ब्लड शुगर लेवल हमारे शरीर के स्वस्थ रहने में एक ज़रूरी भूमिका निभाता है। शरीर में ग्लूकोज़ नाम का एक पदार्थ होता है, ये ब्लड में घुलकर शरीर के हर एक हिस्से तक पहुंचता है और उन्हें ज़िंदा रहने के लिए ज़रूरी ताकत देता है। जब ये ग्लूकोज़ सही मात्रा में ब्लड में होता है तो हम अच्छा महसूस करते हैं, हमारा दिमाग ठीक से काम करता है और हम पूरा दिन एनर्जी से भरे रहते हैं। लेकिन अगर ब्लड में ग्लूकोज़ ज्यादा या कम हो जाए तो हमें कई बीमारियां हो सकती हैं, इनमें से एक बीमारी डायबिटीज (मधुमेह) भी है।
ब्लड शुगर का सही लेवल सिर्फ डायबिटीज मरीजों के लिए ही ज़रूरी नहीं है, बल्कि ये तो सबके स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है। अगर ब्लड में शुगर ज्यादा हो जाए तो शरीर को नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए इसे कंट्रोल करना बहुत ज़रूरी है। आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि ब्लड शुगर 300 से ऊपर जाने पर क्या लक्षण होते हैं और इससे क्या परेशानी हो सकती हैं?
हाई ब्लड शुगर क्या होता है? (300 mg/dL और उससे ज्यादा)
हर किसी के लिए ब्लड में शुगर का सही लेवल थोड़ा अलग हो सकता है, ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि कब टेस्ट जा रहा है। सामान्य तौर पर ब्लड शुगर लेवल कुछ इस तरह होते हैं-
खाली पेट का ब्लड शुगर (FBS):
ये तब टेस्ट किया जाता है, जब आप रातभर सोए हों और सुबह कुछ नहीं खाया हो। लगभग 8 घंटे खाली पेट रहने के बाद सामान्य ब्लड शुगर 70 से 100 mg/dL के बीच होना चाहिए। ये दिखाता है कि जब आप कुछ नहीं खा रहे होते हैं तो शरीर कितना अच्छा ग्लूकोज़ कंट्रोल कर रहा है।
खाने के बाद का ब्लड शुगर (Postprandial):
ये खाना खाने के दो घंटे बाद टेस्ट किया जाता है। खाने के बाद ब्लड शुगर का सामान्य लेवल 140 mg/dL से कम होना चाहिए। ये दिखाता है कि खाना खाने के बाद शरीर ग्लूकोज़ को कितनी अच्छी तरह से पचाता है, साथ ही ये भी बताता है कि इंसुलिन कितनी कारगर है।
बिना खाए-पिए ब्लड शुगर टेस्ट (Random):
ये टेस्ट दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। इसमें ये मायने नहीं रखता कि आपने आखिरी बार कब खाया है। बिना खाए-पिए ब्लड शुगर का सामान्य लेवल 125 mg/dL से कम होना चाहिए। ये टेस्ट के समय ब्लड में शुगर के लेवल को दिखाता है।
हर किसी के लिए ब्लड शुगर का सही लेवल थोड़ा अलग-अलग हो सकता है। ये डॉक्टर ही देखकर बताते हैं कि आपके लिए कितना लेवल सही है। साथ ही ये कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे आपकी उम्र, आपकी सेहत और आपको डायबिटीज है या नहीं। अगर आपको डायबिटीज है तो डॉक्टर आपको एक स्पेशल लेवल बताएंगे जिस पर आपको ब्लड शुगर मैंटेन रखनी है।
अगर ब्लड में शुगर ज्यादा बढ़ जाए, खासकर 300 से ज्यादा, तो ये चिंता की बात है। इससे शरीर को कई दिक्कतें हो सकती हैं और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ सकता है। अब हम ये जानेंगे कि 300 से ज्यादा ब्लड शुगर के क्या लक्षण होते हैं और इससे क्या परेशानी हो सकती है।
और पढ़े : शरीर में इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय को कैसे उत्तेजित करें?
ब्लड शुगर 300 से ज्यादा होने पर क्या होता है?
