डायबिटीज़ को कंट्रोल में रखना सिर्फ खाना खाने के बाद ब्लड शुगर चेक करने से ज़्यादा जटिल है। हीमोग्लोबिन A1c (HbA1c) टेस्ट खून में कई महीनों की औसत शुगर बताता है, जो डायबिटीज़ मैनेजमेंट के लिए बहुत ज़रूरी है। HbA1c कम रखना डायबिटीज़ को अच्छे से मैनेज करने और बीमारियों के खतरे को कम करने के लिए भी ज़रूरी है। आज इस ब्लॉग में हम आपको ऐसी कई आसान चीज़ें बताएंगे जिससे आप अपनी डाइट, एक्सरसाइज़, दवाइयों, और तनाव कम करने के तरीकों आदि में बदलाव लाकर अपना HbA1c कम कर सकते हैं। इससे आपका ब्लड शुगर तो कंट्रोल में रहेगा ही, साथ ही आपकी पूरी हेल्थ भी अच्छी रहेगी।
HbA1c परीक्षण (HbA1c Test)
हीमोग्लोबिन A1c (HbA1c) टेस्ट, जिसे ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट भी कहा जाता है, वो खून का एक टेस्ट है जो पिछले 2-3 महीनों में खून में औसत शुगर की मात्रा बताता है। ये टेस्ट डायबिटीज़ मैनेजमेंट के लिए बहुत ज़रूरी है और ये बताता है कि आप लंबे समय से अपनी शुगर को कितना अच्छे से कंट्रोल कर रहे हैं।
HbA1c परीक्षण कैसे काम करता है:
- खून का नमूना लेना: सबसे पहले डॉक्टर या नर्स आपके हाथ की किसी नस से सुई की मदद से खून का थोड़ा सा नमूना लेंगे।
- परीक्षण (टेस्ट): खून के इस नमूने को जांच के लिए लैब में भेज दिया जाता है। वहां ये पता लगाया जाता है कि हीमोग्लोबिन में से कितना ग्लाइकेटेड है, यानी कितना ग्लूकोज़ के साथ जुड़ा हुआ है।
- नतीजे समझना: HbA1c टेस्ट का रिजल्ट परसेंटेज में मिलता है। जिन लोगों को डायबिटीज़ नहीं है, उनके लिए सामान्य रेंज 5.7% से कम होती है। अगर आपको डायबिटीज़ है, तो आपका HbA1c कितना होना चाहिए ये आपकी उम्र, सेहत और दूसरी बीमारियों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। आमतौर पर, HbA1c जितना कम होता है, उतना ही अच्छा माना जाता है।
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HbA1c परीक्षण करवाना कितनी बार ज़रूरी है?
HbA1c टेस्ट करवाने की ज़रूरत हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकती है। लेकिन, जिन लोगों को डायबिटीज़ है, उनके लिए हर 3-6 महीने में ये टेस्ट करवाना अच्छा रहता है। इससे आप लंबे समय में शुगर कंट्रोल को मॉनिटर कर सकते हैं और ज़रूरत के हिसाब से इलाज में बदलाव कर सकते हैं।
अंत में, HbA1c परीक्षण डायबिटीज़ मैनेजमेंट के लिए बहुत ज़रूरी है। ये रोज़ाना शुगर चेक करने से बेहतर जानकारी देता है कि आप लंबे समय से शुगर को कंट्रोल कर पा रहे हैं या नहीं। इससे डॉक्टर को ये पता चलता है कि आपका इलाज कितना कारगर है और ज़रूरत के हिसाब से दवाओं में बदलाव कर सकते हैं। साथ ही, ये टेस्ट डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए शुगर कंट्रोल का लक्ष्य भी निर्धारित करने में मदद करता है।
HbA1c बढ़ने से क्या होता है?
