शुगर लेवल 400 होने पर कैसे करे इलाज

Medically Reviewed By DR. RASHMI GR , MBBS, Diploma in Diabetes Management नवम्बर 13, 2023

ब्लड शुगर या ग्लूकोज, यह हमारे शरीर के लिए ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। बल्ड शुगर हमारे खान-पान पर निर्भर करता है। वहीं डायबिटीज के मरीजों में जटिल समस्याओं को रोकने के लिए बल्ड शुगर को नॉर्मल रेंज में रखना महत्वपूर्ण होता है। अनियंत्रित हाई ब्लड शुगर के चलते, जिसे हाइपरग्लेसेमिया के रूप में जाना जाता है, इससे किडनी की समस्याएं, नर्व डैमेज और हार्ट संबंधी बीमारियों के होने की संभावना होती है ।

आंकड़े बताते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका में किडनी फेल के सभी नए मामलों में से 44% मामले डायबिटीज से जुड़ी किडनी की बीमारी के कारण हुए हैं। जैसा कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट बताती है, डायबिटीज से पीड़ित वयस्कों में बिना डायबिटीज वाले लोगों की तुलना में हार्ट की बीमारी से मरने की संभावना दो से चार गुना अधिक होती है। इन आंकड़ों से ही हम अंदाजा लगा सकते हैं कि ब्लड शुगर को मैनेज करना कितना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह केवल एक स्थिति के मैनेजमेंट का मामला नहीं है, बल्कि हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव डालने वाली जटिल समस्याओं को रोकने की दिशा में एक जरूरी कदम है।

डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्लड शुगर का टारगेट रेंज

ब्लड शुगर को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए, अपनी टारगेट रेंज को जानना जरूरी होता है।

आमतौर पर ब्लड शुगर के लेवल की सुझाई गई रेंज खाना खाने से पहले 80 और 130 मिलीग्राम/डीएल के बीच होती है, वहीं खाना खाने के दो घंटे बाद 180 मिलीग्राम/डीएल से नीचे होती है। 400 मिलीग्राम/डीएल का खतरनाक शुगर लेवल एक बड़ी चिंता का कारण है, जिससे पड़ने वाले प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है। जब ब्लड शुगर इस खतरनाक शुगर लेवल तक पहुंच जाता है, तो इसे डायबिटीज वाले लोगों के लिए नॉर्मल टारगेट रेंज से काफी ऊपर माना जाता है। बल्ड शुगर का इतना अधिक लेवल एक बड़ी चिंता का कारण है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 400 मिलीग्राम/डीएल का ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित हाइपरग्लेसेमिया का संकेत है, एक ऐसी स्थिति जहां ब्लड फ्लो में ग्लूकोज की अधिकता होती है। यह स्थिति कई प्रकार की कम या लंबे समय तक चलने वाली जटिल समस्याओं को जन्म दे सकती है।

कम समय के लिए होने वाली समस्याओं के लक्षणों में अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान होना, आंखों की रोशनी कम होना और बहुत ज्यादा भूख लगना शामिल हो सकते हैं। ये लक्षण हमारे शरीर को यह संकेत देते हैं कि स्वास्थ ठीक नहीं है और इसे किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

हालांकि 400 मिलीग्राम/डीएल से अधिक ब्लड शुगर के लेवल का वास्तविक खतरा, डायबिटीज केटोएसिडोसिस (डीकेए) से जुड़ी होती है। डीकेए एक जानलेवा जटिल स्वास्थ्य समस्या है जो तब हो सकता है, जब ब्लड शुगर का लेवल लंबे समय तक बहुत ज्यादा हाई रहता है। जब इंसुलिन या इंसुलिन रजिस्टेंस की कमी के कारण ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता है, तो शरीर ऊर्जा के लिए फैट को ब्रेक करना शुरू कर देता है। यह प्रक्रिया ब्लडफ्लो में कीटोन्स छोड़ती है, जिससे यह अधिक एसिडिक हो जाता है। जिसके चलते कई गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती है, जैसे- तेजी से गहरी सांस लेना, सांस लेते वक्त एक अजीब सी गंध आना, कन्फूयज रहना और यहां तक कि चेतना को खो देना भी शामिल है।

डीकेए को खराब तरीके से मैनेज करने पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जैसे- गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन, ऑर्गन फेलियर और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। यही कारण है कि 400 मिलीग्राम/डीएल के खतरनाक शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है

ध्यान दें: कुछ अन्य मेडिकल कंडीशन वाले लोगों का बल्ड शुगर टारगेट रेंज थोड़ा अलग हो सकता है, इसके लिए डॉक्टर से कंसल्ट करना बेहतर होगा।

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अगर ब्लड शुगर 400 या उससे ऊपर हो तो क्या करें? What to do if Blood Sugar is Over 400 

अगर ब्लड शुगर 400 या उससे ऊपर हो तो क्या करें?