जब ब्लड शुगर 300 से ज्यादा हो जाती है तो शरीर कुछ खास लक्षणों से बताता है कि अंदर कुछ गड़बड़ है। ये लक्षण हमें जल्दी समझ आ जाने चाहिए, ताकि हम डॉक्टर के पास जाकर इसका इलाज करवा सकें और समस्या बढ़ने से पहले रोक सकें। आइए जानते हैं कि ये लक्षण क्या हो सकते हैं:
- बहुत ज्यादा प्यास लगना
- ज्यादा बार पेशाब जाना
- आँखों से धुंधला दिखना
- बहुत थकान होना
इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें, ये बताते हैं कि शरीर में सब सही नहीं है। इन पर ध्यान देते हुए तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और ब्लड शुगर को कम करने के लिए इलाज करवाना चाहिए।
और पढ़े : डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकती है एंटीबायोटिक्स दवाइयाँ?
ब्लड शुगर 300 से ज्यादा होने से क्या नुकसान हो सकते हैं?
ब्लड शुगर 300 से ज्यादा होने से सिर्फ थकान और प्यास ही नहीं लगती, बल्कि इससे शरीर के कई अंगों को भी नुकसान पहुंच सकता है। अगर लंबे समय तक शुगर ज्यादा रहे तो दिल, नसों, किडनी से संबंधित समस्याएं और घाव भरने में भी दिक्कत हो सकती है। ऐसी स्थिति में दिमाग भी सही से काम नहीं कर पाता, याददाश्त कमज़ोर हो सकती है और ध्यान लगाने में भी परेशानी हो सकती है।
इसलिए ब्लड शुगर को कम करना पूरे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत ज़रूरी है। जब ब्लड शुगर लेवल अक्सर ज्यादा रहता है तो ये दिखाता है कि शरीर डायबिटीज को सही से कंट्रोल नहीं कर पा रहा है।
ब्लड 300 से ज्यादा हो जाए तो क्या करें? (तुरंत क्या करें)
ब्लड शुगर लेवल 300 से ज्यादा होने पर किसी को भी चिंता हो सकती है। ऐसे में सबसे पहले मरीज यही सोचता है कि अब क्या करना चाहिए। ऐसे में घबराना नहीं है, इसे कंट्रोल किया जा सकता है बस कुछ बातों का ध्यान रखते हुए-
1) शांत रहें और ध्यान दें:
सबसे पहले तो शांत रहें और सोचें कि आपको कैसा लग रहा है। घबराने से शुगर और बढ़ सकती है, इसलिए ज़रूरी है कि आप शांत रहें और समझें कि क्या हो रहा है।
2) पानी पिएं:
बहुत ज़रूरी है कि आप पानी पिएं, लेकिन ध्यान रखें कि मीठी चीज़ें न पिएं। मीठी चीज़ें ब्लड में शुगर और बढ़ा सकती हैं।
3) मीठा खाना न खाएं:
कुछ ऐसी चीज़ें होती हैं जिन्हें खाने से ब्लड शुगर जल्दी बढ़ता है, इन्हें खाने से बचें ऐसी चीज़ें खाएं जिनमें ज्यादा कार्ब्स न हों और फाइबर ज्यादा हों, ये शुगर को कंट्रोल में रखने में मदद करेंगी।
ये कुछ ज़रूरी काम हैं जो आप कर सकते हैं। ध्यान रखें कि ये सिर्फ शुरुआती कदम हैं और ज़रूरी है कि आप जल्दी से जल्दी डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर की निगरानी में जांच कराएं।
और पढ़े : शुगर लेवल चार्ट उम्र के अनुसार |
इमरजेंसी में बल्ड शुगर (300 से ज्यादा) को कम करने के लिए ज़रूरी कदम
अगर आपका ब्लड शुगर 300 से ज्यादा हो गया है तो कुछ ऐसे तरीके हैं जिन्हें आप फौरन अपना सकते हैं:
1) इंसुलिन लेना (डॉक्टर की सलाह के बाद):
अगर आप इंसुलिन लेते हैं तो डॉक्टर ने आपको कितनी इंसुलिन लेनी है वो ज़रूर बताई होगी। उसी के हिसाब से इंसुलिन लें। ध्यान रहे ज्यादा इंसुलिन नहीं लेनी है।
2) ब्लड शुगर चेक करते रहें:
हर थोड़ी देर में अपने ब्लड शुगर को नापते रहें। इससे पता चलता रहेगा कि शुगर कम हो रही है या नहीं और क्या करना ज़रूरी है।
