रखें: HbA1c टेस्ट से पहले अपनी डाइट या एक्टिविटी लेवल (जैसे- एक्सरसाइज) में कुछ भी बदलाव करने की जरूरत नहीं है। टेस्ट कई हफ्तों में औसत ब्लड शुगर लेवल को मापता है, आपकी नॉर्मल डेली रूटीन टेस्ट परिणाम में भी दिखाई देगी।

पानी पीते रहें: टेस्ट से पहले पर्याप्त पानी पिएं, क्योंकि डिहाइड्रेशन (शरीर में पर्याप्त तरल पदार्थ ना होना) ब्लड टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि टेस्ट से ठीक पहले बहुत ज्यादा पानी ना पिएं, क्योंकि इससे ब्लड के सैंपल कमजोर हो सकता है और इसका असर टेस्ट परिणाम पर भी पड़ सकता है।

शराब के सेवन से बचें: यदि संभव हो तो टेस्ट से कम से कम 24 घंटे पहले तक नशा से संबंधित पेय पदार्थ (Alcoholic beverages) के सेवन से बचें। शराब अस्थायी रूप से ब्लड शुगर (Blood sugar) के लेवल को प्रभावित कर सकता है और HbA1c टेस्ट के परिणाम की सटीकता पर भी असर डाल सकता है।

यदि आप प्रेग्नेंट हैं तो सूचित करें: यदि आप प्रेग्नेंट हैं या आपको संदेह है कि आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं, तो टेस्ट से पहले आपको स्वास्थ्य संबंधी सेवा देने वालों (हेल्थकेयर प्रोवाइडर) को सूचित करें। प्रेग्नेंसी HbA1c लेवल को प्रभावित कर सकता है, और आपका हेल्थकेयर प्रोवाइडर परिणामों की व्याख्या करते समय इस पर विचार कर सकता है।

हेल्थकेयर प्रोवाइडर के निर्देशों का पालन करें: यदि आपको स्वास्थ्य संबंधी सेवा देने वाले (हेल्थकेयर प्रोवाइडर) HbA1c टेस्ट के संबंध में कोई विशेष निर्देश दिए हों, तो सटीक और विश्वसनीय परिणाम पाने के लिए उनके बातों को फॉलो करें।

HbA1c टेस्ट कराने से पहले आपको स्वास्थ्य संबंधी सेवा देने वालों (हेल्थकेयर प्रोवाइडर) को अपनी मेडिकल हिस्ट्री, दवाओं और अपने स्वास्थ्य में किसी भी तरह के हुए या हो रहे बदलाव के बारे में खुलकर बताएं। यह जानकारी उन्हें टेस्ट परिणामों की सटीक जानकारी देने और आपके डायबिटीज मैनेजमेंट या ओवरऑल हेल्थ के बारे में सही फैसला लेने में मदद करेगी।

इसको भी पढ़े: CRP Test in Hindi

HbA1c की नॉर्मल रेंज को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स:

HbA1c की नॉर्मल रेंज

कई फैक्टर्स HbA1c की नॉर्मल रेंज को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे यह हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती है। HbA1c लेवल को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख फैक्टर्स हैं:

ब्लड ग्लूकोज लेवल: समय के साथ उच्च औसत ब्लड ग्लुकोज लेवल, हाई HbA1c लेवल की ओर ले जाता है।

डायबिटीज की दवाएं:  डायबिटीज की कुछ दवाएं HbA1c लेवल को प्रभावित कर सकती हैं, या तो उन्हें बढ़ा सकती या घटा सकती हैं।

इंसुलिन प्रतिरोध: इंसुलिन प्रतिरोध वाले व्यक्तियों में हाई ब्लड शुगर के लेवल के कारण HbA1c लेवल अधिक हो सकता है।

डाइट और न्यूट्रिशियंस: जंक फूड, अत्यधिक मीठे पदार्थ का सेवन और असंतुलित डाइट HbA1c लेवल को प्रभावित कर सकते हैं।

एक्सरसाइज करते रहें: नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविट करने से ब्लड शुगर कंट्रोल में सुधार होता है और यह HbA1c लेवल को कम करने में मदद कर सकता है।

एनीमिया: कुछ प्रकार के एनीमिया HbA1c माप को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे टेस्ट के गलत परिणाम आ सकते हैं।

हीमोग्लोबिन वेरिएंट: कुछ कम सामान्य हीमोग्लोबिन वेरिएंट HbA1c माप की सटीकता को प्रभावित कर सकते हैं।

प्रेग्नेंसी: ब्लड की मात्रा और लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल्स) के टर्नओवर में बदलाव के कारण प्रेग्नेंसी, HbA1c लेवल में अस्थायी परिवर्तन का कारण बन सकती है।

क्रोनिक किडनी बीमारी: किडनी के फंक्शन (कार्यक्षमता) कम होने के चलते कुछ मामलों में HbA1c लेवल प्रभावित हो सकता है।

ब्लड लॉस या ट्रांसफ्यूजन: महत्वपूर्ण ब्लड लॉस या ब्लड ट्रांसफ्यूजन (एक नस के माध्यम से शरीर में ब्लड चढ़ाना) HbA1c लेवल को प्रभावित कर सकता है। महत्वपूर्ण ब्लड का मतलब है कि ब्लड कई सारे छोटे सेल्स (कोशिकाओं) से मिलकर बना होता है, जो शरीर में तरह-तरह की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जातीय नस्ल: विभिन्न जातीय पृष्ठभूमि वाले लोगों में HbA1c लेवल थोड़ा अलग हो सकता है।

HbA1c परिणामों की व्याख्या करते समय इन फैक्टर्स पर विचार करना और ओवरऑल ब्लड शुगर कंट्रोल (Blood sugar control)  का सटीक आकलन करने और उचित देखभाल का निर्णय लेने के लिए स्वास्थ्य-संबंधी सेवा देने वाले के साथ मिलकर काम करना जरूरी होता है।

ब्रीथ वेल-बीइंग (Breathe Well-being) के साथ सफलतापूर्वक डायबिटीज रिवर्सल के बाद कई लोग अपने ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन HbA1c लेवल को नियमित करने और दोबारा स्वस्थ जीवन (Healthy life) जीने में सक्षम हुए हैं।

इसको भी पढ़े: प्री डायबिटीज़ डाइट चार्ट

ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन में ग्लूकोज का माप

ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन HbA1c टेस्ट में ग्लूकोज से जुड़े हुए हीमोग्लोबिन के प्रतिशत को मापा जाता है। इस टेस्ट में ब्लड ग्लूकोज की औसत कंसन्ट्रेशन तीन महीने के बाद दिखाई देती है। ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन को प्रतिशत या mmol/mol की यूनिट में मापा जा सकता है। यह अब एक स्टैंडर्ड यूनिट (मानक इकाई) है, जिसमें दुनिया भर में ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन HbA1c को मापा जाता है।

चार्ट की मदद से HbA1c की अपनी नॉर्मल रेंज जानें: Hba1c Normal Range Chart in Hindi

नीचे दिए गए चार्ट की मदद से आप जान सकते हैं कि आप नॉर्मल HbA1c रेंज में हैं या नहीं। अपनी स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए चार्ट में Color keys को देखें।

