डायबिटीज मरीजों के लिए शुगर लेवल पर ध्यान देना जरूरी है। शुगर लेवल कम या ज्यादा होने से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। वहीं कई बार डायबिटीज मरीजों में ब्लड शुगर का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। ये लेवल कई बार 300 mg/dL, 400 mg/dL और इससे भी ज्यादा हो जाता है। इतना ज्यादा शुगर लेवल बहुत ही ज्यादा खतरनाक हो सकता है। लेकिन अगर शुगर लेवल 600 mg/dL तक पहुंच जाए तो ये जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए ये जानना जरूरी है कि शुगर लेवल 600 होने पर क्या होता है, खतरनाक शुगर लेवल क्या है और शुगर लेवल 600 होने पर क्या करना चाहिए?
शुगर का सामान्य लेवल – Normal Level of Diabeties
सबसे पहले डायबिटीज या शुगर पर बात करते हैं। डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है, जिसमें ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाता है। ऐसा तब होता है, जब शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन (ब्लड में शुगर को कंट्रोल करने वाला हार्मोन) नहीं बना पाता या फिर जो इंसुलिन बनता है, वो ठीक से काम नहीं करता। डायबिटीज के कई प्रकार होते हैं, जैसे कि टाइप-1, टाइप-2 और गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज। हर प्रकार के कारण और खतरे अलग-अलग होते हैं।
आम इंसान में ब्लड में शुगर का लेवल पूरे दिन एक सीमा में रहता है। खाली पेट ब्लड में शुगर का लेवल 8 घंटे से ज्यादा कुछ नहीं खाने के बाद मापा जाता है और ये आमतौर पर 70 से 100 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) के बीच होता है। खाने के बाद शुगर का लेवल थोड़ा बढ़ सकता है, लेकिन आमतौर पर खाने के दो घंटे बाद 140 mg/dL से कम रहता है।
डायबिटीज वालों में शुगर का लेवल कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि उम्र, स्वास्थ्य और दूसरी बीमारियों का होना। लेकिन WHO की मुताबिक सामान्य लेवल कुछ इस तरह है-
- खाली पेट ब्लड में शुगर (खाने से पहले): वयस्कों में 80 से 130 mg/dL के बीच।
- भोजन के बाद ब्लड में शुगर (खाने के बाद): खाना शुरू करने के दो घंटे बाद 180 mg/dL से कम।
डायबिटीज वालों के लिए नियमित रूप से ग्लूकोज मीटर से ब्लड में शुगर चेक करना ज़रूरी है। साथ ही अपनी ज़रूरतों के हिसाब से डॉक्टरों के साथ मिलकर टारगेट तय करना भी महत्वपूर्ण है। टारगेट शुगर के लेवल को बनाए रखने से डायबिटीज से होने वाली परेशानियों को रोका जा सकता है और पूरे स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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शुगर लेवल 600 होने पर क्या होता है? Sugar level 600 hone par kya hota hai
ब्लड में शुगर का लेवल 600 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) बहुत खतरनाक है। इसका मतलब है कि ब्लड में बहुत ज्यादा ग्लूकोज हो गया है, जिसे हाइपरग्लाइकेमिया कहते हैं। इतना ज्यादा ग्लूकोज कई गंभीर परेशानियां पैदा कर सकता है-
- बहुत प्यास लगना (Polydipsia): ग्लूकोज बाहर निकालने के लिए शरीर ज्यादा पेशाब कराता है, जिससे बहुत प्यास लगती है।
- बार-बार पेशाब आना (Polyuria): किडनी ज्यादा ग्लूकोज बाहर निकालने की कोशिश करती है, जिससे बार-बार पेशाब आता है और शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
- शरीर में पानी की कमी से समस्या (Dehydration): ज्यादा पेशाब से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे मुंह सूखना, त्वचा का रूखापन, थकान और चक्कर आना हो सकता है।
- जरूरी मिनिरल की कमी: शरीर के सही काम करने के लिए जरूरी खनिजों (सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड) का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे कमजोरी, दिमागी परेशानी और दिल की धड़कन अनियमित होना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