3) डॉक्टर से बात करें:
अगर आपका शुगर ज्यादा है और वो कम नहीं हो रहा है तो ज़रूर डॉक्टर से बात करें। वो आपको बताएंगे कि क्या करना चाहिए।
4) डॉक्टर को सारी जानकारी सटीकता से दें:
जब डॉक्टर से बात करें तो उन्हें ज़रूर बताएं कि आपको क्या लक्षण हैं, आपने क्या खाया है और क्या दवाइयां ली हैं। इससे वो आपको सही सलाह दे पाएंगे।
300 से ज्यादा ब्लड शुगर को लंबे समय तक कंट्रोल करने के टिप्स
ज्यादा ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए सिर्फ इमरजेंसी में तुरंत किए गए उपाय ही काफी नहीं होते, बल्कि कुछ ऐसी आदतें डालनी पड़ती हैं जो आपको लंबे समय तक स्वस्थ रखेंगी। ये हैं वो तरीके हैं जो आप अपना सकते हैं:
1) खानपान पर ध्यान दें:
ऐसी चीज़ें खाएं जिनमें ज्यादा पोषण हो और कम शुगर हो। सब्ज़ियां, फल, साबुत अनाज, दालें और लीन प्रोटीन खाएं। ज्यादा तली-भुनी, मीठी और प्रोसेस्ड चीज़ें न खाएं।
2) रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें:
आपकी फिटनेस के हिसाब से रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें। इससे शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल बेहतर तरीके से कर पाता है और वज़न भी कंट्रोल में रहता है। एक्सरसाइज शुरू करने से पहले डॉक्टर से ज़रूर पूछ लें।
3) वज़न कंट्रोल करें:
अगर आपका वज़न सही होगा तो शुगर को कंट्रोल करना आसान होगा। थोड़ा वज़न कम करने से भी शुगर कंट्रोल में मदद मिलती है।
4) स्ट्रेस कम करें:
ज्यादा तनाव (स्ट्रेस) शुगर बढ़ा सकता है। मेडिटेशन, गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज या अपने शौक से जुड़े काम करके तनाव कम करने की कोशिश करें।
5) दवाएं लें:
अगर डॉक्टर ने आपको दवाएं दी हैं तो उन्हें ज़रूर लें और उनकी खुराक डॉक्टर के बताए अनुसार ही लें। अगर आपको कोई दिक्कत हो रही है तो डॉक्टर को बताएं।
6) दवाओं के साइड इफेक्ट्स:
अगर आप अलग-अलग दवाइयां ले रहे हैं तो ये जान लें कि वो आपस में मिलकर शुगर पर क्या असर डालती हैं। इस बारे में डॉक्टर से ज़रूर बात करें।
7) ब्लड शुगर चेक करते रहें:
डॉक्टर के बताए अनुसार नियमित रूप से अपना ब्लड शुगर जांचते रहें। इससे पता चलता रहेगा कि शुगर कंट्रोल में है या नहीं और क्या करना ज़रूरी है।
8) डॉक्टर से मिलते रहें:
नियमित रूप से डॉक्टर से मिलते रहें ताकि वो आपकी पूरी सेहत देख सकें और अगर कोई दिक्कत हो तो उसका इलाज कर सकें। डॉक्टर से अपने ब्लड शुगर के बारे में भी ज़रूर बात करें।
9) डॉक्टर से खुलकर बात करें:
डॉक्टर से खुलकर बात करें। उन्हें बताएं कि आपको क्या दिक्कत हो रही है, आपकी लाइफस्टाइल में क्या बदलाव आए हैं और आपको किन चीज़ों की चिंता है। इससे डॉक्टर आपके लिए सही इलाज का प्लान बना पाएंगे।
ये सब करके आप अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल में रख सकते हैं और लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं।
और पढ़े : मेटफोर्मिन के साइड इफेक्ट्स
निष्कर्ष