HbA1c रेंज चार्ट
रेंज HbA1c लेवल ब्लड शुगर लेवल
नार्मल रेंज <5.5 <111 mg/dL
5.7 117 mg/dL
प्रेडियबेट्स रेंज 5.7-6.4 117-137 mg/dL
डायबिटीज रेंज >6.4 >137 mg/dL
6.5 140 mg/dL
7.0 154 mg/dL
7.5 169 mg/dL
8.0 183 mg/dL
8.5 197 mg/dL
9.0 212 mg/dL
9.5 226 mg/dL
10 240 mg/dL

नॉन-डायबिटिक, प्री-डायबिटिक और डायबिटिक लोगों के लिए HbA1c की नॉर्मल रेंज

लोगों में ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन hba1c की नॉर्मल रेंज अलग-अलग हो सकती हैं। यहां आप hba1c नॉर्मल रेंज चार्ट की मदद से टेस्ट सकते हैं कि किसी भी व्यक्ति के लिए ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन का नॉर्मल लेवल क्या होना चाहिए:

नॉन-डायबिटिक लोगों में: एक स्वस्थ व्यक्ति में HbA1c का नॉर्मल वैल्यू कुल हीमोग्लोबिन के 5.7% से कम हो सकता है। 5.7% से नीचे, एक नॉन-डायबिटिक वयस्क के लिए hba1c नॉर्मल वैल्यू है।

प्री-डायबिटिक लोगों में: यदि आपके ब्लड शुगर का लेवल नॉर्मल रेंज से थोड़ा अधिक है, तो आप प्री-डायबिटिक हैं।

प्री-डायबिटीज HbA1c रेंज 5.7% और 6.4% के बीच में होता है (नॉर्मल वैल्यू से थोड़ा ऊपर)।

लेकिन आपके डायबिटीज का लेवल इतना ज्यादा नहीं है कि उसे टाइप-2 डायबिटीज माना जाए। बेहतर लाइफस्टाइल और डाइट मैनेजमेंट के साथ आप डायबिटीज रिवर्सल विधि (Diabetes Reversal Method) की मदद से इस लेवल पर अपने डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं और 5.7% से कम की नॉर्मल प्री-डायबिटीज HbA1c रेंज प्राप्त कर सकते हैं।

डायबिटिक से पीड़ित लोगों में: कोई भी व्यक्ति जो टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित है, तो आपका HbA1c नॉर्मल वैल्यू 6.5% या उससे अधिक, या 48 mmol/mol या उससे अधिक है। इस HbA1c टेस्ट की रेंज नॉर्मल हो सकती है, लेकिन रेंज को बनाए रखने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ-साथ डॉक्टरों और दवाओं से उचित गाइडेंस की जरूरत होती है।

यदि आपका वैल्यू ऊपर दिए गए रेंज से ज्यादा हो जाता है तो यह हार्ट स्ट्रोक, पेरिफेरल धमनी रोग (Peripheral artery disease) ग्लूकोमा, डायबिटिक फूट, डायबिटिक किडनी की बीमारी और अधिक का खतरा बढ़ा सकता है। पेरिफेरल आर्टरी रोग यानी परिधीय धमनी रोग एक सामान्य संचार समस्या होती है, जिसमें संकुचित धमनियां आपके अंगों में ब्लड के प्रवाह को कम कर देती हैं।

10000 से अधिक प्री-डायबिटिक और डायबिटिक लोग लाइफस्टाइल में परमानेंट बदलाव लाकर ऑरेंज और रेड जोन (खतरनाक, घातक) से ग्रीन जोन (सर्वोत्तम) में सक्सेसफुली आ गए हैं। मेरे जानने वाले कुछ लोगों को हमें कॉल करने से पहले यह विश्वास ही नहीं था कि डायबिटीज रिवर्सल यानी डायबिटीज से निदान (डायग्नोस) पाना पॉसबिल है या यह अन्य दवाओं से दूर भी हो सकता है। उन्होंने हमारे ऊपर विश्वास किया, बेस्ट कोच के बेहतर गाइडेंस के साथ उन लोगों ने अपने टारगेट की ओर काम किया और अब डायबिटीज से पूरी तरीके से मुक्त हैं।

डायबिटिक लोगों में HbA1c टारगेट लेवल

किसी व्यक्ति का टारगेट A1C लेवल कई फैक्टर्स के आधार पर निर्धारित किया जाता है। सही टारगेट हर व्यक्ति में अलग-अलग होता है। किसी भी डायबिटीक मरीज के लिए टारगेट A1C लेवल निम्न पर आधारित हो सकता है:

  • उम्र
  • ओवरऑल हेल्थ
  • प्रेग्नेंट हैं या नहीं
  • डायबिटीज हिस्ट्री
  • उनके लिए सुझाए गए ट्रीटमेंट प्लान
  • डायबिटीज से कोई जटिल समस्या
  • किसी व्यक्ति की ट्रीटमेंट प्राथमिकताएं

हेल्थकेयर प्रोवाइडर 6.5% से कम A1C लेवल का टारगेट की सलाह दे सकता है यदि कोई व्यक्ति:

  • युवा है और लंबे जीवन की उम्मीद हो
  • कम समय के लिए डायबिटीज की हिस्ट्री रही हो
  • लाइफस्टाइल में बदलाव करके या केवल मेटफॉर्मिन की मदद से अपने डायबिटीज को सक्सेसफुली मैनेज कर रहा हो

हेल्थकेयर प्रोवाइडर 7.5% से कम A1C लेवल का टारगेट की सलाह दे सकता है यदि कोई व्यक्ति:

  • अधिक उम्र का है और कम जीवन की उम्मीद हो
  • लंबे समय से डायबिटीज की हिस्ट्री रही हो
  • अन्य पुरानी मेडिकल समस्याएं रही हो
  • डायबिटीज से पीड़ित, जिसे कंट्रोल करना मुश्किल हो, यहां तक कि कई दवाओं के बावजूद भी नहीं
  • डायबिटीज संबंधी जटिल समस्याओं का सामना किया हो
  • गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया की हिस्ट्री रही हो

उम्र के हिसाब से नॉर्मल HbA1c क्या है?

HbA1c, या हीमोग्लोबिन A1c, लंबे समय में ब्लड शुगर के लेवल का एक महत्वपूर्ण संकेत देता है। इसका उपयोग आमतौर पर डायबिटीज से निदान (डायग्नोस) और उसकी मॉनिटरिंग (निगरानी) करने के लिए किया जाता है। HbA1c टेस्ट हीमोग्लोबिन के प्रतिशत को मापता है जो ग्लाइकेटेड होता है या ग्लूकोज अणुओं से जुड़ा होता है। चूंकि HbA1c लेवल उम्र के साथ अलग-अलग हो सकता है, इसलिए यह समझना जरूरी है कि विभिन्न उम्र-ग्रुप (Age groups) के लिए नॉर्मल HbA1c क्या है।

सको भी पढ़े: डायबिटीज के मरीज़ों के लिए योग

उम्र के अनुसार HbA1c की नॉर्मल रेंज:

HbA1c नॉर्मल रेंज | Hba1c normal range by age

what is normal hba1c by age

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) HbA1c लेवल के लिए सामान्य गाइडलाइंस देता है है जिन्हें विभिन्न उम्र-ग्रुप (Age groups) के लिए सामान्य माना जाता है:

