ब्लड शुगर लेवल की मॉनिटरिंग डायबिटीज मैनेजमेंट का एक जरूरी हिस्सा है। इससे आपको यह जानने में मदद मिलेगी कि आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाने के लिए किस तरह की गतिविधियां या भोजन जिम्मेदार है। यह आपके डायबिटीज को घातक सीमा तक पहुंचने से कंट्रोल करने में भी आपकी मदद करता है। ब्लड शुगर मॉनिटरिंग के कई तरीके हैं लेकिन ज्यादातर डायबिटीज टेस्ट्स के लिए आपको लैब में जाना पड़ता है। अगर आप घर पर अपने ब्लड शुगर की निगरानी करना चाहते हैं तो ग्लूकोमीटर सबसे अच्छा है। ब्लड शुगर की जांच के लिए ग्लूकोमीटर इस्तेमाल कैसे करें यह जानने के लिए इस ब्लॉग को पढ़ें।
ग्लूकोमीटर क्या है?
ग्लूकोमीटर अब डायबिटीज के मरीजों के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। ये छोटे साइज के पोर्टेबल डिवाइस हैं जिन्हें रियलटाइम में आपके ब्लड शुगर लेवल को मापने के लिए एक बूंद ब्लड की जरूरत होती है। ये ग्लूकोमीटर स्ट्रिप्स की मदद से आपकी बॉडी में मौजूद ब्लड ग्लूकोज कंटेंट का पता लगाकर रीडिंग प्रदान करता है। इन स्ट्रिप्स में कुछ केमिकल्स होते हैं जो ब्लड के कॉन्टैक्ट में आने पर इलेक्ट्रिक सिग्नल देते हैं। जिसके बाद कुछ ही सेकेंड्स में आपको न्यूमेरिक रिजल्ट्स मिल जाते हैं।
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प्रिंसिपल्स जिन पर ग्लूकोमीटर (शुगर मशीन) काम करते हैं
तीन सबसे कॉमन और पॉपुलर ग्लूकोमीटर प्रिंसिपल्स ये हैं:
- ग्लूकोज ऑक्सीडेज द्वारा
- ग्लूकोज डिहाइड्रोजनेज द्वारा
- ग्लूकोज डाई ऑक्सीडोरडक्टेस द्वारा
कुछ मीटर्स और स्ट्रिप्स कोडेड होते हैं। अगर आप ग्लूकोज ऑक्सीडेज मीटर का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो यह आपके ब्लड ऑक्सीजन लेवल में एंटरफेयर कर सकता है और आपको परिवर्तित परिणाम मिलेंगे।
इसी तरह, ग्लूकोज डिहाइड्रोजनेज इन्फ्यूजन के सॉल्यूशन में मौजूद माल्टोज़ और गैलेक्टोज़ में हस्तक्षेप कर सकता है।
इसलिए, अगर आप एक ग्लूकोमीटर की टेस्ट स्ट्रिप्स का इस्तेमाल दूसरे पर करते हैं तो टेस्ट रिजल्ट की एक्यूरेसी बदल जाती है। ऐसा तब होता है जब टेस्ट स्ट्रिप्स पर कोड आपके ग्लूकोमीटर की कोड सेटिंग के हिसाब से नहीं होता है।
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ग्लूकोमीटर (शुगर मशीन) का उपयोग किसे करना चाहिए?
यदि किसी को गर्भावस्था के दौरान टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज या गर्भकालीन डायबिटीज का निदान किया गया है, तो उपयुक्त ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल करके रेगुलर ब्लड शुगर लेवल टेस्ट की जानी चाहिए। यह ट्रीटमेंट का सबसे जरूरी पार्ट है।
ग्लूकोमीटर का बार-बार उपयोग इन चीजों में मदद करता है:
- चेक करना कि ब्लड शुगर कंट्रोल में है या नहीं और जब शुगर लेवल हाई हो या फिर लो हो।
- किसी व्यक्ति के एक्सरसाइज करने के बाद या जब वह स्ट्रेस में हो तो शुगर लेवल ऑब्जर्व करें।
- शुगर लेवल के तेजी से बढ़ने या गिरने के पैटर्न की पहचान करना।
- यह मूल्यांकन करना कि कोई व्यक्ति अपने ट्रीटमेंट गोल्स को कितनी अच्छी तरह पूरा करने में सक्षम है।
- एंटी-डायबिटीज ड्रग्स या अन्य थेरपी के इफेक्ट्स को रेगुलेट करने के लिए।
ब्लड शुगर की जांच के लिए ग्लूकोमीटर का उपयोग कब करें
ब्लड शुगर लेवल टेस्ट की फ्रीक्वेंसी, दिन में कब टेस्ट की जरूरत है और करना है, और अगर टेस्ट रिजल्ट में शुगर लेवल कम या ज्यादा आता है तो क्या करना चाहिए, इन सब के बारे में संबंधित हेल्थकेयर प्रोवाइडर से बात करनी चाहिए। मरीज को कितनी बार टेस्ट की जरूरत है, यह मरीज के डायबिटीज टाइप और उसके ट्रीटमेंट प्लान पर निर्भर करता है।