अगर HbA1c परीक्षण का रिजल्ट ज़्यादा आता है, तो ये इशारा करता है कि लंबे समय से आपकी शुगर कंट्रोल में नहीं है। आइए जानते हैं HbA1c ज़्यादा होने से क्या दिक्कतें हो सकती हैं:
- डायबिटीज़ की जटिलताएं बढ़ने का खतरा: HbA1c ज़्यादा होने से आँखों (Diabetic Retinopathy), किडनी (Diabetic Nephropathy), नसों (Diabetic Neuropathy) और दिल (Heart Disease) जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- शरीर में परेशानी बढ़ना: जिन लोगों को डायबिटीज़ है, उनके लिए HbA1c ज़्यादा होने पर प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, कमज़ोरी, आँखों का धुंधला होना, घाव भरने में देरी और इंफेक्शन होने का खतरा ज़्यादा रहता है।
- सेहत पर बुरा असर: खराब शुगर कंट्रोल सेहत पर भी बुरा असर डालता है। इससे शरीर में सूजन (inflammation), ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और हॉर्मोन असंतुलन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं, जिससे दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- डायबिटीज़ का बढ़ना: अगर आप HbA1c को कम करने के लिए खान-पान और दवाओं में बदलाव नहीं करते हैं, तो ये डायबिटीज़ को और बढ़ा सकता है। ऐसे में डॉक्टर को दवाओं में बदलाव करना पड़ सकता है या और इलाज की ज़रूरत भी हो सकती है।
- इलाज में मुश्किल: HbA1c ज़्यादा होने पर शुगर को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। डॉक्टर आपको खान-पान में बदलाव, दवाओं की मात्रा में बदलाव या इंसुलिन लेने की सलाह दे सकते हैं।
- सीखने और मदद की ज़रूरत: HbA1c ज़्यादा होने पर आपको अपनी डायबिटीज़ को मैनेज करने के लिए ज़्यादा जानकारी और मदद की ज़रूरत पड़ सकती है। इससे आप डॉक्टर की सलाह को अच्छे से मान पाएंगे, खुद शुगर चेक कर पाएंगे और अपनी आदतों में बदलाव कर पाएंगे।
इसलिए ज़रूरी है कि आप डॉक्टर के साथ मिलकर काम करें, अपना HbA1c टेस्ट नियमित रूप से करवाएं और टेस्ट रिजल्ट को समझें। साथ ही, शुगर कंट्रोल करने के लिए ज़रूरी कदम उठाएं। HbA1c को कम करके आप डायबिटीज़ की जटिलताओं से बच सकते हैं और अच्छी ज़िंदगी जी सकते हैं।
HbA1c लेवल कैसे कम करें? – HbA1c Kaise Kam Kare
डायबिटीज़ को अच्छे से मैनेज करने और जटिलताओं से बचने के लिए HbA1c को कम करना बहुत ज़रूरी है। आइए जानते हैं HbA1c कम करने के कुछ तरीके:
- शुगर लेवल की जांच करते रहें: डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करें। अपनी शुगर रीडिंग्स को लिखकर रखें ताकि आप पैटर्न को समझ सकें और ज़रूरी बदलाव कर सकें।
- सेहतमंद खाना खाएं: रेशेदार चीज़ें, लीन प्रोटीन, साबुत अनाज, फल और सब्ज़ियां ज़्यादा खाएं। मीठी चीज़ें, डिब्बाबंद खाना, फैट वाली चीज़ें और ज़्यादा कार्ब्स वाले भोजन कम खाएं। अपने लिए खाने का चार्ट बनाने के लिए किसी डायटिशियन की मदद लें। वो आपकी ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए ऐसा चार्ट बनाएंगे जो आपकी डायबिटीज़ को मैनेज करने में मदद करेगा।
- एक्सरसाइज़ करें: रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें, जैसे तेज चलना, जॉगिंग, साइकिल चलाना, तैरना या वज़न उठाना। हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट मध्यम गति की एक्सरसाइज़ करें और दो दिन हफ्ते वज़न ट्रेनिंग भी ज़रूर करें।
- तनाव कम करें: तनाव कम करने के लिए गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज़, ध्यान (meditation), योग, माइंडफुलनेस का अभ्यास करें या ऐसे शौक अपनाएं जिनसे आपको खुशी और आराम मिले।
- दवाइयां लें: अगर डॉक्टर ने आपको दवाइयां दी हैं, तो उन्हें ठीक से लें। बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां लेना बंद न करें या उनकी मात्रा में बदलाव न करें।
- पानी पीते रहें: पूरे दिन भर में पानी पीते रहें। इससे आप हाइड्रेटेड रहेंगे और आपकी किडनी भी ठीक से काम करेगी।
- पर्याप्त नींद लें: हर रात 7-9 घंटे की अच्छी नींद ज़रूर लें। नींद पूरी ना होने से आपकी शुगर और सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
- धूम्रपान छोड़ें और शराब कम पिएं: अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ने की कोशिश करें। धूम्रपान करने से डायबिटीज़ की जटिलताएं बढ़ सकती हैं। शराब भी कम मात्रा में ही पीएं, जितना डॉक्टर ने सलाह दी है।
- डॉक्टर को दिखाते रहें: नियमित रूप से डॉक्टर के पास जांच करवाएं ताकि वो आपकी डायबिटीज़ को मैनेज कर सकें, आपका HbA1c टेस्ट कर सकें और ज़रूरत के हिसाब से इलाज में बदलाव कर सकें।
- जानकारी रखें: डायबिटीज़ मैनेजमेंट के बारे में जानकारी रखें, डायबिटीज़ से जुड़ी क्लासेस में जाएं और डायबिटीज़ शिक्षकों, सहायता समूहों या ऑनलाइन जानकारी से मदद लें।
याद रखें कि डायबिटीज़ को मैनेज करने और HbA1c कम करने के लिए हर तरह की चीज़ों का ध्यान रखना ज़रूरी है, जैसे खान-पान में बदलाव, दवाइयां लेना और नियमित जांच। अपनी ज़रूरतों के हिसाब से डॉक्टर और उनकी टीम के साथ मिलकर ऐसा प्लान बनाएं जो आपके लिए कारगर हो।
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HbA1c लेवल बढ़ा होने पर क्या न करें?