बच्चे (उम्र 6-12 के बीच): बच्चों के लिए सुझाई गई नॉर्मल HbA1c  7.5% से कम है।

किशोर (उम्र 13-18 के बीच): किशोरों को HbA1c लेवल 7.0% से नीचे बनाए रखने की सलाह दी जाती है।

वयस्क (आयु 19-44 के बीच): इस उम्र के बीच के वयस्कों (Adults) के लिए नॉर्मल HbA1c लेवल 6.5% तक माना जाता है।

अधेड़ या उससे अधिक (उम्र 45-64 के बीच): इस उम्र के बीच के लोगों के लिए HbA1c ब्लड टेस्ट की नॉर्मल रेंज लगभग 7.0% है।

वरिष्ठ (उम्र 65 और उससे अधिक): अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) वृद्ध लोगों के लिए लगभग 7.5% से थोड़ा ज्यादा HbA1c टारगेट की सलाह देता है।

उम्र के अनुसार HbA1c नॉर्मल रेंज चार्ट: Hba1c Normal Range Chart in Hindi

उम्र ग्रुप (Age Group) HbA1c टारेगट रेंज
बच्चे (6-12) 7.5% से कम
किशोर (13-18) 7.0% से कम
वयस्क (19-44) 6.5% तक
अधेड़ या उससे अधिक (45-64) 7.0% के आसपास
वरिष्ठ (65+) 7.5% के आसपास

यह ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है कि व्यक्तिगत परिस्थितियां भिन्न हो सकती हैं और डॉक्टर मरीज के ओवरऑल हेल्थ और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर व्यक्तिगत HbA1c रेंज का टारगेट निर्धारित कर सकते हैं।

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन, अमेरिकन जेरियाट्रिक्स सोसाइटी और इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन ने सामूहिक रूप से 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए अपने टारगेट HbA1c रेंज को संशोधित किया है, जो व्यक्ति के ओवरऑल हेल्थ के आधार पर टारगेट निर्धारित करता है। कुछ मामलों में उन्होंने 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए HbA1c रेंज टारगेट को 8.5 या 9 तक बढ़ा दिया है।

65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए अमेरिकन डायबिटीज़ एसोसिएशन (ADA) की गाइडलाइंस:

हेल्थ स्टेटस HbA1c
हेल्दी < 7.5%
इंटरमीडिएट < 8.0%
खराब < 8.5%

65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए अमेरिकन जेरियाट्रिक्स सोसायटी की गाइडलाइंस:

हेल्थ कैटेगरी HbA1c
फंक्शनली इंडिपेंडेट (खुद पर निर्भर) 7.0 – 7.5%
फंक्शनली डिपेंडेट (दूसरों पर निर्भर) 7.0 – 8.0%
कमजोर/विक्षिप्त 8.5% तक
जीवन के अंतिम स्टेज में सिम्टोमैटिक हाइपरग्लेसेमिया से बचें

उम्र के अनुसार HbA1c लेवल:

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर में ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में बदलाव महसूस हो सकता है। जो HbA1c लेवल को प्रभावित भी कर सकता है। यहां उम्र-ग्रुप (Age-Group) के अनुसार HbA1c लेवल के बारे में जरूरी जानकारी दी गई है:

बच्चे और किशोर: बचपन और किशोरावस्था के दौरान शरीर में तेजी से वृद्धि और विकास के कारण एचबीए1सी का लेवल स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है। हालांकि जैसे-जैसे किशोरों में हार्मोनल बदलाव होते हैं और लाइफस्टाइल की आदतें विकसित होती हैं, HbA1c लेवल में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

युवा से मध्यम आयु वर्ग के वयस्क: सामान्य तौर पर युवा लोगों में बेहतर ग्लूकोज का रेगुलेशन होता है, जिसके चलते HbA1c लेवल कम होता है। हालांकि जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है, फिजिकल एक्टिविटी में कमी, वजन बढ़ना और मेटाबोलिज्म में बदलाव जैसे फैक्टर्स होते हैं तो HbA1c लेवल मामूली रूप से बढ़ जाता है।

वृद्ध वयस्क: बुजुर्ग व्यक्तियों को उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं हो सकती हैं। जैसे किडनी की कार्यक्षमता में कमी, जो HbA1c लेवल को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा वृद्ध वयस्क अन्य मेडिकल कंडीशन के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं, जिसके अनुसार HbA1c टारगेट को तय किया जा सकता है।

उम्र के अनुसार  HbA1c लेवल की मॉनिटरिंग का महत्व:

उम्र की परवाह किए बिना नियमित रूप से HbA1c लेवल की मॉनिटरिंग (निगरानी) करना जरूरी है, क्योंकि यह ओवरऑल ब्लड ग्लूकोज कंट्रोल में जरूरी जानकारी देता है, जिससे डायबिटीज को मैनेज करने में काफी मदद मिलती है। डायबिटीज वाले व्यक्तियों के लिए टारगेट रेंज के भीतर HbA1c लेवल बनाए रखने से डायबिटीज से जुड़ी जटिल समस्याओं का खतरा कम हो सकता है और ओवरऑल हेल्थ में सुधार भी हो सकता है।

निष्कर्ष:

उम्र के अनुसार HbA1c लेवल को समझना व्यक्तियों और स्वास्थ्य-संबंधी सेवा देने वालों के लिए समान रूप से जरूरी है। जबकि सुझाए गए HbA1c टारगेट उम्र के साथ भिन्न हो सकते हैं, डायबिटीज से जुड़ी जटिल समस्याओं को रोकने के लिए गुड ब्लड ग्लुकोज (Good blood glucose) को कंट्रोल रखने के लिए प्राइमरी टारगेट कंसिस्टेंट (एक जैसा) बना रहता है। भारत में HbA1c की नॉर्मल रेंज और अन्य देशों में आमतौर पर एक समान है। हालांकि HbA1c रेंज विभिन्न फैक्टर्स के आधार पर भिन्न हो सकती है, सबसे बड़े फैक्टर्स में से एक डाइट है। यदि आप अपने HbA1c लेवल को लेकर चिंतित हैं तो प्रोफेशनल हेल्थकेयर से कंसल्ट (परामर्श) करें और एक उचित डायबिटीज मैनेजमेंट प्लान बनाएं। ध्यान रहे ज्ञान आपके हेल्थ को मैनेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसीलिए हर तरह की जानकारी से अपडेट रहें और अपने हेल्दी लाइफ के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाएं।

सको भी पढ़े: ट्राइग्लिसराइड्स सामान्य स्तर, उच्च स्तर के जोखिम, कारण और रोकथाम

HbA1c टेस्ट के सभी हाई वैल्यू का मतलब यह नहीं है कि आप डायबिटीज के मरीज हैं।

यदि आपका HbA1c लेवल हाई हो जाता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप हाई डायबिटीज से पीड़ित हैं। बहुत से लोग टाइप-ए (Type-A) को छोड़कर विभिन्न प्रकार के हीमोग्लोबिन के साथ आते हैं। यह स्थिति हीमोग्लोबिनोपैथी कहलाती है, जो HbA1c के हाई या कम वैल्यू (High or low values) को बताती है।