- कीटोएसिडोसिस: ब्लड में बहुत ज्यादा देर तक ग्लूकोज रहने से खासकर टाइप-1 शुगर वालों में कीटोएसिडोसिस नाम की गंभीर बीमारी हो सकती है। इसमें शरीर ऊर्जा के लिए चर्बी जलाना शुरू कर देता है, जिससे केटोन नाम का एसिड बनता है। इससे ब्लड में केटोन बढ़ जाते हैं और उल्टी, पेट दर्द, सांस तेज चलना, दिमागी परेशानी आदि हो सकती है। कीटोएसिडोसिस एक मेडिकल इमरजेंसी है और इसका तुरंत इलाज जरूरी है, नहीं तो कोमा या मौत हो सकती है।
- हाइपरस्मोलर हाइपरग्लाइकेमिक स्टेट (HHS): टाइप-2 शुगर वालों में ब्लड में बहुत ज्यादा शुगर रहने से HHS हो सकता है। इसमें शुगर बहुत बढ़ जाना, शरीर में पानी की कमी, दिमागी परेशानी और जानलेवा खतरे हो सकते हैं। इसके लिए भी तुरंत डॉक्टरी मदद जरूरी है।
- शरीर के अंगों को नुकसान: लंबे समय तक ब्लड में ज्यादा शुगर रहने से दिल, किडनी, आंखें, नसें और पैरों में घाव जैसी गंभीर परेशानियां हो सकती हैं।
अगर आपको हाइपरग्लाइकेमिया के लक्षण दिखें या ब्लड में शुगर 600 mg/dL या उससे ज्यादा हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। शुगर को कंट्रोल में रखने के लिए दवाइयां, सही खान-पान, नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
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शुगर का लेवल 600 होने पर क्या करें? Sugar ka level 600 hone par kya karein
शुगर का लेवल 600 mg/dL तक जाना जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसे में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को ब्लजड शुगर 600 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या उससे ज्यादा है, तो तुरंत ये कदम उठाएं-
- डॉक्टरी सहायता लें: एंबुलेंस बुलाएं या तुरंत पास के अस्पताल के इमरजेंसी रूम में जाएं। इतना ज्यादा शुगर गंभीर परेशानियां पैदा कर सकता है, इसलिए तुरंत इलाज ज़रूरी है।
- पानी पिएं: शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए खूब पानी पिएं। मीठा पेय या कैफीन वाली चीजें न पिएं, क्योंकि ये शरीर में पानी की कमी को बढ़ा सकती हैं।
- एक्सरसाइज न करें: नियमित एक्सरसाइज शुगर को कंट्रोल में रखने में मदद करती है, लेकिन ब्लड में बहुत ज्यादा शुगर होने पर ज्यादा एक्सरसाइज से स्थिति और बिगड़ सकती है। आराम करें और जब तक शुगर कंट्रोल में न आ जाए, एक्सरसाइज न करें।
- नियमित शुगर चेक करें: अगर आपके पास ब्लड शुगर मीटर है, तो डॉक्टर के बताए अनुसार नियमित रूप से शुगर चेक करते रहें। लेकिन अगर शुगर कम हो भी जाए, तो भी डॉक्टर से मिलना न टालें, क्योंकि परेशानियां अभी भी हो सकती हैं।
- डॉक्टर की सलाह मानें: डॉक्टर या पैरामेडिक्स जो भी सलाह दें, उसे मानें। वो शुगर कम करने और परेशानियों का इलाज करने के लिए इंसुलिन या दूसरी दवाएं दे सकते हैं।
- दवाइयां साथ ले जाएं: अगर आप शुगर की दवाइयां लेते हैं, तो उन्हें अस्पताल ले जाएं। डॉक्टर आपकी हालत के अनुसार दवाओं में बदलाव कर सकते हैं।
- डॉक्टरों को पूरी जानकारी दें: डॉक्टरों को अपना मेडिकल हिस्ट्री, मौजूदा दवाएं और लक्षणों के बारे में बताएं। इससे उन्हें सही इलाज देने में मदद मिलेगी।
- भविष्य में ऐसा न हो, इसका ध्यान रखें: एक बार शुगर कंट्रोल हो जाए, तो डॉक्टरों के साथ मिलकर भविष्य में ऐसा होने से रोकने के लिए प्लान बनाएं। इसमें दवाओं में बदलाव, खान-पान में बदलाव, नियमित एक्सरसाइज और लगातार शुगर चेक करना शामिल हो सकता है।
ब्लड में बहुत ज्यादा शुगर का इलाज न कराने पर गंभीर परेशानियां हो सकती हैं, जैसे कि डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) या हाइपरस्मोलर हाइपरग्लाइकेमिक स्टेट (HHS)। इन परेशानियों को रोकने और जल्दी ठीक होने के लिए डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना बहुत ज़रूरी है।
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शुगर का लेवल 600 होने पर क्या न करें? Sugar level 600 hone pr kya na krein
शुगर मरीजों को लागातर इसके लेवल की जांच करते रहना चाहिए। सामान्या से कम या ज्यादा शुगर लेवल आने पर तुरंत इस तरफ ध्यान देना चाहिए। शुगर लेवल 600 mg/dL तक तो बात पहुंचनी ही नहीं चाहिए, लेकिन अगर 600 mg/dL शुगर लेवल पहुंच गया है तो कुछ गलतियां तो बिल्कुल भी न करें, नहीं तो स्थिति और बिगड़ सकती है-
