Last updated on दिसम्बर 18th, 2024
डायबिटीज आजकल हर उम्र के लोगों में होने वाली आम समस्याओं में से एक है।
यह एक ऐसी समस्या है जिससे आपका शरीर ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए संघर्ष करता है और यह तब होता है जब आपका शरीर इंसुलिन (शरीर का हार्मोन) का उत्पादन या इस्तेमाल नहीं कर पाता है।
हेल्दी लाइफस्टाइल जैसे डाइट कंट्रोल, रोज एक्सरसाइज से डायबिटीज को आसानी से मैनेज किया जा सकता है। लेकिन आपको सामान्य ब्लड शुगर लेवल के लिए कुछ डायबिटिक दवाओं की भी जरूरत हो सकती है।
डायबिटीज की सामान्य दवाओं के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को पढ़ें।
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दवाओं से डायबिटीज का मैनेजमेंट
डायबिटीज के मुख्य तीन प्रकार हैं-
- डायबिटीज टाइप-1
- डायबिटीज टाइप-2
- जेस्टेशनल डायबिटीज
एक बार जब आपको ` हो जाता है तो आपको जीवन भर इसके साथ रहना पड़ता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज केवल गर्भावस्था के दौरान होता है। टाइप 2 डायबिटीज अक्सर डाइट, एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल के माध्यम से मैनेज होता है।
टाइप 2 डायबिटीज को एक्सरसाइज से ठीक से मैनेज किया जा सकता है। डायबिटीज को और अधिक ठीक करने के लिए ब्रीथ वेल-बीइंग के विशेषज्ञ से बात करें।
डायबिटीज टाइप-1 वाले लोगों को इलाज के लिए इंसुलिन की जरूरत होती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज को दवाओं से कंट्रोल किया जा सकता है।
आइए डायबिटीज की दवाओं के बारे में और जानें और समझें कि क्या वे जरूरी हैं या नहीं?
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ओरल दवाएँ- डायबिटीज मैनेजमेंट का मुख्य आधार
ओरल दवाएं उन लोगों के लिए सहायक होती हैं जिनका शरीर अभी भी इंसुलिन प्रोड्यूज करता है। यह मुख्य रूप से डायबिटीज टाइप-2 और जेस्टेशनल डायबिटीज वाले लोगों को होता है। डॉक्टर रोज एक्सरसाइज और डायबिटीज के लिए विशेष डाइट के साथ इन ओरल डायबिटिक दवाओं को निर्धारित करते हैं।
डॉक्टर डायबिटीज के लिए अन्य दवाओं या इंसुलिन के साथ में कुछ ओरल दवाएं भी लिखते हैं। डायबिटीज मेलेटस के बढ़िया मेडिकल मैनेजमेंट के लिए खुराक(डोज) का ध्यान रखने और नुस्खे(पेस्क्रिप्शन)का पालन करने का सुझाव दिया जाता है।
डायबिटीज के इलाज के लिए दवाओं का वर्गीकरण(Diabetes Medicines)
आजकल बाज़ार में डायबिटीज की सैकड़ों दवाएँ उपलब्ध हैं। ओरल डायबिटीज टाइप-2 दवाओं का वर्गीकरण दवाओं को कई वर्गों में विभाजित करता है। इसलिए, डॉक्टरों के लिए आपके डायबिटीज लेवल और हेल्थ स्थिति के अनुसार उपयुक्त दवा लिखना आसान है।
डायबिटीज टाइप-2 के लिए ओरल दवाओं के वर्ग हैं-
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अल्फा-ग्लूकोसिडेज़ इन्हिबिटर्स
इस वर्ग की दवाएं स्टार्च, कार्बोहाइड्रेट और शुगर के डाईजेशन को धीमा कर देती हैं। ऐसी दवाएं भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल को समान और स्टेबल बनाए रखती हैं। गैस्ट्रिक समस्याएं और दस्त इस वर्ग की दवाओं के सामान्य साइड इफेक्ट हैं।
बिगुआनाइड्स