यदि आप एनीमिया (Anemia) से पीड़ित हैं या अपने शरीर में आयरन (Iron) की कमी से जूझ रहे हैं, तो भी आपको औसत 3 महीने के डायबिटीज टेस्ट की गलत वैल्यू मिलने की संभावना बनी रहती है। इसीलिए यदि आप 3 महीने का औसत ब्लड ग्लूकोज टेस्ट (Blood glucose tests) करवाना चाहते हैं, तो बेफिकर रहें कि आप एनीमिया (Anemia) से पीड़ित नहीं हैं।

कुछ दवाएं भी हैं जो ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट के लेवल के परिणामों को बदल सकती या प्रभाव डालती हैं। जिसमें शामिल है:

  • विटामिन C या E, आयरन, विटामिन B12 और फोलेट जैसे सप्लीमेंट
  • एरिथ्रोपोइटिन थेरेपी
  • एस्पिरिन
  • एंटीवायरल और एंटीमाइक्रोबियल दवाएं।

यदि आप ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट के लिए जा रहे हैं, तो आपका डॉक्टर उन फैक्टर्स को सुनिश्चित करेगा जो आपके टेस्ट परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।

भोजन की मात्रा और गुणवत्ता आपके हीमोग्लोबिन के लेवल पर काफी प्रभाव डाल सकती है, जिससे आपको गलत वैल्यू मिल सकते हैं। हमारी एक मरीज से बातचीत हुई, जिसे हाई HbA1c लेवल के कारण डायबिटीज होने का बहुत ही ज्यादा तनाव था। तनाव के साथ कई अन्य तरह की समस्याएं भी आती हैं, जैसे- नींद ना आना (अनिद्रा), थकान होना, कम एनर्जी लेवल, आत्महत्या जैसे विचार (Suicidal thoughts) आदि आते हैं। लेकिन उसने जब हमसे कंसल्ट किया और डायबिटीज रिवर्सल प्रोग्राम (Diabetes Reversal Program) को जॉइन किया, तो उसमें बहुत सुधार हुआ। वह अब एक हेल्दी लाइफस्टाइल का लुफ्त उठा रहा है। इस लाइफस्टाइल में रसोई में उपलब्ध न्यूट्रिशियस से भरपूर भोजन (पौष्टिक फूड प्रोडक्ट) शामिल हैं और सभी प्रोडक्ट उसके शरीर को सूट भी करते हैं, साथ ही वह अपने घर या ऑफिस में एक्सरसाइज भी कर सकता है।

अभी डायबिटीज एक्सपर्ट से अपना कंसल्टेशन (परामर्श) बुक करें। डायबिटीज स्पेशलिस्ट आपकी लाइफ स्टाइल को बदलने में मदद करते हैं। वे उन इमोशनल मुद्दों से निपटते हैं जो आपको डायबिटीज के दौरान हो सकती है। इंटरकनेक्टेड टेक्नोलॉजी (interconnected technology) और मानवीय मदद के अनुठे प्रयास से, एक व्यक्ति पूरे दिन हमारे डायबिटीक-फोकस्ड सपोर्ट से जुड़ा रह सकता है।

HbA1c टेस्ट और फिंगर प्रिक टेस्ट में क्या अंतर है?

HbA1c टेस्ट फिंगर प्रिक टेस्ट (ग्लूकोज) 
टेस्ट के प्रकार 2-3 महीनों में औसत ब्लड शुगर के लेवल का आकलन करने के लिए ब्लड में HbA1c का प्रतिशत मापा जाता है टेस्ट के समय वर्तमान ब्लड ग्लुकोज के लेवल को मापा जाता है
समय-सीमा का आकलन पिछले 2-3 महीनों के औसत ब्लड लेवल को दिखाता है टेस्ट के समय वास्तविक समय (Real-time) में ब्लड ग्लूकोज के लेवल को दिखाता है
उपवास (Fasting) की जरूरत उपवास की जरूरत नहीं होती है (No fasting required) उपवास की आवश्यकता हो भी सकती है या सुझाई जा सकती है, यह टेस्ट के उद्देश्य पर निर्भर करता है
टेस्ट में समय का अंतराल (Frequency of Testing) मरीज के डायबिटीज मैनेजमेंट के आधार पर टेस्ट आमतौर पर हर 3-6 महीने में किया जाता है मॉनिटरिंग प्लानिंग के आधार पर पूरे दिन में कई बार किया जा सकता है।
टेस्ट प्रक्रिया एक सुई का उपयोग करके नस (आमतौर पर बांह से) से ब्लड का सैंपल लिया जाता है और एनालिसिस करने के लिए लेबोरेटरी (प्रयोगशाला) में भेजा जाता है उंगली में लैंसेट (छोटी नुकीली वस्तु) चुभाकर ब्लड के कुछ बूंद सैंपल के रूप में लिए जाते और ग्लूकोमीटर का उपयोग करके मापा जाता है
संकेत डायबिटीज से निदान (डायग्नोस), लंबे समय से शुगर कंट्रोल की मॉनिटरिंग करने और जटिल समस्याओं के जोखिम का आकलन करने के लिए उपयोग किया जाता है तुरंत ब्लड ग्लूकोज का मूल्यांकन करने और रोजाना डायबिटीज को मैनेज करने के लिए उपयोग किया जाता है
परिणाम (Results Interpretations) प्रतिशत (%) के रूप में रिपोर्ट तैयार किया जाता है और हाई परसेंटेज (%) में खराब शुगर लेवल को कंट्रोल करने का संकेत देता है वर्तमान ब्लड ग्लूकोज के लेवल को मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) में दिखाता है और एक नंबर के रूप में रिपोर्ट तैयार करता है

 

सको भी पढ़े: डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकती है एंटीबायोटिक्स दवाइयाँ?

हाई या कम (High or Low) हीमोग्लोबिन A1c  लेवल के क्या कारण हैं?

हीमोग्लोबिन A1c का लेवल काफी हद तक ब्लड शुगर के लेवल पर निर्भर करता है। ब्लड में ग्लूकोज (शुगर) का लेवल जितना ज्यादा होगा, हीमोग्लोबिन A1c की मात्रा भी उतनी ही ज्यादा होगी। HbA1c की वैल्यू जितना ज्यादा होगा, डायबिटीज से जुड़ी जटिल समस्याओं का सामना करने का जोखिम भी उतना ही ज्यादा होगा। जिस व्यक्ति को लंबे समय से बिना मैनेज के डायबिटीज है, उसका लेवल 8% से ज्यादा हो सकता है। हीमोग्लोबिन A1c के लेवल में बदलाव के लिए कई फैक्टर्स शामिल हैं:

  • मुख (Oral) या नसों के द्वारा ग्लूकोज का सेवन
  • उपवास (Fasting)
  • इंसुलिन का उपयोग
  • ऊपर दिए गए फैक्टर में से किसी का कॉम्बिनेशन

एनीमिया जैसी हीमोग्लोबिन को प्रभावित करने वाली बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को इस टेस्ट से अस्पष्ट परिणाम मिल सकते हैं। अन्य चीजें जो हीमोग्लोबिन A1C के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं, उनमें विटामिन-C और विटामिन-E के साथ-साथ हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल सहित सप्लीमेंट भी शामिल हैं। किडनी की बीमारी और लिवर की बीमारी का भी टेस्ट पर असर देखा जा सकता है।

A1c टेस्ट कैसे काम करता है?