अगर आपका या आपके किसी जानने वाले का ब्लड शुगर लेवल 400 मिलीग्राम/डीएल है, तो यह करना जरूरी है:

ब्लड शुगर दोबारा टेस्ट करें

अगर टेस्ट के दौरान 400 मिलीग्राम/डीएल से ऊपर की रीडिंग आती है, तो परिणाम की पुष्टि के लिए ब्लड शुगर का टेस्ट दोबारा करना जरूरी होता है। गलत रीडिंग आपके टेस्ट डिवाइस की समस्या के चलते, गलत टेक्निक या अन्य कारक हो सकते हैं। सही कदम उठाने के लिए सटीक रीडिंग जरूरी होती है।

अपने डॉक्टर को कॉल करें

एक बार जब पुष्टि हो जाती है कि रीडिंग सटीक है, तो हेल्थ प्रोवाइडर से संपर्क करें। आपका डॉक्टर आपकी हेल्थ कंडीशन, दवा और ओवरऑल हेल्थ के आधार पर आपको सही सुझाव देगा। बेहतर लाभ पाने के लिए अपने डॉक्टर के सुझावों का बारीकी से पालन करना जरूरी होता है।

केटोन्स के लिए अपना यूरिन टेस्ट करें

जब आपका ब्लड शुगर 400 मिलीग्राम/डीएल से अधिक हो, तो यूरिन में कीटोन्स का टेस्ट करना जरूरी होता है, खासकर यदि आपको अत्यधिक प्यास लगती है, बार-बार पेशाब आता है, थकान या मतली जैसे लक्षणों का अनुभव करते हैं। ऊंचा कीटोन लेवल डीकेए का संकेत दे सकता है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत होती है।

प्रोफेशनल हेल्प के लिए कॉल करें

अगर आपके लक्षण गंभीर हैं तो आपको किसी हेल्थ प्रोफेशनल को मदद करने के लिए कॉल करना चाहिए। हाइपरग्लेसेमिया का इलाज न किए जाने पर इसके परिणामस्वरूप डीकेए सहित कई जटिल समस्याओं हो सकती है, जोकि जानेलेवा भी हो सकती है। अगर आप या आपका कोई परिचित डीकेए के लक्षणों (जैसा कि ऊपर बताया गया) का अनुभव करता है, तो तुरंत किसी डॉक्टर की मदद लें।

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हाई ब्लड शुगर के कारण

बल्ड शुगर को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि इसके बढ़ने के क्या कारण हो सकते हैं। अधिक चीनी वाले भोजनों का सेवन करना, दवा न लेना या अन्य बीमारी जैसे कारक ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकते हैं। आइए इन बिंदुओं की मदद से विस्तार में जानें:

डाइट संबंधी कारण:

ब्लड शुगर को मैनेज करने में न्यूट्रिएंट्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अधिक चीनी वाले भोजनों और ड्रिंक्स का सेवन, जो तेजी से ब्लड फ्लो में अवशोषित हो जाते हैं, ऐसे में ये ब्लड शुगर को बढ़ा सकते हैं। आप जो खा रहे हैं उन भोजनों के ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) के बारे में जागरूक होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाई-जीआई वाले भोजन ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, रेगुलर सोडा के एक 350 मिलीलीटर कैन में लगभग 39 ग्राम शुगर होता है, जिससे ब्लड शुगर तेजी से बढ़ सकता है।

दवाओं का मैनेजमेंट:

इंसुलिन या ओरल एंटीडायबिटिक दवाओं जैसी निर्धारित दवाओं की खुराक न लेने से ब्लड शुगर का लेवल अनियंत्रित रूप से बढ़ सकता है। यह इंसुलिन की अपर्याप्त मात्रा या अन्य दवाओं के पॉजिटिव परिणाम न होने के कारण हो सकता है।

बीमारी और इन्फेक्शन:

