मोटा अनाज (मिलेट) क्या है?
मोटा अनाज छोटे बीज वाली किस्मों का एक समूह है जिसकी खेती बहुत समय से की जाती रही है। ये अनाज फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और खनिज जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरे होते हैं।
शुगर के मरीजों के लिए मोटा अनाज काफी लाभकारी हैं क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसका अर्थ है कि यह ब्लड शुगर के लेवल को धीरे-धीरे बढ़ाता है।
मोटा अनाज की न्यूट्रिशन पावर(पोषण शक्ति)
जब शुगर की बात आती है तो फाइबर मुख्य हो जाता है। यह ग्लूकोज एब्जॉर्ब को धीमा करने में मदद करता है और ब्लड शुगर के लेवल को अचानक बढ़ने से रोकता है। मोटा अनाज में घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर पाए जाते हैं। जिसकी वजह से यह शुगर डाइट में शामिल किया जा सकता है।
इसके अलावा मोटा अनाज में प्रोटीन काफी मात्रा में होता है जो भूख को कंट्रोल करता है और ब्लड शुगर के लेवल को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है। मोटा अनाज में पाए जाने वाले मैग्नीशियम और जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं,और इंसुलिन रेगुलेशन में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
मोटा अनाज(मिलेट्स) के प्रकार
मोटा अनाज के कई प्रकार हैं और सबका अपना एक अलग स्वाद और न्यूट्रिशन प्रोफ़ाइल है। मोटा अनाज के कुछ मुख्य प्रकार इस प्रकार हैं-
- फॉक्सटेल मिलेट
- बाजरा (पर्ल मिलेट)
- रागी (फिंगर मिलेट)
- ज्वार या सोरघम
- प्रोसो मिलेट
- कुटकी (लिटिल मिलेट)
- बरनार्ड मिलेट
- कोदो मिलेट
अपने शुगर डाइट में अलग-अलग प्रकार के मोटा अनाज(मिलेट्स) शामिल करने से काफी मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त हो सके हैं।
शुगर के मरीजों के लिए मोटा अनाज(मिलेट्स) के फायदे
2018 के एक अध्ययन से पता चला कि फॉक्सटेल मिलेट ब्लड शुगर मैनेजमेंट में सहायता कर सकता है। 12-सप्ताह के अध्ययन के दौरान, 64 लोगों ने अपने नियमित भोजन के साथ प्रतिदिन 50 ग्राम फॉक्सटेल मिलेट से बनी रोटी का सेवन किया।
6 सप्ताह के अंदर उपवास(फास्टिंग) के दौरान ब्लड ग्लूकोज में 5.7% की गिरावट आई, भोजन के बाद 2 घंटे के ग्लूकोज लेवल में 9.9% की कमी आई। ये लाभ पूरे अध्ययन के दौरान बराबर जारी रहे।
शोधकर्ताओं का मानना है कि प्रोटीन और फाइबर के कारण फॉक्सटेल मिलेट ग्लूकोज-रेगुलेशन में इतना कारगर होता है। इसके अलावा यह लेप्टिन नमक हार्मोन को बढ़ावा दे सकता है, इंसुलिन रेजिस्टेंस के साथ सूजन को भी कम कर सकता है। तो क्या फॉक्सटेल मिलेट जैसे अनाज शुगर के लिए अच्छे हैं? इस अध्ययन को ध्यान में रखकर जवाब दिया जाए तो जवाब हाँ होगा। निश्चित रूप से इस रिसर्च से पता चलता है कि फॉक्सटेल मिलेट टाइप 2 शुगर के मरीजों के लिए ग्लूकोज कंट्रोल को बढ़ा सकता है।
निम्नलिखित गुणों के कारण शुगर के मरीजों के लिए मोटा अनाज(मिलेट्स) सबसे अच्छा होता है।
- ग्लाइसेमिक कंट्रोल में सुधार करता है।
- प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स।
- ग्लूटेन-फ्री है।
- गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल को बनाए रखता है।