A1c टेस्ट हीमोग्लोबिन पर निर्भर करता है। हीमोग्लोबिन व्यक्ति की आरबीसी (Red Blood Cell) में मौजूद होता है और पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। जब ग्लूकोज ब्लड में होता है, तो यह हीमोग्लोबिन से चिपक (ग्लाइकेट्स) जाता है । ब्लड में ग्लूकोज की ज्यादा मात्रा होने के कारण हीमोग्लोबिन ज्यादा चिपक जाता है। A1c टेस्ट समय के साथ हीमोग्लोबिन से चिपकी औसत शुगर का आकलन करता है।

A1C और eAG क्या हैं और इनमें क्या अंतर हैं?

A1C और eAG क्या हैं

यदि कोई व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है और अपने ब्लड शुगर के लेवल को ट्रैक करता है, तो फिजिशियन A1C टेस्टों को eAG के रूप में रिपोर्ट कर सकता है। eAG परिणामों की रिपोर्टिंग मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dl) या मिलीमोल प्रति लीटर (mmol/l) यूनिट में की जाती है। उदाहरण के लिए 7% A1C लेवल 154 mg/dl या 8.6 mmol/l के eAG के बराबर होता है।

क्या कम हीमोग्लोबिन A1C को प्रभावित करता है?

कम हीमोग्लोबिन का HbA1c लेवल से सीधा संबंध है। इसका मतलब यह है कि जब हीमोग्लोबिन का लेवल गिरता है तो हीमोग्लोबिन का लेवल भी गिर जाता है।

हमारे किचन में ऐसे बहुत से फूड आइटम (खाद्य पदार्थ) होते हैं, जो पोषक तत्वों (Nutrients) से भरपूर होते हैं लेकिन हममें से ज्यादातर लोग उसके बारे में नहीं जानते हैं। जैसा कि मुझे याद है, कंस्लटेशन (परामर्श) कॉल पर एक मरीज ने हमें बताया था कि वह अपनी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट्स का सेवन नहीं करना चाहती थी, लेकिन वह एक ऐसे डाइट की तलाश में थी जिसमें Staple food (मुख्य भोजन) शामिल हो। एक पर्सनल डायटीशियन ने उन्हें एक डाइट चार्ट बनाने में मदद की थी, जो उनकी शरीर की जरूरतों के अनुसार बनाया गया और पूरी लाइफ उसको फॉलो करना आसान था।

हीमोग्लोबिन A1c कन्वर्जन चार्ट (HbA1c चार्ट)

अब तक संबंधित स्वास्थ्य संगठनों द्वारा डायबिटीज की टेस्ट के टूल्स (उपकरण) के रूप में हीमोग्लोबिन A1c टेस्ट का उपयोग करने के लिए कोई विशेष गाइडलाइन नहीं है। हालाँकि HbA1c के हाई वैल्यू से संकेत मिलता है कि व्यक्ति को डायबिटीज हो सकता है।

नीचे दिए गए चार्ट से HbA1c लेवल और औसत ब्लड शुगर लेवल के बीच संबंध दिखाता है।

अध्ययनों से पता चला है कि HbA1c ग्लूकोज लेवल में 1% की कमी से माइक्रोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा 10% तक कम हो जाता है। इस प्रकार जब आपका HbA1c नॉर्मल लेवल के करीब पहुंचता है, तो माइक्रोवैस्कुलर बीमारियों या जटिल समस्याओं का जोखिम भी कम हो जाता है।

अन्य डायबिटीज टेस्ट की तुलना में HbA1c टेस्ट के लाभ

इसके कई फायदों के कारण लोग अन्य डायबिटीज टेस्टों की तुलना में HbA1c टेस्ट को चुनना ज्यादा पसंद करते हैं। इसके कुछ फायदे इस तरीके के हैं:

किसी भी तरह की तैयारियों की जरूरत नहीं: HbA1c टेस्ट के लिए पहले से तैयारियों की जरूरत नहीं होती है। यह टेस्ट व्यक्ति दिन में किसी भी समय करा सकता है। लेकिन अन्य डायबिटीज टेस्टों के लिए फास्टिंग (उपवास) की जरूरत होती है। इस टेस्ट के लिए व्यक्ति को कम से कम 5 से 6 घंटे तक का फास्टिंग करना पड़ता है। फास्टिंग टेस्ट के बाद एक और अगला भोजन करने के बाद ब्लड टेस्ट होता है। यह भोजन लेने के बाद आपके ब्लड शुगर के लेवल को जानने में मदद करता है।

कोई स्पेशल डाइट फॉलो करने की जरूरत नहीं: एक ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Oral glucose tolerance test) भी डायबिटीज का निदान करता है। इस टेस्ट से पहले 3 दिनों तक एक स्पेशल डाइट को फॉलो करने की जरूरत होती है। इसके साथ ही टेस्ट से पहले व्यक्ति को रात भर फास्टिंग (उपवास) करना पड़ता है। फिर भी HbA1c टेस्ट के लिए जाते समय व्यक्ति अपनी पसंद के अनुसार कुछ भी खा या पी सकता है।

सुविधाजनक और समय बचाने वाली टेस्ट: कुछ घंटों के भीतर कई ब्लड टेस्ट किए जाते हैं। यह शुगर के लेवल को चेक करने या टेस्ट करने के लिए कई अन्य टेस्टों में ब्लड शुगर के लेवल का पता लगाने में मदद करता है। फिर भी HbA1c एक सिंगल ब्लड टेस्ट है। टेस्ट के 24 घंटे के अंदर व्यक्ति को HbA1c रिपोर्ट भी मिल जाती है और इसकी प्रक्रिया भी बहुत ही आसान है।

सको भी पढ़े: सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट: उपयोग, साइड इफेक्ट्स, प्रक्रिया, परिणाम

हीमोग्लोबिन A1c की वैल्यू मापने की लिमिटेशन (सीमाएं)

यदि कोई व्यक्ति बहुत ही ज्यादा डायबिटीज से पीड़ित है तो हीमोग्लोबिन A1c ब्लड टेस्ट उपयुक्त नहीं होता है। ब्लड शुगर का लेवल HbA1c के वैल्यू को प्रभावित नहीं करता है। कोई व्यक्ति हाइपोग्लाइसीमिया या हाइपरग्लाइसीमिया की उपस्थिति या अनुपस्थिति का भी डायग्नोस (निदान) नहीं कर सकता है। इसके अलावा किसी व्यक्ति को नीचे दिए गए स्थितियों में HbA1c लेवल का गलत हाई वैल्यू प्राप्त हो सकता है:

  • किडनी फेलियर
  • शराब का अधिक सेवन
  • एनिमिया (खून की कमी)
  • थैलेसीमिया
  • सिकल सेल बीमारी

HbA1c को कम करने के क्या फायदे हैं?