HbA1c ज़्यादा होने पर कुछ आदतों और चीज़ों से बचना बहुत ज़रूरी है। ये आदतें आपकी शुगर को और बढ़ा सकती हैं और डायबिटीज़ को कंट्रोल करना मुश्किल कर सकती हैं:
- दवाइयां ना लेना: डॉक्टर की सलाह के बिना अपनी दवाइयां लेना बंद न करें या उनकी मात्रा में बदलाव न करें। दवाइयां ना लेने से आपकी शुगर पर कंट्रोल नहीं रहेगा और इलाज भी प्रभावित होगा।
- गलत खान-पान: ज़्यादा मीठा, मैदा, फैट वाली चीज़ें और डिब्बाबंद खाना खाने से बचें। इनसे शुगर एकदम से बढ़ जाती है और शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल अच्छे से नहीं कर पाता।
- एक्सरसाइज़ ना करना: पूरे दिन बैठे रहना और कोई भी एक्सरसाइज़ ना करना ठीक नहीं है। रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें। एक्सरसाइज़ ना करने से वज़न बढ़ सकता है, शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल अच्छे से नहीं कर पाएगा और शुगर पर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा।
- शरीर के संकेतों को नज़रअंदाज़ करना: ज़्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, कमज़ोरी, आँखों का धुंधला होना और घाव देर से भरना जैसी परेशानियों को नज़रअंदाज़ ना करें। अगर तबीयत में कोई बदलाव होता है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
- तनाव और नींद पूरी ना होना: तनाव को कम करने के लिए गहरी सांस लेने की एक्सराइज़, ध्यान (meditation), योग या ऐसे शौक अपनाएं जिनसे आपको खुशी मिले। अच्छी नींद भी बहुत ज़रूरी है। नींद पूरी ना होने से शुगर पर असर पड़ता है और सेहत भी खराब रहती है।
- शराब और धूम्रपान: शराब कम मात्रा में ही पीएं। ज़्यादा शराब पीने से शुगर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ने की कोशिश करें। धूम्रपान करने से डायबिटीज़ की जटिलताएं बढ़ सकती हैं।
- डॉक्टरी सलाह को न मानना: डॉक्टर की सलाह को कभी भी नज़रअंदाज़ ना करें और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर को दिखाने में देरी ना करें। नियमित रूप से जांच करवाएं, डॉक्टर के बताए अनुसार दवाइयां लें और अपना इलाज ठीक से कराएं।
- पानी की कमी: पूरे दिन भर में पानी पीते रहें। शरीर में पानी की कमी होने से भी शुगर पर असर पड़ सकता है और सेहत भी खराब रहती है।
- बिना डॉक्टर की सलाह के इलाज करना: अपनी डायबिटीज़ को मैनेज करने के लिए कोई भी बड़ा बदलाव करने से पहले डॉक्टर या डायटिशियन से ज़रूर सलाह लें। अपनी ज़रूरतों के हिसाब से डॉक्टर और उनकी टीम के साथ मिलकर ही इलाज का प्लान बनाएं।
इन आदतों को छोड़कर और सेहतमंद आदतें अपनाकर आप अपनी शुगर को अच्छे से मैनेज कर सकते हैं, HbA1c कम कर सकते हैं और डायबिटीज़ की जटिलताओं से बच सकते हैं। हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें ताकि वो आपको सही जानकारी दे सकें और आपकी मदद कर सकें।
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निष्कर्ष