- ट्राइग्लिसराइड के लेवल में सुधार करता है।
- फास्टिंग ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करता है।
- इंसुलिन रिस्पॉन्स में सुधार करता है।
कुछ मोटा अनाज डाईजेशन में सहायता करते हैं, जबकि कुछ वजन प्रबंधन में मदद कर सकते हैं। कमोबेश, सभी मोटा अनाज के लाभ समान हैं और अंततः ब्लड शुगर के लेवल को विनियमित करने में मदद करते हैं।
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मिलेट्स(मोटा अनाज) का ग्लाइसेमिक इंडेक्स
ग्लाइसेमिक इंडेक्स यह तय करने में सहायता करता है कि शुगर के लिए सबसे अच्छा मोटा अनाज(मिलेट्स) कौन सा है। मोटा अनाज का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) यह बताता है कि किसी विशेष मोटा अनाज का सेवन कितनी जल्दी ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकता है।
जीआई मान कम होगा तो ब्लड शुगर लेवल काफी धीरे बढ़ेगा। लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले मिलेट्स शुगर के मरीजों के लिए अच्छे होते हैं क्योंकि वे ब्लड शुगर के लेवल को अचानक तेजी से नही बढ़ाते हैं।
मिलेट्स (मोटा अनाज) | ग्लाइसेमिक इंडेक्स(जीआई) |
---|---|
पर्ल मिलेट (बाजरा) | 55 |
फिंगर मिलेट (रागी) | 70 |
कोदो मिलेट | 50 |
फॉक्सटेल मिलेट | 50 |
लिटिल मिलेट(कुटकी) | 50 |
बार्नयार्ड मिलेट | 45 |
प्रोसो मिलेट | 55 |
सोरघम मिलेट(ज्वार) | 62 |
ब्राउन टॉप मिलेट(कोरले) | 50 |
इटालियन मिलेट(सामा) | 45 |
डायबिटीज के मरीजों के लिए बेस्ट मिलेट्स(Millets for Diabetes in Hindi)
जब शुगर मैनेजमेंट की बात आती है तो कौन सा मोटा अनाज शुगर के लिए अच्छा है, इसका सही चयन करने से आपके ब्लड शुगर कंट्रोल में महत्वपूर्ण अंतर आता है। मोटा अनाज न केवल पोषक तत्वों से भरपूर होता है बल्कि इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है, जिसका मतलब है कि यह ब्लड शुगर के लेवल को तेजी से नही बढ़ाता है।
यहां नीचे कुछ जानकारी दी गई है जो आपको यह तय करने में मदद करेगा कि कौन सा मोटा अनाज शुगर के लिए अच्छा है।
1. फिंगर मिलेट (रागी)-
रागी स्वाद के साथ फाइबर वाला मोटा अनाज है जो वजन मैनेजमेंट में सहायता करता है और इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार करता है।
शुगर के मरीजों के लिए फिंगर मिलेट न केवल स्वाद के लिए, बल्कि वजन को प्रभावी ढंग से मैनेज करने और आपके शरीर की इंसुलिन सेंसटिविटी को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। इसकी प्रभावशाली फाइबर सामग्री न केवल डाईजेशन में सहायता करती है बल्कि शुगर के मरीजों के लिए शुगर लेवल को कंट्रोल करने में भी मदद करता है।
पोषण मूल्य– प्रोटीन – 7.3 ग्राम, फाइबर – 11.8 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट – 72 ग्राम।
2. बाजरा–
बाजरा एक हल्के स्वाद वाला अनाज है, जो हार्ट और बेहतर इंसुलिन रिस्पॉन्स देता है। इसे शुगर के लिए सबसे अच्छे मोटे अनाज में से एक माना जाता है। यह अपने हल्के स्वाद के लिए भी जाना जाता है, जिसे कई तरह के व्यंजन बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