हाल के कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि टाइप 1 डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ितों के लिए HbA1c में 1% (या 11 mmol/mol) का सुधार माइक्रोवास्कुलर जटिल समस्याओं के जोखिम को 25% तक कम कर देता है।

माइक्रोवास्कुलर तब जटिल हो सकती हैं जब:

  • न्युरोपैथी (नस संबंधी बीमारी)
  • रेटिनोपैथी (रेटिना की नसों का डैमेज होना)
  • डायबिटीज संबंधी नेफ्रोपैथी (किडनी संबंधी बीमारी)

अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति जिनका HbA1c स्तर 1% कम हो जाता है, उनमें:

  • मोतियाबिंद होने की संभावना 19% कम होती है
  • हार्ट फेलियर होने की संभावना 16% कम होती है
  • पेरिफेरल वैस्कुलर बीमारी (Peripheral vascular disease) के होने के चलते या मृत्यु होने की संभावना 43% कम होती है। (पेरिफेरल वैस्कुलर रोग से पीड़ित होने की स्थिति में, शरीर के किसी भी भाग में धमनियों के अंदर वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम, आदि के साथ जमा होने लगती है)।

सको भी पढ़े: मधुमेह को नियंत्रित करें भारतीय आहार से

कुछ फेमस लैब्स में HbA1c टेस्ट रेट:

HbA1c टेस्ट आमतौर पर पॉकेट फ्रेंडली होते हैं यानी इसकी टेस्ट में बहुत ज्यादा खर्च नहीं आता है। यहां भारत के कुछ फेमस लैब्स के नाम दिए गए हैं, जो नीचे दिए गए रेट HbA1c टेस्ट की सेवा प्रदान करते हैं:

भारत में लैब्स

रेट
मैक्स हेल्थकेयर 450
रेडक्लिफ लैब्स 299
हेल्दीयंस 299
अपोलो 350
पैथकाइंड लैब्स 450
1MG 399
फार्मेसी 449
डॉ लाल पैथलैब्स 440
थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज 300
विजया डायग्नोस्टिक्स 510
हाउस ऑफ डायग्नोस्टिक्स 270

नोट: ऊपर दिए गए टेस्ट रेट वर्तमान के हैं और क्षेत्र, शहर, अतिरिक्त टेस्ट आदि के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।

निष्कर्ष

अंत में डायबिटीज को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए HbA1c लेवल को समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है। HbA1c या हीमोग्लोबिन A1c, पिछले दो से तीन महीनों में औसत ब्लड शुगर के लेवल की वैल्यू का संकेत देता है। यह डायबिटीज, प्रीडायबिटीज और गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational Diabete) से डायग्नोस (निदान) होने और इन स्थितियों की मॉनिटरिंग और मैनेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

HbA1c टेस्ट के लिए फास्टिंग की जरूरतों को खत्म करता है, ब्लड शुगर कंट्रोल की एक डिटेल जानकारी प्रदान करता है, और स्वास्थ्य संबंधी सेवा देने वालों (हेल्थकेयर प्रोवाइडर) को ट्रीटमेंट प्लान और रोकथाम के उपाय जैसे जरूरी फैसले लेने में मदद करता है।

जटिल समस्याओं को रोकने और ट्रीटमेंट प्लान की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए रेगुलर HbA1c टेस्ट जरूरी है। टेस्ट की सुविधा, सटीकता और लंबे समय के लिए ग्लूकोज कंट्रोल करने और डायबिटीज मैनेजमेंट में महत्वपूर्ण टूल साबित होता है। HbA1c लेवल उम्र, हेल्थ स्टेटस और अन्य फैक्टर्स के आधार पर भिन्न हो सकता है, जिससे ऑप्टिमल कंट्रोल के लिए व्यक्तिगत टारगेट तय करना जरूरी हो जाता है।

लोगों को अपने HbA1c टेस्ट परिणामों की व्याख्या करने और लाइफस्टाइल, डाइट और दवाओं में आवश्यक तालमेल बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य संबंधी सेवा देने वालों (हेल्थकेयर प्रोवाइडर) के साथ मिलकर काम करना चाहिए।HbA1c लेवल की मॉनिटरिंग, सेल्फ-केयर और एक्सपर्ट के गाइडेंस के साथ मिलकर व्यक्तियों को हेल्दी लाइफ जीने और डायबिटीज की जटिल समस्याओं से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए हौसला मिलता है।

रेगुलर टेस्ट, सुझाए गए टारगेट को फॉलो करना और हेल्दी आदतों को अपनाना, लंबे समय तक ब्लड शुगर को बेहतर तरीके से कंट्रोल करने की दिशा में जरूरी कदम साबित होता है।

References:

  1. A1C: यह क्या है, परीक्षण, स्तर – https://my.clevelandclinic.org/health/diagnostics/9731-a1c
  2. उम्र के साथ जुड़े हीमोग्लोबिन A1c का स्तर – https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC8038122/
  3. ईएजी/ए1सी रूपांतरण कैलकुलेटर – https://professional.diabetes.org/glucose_calc
  4. मधुमेह मेलिटस स्क्रीनिंग – https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK554615/

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या होता है जब Hba1c लेवल हाई होता है?

जब HbA1c लेवल हाई होता है, तो यह लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर लेवल की ओर इंगित या सूचित करता है। इससे डायबिटीज में जटिल समस्याएं हो सकती हैं, जैसे हार्ट संबंधी बीमारी, किडनी डैमेज, नसों का डैमेज होना, आंखों की समस्याएं और कमजोर इम्यून सिस्टम। हाई HbA1c के लिए जटिल समस्याओं को रोकने और पूरी तरीके से हेल्थ में सुधार लाने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव, मेडिसिन में तालमेल और नियमित रूप से मॉनिटरिंग सहित तुरंत एक्शन की आवश्यकता होती है।

बिना डायबिटीज वाले व्यक्ति के लिए नॉर्मल रेंज: 5.7% से कम (हरा)
ऑफिशियल ADA प्री-डायबिटीज रेंज: 5.7% से ऊपर और 6.5% से कम (पीला)
टाइप 2 डायबिटीज के लिए ऑफिशियल ADA का सुझाव: 6.5% और इससे ऊपर (लाल)

डायबिटीज में hba1c को कैसे कंट्रोल करें?

संतुलित डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज, मेडिसिन लेना और ब्लड शुगर की मॉनिटरिंग की मदद से डायबिटीज में HbA1c को कंट्रोल किया जा सकता है। स्ट्रेस ना लें, पर्याप्त नींद लें, शराब के सेवन को कंट्रोल करें और स्मोकिंग छोड़ दें। रेगुलर टेस्ट कराएं, खुद को शिक्षित करें और व्यक्तिगत डायबिटीज मैनेजमेंट और ओवरऑल हेल्थ में सुधार के लिए हेल्थकेयर टीम के साथ मिलकर काम करें।

प्रेग्नेंसी में बढ़े हुए HbA1c के क्या प्रभाव होते हैं?

प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़े हुए HbA1c लेवल के महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकते हैं। यह खराब ब्लड शुगर कंट्रोल का संकेत दे सकता है, जिससे मां और बच्चे दोनों के लिए गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational diabetes) से होने वाली जटिल समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। अनियंत्रित हाई ब्लड शुगर (Uncontrolled high blood sugar) से मैक्रोसोमिया (बड़े बच्चे), जन्म संबंधी जटिल समस्याएं, समय से पहले जन्म और बाद में जीवन में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है। हेल्दी प्रेग्नेंसी परिणाम सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मॉनिटरिंग और मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है।

HbA1c टेस्ट के दौरान क्या होता है?