कई बीमारियां और इन्फेक्शन ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकते हैं। बीमारी को लेकर स्ट्रेस होने पर अक्सर कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होता है, जिससे इंसुलिन रजिस्टेंस जैसी समस्या हो सकती है। यूरिन निकासी मार्ग या श्वसन मार्ग में इन्फेक्शन से भी स्ट्रेस हार्मोन रिलीज हो सकते हैं, जिससे ब्लड शुगर अचानक से बढ़ सकता है।

शारीरिक मेहनत नहीं करना:

नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी करने से इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार हो सकता है और ब्लड शुगर को मैनेज करने में मदद मिल सकती है। इसके विपरीत बिना वर्कआउट वाली लाइफस्टाइल आपके ब्लड शुगर को बढ़ा सकती है। तथ्य बताते हैं कि हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट की मीडियम स्पीड वाली एक्सरसाइज करने से ब्लड शुगर कंट्रोल में काफी सुधार हो सकता है।

स्ट्रेस:

लंबे समय तक स्ट्रेस लेने से ब्लड शुगर के लेवल पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन लिवर को ब्लड फ्लो में ग्लूकोज रिलीज करने के लिए उत्तेजित करके ब्लड शुगर बढ़ा सकते हैं। वहीं रिसर्च से पता चलता है कि स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक, जैसे कि माइंडफुलनेस और रिलैक्स एक्सरसाइज, ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद कर सकते हैं।

कैफीन और अल्कोहल:

कैफीन और अल्कोहल दोनों ही ब्लड शुगर के लेवल को प्रभावित कर सकते हैं। कैफीन ब्लड शुगर में अस्थायी वृद्धि का कारण बन सकता है, खासकर उन लोगों में जो नियमित रूप से कैफीन का सेवन नहीं करते हैं। वहीं दूसरी ओर भोजन के बिना सेवन करने पर शराब हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) का कारण बन सकती है, लेकिन समय के साथ अत्यधिक शराब के सेवन से हाइपरग्लाइसीमिया हो सकता है, जिसे हाई ब्लड शुगर के रूप में जाना जाता है।

सुबह के समय ब्लड शुगर:

सुबह के समय ब्लड शुगर प्राकृतिक रूप से बढ़ जाता है। यह हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है, जो इंसुलिन रजिस्टेंस को बढ़ाता है। यह डायबिटीज वाले व्यक्तियों में होना नॉर्मल है और सुबह के बढ़े हुए ब्लड शुगर के लेवल को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए अक्सर दवा के समय या खुराक में जरूरी बदलाव करने की आवश्यकता होती है।

अनियंत्रित ब्लड प्रेशर:

हाई ब्लड प्रेशर अक्सर डायबिटीज से जुड़ा होता है। अनियंत्रित ब्लड प्रेशर हाई ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकता है। रिसर्च के अनुसार डायबिटीज से पीड़ित लगभग तीन में से दो लोगों को हाई ब्लड प्रेशर भी होता है, जिससे हार्ट संबंधी बीमारियां और अन्य जटिल समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

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हाई ब्लड शुगर के लक्षण

ब्लड शुगर खान-पान या लाइफस्टाइल में बदलाव के चलते घटता-बढ़ता रहता है। वहीं कुछ लक्षण ऐसे होते हैं, जो हाई ब्लड शुगर के बारे में संकेत देते हैं। इन संकेतों को नजरअंदाज करने से डीकेए जैसी अन्य गंभीर जटिल समस्याएं हो सकती हैं। वे लक्षण कुछ इस प्रकार हैं।

अत्यधिक प्यास लगना (पॉलीडिप्सिया):

अत्यधिक प्यास हाई ब्लड शुगर के मुख्य लक्षणों में से एक है। जब ब्लड शुगर का लेवल नॉर्मल रेंज से बढ़ जाता है, तो किडनी मूत्र के माध्यम से शरीर से अतिरिक्त ग्लूकोज को बाहर निकालने का प्रयास करते हैं। इस प्रक्रिया में पानी की आवश्यकता होती है, जिससे पेशाब में वृद्धि होती है। तरल पदार्थों की इस हानि की भरपाई करने के लिए, शरीर अत्यधिक पानी की मांग करती है। जिसके चलते व्यक्ति लगातार पानी की तलाश में रहते हैं और अपनी प्यास बुझाने में असमर्थ हो जाते हैं, इस स्थिति को पॉलीडिप्सिया कहा जाता है।

बार-बार पेशाब आना (पॉलीयूरिया):

ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने से ब्लडफ्लो में अतिरिक्त ग्लूकोज हो जाता है, जिसे किडनी फ़िल्टर करके मूत्र के साथ बाहर निकाल देते हैं। मूत्र में यह अतिरिक्त ग्लूकोज पानी को आकर्षित करता है, जिससे पेशाब में वृद्धि होती है। जिसके चलते व्यक्तियों को बार-बार पेशाब आती है, जो उनकी डेली रूटीन और नींद के पैटर्न को बाधित कर सकता है। बार-बार पेशाब आने के समय की मॉनिटरिंग करना, ब्लड शुगर में वृद्धि की गंभीरता को मापने का एक सहायक तरीका हो सकता है। आम तौर पर प्रतिदिन 3L से अधिक पेशाब को बहुत ज्यादा पेशाब आने के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

अचानक से वजन घटना:

अप्रत्याशित रूप से वजन घटना, अक्सर भूख में वृद्धि के साथ, हाई ब्लड शुगर का संकेत हो सकता है। जब ब्लड शुगर का लेवल हाई हो जाता है, तो इंसुलिन रजिस्टेंस या अपर्याप्त इंसुलिन उत्पादन के कारण शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए आवश्यक ग्लूकोज नहीं मिल पाता है। क्षतिपूर्ति करने के लिए, शरीर ऊर्जा के लिए फैट और मांसपेशियों के ऊतकों को ब्रेक शुरू कर देता है, जिससे वजन कम हो जाता है।

आंखों की रोशनी धुंधली होना:

हाई ब्लड शुगर आंख के लेंस के आकार में परिवर्तन का कारण बन सकती है, जिससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रभावित होती है और आंखों की रोशनी धुंधली हो जाती है। ब्लड शुगर के लेवल को टारगेट रेंज में वापस लाने के बाद इस लक्षण से बचा जा सकता है।

थकान और कमजोरी महसूस करना:

लगातार हाई ब्लड शुगर के लेवल के परिणामस्वरूप थकान और कमजोरी हो सकती है। जिसका मतलब है कि कोशिकाओं को वह ऊर्जा नहीं मिल रही है, जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है। यह दैनिक गतिविधियों, काम करने की क्षमता और हमारे जीवन को पूरी तरीके से प्रभावित कर सकता है।

सांसों से फलों जैसी गंध आना:

गंभीर मामलों में विशेष रूप से जब हाई ब्लड शुगर डायबिटीज केटोएसिडोसिस (डीकेए) में बदल जाती है, तो व्यक्तियों की सांसों में फलों जैसी विशेष या एसीटोन जैसी गंध आती है। यह गंध शरीर द्वारा ऊर्जा के लिए फैट को तोड़ने और कीटोन जारी करने का परिणाम है, जिसे सांस में पाया जा सकता है। फलों की सांसों से दुर्गंध एक मेडिकल इमरजेंसी कंडीशन का एक महत्वपूर्ण संकेतक है, और ऐसी स्थितियों में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत होती है।

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हाइपरग्लेसेमिया को कैसे रोकें और इलाज 

हाइपरग्लेसेमिया को कैसे रोकें

  • शुगर से भरपूर ड्रिंक्स का लिमिट में सेवन करें: अपनी डाइट से शुगर युक्त ड्रिंक्स को कम करने या समाप्त करने से ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
  • कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट को चुनें: साबुत अनाज और फलियां जैसे कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, ब्लड शुगर को स्थिर करने और स्थायी रूप से हमारे शरीर को एनर्जी प्रदान करने में मदद कर सकते हैं।
  • संतुलित भोजन लें: कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और हेल्दी फैट के संयोजन के साथ संतुलित भोजन खाने से ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें: नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी में शामिल होने से इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ सकती है और ब्लड शुगर कंट्रोल में सुधार हो सकता है।
  • स्ट्रेस को मैनेज करें: स्ट्रेस ब्लड शुगर के लेवल को प्रभावित कर सकता है। ध्यान या योग जैसी स्ट्रेस कम करने वाली टेक्निक की प्रैक्टिस करना फायदेमंद हो सकता है।
  • ब्लड ग्लूकोज की मॉनिटरिंग: आपके बल्ड शुगर के सुधार की प्रक्रिया पर नजर बनाए रखने और आवश्यक बदलाव करने के लिए, घर पर ही नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर के लेवल की मॉनिटरिंग करना फायदेमंद होता है।
  • स्मोकिंग छोड़ना: स्मोकिंग हमारे ओवरऑल हेल्थ के लिए हानिकारक होता है और डायबिटीज संबंधी जटिल समस्याओं को बढ़ा सकता है। स्मोकिंग छोड़ने से ब्लड शुगर कंट्रोल में काफी सुधार हो सकता है और स्वास्थ्य से जुड़े जोखिम कम हो सकते हैं।