अपने स्वाद के अलावा, शुगर के मरीजों के लिए भी कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। हार्ट को सही रखने और शरीर में बेहतर इंसुलिन रिस्पॉन्स बनाने में काफी मादा करता है।
पोषण मूल्य– प्रोटीन – 10.6 ग्राम, फाइबर – 1.3 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट – 67 ग्राम।
3. फॉक्सटेल मिलेट–
शुगर के लिए कौन सा मोटा अनाज अच्छा है यह इसकी समर्थन करने की क्षमता पर निर्भर करता है। फॉक्सटेल शुगर के लिए एक अच्छा विकल्प है क्योंकि इसकी बनावट मुलायम होती है। यह डाईजेशन में अच्छा है और ब्लड शुगर को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है।
मोटे अनाज की यह किस्म विशेष रूप से अपने डाईजेशन के लिए जाना जाता है। यह ब्लड शुगर के लेवल को स्थिर बनाए रखने में सहायता करता है। आप शुगर के मरीजों के लिए फॉक्सटेल से बनाए जाने वाले व्यंजनों की एक लंबी लिस्ट पा सकते हैं जो आपकी पसंद के हिसाब से होगा।
पोषण मूल्य– प्रोटीन – 12.3 ग्राम, फाइबर – 8 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट – 60 ग्राम।
4. ज्वार या सोरघम-
ज्वार जिसे सोरघम के नाम से जाना जाता है, एक अच्छा मोटा अनाज है जिसे कई प्रकार के व्यंजनों में शामिल किया जा सकता है। इसका मूल्य इसकी बहुमुखी प्रतिभा से कहीं अधिक है।
हार्ट और वजन मैनेजमेंट में ज्वार का योगदान काफी ज्यादा होता है।
बैलेंस डाइट में यह एक मूल्यवान हिस्से के रूप में देखा जा सकता है।
पोषण मूल्य– प्रोटीन – 10.4 ग्राम, फाइबर – 6.7 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट – 72 ग्राम।
5. लिटिल मिलेट या कुटकी-
अपने स्वादिष्ट स्वाद और पौष्टिकता के कारण इसने एक बहुमुखी और स्वास्थ्यवर्धक अनाज के रूप में अपनी जगह बना ली है। शुगर के मरीजों के लिए कौन सा मोटा अनाज सबसे ज्यादा अच्छा है यह अक्सर उसकी प्रोटीन और फाइबर सामग्री से पता चलता है। इस मोटे अनाज में ये दोनों चीजें भरपूर मात्रा में पाई जाती हैं।
अपने स्वाद के अलावा इस मोटे अनाज से काफी कम कैलोरी मिलती है। जो अपना वजन सही बनाए रखना चाहते हैं वे लोग इसका सेवन कर सकते हैं। इसका लाभ केवल वजन मैनेजमेंट तक ही सीमित नहीं हैं।
लिटिल मिलेट हार्ट को स्वस्थ रखने में मदद करता है इस कारण यह हार्ट-फ्रैंडली डाइट का एक मूल्यवान हिस्सा बन जाता है।
पोषण मूल्य– प्रोटीन – 7.7 ग्राम, फाइबर – 8.6 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट – 65 ग्राम।
6. बार्नयार्ड मिलेट या सावां–
बार्नयार्ड या सावां अपने हल्के स्वाद के साथ, कई स्वास्थ्य लाभ देने वाला मोटा अनाज माना जाता है। बार्नयार्ड शुगर के मरीजों के लिए ज्यादा लाभकारी मोटे अनाजों में से एक है। पोषक तत्वों से भरपूर यह मोटा अनाज वजन मैनेजमेंट और डाईजेशन में सहायता करता है। इसका हल्का स्वाद इसके कई प्रकार के व्यंजन बनाने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
बार्नयार्ड में हाई-फाइबर पाया जाता है जो डाईजेशन सही करता है और वजन कंट्रोल में सहायता कर सकता है।
पोषण मूल्य– 7.7 ग्राम प्रोटीन, 10.1 ग्राम डाइट फाइबर, 65 ग्राम कार्बोहाइड्रेट।
7. प्रोसो मिलेट-