- टाइप 1: यदि किसी व्यक्ति को टाइप 1 डायबिटीज है, तो उसे दिन में 4-10 बार अपने ब्लड शुगर लेवल का टेस्ट करना चाहिए। भोजन करने से पहले (चाहे वह भोजन हो या नाश्ता), एक्सरसाइज करने से पहले और बाद में, सोने से पहले और रात में भी टेस्ट कर सकते हैं। चूंकि टाइप 1 डायबिटीज की खास बात ये है कि इसमें पर्याप्त इंसुलिन नहीं बन पाता, इसलिए, मरीज को ये कन्फर्म करने के लिए कि ब्लड शुगर को जरूरी सीमा के भीतर रखने के लिए पर्याप्त इंसुलिन है या नहीं, कई बार चेक करना चाहिए।
- टाइप 2: अगर किसी मरीज को टाइप 2 या गर्भकालीन डायबिटीज है, तो हर रोज 2-4 बार टेस्ट किया जा सकता है, यह इस बात पर निर्भर होता है कि इंसुलिन का इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं। आमतौर पर, इंसुलिन लेने से पहले टेस्ट कर सकता है।
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पहली बार टेस्ट के लिए टिप्स
पहली बार ग्लूकोमीटर इस्तेमाल कर रहे लोगों के लिए कुछ जरूरी सलाह:
- त्वचा में सुई के प्रवेश की दूरी निर्धारित करने के लिए लांसिंग डिवाइस की सेटिंग को एडजस्ट किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, लैंसेट को उस पर लिखे नंबर 2 पर सेट किया जा सकता है, और अगर इससे काम नहीं होता है तो इसे घुमाकर नंबर को और बढ़ाया जा सकता है।
- यदि किसी व्यक्ति को इस प्रोसेस में काफी दर्द होता है तो लैंसेट की थिकनेस को चेंज कर सकते हैं। लैंसेट कई गेज (थिकनेस) में उपलब्ध हैं। लैंसेट पर नंबर लिखा होता है। नंबर जितना अधिक होगा, लैंसेट उतना ही पतला होगा। उदाहरण के लिए, 30 गेज लैंसेट 21 गेज लैंसेट की तुलना में अधिक आरामदायक है।
- एक पार्टिकुलर ग्लूकोमीटर के लिए एक पार्टिकुलर टेस्ट स्ट्रिप होती है।
ब्लड शुगर टेस्ट मशीन (ग्लूकोमीटर) को इस्तेमाल करने के सिम्पल स्टेप्स
पोर्टेबल और मोबाइल-बेस्ड ग्लूकोमीटर की मदद से, कहीं भी, कभी भी ब्लड शुगर लेवल की मॉनिटरिंग पॉसिबल है। ग्लूकोमीटर का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिए किट के साथ दिए गए यूजर मैनुअल में लिखे निर्देशों का पालन करना होगा। ब्लड टेस्ट मशीन के साथ शुरुआत करने के लिए आपको ग्लूकोमीटर, टेस्ट स्ट्रिप, लांसिंग डिवाइस, लैंसेट, अल्कोहल पैड के साथ तैयार रहना होगा।
ब्लड शुगर टेस्ट मशीन इस्तेमाल करने के लिए आपको इन स्टेप्स को फॉलो करना जरूरी है:
स्टेप 1: लांसिंग डिवाइस को तैयार करना
ब्लड शुगर लेवल को मापने के लिए पहला स्टेप लांसिंग डिवाइस तैयार करना है और इसके लिए आपको इन स्टेप्स को फॉलो करना होगा:
- लैंसिंग डिवाइस के इंटर्नल कैप को मोड़कर हटाना होगा ताकि लैंसेट इंसर्शन का माउंटिंग पार्ट खुल जाए।
- आपको लैंसेट को उसके सर्कुलर टिप से पकड़ना होगा और फिर इसे डिवाइस के माउंटिंग पार्ट में डालना होगा। इसके बाद प्रोटेक्टिव सर्कुलर टिप को इस्तेमाल में लाने के लिए घुमाना होगा।
- फिर इंटर्नल कैप को डिवाइस के माउंटिंग पार्ट से दोबारा जोड़ दीजिए।
- ब्लड सैम्पल का डेप्थ 1 से 5 के बीच के बीच सेलेक्ट करिए। सैम्पल क लिए 1 सबसे कम और 5 सबसे अधिक डेप्थ है।
- लांसिंग डिवाइस को पकड़ें और फिर स्लाइडिंग बैरल को खींचें। जब क्लिक की आवाज सुनाई दे तो रुक जाइए। यह लांसिंग डिवाइस के बटन को रिलीज कर देगा और ब्लड सैम्पल लेने के लिए छेद करने को तैयार कर देगा।
स्टेप 2: हाथ और ग्लूकोमीटर की सफाई
अपने हाथ और ग्लूकोमीटर को साफ करें: जब भी आप शुगर लेवल टेस्ट मशीन का इस्तेमाल करें, हर बार अपने हाथ जरूर साफ करें। किसी अच्छे हैंडवॉश सॉल्यूशन का इस्तेमाल करें और अपने हाथों को कम से कम 20 सेकंड तक धीरे-धीरे रगड़ें। यदि आप बाहर हैं और अपने हाथ धोने में असमर्थ हैं तो आप अपने हाथों को साफ करने के लिए अल्कोहल स्वैब का उपयोग कर सकते हैं। अब अपने हाथों खासतौर पर उंगलियों को तौलिये से हल्के से थपथपाकर पूरी तरह सुखा लें। अब अपनी हथेली को धीरे-धीरे रगड़ें ताकि आपकी उंगलियों में मौजूद खून गर्म हो जाए।