डायबिटीज लाइलाज बीमारी है इसीलिए ब्लड शुगर को कंट्रोल हमेशा जरूरी है। अगर हम इसे कंट्रोल रखने के लिए कुछ उपाय करते हैं और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाते हैं तो हम अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं। डायबिटीज़ के साथ जीना ज़रूर थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन ये आपकी ज़िंदगी का लास्ट चैप्टर नहीं है। डायबिटीज मैनेज करते हुए ऐसी लाइफस्टाइल अपनाएं जो आपके पूरे शरीर को स्वस्थ रखे। सही जानकारी, सही टूल्स और डॉक्टर की मदद से आप डायबिटीज़ को हरा सकते हैं और एक खुशहाल ज़िंदगी जी सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अगर आपका ब्लड शुगर 300 mg/dL से ज्यादा है तो ये हाइपरग्लाइसीमिया कहलाता है, मतलब ब्लड में ज्यादा शुगर का जमा होना। ये डायबिटीज़ कंट्रोल में न होने का लक्षण हो सकता है और इस पर फौरन ध्यान देने की ज़रूरत है।
ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब जाना, आंखों का धुंधला जाना, थकान, और गंभीर मामलों में बेहोशी जैसे लक्षण हो सकते हैं। इन लक्षणों को पहचानना ज़रूरी है ताकि जल्दी मदद मिल सके।
घबराएं नहीं, पानी पीकर हाइड्रेट रहें, ज्यादा शुगर वाली चीज़ें न खाएं, और ज़रा सी हल्की फुल्की एक्सरसाइज़ करें। अगर आप इंसुलिन लेते हैं तो बताई गई मात्रा में ही लें। अगर लक्षण कम न हों तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें।
हां, इसमें कुछ लाइफस्टाइल बदलावों से मदद मिल सकती है। ज्यादा पानी पीना, ज्यादा कार्ब्स वाली चीज़ें न खाना, और हल्की एक्सरसाइज़ करना ब्लड शुगर कम करने में मदद कर सकता है। लेकिन, डॉक्टर से ज़रूर मिलें ताकि वो आपको सही सलाह दे सके।
ब्लड शुगर को नियमित रूप से चेक करना ज़रूरी है। डॉक्टर बताएंगे कि आपको कितनी बार चेक करना चाहिए, खासकर खाने के बाद ज्यादा बार चेक करना ज़रूरी हो सकता है।
दवाइयां बदलने से पहले डॉक्टर से ज़रूर पूछें। वो ही आपको बताएंगे कि दवाइयों की मात्रा या खुद दवाइयां बदलनी हैं या नहीं।
अगर आपका ब्लड शुगर लगातार ज्यादा रहता है या आपको बेहोशी या ज्यादा थकान जैसे गंभीर लक्षण हैं तो फौरन डॉक्टर से मिलें या उनसे संपर्क करें।
हां, तनाव से भी ब्लड शुगर बढ़ सकता है। मेडिटेशन या गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज़ करके तनाव कम करने से ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने में मदद मिल सकती है।
ऐसी डाइट जिसमें ज्यादा पोषण हो और कम शुगर हो वो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती है। डॉक्टर या डायटीशियन से मिलकर अपनी लाइफस्टाइल के हिसाब से सही डाइट प्लान बनवाएं।
लाइफस्टाइल में बदलाव, दवाइयां लेना, ब्लड शुगर को नियमित रूप से चेक करना, और डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है। वज़न कंट्रोल करना, एक्सरसाइज़ करना, और तनाव कम करना भी ब्लड शुगर को लंबे समय तक कंट्रोल में रखने में मदद करते हैं।
Disclaimer
This site provides educational content; however, it is not a substitute for professional medical guidance. Readers should consult their healthcare professional for personalised guidance. We work hard to provide accurate and helpful information. Your well-being is important to us, and we value your feedback. To learn more, visit our editorial policy page for details on our content guidelines and the content creation process.