- डॉक्टरी मदद में देरी न करें: 600 mg/dL शुगर एक मेडिकल इमरजेंसी है। इसे खुद ठीक करने की कोशिश न करें और तुरंत डॉक्टर से मिलें। देरी से गंभीर परेशानियां हो सकती हैं।
- इंसुलिन या दवाएं न छोड़ें: अगर आप डायबिटिक हैं और इंसुलिन या दूसरी दवाएं लेते हैं, तो इन्हें न छोड़ें। डॉक्टर के बताए अनुसार दवाएं लेना, खासकर शुगर बढ़ने पर, बहुत ज़रूरी है।
- मीठी चीजें न खाएं-पिएं: मिठाई, कोल्डड्रिंक्स, फलों का जूस और ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें न खाएं-पिएं। ये शुगर और बढ़ा सकती हैं। पानी या बिना चीनी वाली चीजें पिएं।
- ज़ोरदार एक्सरसाइज न करें: नियमित एक्सरसाइज अच्छी है, लेकिन शुगर बहुत ज्यादा होने पर ज़ोरदार एक्सरसाइज न करें। इससे शुगर और बढ़ सकती है। आराम करें।
- कीटोएसिडोसिस के लक्षणों को नजरअंदाज़ न करें: बहुत प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, उबकाई, उल्टी, पेट दर्द, तेज़ सांस लेना और दिमागी परेशानी जैसे लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई भी लक्षण हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
- गाड़ी न चलाएं और मशीनरी चलाने से बचें: शुगर बढ़ने से दिमाग और शरीर ठीक से काम नहीं करते, जिससे गाड़ी चलाना या मशीनरी चलाना खतरनाक हो सकता है। शुगर कंट्रोल होने तक इन्हें न करें।
- घबराएं नहीं: शुगर बढ़ने पर डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है, लेकिन घबराएं नहीं। घबराहट से तनाव बढ़ता है, जिससे शुगर और बढ़ सकती है। गहरी सांस लें और ज़रूरी कदम उठाएं।
- फॉलो-अप न भूलें: इलाज के बाद डॉक्टर से दोबारा मिलें। शुगर बढ़ने का कारण पता करें और भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए डॉक्टर की सलाह मानें।
इन बातों का ध्यान रखकर और तुरंत डॉक्टर से मिलकर आप ब्लड में ज्यादा शुगर को कंट्रोल कर सकते हैं और परेशानियों से बच सकते हैं।
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शुगर लेवल 600 तक कैसे पहुंच जाता है? Sugar level 600 tak kaise phooch jata hai
ब्लड में शुगर लेवल कई कारणों से 600 mg/dL तक पहुंच सकता है, लेकिन ज्यादातर इसका संबंध डायबिटीज से होता है। लेकिन सही तरीके अपनाने से आप इन कारणों से बच सकते हैं। पहले इन कारणों को जान लेते हैं-
- इंसुलिन की कमी या उसका असर कम होना: टाइप-1 डायबिटीज़ में पैंक्रिया पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता, जो ब्लड में शुगर को कंट्रोल करने वाला हार्मोन है। टाइप-2 डायबिटीज़ में शरीर इंसुलिन के प्रभाव को रोक सकता है, जिससे शुगर बढ़ जाती है। इंसुलिन की कमी या कम असर होने से ग्लूकोज़ कोशिकाओं में जाकर ऊर्जा नहीं बन पाता और ब्लड में ही रह जाता है।
- इंसुलिन या दवाइयां लेना भूल जाना: डायबिटीज़ वालों को इंसुलिन या दवाइयां लेनी पड़ती हैं। अगर वो डोज़ भूल जाते हैं या डॉक्टर के बताए अनुसार नहीं लेते, तो शुगर बढ़ सकती है। पर्याप्त दवा न मिलने से शुगर बेकाबू हो सकती है।
- ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट खाना: ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट वाले खाने, खासकर साधारण शुगर और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, शुगर को तेज़ी से बढ़ा सकते हैं। ये जल्दी ग्लूकोज़ में बदल जाते हैं, जिससे शुगर एकदम से बढ़ जाती है।
- तनाव: शारीरिक या मानसिक तनाव से तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल और एड्रिनलिन निकलते हैं, जो शुगर बढ़ा सकते हैं। तनावपूर्ण स्थितियां, बीमारी, ऑपरेशन या चोट से शुगर कुछ समय के लिए बढ़ सकती है।
- संक्रमण या बीमारी: फ्लू या यूरिन इन्फेक्शन जैसी बीमारियों में शरीर तनाव हार्मोन छोड़ता है और सूजन हो सकती है। इससे इंसुलिन का असर कम हो सकता है और शुगर बढ़ सकती है।