‘क्या प्रोसो शुगर के लिए एक अच्छा मोटा अनाज है?’ इसका सीधा उत्तर हां है। प्रोसो एक अच्छा स्वाद देता है। यह एक ऐसा मोटा अनाज है जो आपको स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य भी प्रदान करता है।
यह हार्ट के साथ-साथ वजन मैनेजमेंट के लिए भी लाभकारी है,जिससे यह बैलेंस डाइट का एक जरूरी हिस्सा बन जाता है। प्रोसो हल्का स्वाद देता है, जो इसे विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में उपयोग करने लायक बनाता है। इस मोटे अनाज में हाई-फाइबर डाईजेशन में सहायता करता है। वजन मैनेजमेंट में भी काफी सहायक है।
पोषण मूल्य– 6.2 ग्राम प्रोटीन, 2.2 ग्राम फाइबर, 71 ग्राम कार्बोहाइड्रेट।
8. कोदो मिलेट-
शुगर के लिए कोदो अपने अलग स्वाद के साथ, कई स्वास्थ्य लाभ भी देता है। यह मोटा अनाज वजन मैनेजमेंट और डाईजेशन में भी सहायता करता है। कोदो का विशेष स्वाद आपके भोजन में एक नयापन ला सकता है और आपके संपूर्ण स्वास्थ्य में योगदान देता है। इसमें मौजूद फाइबर डाईजेशन को सही करता है और वजन को कंट्रोल करने में मदद करता है।
पोषण मूल्य– 8.3 ग्राम प्रोटीन, 9.8 ग्राम डाइट फाइबर, 62 ग्राम कार्बोहाइड्रेट।
मोटा अनाज(मिलेट्स) को अपने डाइट में कैसे शामिल करें?
जैसे-जैसे मोटा अनाज के असंख्य स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है ज्यादा से ज्यादा लोग पोषक तत्वों से भरपूर इन अनाज को अपने डाइट में शामिल करने के तरीकों को जानना चाह रहे हैं। मोटा अनाज न केवल जरूरी पोषक तत्वों से भरा हुआ है, बल्कि और भी बहुत सी चीजें हैं जो इन्हें कई प्रकार से इस्तेमाल करने योग्य बनाती हैं। शुगर के मरीजों के लिए मोटे अनाज के व्यंजनों को अपने भोजन में आसानी से कैसे शामिल करें इस बारे में यहां एक गाइडलाइन दी गई है।
1- मोटे अनाज(मिलेट्स) का नाश्ता
अपने दिन की शुरुआत पौष्टिक से करें। अपनी पसंद के मोटे अनाज को पकाएं, चाहे बाजरा हो, रागी हो, या कोई अन्य किस्म हो, उसके ऊपर विभिन्न सामग्री डालें। भरपूर स्वाद और विटामिन के लिए इसमें ताजे फल जैसे जामुन, कटे हुए केले, या कटे हुए सेब मिलाएं।
एक्स्ट्रा प्रोटीन और गार्निश करने के लिए आप इसमें कुछ नट्स, सीड्स और ग्रीक योगर्ट भी मिला सकते हैं। प्राकृतिक मिठास के लिए शहद या मेपल सिरप डाल सकते हैं।
2-मोटा अनाज(मिलेट्स) का सलाद
स्वाद और बेहतर न्यूट्रिशन के लिए आप सलाद में मोटा अनाज शामिल कर सकते हैं। अपनी पसंद के मोटे अनाज को पकाएं और ठंडा होने दें। इसे शिमला मिर्च, खीरे और टमाटर जैसी सब्जियों के साथ मिलाएं। इसमें कुछ कटे हुए ताजे हर्ब्स जैसे सीलेंट्रो या पार्सले(अजमोद) मिलाएं।
ऑलिव ऑयल, नींबू का रस और अपने पसंदीदा मसालों का उपयोग करके एक साधारण विनैग्रेट बनाएं। पौष्टिक और स्वादिष्ट सलाद के लिए सभी चीजों को एक साथ मिलाएं।
आइए और बेहतर तरीके से समझने के लिए इन विशेष व्यंजनों के पकाने के निर्देशों की मदद लें।
बाजरे की रोटी
बाजरे की रोटी एक पारंपरिक भारतीय रोटी है जो बाजरे से बनाई जाती है। यह गेहूं की रोटियों की जगह एक पौष्टिक और अच्छा विकल्प है। इसे बनाने का तरीका यहां बताया गया है-
सामग्री(इंग्रिडेंट)
- 1 कप बाजरे का आटा।
- आटा गूंधने के लिए पानी