स्टेप 3: ग्लूकोमीटर और स्ट्रिप्स को तैयार करना
ब्लड शुगर स्ट्रिप्स डालने से पहले आपको ग्लूकोमीटर बंद कर देना चाहिए। अब आप ग्लूकोमीटर के टेस्ट स्ट्रिप पोर्ट में ग्लूकोज टेस्ट स्ट्रिप डालिए, यह ध्यान रहे कि टेस्ट स्ट्रिप का कॉन्टैक्ट बार ऊपर की ओर हो। स्ट्रिप के कॉन्टैक्ट में आते ही बीप की आवाज आएगी और ग्लूकोमीटर अपने आप चालू हो जाएगा।
स्टेप 4: ब्लड सैम्पल लेना और ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करना
जब आपका डिवाइस ब्लड शुगर का टेस्ट करने के लिए तैयार हो, तो आपको बस अपना ब्लड सैम्पल लेना होगा और अपने ब्लड शुगर को मॉनिटर करना होगा। इसके लिए आपको नीचे दिए गए स्टेप्स या टेस्ट किट बॉक्स पर लिखे निर्देशों को फॉलो करना होगा।
- ग्लूकोमीटर तैयार हो जाने के बाद सबसे पहले आपको पहले से तैयार लैंसेट को अपनी उंगली पर पैड के सामने रखना होगा।
- अब अपनी उंगली में चुभोने के लिए ट्रिगर बटन को धीरे से दबाएं। इस तरह आपकी उंगली से खून की एक बूंद निकलेगी। अपने ग्लूकोमीटर के हिसाब से चेक कर लीजिए कि किस तरह के बूंद की जरूरत है। कुछ मशीन हैंगिंग ब्लड ड्रॉप लेते हैं जबकि कुछ वन टच शुगर टेस्ट मशीन होते हैं, जिसमें खून की छोटी बूंद इस्तेमाल होती है।
- मशीन में पहले से डाली गई शुगर टेस्ट स्ट्रिप के किनारे पर ब्लड सैम्पल लगाया जाता है।
- सबसे सटीक रिजल्ट के लिए 5 सेकेंड इंतजार करें। आपको रिजल्ट g/l, mg/dl, या mmol/l में मिलेंगे। अगर आप रीडिंग की यूनिट पर ध्यान नहीं देंगे तो आप गुमराह हो सकते हैं।
स्टेप 5: इस्तेमाल हो चुके लैंसेट और टेस्ट स्ट्रिप्स का निपटान
शुगर लेवल की जांच के बाद आपको उंगलियों से खून साफ करना होगा। लैंसेट के माउंटिंग पार्ट को खोलने के लिए इंटर्नल कैप को मोड़कर हटा दें। राउंड प्रोटेक्टिव कवर को हटाने के बाद लैंसिंग डिवाइस को फिर से कॉक किया जाता है और लैंसेट नीडल को इसमें डाल दिया जाता है। जब लांसिंग डिवाइस लॉक हो जाए तो लैंसेट हटा दें। अब निकाले गए लैंसेट और शुगर स्ट्रिप्स को कूड़ेदान में फेंक दें।
ग्लूकोज मीटर पर सटीक रीडिंग न आने के कारण
सारांश
ऐसे कई कारण हैं जो ग्लूकोमीटर की एक्यूरेसी को प्रभावित कर सकते हैं। अगर आप एक्यूरेट रिजल्ट चाहते हैं, तो आपको उन गलतियों से बचना चाहिए जिनके कारण गलत रिजल्ट आ सकते हैं। इसके अलावा सैम्पल लेने, अपने डिवाइस को कैलिब्रेट करने और रीडिंग लेने के लिए निर्देशों का ठीक से पालन करें। यह आपको एक्यूरेट रिजल्ट प्राप्त करने और आपके ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए सही ट्रीटमेंट लेने में मदद करता है।
ग्लूकोमीटर पर गलत रीडिंग मिलने के पीछे ये संभावित कारण हो सकते हैं:
- ग्लूकोमीटर स्ट्रिप को किसी ऐसे जगह पर रखना, जहां काफी गर्मी हो या कमरे का तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा हो, ग्लूकोज रीडिंग की एक्यूरेसी को प्रभावित कर सकता है।
- ब्लड शुगर के टेस्ट के लिए खून की अपर्याप्त मात्रा आपको गलत रीडिंग देती है। अगर टेस्ट के लिए लिए गए खून की बूंद टेस्ट एरिया को पूरी तरह से कवर नहीं करती है या टेस्ट पूरा होने से पहले टेस्ट एरिया सूख जाता है, तो इसका मतलब है कि आपने जरूरत से कम मात्रा में खून लिया है।
- एल्कोहल या स्प्रिट से क्लीन करने के बाद गीले स्किन से ब्लड निकालकर, उसे सैम्पल के लिए इस्तेमाल करने से भी गलत रीडिंग आ सकती है।
- ख़राब और लो बैटरी इस्तेमाल करना।
- बैटरी कमजोर हो तो उसे तुरंत बदल दें।