निष्कर्ष

हाई ब्लड शुगर के लेवल को मैनेज करना, खासकर जब वे 400 मिलीग्राम/डीएल से अधिक हो, डायबिटीज के मरीजों के लिए अत्यंत जरूरी होता है। एक्टिव मैनेजमेंट, डॉक्टर से संपर्क कर उचित इलाज लेना और हाइपरग्लेसेमिया के कारणों को समझना और उसके रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाना फायदेमंद होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके ब्लड शुगर का लेवल अच्छी तरह से कंट्रोल है और अनियंत्रित खतरनाक शुगर लेवल के चलते कोई समस्या पैदा न हो, इसके लिए निसंकोच डॉक्टर से संपर्क करें और समय रहते उचित ट्रीटमेंट लें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

डायबिटीज कोमा किस शुगर लेवल पर हो सकता है?

डायबिटीज कोमा व्यक्ति के आधार पर अलग-अलग ब्लड शुगर के लेवलों पर हो सकता है। हालांकि यह एक गंभीर जटिल समस्या है, जो आमतौर पर अत्यधिक हाई या बहुत कम ब्लड शुगर के लेवल से जुड़ी होती है।

क्या मुझे 400 से अधिक ब्लड शुगर लेवल होने पर इंसुलिन लेना चाहिए?

इंसुलिन हमेशा हेल्थकेयर प्रोवाइडर के गाइडेंस में लिया जाना चाहिए। आपकी स्पेशल ट्रीटमेंट प्लान के आधार पर डॉक्टर आपको बेहतर सलाह दे सकता है कि अत्यधिक हाई ब्लड शुगर के लेवल को कैसे मैनेज किया जाए।

ब्लड शुगर कम होने में कितना समय लगता है?

ब्लड शुगर कम होने में लगने वाला समय हर व्यक्ति में अलग-अलग होता है और यह बढ़े हुए लेवल के कारण पर निर्भर करता है। इसे प्रभावी रूप से मैनेज करने के लिए अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर के सुझावों का पालन करें।

क्या ऐसा कोई स्पेशल फूड है, जो ब्लड शुगर को कम करने में मदद कर सकते हैं।

हालांकि ऐसा कोई मैजिकल फूड तो नहीं है, जो ब्लड शुगर को काफी हद तक कम कर सके। लेकिन फाइबर, साबुत अनाज, लो फैट वाले प्रोटीन और सब्जियों से भरपूर संतुलित डाइट लेने से आपके ब्लड शुगर का लेवल स्थिर हो सकता है। दालचीनी, मेथी और करेले जैसे खाने वाली चीजों के भी कुछ लाभकारी प्रभाव हो सकते हैं, जब आप इन्हें अपनी डाइट में शामिल करते हैं।

ब्लड शुगर और हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) के बीच क्या संबंध है?

हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ब्लड शुगर का लेवल बहुत कम होता है। यह अक्सर डायबिटीज से जुड़ा होता है और इंसुलिन या कुछ डायबिटीज की दवाओं की अधिक मात्रा के परिणामस्वरूप हो सकता है। हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण हाई ब्लड शुगर के समान हो सकते हैं, जिनमें पसीना आना, कंपकंपी और भ्रम जैसी समस्याएं शामिल है, लेकिन इसके कारण और मैनेज करने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं।

क्या हाई ब्लड शुगर में एक्सरसाइज करना सुरक्षित होता है?

हाई ब्लड शुगर के लेवल के साथ एक्सरसाइज करना सुरक्षित हो सकता है, यह व्यक्ति और उनकी विशेष परिस्थितियों पर निर्भर करता है। हालांकि बेहतर परिणाम पाने के लिए अपने हेल्थ प्रोवाइडर से संपर्क करना जरूरी होता है। संभावित जटिल समस्याओं को रोकने के लिए आपको अपने इंसुलिन या दवा के साथ डाइट में जरूरी बदलाव करना चाहिए। साथ ही एक्सरसाइज के दौरान ब्लड शुगर लेवल की मॉनिटरिंग करना जरूरी होता है।

Last Updated on by Dr. Damanjit Duggal 

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