भूख और खून में शुगर का रिश्ता थोड़ा जटिल है। क्या भूखा रहने से शुगर बढती है? भले ही भूखे रहने से सीधे तौर पर खून में शुगर (ग्लूकोज) नहीं बढ़ता, पर ये शरीर पर ऐसे असर डालती है जो बाद में शुगर को प्रभावित कर सकते हैं। जब आप देर तक खाना नहीं खाते, तो शरीर को एनर्जी के लिए जरूरी ग्लूकोज की कमी हो जाती है। नतीजतन, शरीर खुद ही ग्लूकोनोजेनेसिस नाम की प्रक्रिया से ग्लूकोज बनाना शुरू कर देता है। इससे शरीर में इंसुलिन का लेवल बढ़ सकता है, जिससे खून में शुगर भी बढ़ सकता है। लेकिन, सिर्फ यही वजह नहीं है। हर व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म (पाचन क्रिया), खाने की आदतें और सेहत भी अहम भूमिका निभाती हैं। खून में शुगर को कंट्रोल करने के लिए अच्छा खाना, नियमित व्यायाम और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों में डॉक्टरी सलाह ज़रूरी है। अगर आपको खून में शुगर की परेशानी है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर अपनी परेशानी के हिसाब से इलाज करवाना चाहिए।
भूख और ब्लड शुगर का संबंध
भूख और ब्लड शुगर का संबंध कठिन और बहुआयामी है। भूखे रहने से सीधे तौर पर ब्लड शुगर (ग्लूकोज) का स्तर नहीं बढ़ता, लेकिन यह शरीर पर ऐसे प्रभाव डालता है जो बाद में ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकते हैं।
भूखे रहने से शुगर कैसे बढ़ सकता है
ग्लूकोनोजेनेसिस
जब आप लंबे समय तक खाना नहीं खाते हैं, तो शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोज की कमी का अनुभव करता है। इस कमी को पूरा करने के लिए, शरीर ग्लूकोनोजेनेसिस नामक प्रक्रिया से ग्लूकोज का उत्पादन शुरू करता है। यह प्रक्रिया गैर-कार्बोहाइड्रेट (जैसे अमीनो एसिड) से ग्लूकोज का निर्माण करती है। ग्लूकोनोजेनेसिस से ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ सकता है।
इंसुलिन प्रतिरोध
भूखे रहने से इंसुलिन प्रतिरोध भी बढ़ सकता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो शरीर को ग्लूकोज को कोशिकाओं में ले जाने में मदद करता है। जब शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है, तो ग्लूकोज ब्लड में जमा हो जाता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
तनाव
भूखे रहने से तनाव भी बढ़ सकता है। तनाव शरीर को ग्लूकागन नामक हार्मोन का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करता है। ग्लूकागन ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ाने के लिए काम करता है।
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भूखे रहने के कारण ब्लड शुगर कैसे बढ़ सकती है?
जब आप लंबे समय तक भूखे रहते हैं, तो शरीर खून में शुगर का लेवल बनाए रखने के लिए कई तरीके अपनाता है, जो इस सवाल का कुछ हद तक जवाब देते है की क्या भूखा रहने से शुगर बढती है:
- सबसे पहले, जब शरीर में जमा ग्लूकोज कम होने लगता है, तो ग्लूकागन जैसे हॉर्मोन लीवर को संकेत देते हैं कि ग्लाइकोजनोलाइसिस की प्रक्रिया से जमा ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदलकर खून में छोड़ा जाए।
- भूख लगातार बनी रहने पर, शरीर वसा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है, जिससे ग्लूकोनोजेनेसिस नामक प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में, ग्लूकोज को कार्बोहाइड्रेट के अलावा अन्य चीजों से बनाया जाता है।
- साथ ही, लंबे समय तक भूखे रहने से शरीर में कोर्टिसोल जैसे तनाव हॉर्मोन रिलीज़ होते हैं, जो लीवर से ग्लूकोज छोड़ने का संकेत देते हैं, जिससे खून में शुगर का लेवल और बढ़ जाता है।
ये सभी शारीरिक बदलाव मिलकर लंबे समय तक भूखे रहने पर खून में शुगर का लेवल बढ़ा देते हैं। इन प्रक्रियाओं को समझने से हमें पता चलता है कि खाने का नियमित पैटर्न और संतुलित भोजन बनाए रखना कितना ज़रूरी है। इससे खून में शुगर का लेवल स्थिर रहता है और पूरी सेहत अच्छी रहती है।
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ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) और भूख पर इसका असर
ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) एक प्रणाली है जो कार्बोहाइड्रेट को ब्लड शुगर (ग्लूकोज) के स्तर पर उनके प्रभाव के आधार पर रैंक करती है। उच्च GI वाले खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को जल्दी बढ़ाते हैं, जबकि कम GI वाले धीरे-धीरे और धीरे-धीरे वृद्धि करते हैं। ब्लड शुगर प्रतिक्रिया में यह अंतर भूख को भी प्रभावित कर सकता है।
GI भूख को कैसे प्रभावित करता है:
कम GI वाले खाद्य पदार्थ:
- भूख को कम करने में मदद कर सकते हैं: कम GI वाले खाद्य पदार्थ धीरे-धीरे पचते हैं और ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर रखते हैं, जिससे आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है।
- कम कैलोरी का सेवन: कम GI वाले खाद्य पदार्थों से आप कम कैलोरी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि आपको जल्दी भूख नहीं लगेगी।
- स्वस्थ वजन: कम GI वाले खाद्य पदार्थ स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
उच्च GI वाले खाद्य पदार्थ:
- भूख को बढ़ा सकते हैं: उच्च GI वाले खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर के स्तर में तेज़ी से वृद्धि और गिरावट का कारण बनते हैं, जिससे आपको जल्दी भूख लग सकती है।
- अधिक कैलोरी का सेवन: उच्च GI वाले खाद्य पदार्थों से आप अधिक कैलोरी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि आपको बार-बार भूख लगती है।
- वजन बढ़ना: उच्च GI वाले खाद्य पदार्थ वजन बढ़ने का कारण बन सकते हैं।
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लंबे समय तक भूखे रहने का ब्लड शुगर पर प्रभाव
लंबे समय तक भूखे रहने का खून में शुगर लेवल पर बहुत असर पड़ सकता है, खासकर डायबिटीज जैसी बीमारी वालों के लिए। जब शरीर को देर तक खाना नहीं मिलता, तो खून में शुगर का लेवल ऊपर-नीचे हो सकता है। शुरुआत में, जब खून में शुगर (ग्लूकोज़) कम होता है, तो शरीर लीवर में जमा ग्लाइकोजन को इस्तेमाल करके ऊर्जा का संतुलन बनाए रखता है। लेकिन, अगर भूख लगी रहती है, तो शरीर ग्लूकोनोजेनेसिस नाम की प्रक्रिया से चर्बी के भंडार को तोड़कर दूसरी तरह की ऊर्जा बनाने लगता है। इससे धीरे-धीरे खून में शुगर का लेवल बढ़ सकता है। इसलिए, ज़रूरी है कि लंबे समय तक भूखे रहने वाले लोग, खासकर डायबिटीज के मरीज़, अपने खून में शुगर लेवल पर नज़र रखें और डॉक्टर से सलाह लें ताकि सेहत पर कोई बुरा असर न पड़े। साथ ही, स्वस्थ खाने की आदतें डालकर और नियमित रूप से खाना खाकर लंबे समय तक भूखा रहने से शुगर बढती है और सेहत पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सकता है।
लंबे समय तक भूखे रहने का मेटाबॉलिज्म पर बुरा असर
क्या भूखा रहने से शुगर बढ़ती है? हां, लंबे समय तक भूखा रहने से शुगर का स्तर बढ़ सकता है। जब हम भूखे रहते हैं, तो शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोनोजेनेसिस नामक प्रक्रिया का उपयोग करता है। ग्लूकोनोजेनेसिस में, शरीर वसा और मांसपेशियों को तोड़कर ग्लूकोज (शुगर) का उत्पादन करता है। यह प्रक्रिया खून में शुगर का स्तर बढ़ा सकती है, खासकर डायबिटीज से प्रभावित लोगों में। मेटाबॉलिज्म वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शरीर भोजन को ऊर्जा में बदलता है। जब हम लंबे समय तक भूखे रहते हैं, तो शरीर ऊर्जा बचाने के लिए मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है। इससे वजन कम करने में मुश्किल हो सकती है, थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
लंबे समय तक भूखे रहने का मेटाबॉलिज्म पर निम्नलिखित बुरा असर पड़ सकता है:
मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है
जब हम भूखे रहते हैं, तो शरीर ऊर्जा बचाने के लिए मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है। इसका मतलब है कि हम कम कैलोरी जलाते हैं, जिससे वजन कम करने में मुश्किल हो सकती है।
मांसपेशियों का कम होना
ऊर्जा की कमी के कारण, शरीर मांसपेशियों को तोड़कर ऊर्जा बनाने लगता है। इससे मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं, जिससे मेटाबॉलिज्म और भी धीमा हो सकता है।
हड्डियों का कमजोर होना
कैल्शियम की कमी हो सकती है, जिससे हड्डियां कमजोर होकर टूटने का खतरा बढ़ जाता है (ऑस्टियोपोरोसिस)।
थकान और कमजोरी
शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व न मिलने से आप थका हुआ और कमजोर महसूस कर सकते हैं।