- सभी ग्लूकोज मॉनिटरिंग मीटर में कैलिब्रेशन प्रोसेस, एंजाइम्स और कंप्यूटर प्रोग्राम (एल्गोरिदम) अलग-अलग होते हैं। अगर आप सुबह एक ब्रांड का और रात में दूसरे ब्रांड का ग्लूकोज मॉनिटर इस्तेमाल करते हैं, तो आपको रिजल्ट में अंतर देखने को मिल सकता है।
- आपके शरीर में फ्रेश ब्लड सर्कुलेशन की फ्रीक्वेंसी भी ग्लूकोमीटर मॉनिटर पर रीडिंग को प्रभावित कर सकती है। बांह, जांघ या पिंडली जैसी जगहों से ब्लड सैम्पल लेने पर अक्सर आपको अपनी उंगलियों से सैम्पल लेने की तुलना में कम एक्यूरेट रिजल्ट मिलता है।
- टेस्ट स्ट्रिप्स टैम्परेचर और ह्यूमिडिटी सेंसटिव होते हैं। ज्यादा टैम्परेचर और ह्यूमिडिटी में ब्लड ग्लूकोज का टेस्ट ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस पर रीडिंग को प्रभावित कर सकता है।
- एक्सपायर या डैमेज टेस्ट स्ट्रिप्स का इस्तेमाल भी शुगर ब्लड टेस्ट की एक्यूरेट रीडिंग को प्रभावित करता है।
- यदि आप अपने ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस को ठीक से कैलिब्रेट नहीं कर पाते हैं तो आपको गलत रीडिंग मिल सकती है। अगर आपके ग्लूकोमीटर मॉनिटर में कोडिंग होती है तो आपको पहले अपने डिवाइस को कैलिब्रेट करने के लिए सही कोड दर्ज करना होगा।
कॉमन प्रॉब्लम्स से बचाव
संभावित समस्याओं से बचने के लिए ग्लूकोज मीटर का मेंटनेंस जरूरी है। ग्लूकोमीटर सही तरीके से फंक्शन करे, उसके लिए कुछ चीजों पर ध्यान देना जरूरी है:
- ग्लूकोज मीटर डिवाइस को रेगुलर क्लीन करना चाहिए और कोई भी संकेत मिलने पर QC जांच की जानी चाहिए।
- ग्लूकोमीटर के लिए बैटरियों को स्टॉक में रखना चाहिए।
- टेस्ट स्ट्रिप्स की एक्सपायरी डेट चेक कर लेनी चाहिए क्योंकि एक्सपायर्ड टेस्ट स्ट्रिप्स आमतौर पर गलत रिजल्ट देती हैं।
- टेस्ट स्ट्रिप निकालने के बाद ढक्कन को कसकर बंद कर देना चाहिए। ज्यादा नमी या लाइट स्ट्रिप को डैमेज कर सकती है।
बच्चों के लिए टिप्स
अगर आपके बच्चे को डायबिटीज (टाइप 1 या टाइप 2) है तो ग्लूकोज लेवल टेस्ट कराना जरूरी है। बच्चे को फ्रीक्वेंट ग्लूकोज टेस्ट की आदत डालने के ये फायदे हैं:
- बच्चे को पता चलेगा कि फूड, एक्सरसाइज और दवाओं का ब्लड शुगर लेवल पर क्या प्रभाव पड़ता है।
- बच्चे में अपने शरीर के भीतर हो रहे बदलावों को कंट्रोल करने की भावना आ सकती है।
- बच्चों को वयस्कों की तुलना में ज्यादा बार टेस्ट करना चाहिए, खासतौर पर तब जब वे इंसुलिन पर हों। इसके अलावा, हाइपोग्लाइसीमिया एपिसोड की प्रॉब्लम वाले बच्चों को आधी रात को टेस्ट की जरूरत पड़ती है, और तब भी जब वे बीमार महसूस कर रहे हों।
ग्लूकोज मीटर के प्रकार
सारांश
इनवेसिव, नॉन-इनवेसिव और लगातार मॉनिटरिंग के लिए अलग-अलग ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस मौजूद हैं। वे आपको ब्लड ग्लूकोज टेस्ट का रिजल्ट देने के लिए अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं। नॉन-इनवेसिव मॉनिटरिंग डिवाइस से शुगर लेवल चेक करने में दर्द नहीं होता। ये आपके शरीर में मौजूद बायोफ्लड्स के माध्यम से आपके ब्लड शुगर लेवल को मापते हैं। लगातार मॉनिटरिंग में इस्तेमाल होने वाले डिवाइस में स्किन के नीचे एक इलेक्ट्रोड रख उसे एक ट्रांसमीटर से जोड़ दिया जाता है। इनवेसिव मीटर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है।
बाजार में कई तरह के ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस उपलब्ध हैं। अगर आप अपने लिए सबसे सूटेबल डिवाइस को लेकर स्योर नहीं हैं तो यहां कुछ पॉपुलर डिवाइसेज की लिस्ट दी गई है:
नॉन-इनवेसिव ग्लूकोज मीटर