HbA1c टेस्ट के दौरान आमतौर पर बांह से ब्लड का एक छोटा सा सैंपल लिया जाता है, और एनालिसिस के लिए लैबोरेटरी में भेजा जाता है। टेस्ट ग्लूकोज के साथ हीमोग्लोबिन के प्रतिशत को मापता है, जो पिछले 2 से 3 महीनों में औसत ब्लड शुगर लेवल को दिखाता है। यह डायबिटीज के डायग्नोस (निदान) करने और लंबे समय तक ब्लड शुगर कंट्रोल का आकलन करने में मदद करता है।

ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन का टेस्ट कैसे किया जाता है?

ब्लड ग्लूकोज टेस्ट की तुलना में ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन की टेस्ट से पहले फास्टिंग (उपवास) की कोई आवश्यकता नहीं होती है। ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन एक सिंपल ब्लड टेस्ट है। डॉक्टर या पैथोलॉजिस्ट ब्लड के सैंपल ले सकते हैं।

क्या HbA1c ब्लड टेस्ट घर पर किया जा सकता है?

घर पर टेस्ट सही मायने में उन लोगों के लिए अच्छा है, जो डायबिटीज से पीड़ित होते हैं। आप समय के साथ अपने ग्लूकोज मैनेजमेंट की मॉनिटरिंग के लिए टेस्ट किट प्राप्त कर सकते हैं। टेस्ट के परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको किट में दिए गए HbA1c टेस्ट प्रक्रिया को फॉलो करना होगा।

क्या आप HbA1c से गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational diabetes) की टेस्ट कर सकते हैं?

नहीं, HbA1c ब्लड टेस्ट से गर्भकालीन डायबिटीज का निदान (डायग्नोस) नहीं किया जा सकता है। गर्भकालीन डायबिटीज की टेस्ट के लिए ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Oral glucose tolerance test) का उपयोग किया जाता है।

HbA1c का फुल फॉर्म क्या है?

HbA1c टर्म ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन को रेफर करता है। यह तब विकसित होता है जब हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं (Red blood cells) के भीतर एक प्रोटीन (जो आपके पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है) ब्लड में ग्लूकोज के साथ जुड़ जाता है, और ‘ग्लाइकेटेड’ बन जाता है।

नॉर्मल HbA1c लेवल क्या है?

HbA1c (हीमोग्लोबिन A1c) एक ब्लड टेस्ट है, जो औसत ब्लड शुगर के लेवल को मापता है। इस टेस्ट के लिए नॉर्मल लेवल 4% और 5.6% के बीच होता है। 5.7% और 6.4% की रेंज में वैल्यू प्री-डायबिटिक स्थिति को दिखाता है, जबकि 6.5% से ऊपर की वैल्यू डायबिटीज से पीड़ित होने को बताता है।

HbA1c टेस्ट में खर्च कितना आता है?

HbA1c (हीमोग्लोबिन A1c) डायबिटीज के निदान (डायग्नोस) के लिए एक ब्लड टेस्ट है। इस टेस्ट का रेट 300 रुपये से लेकर 800 रुपये तक हो सकता है। रेट शहर-शहर और मरीज की पसंद के हिसाब से अलग-अलग होता है, जैसे घर से सैंपल लेने का रेट अलग होता है।

ब्लड टेस्ट में HbA1c क्या होता है?

HbA1c को ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट के रूप में जाना जाता है। इस ब्लड टेस्ट का उपयोग 3 महीने के औसत ब्लड शुगर लेवल का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह हीमोग्लोबिन से जुड़ने वाले ग्लूकोज की मात्रा को कैलकुलेट करता है।

क्या HbA1C टेस्ट के लिए फास्टिंग (उपवास) आवश्यक है?

HbA1c (हीमोग्लोबिन A1c) डायबिटीज के निदान के लिए एक बहुत प्रभावी परीक्षण है। परीक्षण से पहले उपवास करने की कोई आवश्यकता नहीं है। आप परीक्षण कराने से पहले खा-पी सकते हैं।

HbA1c टेस्ट क्या संकेत देता है?

हीमोग्लोबिन A1c ब्लड टेस्ट वैल्यू पिछले 3 महीनों के लिए ब्लड में मौजूद ग्लूकोज की औसत मात्रा को मापता है। इस प्रकार यदि वैल्यू अधिक है तो यह प्री-डायबिटीज या डायबिटीज का संकेत देता है।

A1C टेस्ट कैसे काम करता है?

HbA1C टेस्ट हीमोग्लोबिन से जुड़ने वाले ग्लूकोज की मात्रा को मापकर काम करता है। मरीज से ब्लड का सैंपल लिया जाता है और उसमें जुड़े हीमोग्लोबिन और ग्लूकोज की मात्रा प्रतिशत में मापी जाती है। यदि वैल्यू 5.7% से कम है तो परिणाम नॉर्मल माना जाता है।

HbA1c ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट किसके लिए प्रयोग किया जाता है?

HbA1c टेस्ट या ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है जो यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि आपको डायबिटीज है या या नहीं। हमारे शरीर में ग्लूकोज ब्लड में मौजूद हीमोग्लोबिन से जुड़ा होता है। इस प्रकार यह ब्लड टेस्ट हीमोग्लोबिन से जुड़ने वाले ग्लूकोज की मात्रा को कैलकुलेट करता है। हीमोग्लोबिन की लाइफ 3 महीने की होती है। इस प्रकार यह टेस्ट वैल्यू पिछले 3 महीनों के लिए ब्लड में मौजूद ग्लूकोज की औसत मात्रा को बताता है।

A1C का मतलब क्या होता है?

जब ग्लूकोज हीमोग्लोबिन (Hb) से जुड़ता है तो यह ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन HbA1c बन जाता है। A का मतलब वयस्क है और HbA1c ब्लड में मौजूद हीमोग्लोबिन का सबसे सामान्य प्रकार (Common type) है, जो ग्लूकोज से जुड़ा होता है। इस प्रकार यह टेस्ट HbA1c से जुड़े ग्लूकोज की मात्रा को मापता है।

नॉन-डायबिटिक लोगों के लिए नॉर्मल A1C लेवल क्या हैं?

नॉन-डायबिटिक लोगों के लिए HbA1c ब्लड टेस्ट की नॉर्मल वैल्यू 4% से 5.6% के बीच यानी 68 से 100 mg/dL के बीच होती है।

HbA1c टेस्ट किसके लिए किया प्रयोग किया जाता है?

HbA1c टेस्ट ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट के लिए एक और टर्म है। यह पिछले तीन महीनों के औसत ब्लड शुगर के लेवल का मूल्यांकन करने के लिए उपयोगी होता है। HbA1C टेस्ट हर डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है।

क्या HbA1c टेस्ट से पहले पानी पिया जा सकता है?

हां,  ब्लड टेस्ट से पहले खाली पेट पानी पिया जा सकता है। दरअसल पर्याप्त पानी पीने से यह सुनिश्चित होता है कि आपको सटीक टेस्ट परिणाम मिलें। डिहाइड्रेशन (पानी ना पीने) का इलेक्ट्रोलाइट, कोलेस्ट्रॉल और BUN टेस्टों जैसे ब्लड टेस्ट पर प्रभाव पड़ सकता है।

क्या डायबिटीज के बिना HbA1c हाई हो सकता है?