- दवाइयां: कुछ दवाइयां, जैसे कोर्टिकोस्टेरॉइड्स, मूत्रवर्धक और कुछ एंटीपैसाइकोटिक दवाइयां, डायबिटीज़ वाले या बिना डायबिटीज़ वाले लोगों में शुगर बढ़ा सकती हैं। ग्लूकोज़ को प्रभावित करने वाली दवाइयां लेते समय शुगर का खास ध्यान रखना ज़रूरी है।
- जीवनशैली: कम शारीरिक गतिविधि, अच्छा न खाना और ज़्यादा वजन धीरे-धीरे इंसुलिन के असर को कम कर सकते हैं और शुगर बढ़ा सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली, जैसे नियमित एक्सरसाइज और संतुलित आहार, शुगर को कंट्रोल में रखने में मदद करते हैं।
- अन्य बीमारियां: पैनक्रियाटाइटिस, कुशिंग सिंड्रोम और हार्मोनल असंतुलन जैसी कुछ बीमारियां इंसुलिन उत्पादन और ग्लूकोज़ को प्रभावित कर शुगर बढ़ा सकती हैं।
डायबिटीज़ वालों को नियमित रूप से शुगर चेक करना, डॉक्टर के बताए इलाज को फॉलो करना और शुगर लगातार बढ़ने पर डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है। अनियंत्रित शुगर गंभीर परेशानियां पैदा कर सकती है, जैसे डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) और शरीर के अंगों और रक्त वाहिकाओं को दीर्घकालिक नुकसान।
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निष्कर्ष
ब्लड शुगर लेवल 600 mg/dL तक जाना बहुत खतरनाक है। ये जानलेवा हो सकता है। ब्लड शुगर में डिहाइड्रेशन, बहुत प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, कमज़ोरी, जी मिचलाना और उल्टी, धुंधला दिखना और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण होने पर शुगर लेवल की तुरंत जांच करें। ये लक्षण शुगर के खतरनाक लेवल तक बढ़ने के लक्षण हैं। जैसा हमने बताया कि शुगर लेवल 600 तक होने पर अगर इस स्थिति का इलाज न किया जाए, तो कोमा या मौत भी हो सकती है। इसलिए ब्लड में शुगर 600 mg/dL होने पर तुरंत डॉक्टरी मदद लेना बहुत ज़रूरी है। साथ ही ध्याव रखें ऐसी स्थिति में समय रहते डॉक्टर से मिलें, इलाज में देरी न करें। घबराएं नहीं, शांत रहें और डॉक्टर के बताए अनुसार करें। अपने स्वास्थ्य को गंभीरता से लें और ब्लड में शुगर को कंट्रोल में रखें!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
ब्लड में शुगर 600 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर बहुत ज़्यादा है और बहुत खतरनाक हो सकता है। इसे हाइपरग्लाइकेमिया कहते हैं, और ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है। इस लेवल पर शुगर पहुंचने पर बहुत प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, कमज़ोरी, जी मिचलाना, उल्टी, धुंधला दिखना और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण हो सकते हैं।
ब्लड शुगर 600 होना जानलेवा हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से मिलें। देरी न करें, क्योंकि इलाज में देरी से कोमा या जान का खतरा भी हो सकता है। साथ ही ध्यान रखें कि डॉक्टर के बताए अनुसार डायबिटीज का इलाज करें, जैसे कि नियमित रूप से शुगर चेक करना, दवाइयां लेना, संतुलित आहार खाना, नियमित एक्सरसाइज करना और तनाव को कम करना।
शुगर लेवल 600 जाने पर इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाएं. इसमें आम तौर पर शुगर कम करने के लिए इंसुलिन देना, डिहाइड्रेशन दूर करने के लिए तरल पदार्थ देना और हाइपरग्लाइकेमिया के कारणों का पता लगाकर उनका इलाज करना शामिल होता है। अगर इलाज न किया जाए तो इतना ज़्यादा शुगर कोमा या जानलेवा परेशानियां पैदा कर सकता है।
शुगर लेवल 600 के पास जाने पर हाइपरग्लाइकेमिया होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। अगर आपको बहुत प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, कमज़ोरी या धुंधला दिखना जैसे लक्षण हों, तो तुरंत अपना शुगर चेक करें। अगर शुगर ज़्यादा है या आप चेक नहीं कर पा रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। सही इलाज से आमतौर पर हाइपरग्लाइकेमिया ठीक हो जाता है। लेकिन परेशानियों से बचने के लिए जल्दी से डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है।
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