इस प्रकार का ग्लूकोमीटर मॉनिटर बिना खून निकाले ब्लड ग्लूकोज मॉनिटरिंग करता है। ऐसे ग्लूकोमीटर ब्लड शुगर लेवल का पता लगाने के लिए ऑप्टिकल तरीकों, माइक्रोवेव तरीकों और इलेक्ट्रोकेमिकल तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। आपके शरीर के बायोफ्लड मैटेरियल्स में ग्लूकोज की काफी मात्रा होती है जो डिवाइस को कैलिब्रेट करने के बाद आपके ब्लड ग्लूकोज के लेवल की रीडिंग में मदद करती है।
निरंतर ग्लूकोज मॉनिटर (CGM)
कुछ डायबिटीज के मरीजों को पूरे दिन लगातार ब्लड शुगर लेवल मॉनिटरिंग की जरूरत होती है। ऐसी स्थितियों के लिए लगातार ग्लूकोज मॉनिटर (Continuous Glucose Monitor- CGM) एक आइडियल ऑप्शन है। यह डायबिटीज टाइप-1 और टाइप-2 के मरीजों को निर्धारित अंतराल पर ब्ल्ड ग्लूकोज रीडिंग लेने की अनुमति देता है। इसमें एक छोटा इलेक्ट्रोड आपकी स्किन के नीचे रखा जाता है। इलेक्ट्रोड से एक ट्रांसमीटर जुड़ा होता है जो रिसीवर को डेटा भेजता है।
इनवेसिव ग्लूकोमीटर या टेस्ट स्ट्रिप्स वाले ग्लूकोमीटर
टेस्ट स्ट्रिप्स के जरिए ब्लड टेस्ट करने वाले ग्लूकोमीटर, मार्केट में सबसे ज्यादा पापुलर ग्लूकोमीटर हैं। ऐसे बहुत से ब्रांड हैं जो इस प्रकार के ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस बनाते हैं। इनका इस्तेमाल करना आसान है और ये एक्यूरेट रिजल्ट देते हैं। ये पोर्टेबल, इस्तेमाल में आसान और इनवेसिव ग्लूकोज मीटर हैं। इसमें ब्लड शुगर लेवल टेस्ट करने के लिए ब्लड सैम्पल की जरूरत होती है। ये सस्ता भी है। इनवेसिव ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइसेज की खासियतें, हर मॉडल में अलग होती हैं। इनवेसिव ग्लूकोज मॉनिटर की कुछ खासियतों पर नजर डालते हैं:
- साइज: ब्लड ग्लूकोज मॉनिटर विभिन्न आकारों में उपलब्ध हैं। हथेली के साइज से लेकर रिमोट के साइज तक का ग्लूकोमीटर मार्केट में अवेलेबल है।
- ब्लड सैम्पल वॉल्यूम: ग्लूकोज मॉनिटर के अलग-अलग मॉडल्स के लिए अलग-अलग ब्लड सैम्पल की मात्रा चाहिए होती है। टेस्ट के लिए ब्लड सैम्पल की मात्रा 0.3 से 1 μl तक अलग-अलग होती है। नए मॉडल्स की तुलना में पुराने मॉडल्स के ग्लूकोज मीटर्स को ज्यादा ब्लड की जरूरत होती है।
- ग्लूकोज vs प्लाज्मा ग्लूकोज पर आधारित रीडिंग: प्लाज्मा में ग्लूकोज का लेवल पूरे ब्लड में ग्लूकोज के लेवल से ज्यादा होता है। बाजार में कई ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस उपलब्ध हैं। वे पूरे ब्लड में शुगर लेवल को मापने की बजाय ब्लड शुगर के लेवल को “प्लाज्मा के समतुल्य” के रूप में मापते हैं। मरीजों और उनके हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स को पता होना चाहिए कि उनका ग्लूकोज मॉनिटर रिजल्ट ”पूरे ब्लड के समतुल्य” देता है या या “प्लाज्मा के समतुल्य” देता है।
- डिस्प्ले: ग्लूकोज मॉनिटर ब्लड ग्लूकोज वैल्यू को mmol/l या mg/dL में दिखाते हैं। माप अलग-अलग देशों में अलग-अलग होता है। इसलिए, खरीदार को खरीदने से पहले ग्लूकोमीटर डिवाइस की वैल्यू यूनिट चेक करनी चाहिए। कई मीटर ब्लड ग्लूकोज माप की यूनिट्स में से किसी एक को दिखाते हैं। यह कभी-कभी डायबिटीज के मरीजों और हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स को कन्फ्यूज कर देता है। अगर वैल्यू यूनिट में गलती होती है तो फिर गलत एक्शन भी लिया जा सकता है। इसलिए पूरी सावधानी बरतें।
- मेमोरी: कई मीटर्स में अब घड़ी की सुविधा है। इससे, डायबिटीज के मरीजों को तारीख, समय और पिछले टेस्ट के रिजल्ट्स को याद रखना आसान हो गया है। मेमोरी डायबिटीज मैनेजमेंट का एक अनिवार्य पहलू है। यह डायबिटीज के मरीज को अपने ब्लड शुगर टेस्ट का रिकॉर्ड रखने में सक्षम बनाता है। इससे, वे पिछले कुछ दिनों या हफ्तों में अपने ब्लड शुगर के लेवल के रुझान और पैटर्न को देख सकते हैं।