रिसर्च स्टडी के अनुसार, 3.8% नॉन-डायबिटीक लोगों का A1C लेवल बढ़ा (6.0 से ऊपर) होता है। इस वर्ग के लोगों में संभवतः हार्ट संबंधी समस्याओं या टाइप 2 डायबिटीज के अन्य जोखिम फैक्टर्स पाए जाते हैं।

हाई HbA1c के लक्षण क्या हैं?

हाई HbA1C के लक्षणों में थकान, बार-बार पेशाब आना, वजन कम होना और बिना समय के प्यास लगना हो सकता हैं।

क्या HbA1c 8.5 नॉर्मल है?

नॉन-डायबिटीक लोगों के लिए, नॉर्मल HbA1c लेवल 4% से 5.6% के बीच होता है। 5.7% और 6.4% के बीच का लेवल प्री-डायबिटीक और डायबिटीज की अधिक संभावना की ओर इंगित या सूचित करता है। 6.5% या इससे अधिक HbA1c लेवल डायबिटीज का संकेत देता है।

A1C चार्ट, टेस्ट, लेवल और इसकी नार्मल रेंज क्या है?

वो लोग जिनका ब्लड गुलूकोज़ (glucose) लेवल सही है। उनको ये टेस्ट हर 6 महीने में करवाना चाहिए और जो लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। उनको यह टेस्ट हर 3 महीने में करवाना ज़रूरी है।

ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट किस तरह किया जाता है?

ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट कोई भी मान्यता प्राप्त डॉक्टर या पैथालॉजिस्ट आसानी से कर सकता है। ये बहुत ही नार्मल टेस्ट है। और इसमें भूखा रहने की कोई ज़रूरत नहीं है।

क्या HbA1c टेस्ट घर पर करवा सकते हैं?

HbA1c टेस्ट घर पर करवाया जा सकता है। बस इसके लिए आपको एक FDA द्वारा दी गयी जांच किट मंगवानी होगी और उसपर दिए गए निर्देशों का पालन करना होगा।

क्या गर्भकालीन डायबिटीज (gestational diabetes) की जांच HbA1c के ज़रिये हो सकती है?

गर्भकालीन डायबिटीज (gestational diabetes) की जांच HbA1c के ज़रिये नहीं हो सकती है। क्योकि इसकी जांच के लिए ओरल गुलूकोज़ टटोलेरंस टेस्ट (oral glucose tolerance test) करवाने की ज़रूरत होती है।

हीमोग्लोबिन A1c लेवल टेस्ट की कीमत क्या है?

इसकी कीमत नार्मल टेस्ट से ज़्यादा है। क्योकि ये उससे ज़्यादा सही रिजल्ट्स देता है। इसकी भी कीमत शहर और अस्पताल के हिसाब से बदल जाती है। और अगर मरीज़ अपने खून की जांच घर बैठे ही करवाना चाहता है। तो इसकी कीमत और ज़्यादा बढ़ जाती है लेकिन इसकी कीमत ज़्यादातर जगहों पर 500 Rs है।

HbA1c की फुल फॉर्म क्या है?

ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) ‎ को ही HbA1c कहा जाता है। जब लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) का प्रोटीन जो सारे जिस्म में ऑक्सीजन पोहचाने का काम करता है गुलूकोज़ (glucose) के साथ मिलकर ग्लीकेटेड (glycated) बन जाता है।

HbA1c टेस्ट की कीमत क्या है या ये कितने पेसो में हो जाता है?

HbA1c टेस्ट की कीमत वैसे तो 300rs से 800rs लगभग है। लेकिन इसकी कीमत शहर और अस्पताल के हिसाब से बदल जाती है। और अगर मरीज़ अपने खून की जांच घर बैठे ही करवाना चाहता है तो इसकी कीमत और ज़्यादा बढ़ जाती है।

HbA1c टेस्ट क्या है?

ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) एक तरीके का टेस्ट है इसमें आपकी पिछले तीन महीने की गुलूकोज़ (glucose) काउंट होती है जिससे इंसान को यह पता लगता है के वो बिमारी से ग्रस्त है या नहीं। यह टेस्ट आपके शरीर के गुलूकोज़ को नापता है के वो कितना ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) से जुड़ा हुआ है।

HbA1c टेस्ट से पहले क्या भूखा रहना ज़रूरी है?

इस टेस्ट में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। इसमें आप टेस्ट से पहले या बाद में खाना पीना कर सकते है। और यह टेस्ट डायबिटीज (diabetes) को पता लगाने के लिए सबसे अच्छा टेस्ट है। जिसमे आपको आपके शरीर की सही इस्तिथि का पता लगता है।

HbA1c टेस्ट से पता लगता है?

इसमें आपकी पिछले तीन महीने की गुलूकोज़ (glucose) काउंट होती है । अगर ये सही नहीं निकलती है। तो इसका मतलब आपको डायबिटीज (diabetes) की शुरुवात है। या फिर आप इस बिमारी की गिरफ्त में पूरी तरह आ चुके हैं।

A1C टेस्ट किस तरह से किया जाता है?

सबसे पहले मरीज़ के खून का नमुना लिया जाता और उसके बाद इस टेस्ट को किया जाता है। इसमें शरीर के गुलूकोज़ (glucose) को नापा जाता है। के वो कितना ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) से जुड़ा हुआ है। अगर यह 5.7 से कम है। तो इसका मतलब इंसान को डायबिटीज नहीं है।

ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) का इस्तेमाल किस लिए किया जाता है या यह किस काम में आता है?

ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) एक तरीके का टेस्ट है जिससे ये पता लगाया जाता है। इंसान को डायबिटीज है के नहीं यह टेस्ट आपके शरीर के गुलूकोज़ को नापता है के वो कितना ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) से जुड़ा हुआ है। ये टेस्ट हर तीन महीने बाद किया जा सकता है। क्यों की इसमें आपकी पिछले तीन महीने की गुलूकोज़ (glucose) काउंट होती है।

A1C की परिभाषा क्या है?

जब किसी इंसान के शरीर का गुलूकोज़ (glucose) उसके हीमोग्लोबिन (Hb) के साथ जुड़ता है। तो यह ग्लीकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) बन जाता है। ए (A) के मायने है एडल्ट यानि बालिग जवान| ग्लीकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) सबसे आम किस्म का हीमोग्लोबिन हैं। जो की आपके खून में मौजूद होता है। और यह आपके शरीर के गुलूकोज़ को अपने साथ जोडता है। इस लिए यह टेस्ट आपके शरीर के गुलूकोज़ (glucose) को नापता है। के वो कितना ग्लीकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) से जुड़ा हुआ है।

जिन लोगो को डायबिटीज (diabetes) नहीं है उनका HbA1C (A1C) स्तर क्या होना चाहिए ?

जिन लोगो को डायबिटीज (diabetes) नहीं है। उनका HbA1C स्तर 4% से 5.6% के बीच होना चाहिए इसका मतलब 68 से 100 मिलीग्राम / डीएल के बीच होनी चाहिए।

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

Disclaimer

This site provides educational content; however, it is not a substitute for professional medical guidance. Readers should consult their healthcare professional for personalised guidance. We work hard to provide accurate and helpful information. Your well-being is important to us, and we value your feedback. To learn more, visit our editorial policy page for details on our content guidelines and the content creation process.

Leave a Reply

loading..

फ्री डायबिटीज डाइट प्लान डाउनलोड करें

डाइट प्लान डाउनलोड करें