- एक चुटकी नमक (वैकल्पिक)
निर्देश
- एक मिक्सिंग बाउल में बाजरे का आटा और नमक मिलाएं।
- धीरे-धीरे पानी डालकर नरम आटा गूंथ लें। बाजरे के आटे के कारण इसका टेक्सचर थोड़ा मोटा होगा।
- आटे को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लें और उनके गोले बना लें।
- अब गोले को अपने हाथ या बेलन की सहायता से चपटा करके गोल रोटी बना लें। गेहूं की रोटी की तुलना में थोड़ी मोटी रोटी बनाएं।
- मध्यम आंच पर एक तवा गर्म करें।
- बाजरे की रोटी को तवे पर रखें और सतह पर बुलबुले आने तक पकाएं।
- रोटी को पलटें और दूसरी तरफ भी सुनहरे भूरे धब्बे बनने तक पकाएं।
- तवे से निकालें और पसंदीदा करी, सब्जी या चटनी के साथ गरमागरम परोसें।
रागी दलिया
रागी का दलिया नाश्ते में या हल्के भोजन के लिए सही है। नीचे एक सरल रेसिपी बताई गई है
सामग्री(इंग्रिडेंट)
- 1/2 कप रागी का आटा
- 2 कप पानी या दूध
- एक चुटकी नमक (जरूरत के हिसाब से)
- मिठास के लिए शहद या फल (वैकल्पिक)
निर्देश
- एक कटोरे में रागी के आटे को थोड़ा पानी मिलाकर चिकना पेस्ट बना लें, ताकि गुठलियां न रहें।
- एक पैन में थोड़ा पानी या दूध उबालें।
- उबाल आने पर धीरे-धीरे रागी का पेस्ट डालें और लगातार हिलाते रहें ताकि गुठलियां न बनें।
- मध्यम आंच पर तब तक पकाएं जब तक मिश्रण गाढ़ा होकर दलिया जैसा न हो जाए।
- स्वाद के लिए एक चुटकी नमक डालें।
- अगर चाहें तो शहद डालकर मीठा करें या केले या जामुन जैसे कटे हुए फल डालें।
- रागी का दलिया गर्मागर्म परोसने के लिए तैयार है।
मोटे अनाज को अपने डाइट में शामिल करना स्वादिष्ट और फायदेमंद दोनों हो सकता है। कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभों के साथ, मोटा अनाज आपके भोजन को बेहतर बनाने के लिए कई प्रकार के विकल्प प्रदान करता है। चाहे आप नाश्ते में, सलाद, रोटी, या दलिया में उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। मोटा अनाज आपकी हेल्दी डाइट में काफी लाभकारी हो सकता है।
मोटे अनाज(मिलेट्स) के सेवन के समय क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए
शुगर के लिए मोटे अनाज के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन इनका सेवन करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए-
एलर्जी
जिन व्यक्तियों को एलर्जी है उन्हें अपने डाइट में मोटा अनाज शामिल करते समय सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इससे परेशानी हो सकती है।
पोर्शन कंट्रोल
मोटे अनाज में अच्छा न्यूट्रिशन वैल्यू होने के बाद भी इसको ज्यादा खाने से कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ सकती है। पोर्शन कंट्रोल बहुत जरूरी है। शुगर या वजन मैनेजमेंट करने वालों के लिए पोर्शन कंट्रोल करना और भी जरूरी हो जाता है।
फाइटेट्स और एंटी-न्यूट्रिएंट
मोटा अनाज में फाइटेट्स और एंटी-न्यूट्रिएंट होते हैं जो खनिज को एब्जॉर्ब करने में रुकावट डाल सकते हैं। मोटे अनाज को भिगोने, किण्वित करने या पकाने के सही तरीकों से इनको कम करने में मदद मिल सकती है।
थायराइड में सावधानी
थायराइड की समस्या वाले लोगों को सावधान रहना चाहिए, क्योंकि मोटा अनाज में गोइट्रोजन होते हैं जो थायराइड हार्मोन में गड़बड़ी कर सकते हैं। खाना पकाने के सही तरीके से इसको कम कर सकते हैं।