- डेटा ट्रांसफर: एडवांस्ड ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइसेज अब डेटा भी हैंडल कर सकते हैं। कुछ मीटर ब्लड शुगर टेस्ट रिपोर्ट दिखाने के लिए डायबिटीज मैनेजमेंट सॉफ़्टवेयर वाले कंप्यूटर में डेटा डाउनलोड करने की अनुमति देते हैं। कई ऐसे मीटर भी हैं जो ब्लूटूथ तकनीक या संबंधित ऐप के जरिए स्मार्टफोन में डेटा ट्रांसफर कर सकते हैं। कुछ मीटर ब्लड शुगर लेवल के डेटा के अलावा इंसुलिन डोज, एक्सरसाइज या कार्ब्स सेवन का डेटा भी एंट्री करने की सुविधा देते हैं।
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ब्लड ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइसेज के एडवांस्ड फीचर्स और नए डेवलपमेंट
सारांश
अगर आप एडवांस्ड फीचर्स वाले ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस की तलाश में हैं, तो ग्लूकोमीटर के लेटेस्ट मॉडल्स देखिए। आजकल बहुत सारे ब्रांड टेक-फ्रेंडली ग्लूकोमीटर्स बना रहे हैं। हालाँकि, ये ग्लूकोज मीटर थोड़े महंगे जरूर हो सकते हैं।
ग्लूकोमीटर उपकरणों के लेटेस्ट मॉडल्स कुछ एडवांस्ड फीचर्स एक साथ लेकर आ रहे हैं। जैसे- वायरलेस कनेक्शन, मल्टी-पैरामीटर मोड और स्पीकिंग मोड वगैरह।
- वायरलेस नेटवर्क मॉडल: ग्लूकोज मॉनिटर के वायरलेस नेटवर्क मॉडल से डेटा आसानी से ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म पर ट्रांस्फर हो जाता है।
- मल्टी-पैरामीट्रिक मॉडल: मल्टी-पैरामीटर फीचर वाले मॉनिटर में थर्मामीटर, लैक्टोमीटर और केटोसिस रीडर जैसे फीचर्स भी होते हैं, जो डायबिटीज के अलावा और दूसरी बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए काफी सुविधाजनक है।
- स्पीकिंग मोड मॉडल: स्पीकिंग मोड वाले मीटर दृष्टिबाधित लोगों के लिए उपयुक्त हैं। इसमें मैन्युअल कोडिंग की जरूरत नहीं है, लेकिन स्टेप-बाय-स्टेप वोकलाइज़ेशन प्रोसेस की अनुमति है। यह ऐसे डायबिटीज के मरीजों को अपने ब्लड शुगर के लेवल की खुद से मॉनिटरिंग में मदद करता है।
टेक्नोलॉजी इनेबल्ड ग्लूकोमीटर
ग्लूकोमीटर बनाने वाली कंपनियां अब मीटर्स में नई टेक्नोलॉजी लेकर आ रही हैं। ये आपका ब्लड शुगर लेवल मॉनिटर करने के लिए अलग-अलग मेजरमेंट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं। आप लेटेस्ट और टेक-फ्रेंडली ग्लूकोमीटर को किसी ऐप, वेबसाइट या क्लाउड के साथ सिंक कर सकते हैं। कुछ ग्लूकोमीटर डेटा को सिंक्ड ऐप या वेबसाइट पर स्टोर करने की अनुमति देते हैं। जबकि अन्य कई मशीन आपको रीडिंग को अपनी मेमोरी में स्टोर करने की सुविधा देते हैं।
टेक-फ्रेंडली ग्लूकोमीटर मशीनों में कई पॉपुलर ऑप्शन अवेलेबल हैं।
बाजार में ग्लूकोमीटर मशीन की वाइड रेंज उपलब्ध है। कुछ किफायती और लोकप्रिय विकल्प हैं:
- वायरलेस नेटवर्क मॉडल: इस प्रकार के ग्लूकोमीटर में, ब्लड शुगर लेवल डेटा को ब्लूटूथ या वाई-फाई के माध्यम से ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म पर भेजा जाता है।
- स्पीकिंग मोड वाले ग्लूकोमीटर: ऐसे ग्लूकोमीटर उन लोगों के लिए आसान हैं जो देख नहीं सकते। ऐसे लोग मशीन का इस्तेमाल बिना किसी परेशानी के कर सकें इसके लिए बोलकर प्रोसेस बताया जाता है। इसमें टेस्ट की रीडिंग भी मरीज को सुनाने की सुविधा होती है।
- मल्टी-पैरामीटर वाले ग्लूकोमीटर: इस प्रकार के ग्लूकोमीटर की मदद से आप ब्लड शुगर लेवल की जांच के अलावा अन्य पैरामीटर भी माप सकते हैं। थर्मामीटर, केटोसिस रीडर, कोलेस्ट्रॉल रीडर, लैक्टोमीटर जैसे पैरामीटर एक ही मशीन में मौजूद होते हैं।
ग्लूकोमीटर खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