इंसुलिन प्रतिरोध
लंबे समय तक भूखे रहने से शरीर इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
भूखे रहने के अन्य स्वास्थ्य प्रभाव
भूखे रहने के कई नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कमजोरी और थकान: भूखे रहने से शरीर को ऊर्जा की कमी हो जाती है, जिससे कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है।
- मांसपेशियों का नुकसान: जब शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती है, तो यह ऊर्जा के लिए मांसपेशियों का उपयोग करना शुरू कर देता है। इससे मांसपेशियों का नुकसान हो सकता है, जिससे कमजोरी और थकान बढ़ सकती है।
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली: भूखे रहने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: भूखे रहने से चिंता, अवसाद और खाने के विकारों का खतरा बढ़ सकता है।
- प्रजनन क्षमता पर प्रभाव: भूखे रहने से महिलाओं में मासिक धर्म अनियमित हो सकता है और पुरुषों में प्रजनन क्षमता कम हो सकती है।
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर प्रभाव: भूखे रहने से गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
याद रखें:
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भूखे रहना वजन कम करने का एक स्वस्थ तरीका नहीं है। यदि आप अपना वजन कम करना चाहते हैं, तो ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका एक स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम है।
यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको स्वस्थ तरीके से वजन कम करने में मदद कर सकते हैं:
- फल, सब्जियां, और साबुत अनाज जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- प्रोटीन और स्वस्थ वसा युक्त खाद्य पदार्थों का भी सेवन करें।
- नियमित व्यायाम करें।
- धैर्य रखें और धीरे-धीरे वजन कम करें।
यदि आप वजन कम करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ से सलाह लें।
निष्कर्ष
क्या भूखा रहने से शुगर बढ़ती है? यह सच है कि लंबे समय तक भूखे रहने से खून में शुगर का स्तर बढ़ सकता है। ग्लूकोनोजेनेसिस नामक प्रक्रिया के कारण, शरीर ऊर्जा के लिए वसा और मांसपेशियों को तोड़कर ग्लूकोज (शुगर) का उत्पादन करता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डायबिटीज से प्रभावित लोगों में यह प्रभाव अधिक स्पष्ट होता है। इसलिए, वजन कम करने या अन्य स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, भूखे रहने से बचना और स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हां, लंबे समय तक भूखे रहने से खून में शुगर का स्तर बढ़ सकता है। जब हम भूखे रहते हैं, तो शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोनोजेनेसिस नामक प्रक्रिया का उपयोग करता है। ग्लूकोनोजेनेसिस में, शरीर वसा और मांसपेशियों को तोड़कर ग्लूकोज (शुगर) का उत्पादन करता है। यह प्रक्रिया खून में शुगर का स्तर बढ़ा सकती है, खासकर डायबिटीज से प्रभावित लोगों में।
ग्लूकोनोजेनेसिस के दौरान, शरीर ग्लूकोज का उत्पादन करने के लिए वसा और मांसपेशियों को तोड़ता है। यह प्रक्रिया ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ा सकती है। इसके अलावा, जब हम भूखे रहते हैं, तो शरीर इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो सकता है, जिससे ब्लड शुगर को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है।
नियमित रूप से खाएं: भोजन को छोड़ने से बचें और दिन भर में नियमित अंतराल पर छोटे-छोटे भोजन करें।
स्वस्थ भोजन खाएं: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और दुबला प्रोटीन जैसे पौष्टिक भोजन खाएं।
नियमित व्यायाम करें: व्यायाम ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
डायबिटीज की दवाएं लें: यदि आपको डायबिटीज है, तो डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं नियमित रूप से लें।
भूखे रहने से वजन कम हो सकता है, लेकिन यह एक स्वस्थ तरीका नहीं है। लंबे समय तक भूखे रहने से मांसपेशियों का नुकसान हो सकता है, जो चयापचय को धीमा कर सकता है और वजन कम करना मुश्किल बना सकता है।
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