HbA1c कम करना ही डायबिटीज़ को मैनेज करने का सबसे ज़रूरी तरीका है। इससे ना सिर्फ बीमारियों का खतरा कम होता है, बल्कि आपकी तबीयत भी अच्छी रहती है। अगर आप हेल्दी खाना खाते हैं, नियमित एक्सरसाइज़ करते हैं, डॉक्टर की बताई दवाइयां लेते हैं, तनाव कम रखते हैं, पानी पीते रहते हैं, अच्छी नींद लेते हैं और नियमित जांच करवाते हैं, तो आप अपनी शुगर को कंट्रोल में रख सकते हैं और HbA1c कम कर सकते हैं। इसमें डॉक्टर, डायबिटीज़ शिक्षक और आपका सहयोग नेटवर्क आपकी बहुत मदद कर सकता है। वो मिलकर आपके लिए एक ऐसा प्लान बनाएंगे जो आपकी ज़रूरतों के हिसाब से हो। अगर आप मन लगाकर, लगातार और खुद की देखभाल सही से करके आगे बढ़ते हैं, तो आप डायबिटीज़ को अच्छे से मैनेज कर सकते हैं और पूरी तरह से स्वस्थ रह सकते हैं!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
डायबिटीज़ मैनेजमेंट हर व्यक्ति के लिए अलग होता है। कभी-कभी दवाओं की मात्रा में बदलाव या इलाज का तरीका बदलने की ज़रूरत पड़ सकती है। लेकिन, हेल्दी आदतें अपनाने से, नियमित जांच करवाने से और डॉक्टर की सलाह मानने से ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखा जा सकता है।
ज़्यादा शराब पीने से ब्लड शुगर कंट्रोल बिगड़ सकता है और HbA1c बढ़ सकता है। शराब को सीमित मात्रा में ही पीना चाहिए और ये आपके ब्लड शुगर को कैसे प्रभावित करती है, इस पर ध्यान देना चाहिए। अगर आपने अच्छी आदतें डाल ली हैं और दवा भी ले रहे हैं, फिर भी HbA1c कम नहीं हो रहा है, तो घबराएं नहीं। अपने डॉक्टर से ज़रूर मिलें। वो आपकी जांच कर सकते हैं और आपके इलाज में बदलाव कर सकते हैं। वो आपको और भी सपोर्ट या जानकारी दे सकते हैं।
अगर आपकी डायबिटीज़ कंट्रोल में है, तो आमतौर पर हर 3-6 महीने में HbA1c जांच करवाना चाहिए। लेकिन, हर व्यक्ति के लिए ये अलग-अलग हो सकता है। साथ ही ध्यान रखना जरूरी है कि ब्लड शुगर लेवल में बहुत तेज़ी से बदलाव, खासकर अगर बहुत कम हो जाए, तो हाइपोग्लाइसीमिया (low blood sugar) हो सकता है। इससे चक्कर आना, घबराहट या बेहोशी जैसे लक्षण हो सकते हैं। इसलिए, ज़रूरी है कि डॉक्टर के साथ मिलकर ही डायबिटीज़ मैनेजमेंट प्लान में बदलाव करें।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम वाले, फाइबर ज़्यादा वाले और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, मैग्नीशियम और क्रोमियम जैसे पोषक तत्व ब्लड शुगर कंट्रोल में मदद करते हैं। पालक जैसी हरी सब्ज़ियां, बेरीज़, मेवे, बीज, मछली और दालें HbA1c कम करने में मददगार हैं। इसके साथ ही डॉक्टर ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने और HbA1c कम करने के लिए दवाइयां दे सकते हैं, जैसे ओरल एंटीडायबिटिक ड्रग्स या इंसुलिन।
संतुलित आहार खाएं जिसमें फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स शामिल हों। नियमित एक्सरसाइज़ करें, जैसे तेज चलना, जॉगिंग, तैराकी या साइकिल चलाना। नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल जांचें और ज़रूरत के हिसाब से दवाओं में बदलाव करें। तनाव कम करने के लिए ध्यान (meditation), योग या गहरी सांस लेने जैसी चीज़ें करें। साथ ही सही खान-पान और एक्सरसाइज़ से हेल्दी वज़न बनाए रखने से शुगर कंट्रोल बेहतर होता है और HbA1c कम होता है।
HbA1c, जिसे ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन भी कहा जाता है, पिछले 2-3 महीनों में औसत ब्लड शुगर लेवल को मापता है। ये डायबिटीज़ मैनेजमेंट के लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि ये बताता है कि लंबे समय से आपका शुगर कंट्रोल में है या नहीं।
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