एक समय था जब ब्लड शुगर के लेवल की मॉनिटरिंग इतना आसान नहीं था। लोगों को ग्लूकोज टेस्ट के लिए ब्लड का सैम्पल देने पैथॉलॉजी जाना पड़ता था। शुक्र है, ग्लूकोमीटर ने अब ब्लड शुगर के लेवल की टेस्टिंग के लिए पैथोलॉजी में जाने का टेंशन खत्म कर दिया है। अगर आप भी घर पर अपने शुगर लेवल पर नज़र रखना चाहते हैं, तो अच्छी क्वालिटी का ग्लूकोमीटर खरीद सकते हैं। ग्लूकोमीटर खरीदते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
एक्यूरेसी
ग्लूकोमीटर खरीदते समय ये सुनिश्चित करें कि आप बेस्ट क्वालिटी का मीटर चुनें जिसकी एक्यूरेसी का अच्छा रिकॉर्ड हो और जिसे अच्छे रिव्यू मिले हों।
टेस्ट टाइम
ज्यादातर ग्लूकोमीटर में टेस्ट का समय 5 सेकंड के भीतर होता है। अगर आपको लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है तो इसका कोई फायदा नहीं है, खासकर जब आपको दिन में 3-4 बार शुगर लेवल टेस्ट करने की जरूरत पड़ती हो।
डेटा स्टोरेज और रिट्राइवल
ब्लड शुगर मीटर के लेटेस्ट मॉडल आपकी ब्लड शुगर टेस्ट रिपोर्ट को स्टोर कर सकते हैं। यह समय-समय पर आपके ब्लड शुगर के लेवल को ट्रैक करने और उसका एनालिसिस करने में मदद करता है। कुछ एडवांस्ड फीचर वाले ग्लूकोमीटर में ईमेल सुविधा भी होती है ताकि आप आसानी से अपनी रिपोर्ट डॉक्टर के साथ शेयर कर सकें। कुछ मीटर यूजर्स के डेटा को अलग-अलग तरीकों से भी स्टोर करते हैं।
ऑटोमैटिक कोडिंग फीचर वाले ग्लूकोमीटर
कुछ ग्लूकोमीटर्स को मैन्युअल कोडिंग की जरूरत होती है। ऐसे में जब भी आप शुगर टेस्ट स्ट्रिप्स के नए बॉक्स का यूज टेस्ट के लिए करते हैं तो कोड की गलत फीडिंग रिजल्ट की एक्यूरेसी को प्रभावित करती है। गलत कोड फीडिंग पर गलत रिजल्ट मिलेगा। इसलिए, ऑटोमैटिक कोडिंग फीचर वाला ग्लूकोमीटर चुनें।
मीटर का मेंटनेंस
ग्लूकोमीटर खरीदना एक बार का इन्वेस्टमेंट है लेकिन आपको मीटर की मेंटनेंस कॉस्ट चेक करनी होगी। खरीदने से पहले ये सुनिश्चित करें कि मशीन को साफ करना और स्टोर करना आसान हो। यह भी चेक करें कि इसमें कैलिब्रेशन की जरूरत है या नहीं।
इनके अलावा, आप ग्लूकोमीटर में और फीचर्स भी देख सकते हैं। आप ऑडियो कॉम्पटिबिलिटी, USB कनेक्टिविटी मोड, रीडिंग बैकलाइट जैसी चीजों को भी देख सकते हैं। कुछ ग्लूकोमीटर एक से ज्यादा टेस्ट चेक प्रदान करते हैं। आप ब्लड शुगर के लेवल के अलावा शरीर में कीटोन के लेवल की जांच कर सकते हैं, कार्बोहाइड्रेट ग्राम्स और इंसुलिन डोज को रिकॉर्ड कर सकते हैं।
ब्लड शुगर रेंज जिसे आप ग्लूकोमीटर पर जांच सकते हैं
अधिकांश ब्लड शुगर मशीनें या ग्लूकोमीटर आपको 20 मिलीग्राम/डीएल से 600 मिलीग्राम/डीएल के बीच ब्लड शुगर के लेवल को मापने की अनुमति देते हैं। जब आपका ब्लड शुगर लेवल 600mg/dL से ऊपर होता है तो आपका ग्लूकोमीटर आपको वास्तविक रीडिंग न देकर हाई या HI रीडिंग दिखाता है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेने की जरूरत होती है।
ग्लूकोमीटर की लागत
ब्लड शुगर टेस्ट किट की औसत लागत 115 रुपये से 4999 रुपये तक है। आप Accu-chek, Accusure, Acqua-check, Dr.Morepen और दूसरे टॉप ब्रांड्स के ग्लूकोमीटर्स चुन सकते हैं। इसी तरह, ब्लड शुगर टेस्ट स्ट्रिप्स की औसत लागत 50 स्ट्रिप्स के लिए 500 रुपये से 1000 रुपये के बीच है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
घर पर ब्लड शुगर टेस्ट के दौरान, ग्लूकोज मॉनिटरिंग मीटर पर 100 mg/d और 140 mg/d के बीच की रीडिंग औसत होती है। इस रेंज से अधिक ब्लड ग्लूकोज की कोई भी वैल्यू असमान ब्लड शुगर लेवल के लिए अलार्म का संकेत है। इसलिए आपको हाई या लो ब्लड शुगर लेवल से संबंधित जटिल समस्याओं को रोकने के लिए तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आपके डॉक्टर शुगर का ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट या हीमोग्लोबिन A1C ब्लड टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं।