बैलेंस डाइट
मोटा अनाज बैलेंस डाइट का सिर्फ एक हिस्सा होना चाहिए। केवल मोटा अनाज पर निर्भर रहने से पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, क्योंकि इनमें शरीर के लिए सभी जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलते हैं।
किसी एक प्रकार के इस्तेमाल से बचें
पोषण संबंधी लाभों को बढ़ाने और किसी भी एंटी-न्यूट्रिएंट की ज्यादा मात्रा से बचने के लिए अलग-अलग प्रकार के मोटा अनाज का सेवन करें।
एक्सपर्ट की सलाह लें
मोटा अनाज को अपने डाइट में शामिल करने से पहले किसी अच्छे हेल्थ केयर एक्सपर्ट या किसी रजिस्टर्ड डाइट एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। जिससे यह पता चल सके कि मोटा अनाज आपकी व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से सही है।
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निष्कर्ष
अपने डाइट में मोटे अनाज को शामिल करना शुगर मैनेजमेंट की दिशा में एक बढ़िया कदम हो सकता है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, भरपूर फाइबर और जरूरी पोषक तत्व के कारण ये काफी फायदेमंद होते हैं। मोटा अनाज और शुगर पर रिसर्च जारी है और भविष्य में और भी अधिक फायदे सामने आ सकते हैं। मोटे अनाज को अपनाकर और इसे अपने शुगर मैनेजमेंट प्लान में शामिल करके आप एक हेल्दी, और खुशहाल जीवन जीने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहे हैं।
याद रखें छोटे बदलावों से बड़े परिणाम मिल सकते हैं, और मोटा अनाज इस रास्ते पर एक अच्छी पहल हो सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
फिंगर मिलेट (रागी) को शुगर के लिए सबसे अच्छा मोटा अनाज माना जाता है। इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो ब्लड शुगर कंट्रोल में सहायता करता है। फाइबर, विटामिन और खनिजों के कारण यह ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है और इंसुलिन सेंसटिविटी को बढ़ाता है, लेकिन व्यक्तिगत डाइट से जुड़ी सलाह के लिए किसी हेल्थ केयर एक्सपर्ट से बात करें।
मोटा अनाज अपने कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और हाई फाइबर के कारण शुगर में काफी फायदेमंद है। यह ब्लड शुगर मैनेजमेंट में सहायता करता है और लगातार ऊर्जा रिलीज करता है। व्यक्तिगत सलाह के लिए किसी हेल्थ केयर एक्सपर्ट से बात करें।
शुगर के लिए बाजरा में दूसरे मोटे अनाज की तुलना में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। इसका धीमा डाईजेशन ब्लड शुगर लेवल को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है।
हाँ, रागी शुगर के लिए सही है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और हाई फाइबर के कारण यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और इंसुलिन सेंसटिविटी को बढ़ाने में मदद करता है। विशेष डाइट के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
5 सबसे अच्छे और पौष्टिक मोटे अनाज रागी, फॉक्सटेल, बाजरा, ज्वार (ज्वार) और कुटकी(लिटिल मिलिट) हैं। इनमें हाई-फाइबर, जरूरी पोषक तत्व की वजह से शुगर मैनेजमेंट सहित कई अन्य स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