अधिकांश ग्लूकोमीटर ब्लड शुगर के लेवल की मॉनिटरिंग के लिए पूरे ब्लड का उपयोग करते हैं। लैब डिवाइस ब्लड ग्लूकोज के लेवल की मॉनिटरिंग के लिए ब्लड के प्लाज्मा का उपयोग करता है। लैब टेस्टिंग में ब्लड ग्लूकोज की मॉनिटरिंग के लिए रेड ब्लड कोशिकाओं का इस्तेमाल नहीं होता है। जिसके चलते आपको अलग-अलग ब्लड सैंपल होने के कारण ब्लड ग्लूकोज मॉनिटरिंग की अलग-अलग रीडिंग मिलती है। ब्लड ग्लूकोमीटर में आमतौर पर 20% तक गलत रिजल्ट आता है। गर्मी, उमस और कम तापमान भी ग्लूकोमीटर पर रीडिंग को प्रभावित करते हैं, इसलिए आपको अलग-अलग रिजल्ट मिल सकते हैं।
एफडीए ग्लूकोमीटर को साफ और कीटाणुरहित करने के लिए मैन्युफ्रैक्चरर को दिशानिर्देश देता है। ध्यान दें कि 70% इथेनॉल सॉल्यूशन वायरस या ब्लड-जनित बीमारी को मारने में अप्रभावी होता है, जबकि 10% ब्लीच सॉल्यूशन डिवाइस को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए आपको ग्लूकोमीटर के साथ उपलब्ध सफाई सॉल्यूशन का इस्तेमाल करना चाहिए। इन्फेक्शन की संभावना को कम करने के लिए इसे सिंगल-पेशेंट के लिए डिज़ाइन किया गया है।
जब ग्लूकोमीटर की मदद से ब्लड शुगर के लेवल की मॉनिटरिंग करते हैं, तो गाइडलाइंस का सावधानीपूर्वक पालन करें। ब्लड की एक बूंद के लिए उंगलियों को जोर से दबाने से आपके ब्लड शुगर के लेवल पर असर पड़ सकता है। अपने हाथ में मौजूद खून को गर्म करने के लिए अपनी हथेलियों को एक-दूसरे से रगड़ें। इससे ग्लूकोमीटर पर ब्लड शुगर के लेवल की मॉनिटरिंग के लिए ब्लड सैंपल आसानी से एकत्र करने में मदद मिलेगी। अपनी उंगली से खून की एक बूंद बाहर निकलने के लिए उंगली को धीरे से दबाएं।
मैन्युफ्रैक्चरर केवल एक बार ब्लड ग्लूकोज मॉनिटर डिवाइस की सिरिंज और लैंसेट का उपयोग करने की सलाह देते हैं। जब इसका एक बार इस्तेमाल हो जाय, तब लैंसेट को बदल देना चाहिए। इससे क्लीयर रीडिंग में मदद मिलती है। नया लैंसेट रीडिंग के लिए सुरक्षित और उचित ब्लड सैंपल को एकत्रित करता है। एक बार इस्तेमाल हो जाने के बाद लैसेंट का उपयोग करने से बचने के लिए लैंसेट बॉक्स पर एक्सपायरी डेट चेक करें। अगर आपके पास ग्लूकोमीटर डिवाइस है, तो आपको लैंसेट की एक्सपायरी पर ही नया लैंसेट बॉक्स खरीदना होगा।
हां, ग्लूकोमीटर किफायती होते हैं। आजकल आप सस्ते और विश्वसनीय ग्लूकोमीटर आसानी से पा सकते हैं, जिनकी लागत ब्लड शुगर टेस्ट के लिए पैथोलॉजी में कई बार जाने की तुलना में कम है।
नहीं, सभी शुगर टेस्ट स्ट्रिप्स सभी ग्लूकोमीटर के साथ मेल नहीं खाते हैं। ब्लड शुगर के लेवल को सही ढंग से मापने के लिए अलग-अलग ग्लूकोमीटर में अलग-अलग टेस्ट स्ट्रिप्स होती हैं। इसलिए आपको सही टेस्ट स्ट्रिप्स खरीदने के लिए उस ब्रांड के प्रोडक्ट को चेक करना चाहिए, जिससे आपने ग्लूकोमीटर खरीदा है।
अगर आपको ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल करने में कोई समस्या आती है, तो आपको सबसे पहले ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस के यूजर्स मैनुअल में ‘ट्रबलशूटिंग’ सेक्शन को चेक करना चाहिए। अगर आप एरर को ठीक करने में सक्षम नहीं हैं, तो आप प्रॉब्लम सॉल्यूशन के लिए कस्टमर केयर से संपर्क कर सकते हैं।
आप शुगर टेस्ट डिवाइस यानी ग्लूकोमीटर ऑनलाइन या स्थानीय मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं। ये आजकल बहुत ही आम डिवाइस है इसलिए आप टॉप ब्रांडों से भी ग्लूकोमीटर आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
हां, ग्लूकोमीटर एक विश्वसनीय डिवाइस है। जिससे आपको अपने ब्लड शुगर लेवल की सबसे सटीक वैल्यू मिलती है। इन खूबियों के चलते ग्लूकोमीटर पर भरोसा किया जा सकता है।
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