कुटकी(लिटिल मिलिट) टीबीएस दवा विशेष रूप से उपलब्ध है। इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है और यह पाचन में मदद करता है।
नियमित रूप से मोटा अनाज खाने से पाचन में सुधार हो सकता है, वजन कंट्रोल हो सकता है, ब्लड शुगर सही रखा जा सकता है और जरूरी पोषक तत्व मिल सकते हैं। डाइट में जरूरी बदलाव करते समय डाइट एक्सपर्ट से सलाह लें।
मोटा अनाज तो सुरक्षित होता है लेकिन ठीक से तैयार न किया जाए तो यह सूजन या परेशानी का कारण बन सकता है। कुछ को एलर्जी हो सकती है, ज्यादा खाने से थायरॉइड फ़ंक्शन प्रभावित हो सकता है।
मोटा अनाज सुरक्षित और पौष्टिक होता है, लेकिन एलर्जी वाले लोगों के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। थायराइड की समस्या वाले व्यक्तियों को इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। मोटे अनाज में ऑक्सालेट ज्यादा मात्रा में पाया जाता है जो किडनी में पथरी से परेशान लोगों को प्रभावित कर सकता है।
मोटे अनाज को रोज कितना खाया जाए यह व्यक्तिगत डाइट से जुड़ी जरूरतों के आधार पर अलग-अलग होती है। शुरुआत में खाने में 1-2 सर्विंग (लगभग 1/2 से 1 कप पका हुआ) शामिल करना अच्छा है। मोटे अनाज के प्रति आपके शरीर की प्रतिक्रिया को समझें और पर्सनल गाइडेंस के लिए डाइट एक्सपर्ट से सलाह लें।
हाँ, मोटा अनाज चावल का अच्छा विकल्प हो सकता है। इनमें सफेद चावल की तुलना में ज्यादा डाइट फाइबर, विटामिन और खनिज होते हैं। मोटे अनाज में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने में मदद करता है।
मोटे अनाज को 2-4 घंटे के लिए पानी में भिगोने से पकाना में आसानी होती है और डाईजेशन में भी मदद मिल सकती है। फॉक्सटेल जैसी कुछ किस्मों को कम समय के लिए भिगोने की जरूरत होती है, जबकि बाजरा को लंबे समय तक भिगोने से फायदा हो सकता है। मोटे अनाज के प्रकार और अपनी रेसिपी के आधार पर भिगोने का समय एडजस्ट करें।
मोटा अनाज में फाइटेट्स और टैनिन जैसे एंटीन्यूट्रिएंट्स की मौजूदगी हो सकती है, जो पोषक तत्वों को एब्जॉर्ब करने में रुकावट डाल सकते हैं। लेकिन भिगोने, किण्वन(फर्मेंटेशन) या खाना बनाने के सही तरीके का इस्तेमाल करके इनके इन गलत प्रभावों को कम किया जा सकता है।
बाजरा और ओट्स दोनों के अपने-अपने फायदे हैं। बाजरा विविध पोषक तत्व प्रदान करता है, ग्लूटेन-फ्री होता है और इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। ओट्स में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है और यह हार्ट के लिए फायदेमंद होता है। अपनी डाइट से जुड़ी जरूरतों को ध्यान में रखकर आप इन दोनों के बीच किसी एक को चुन सकते हैं।
फिंगर मिलेट (रागी) में फाइबर ज्यादा मात्रा में और एंटीन्यूट्रिएंट्स कम होने के कारण डाईजेशन में सबसे अच्छा मोटा अनाज माना जाता है। यह कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों का एक अच्छा सोर्स है, जो इसे छोटे बच्चों और बुजुर्ग व्यक्तियों सबके लिए अच्छा बनाता है।
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