ये लीवर द्वारा जारी ब्लड शुगर की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं। लीवर आपके ब्लड से एक्स्ट्रा शुगर को बाद में इस्तेमाल करने के लिए स्टोर करता है। आपका शरीर तुरंत ऊर्जा बढ़ाने के लिए स्टोर की गई शुगर का इस्तेमाल करता है। इस वर्ग की दवाएं आपके शरीर की कोशिकाओं(सेल्स) को इंसुलिन क्रिया के लिए ज्यादा सेंसटिव बनाती हैं। इसलिए इन ओरल दवाओं से आपके ब्लड शुगर का लेवल गिर जाता है।
मेगालिटिनाइड्स
इस वर्ग की ब्लड शुगर दवाएं अग्न्याशय(पैंक्रियाज) द्वारा इंसुलिन रिलीज को उत्तेजित करती हैं। ज्यादा मात्रा में और बिना प्रिस्क्रिप्शन के मेगालिटिनाइड्स लेने से हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता है। ऐसा अग्न्याशय से इंसुलिन के ज्यादा रिलीज के कारण होता है।
थियाजोलिडाइनायड्स
इस वर्ग की दवाएं बिगुआनाइड्स की तरह ही काम करती हैं। ये लीवर से निकलने वाले ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं। ये आपके ब्लड कोशिकाओं में इंसुलिन सेंसटिविटी को भी बढ़ाते हैं। इस वर्ग की दवाओं के बहुत कम साइड इफेक्ट होते हैं।
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एसजीएलटी2 इन्हिबिटर्स
एसजीएलटी2 इन्हिबिटर्स आपके शरीर को यूरिन के माध्यम से एक्स्ट्रा ब्लड शुगर से छुटकारा पाने में मदद करता है।
आपकी किडनी ब्लड ग्लूकोज को फिर से एब्जॉर्ब कर लेती है। ये दवाएं इस प्रोसेस को ब्लॉक करती हैं। इन दवाओं के साइड इफेक्ट में यीस्ट इंफेक्शन और यूरिन इंफेक्शन (यूटीआई) शामिल हैं।
डाइपेप्टिडाइल पेप्टाइडेज़ इन्हिबिटर्स
ऐसी डायबिटीज की दवाएं किसी भी खाई गई चीज का पेट से आंत तक जाने के प्रोसेस को धीमा कर देती हैं। इससे यह शरीर में ब्लड ग्लूकोज के एबजॉरबेशन को धीमा कर देता है।
इन्क्रीटिन मिमेटिक्स
इन्क्रेटिन मेटाबोलिक हार्मोन या गट पेप्टाइड्स का एक ग्रुप है जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने में सहायक होता है। ये ग्लूकोज पर निर्भर रह कर इंसुलिन रिलीज को तेज कर देते हैं। इन्क्रेटिन मिमेटिक्स डायबिटीज की दवाएं हैं जो इन्क्रेटिन हार्मोन की तरह काम करती हैं। ये भोजन के बाद इंसुलिन के रिलीज को बढ़ाती हैं।
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सल्फोनिलयूरिया
इस श्रेणी की दवाएं आपके शरीर में पैंक्रियाज (अग्न्याशय) से इंसुलिन के रिलीज को बढ़ावा देती हैं। इस वर्ग की टाइप 2 डायबिटीज की दवाएँ दशकों पहले लोकप्रिय थीं। आजकल डॉक्टर इस वर्ग की दवाओं को पसन्द नहीं करते। हाइपोग्लाइसीमिया और वजन बढ़ना इन दवाओं के सामान्य साइड इफेक्ट हैं।
एमिलिन एनालॉग्स
एमाइलिन एक अन्य प्रकार का हार्मोन है जिसे शरीर इंसुलिन के साथ ही जारी करता है। यह इंसुलिन की तुलना में बहुत कम मात्रा में होता है। इसकी भूमिका भोजन के बाद ग्लूकोज लेवल में होने वाली बढ़त को रोकना है।
डॉक्टर आपकी उम्र, ब्लड ग्लूकोज लेवल और अन्य हेल्थ इश्यूज को ध्यान में रखते हुए ओरल दवाएँ निर्धारित करते हैं। डायबिटीज की दवाओं का वर्गीकरण डॉक्टर को आसानी से सही दवा लिखने में मदद करता है। साइड इफेक्ट के बिना डायबिटीज के लिए सबसे अच्छी दवा चुनते समय वे एक्सपर्ट गाइडलाइन का पालन करते हैं। डायबिटीज के लिए दवा के प्रत्येक वर्ग में एक या एक से अधिक दवाएं हैं।
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समरी-
डायबिटीज में प्रयोग की जाने वाली दवाओं का वर्गीकरण उनके काम के आधार पर किया जाता है। वे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए विभिन्न तरीकों से काम करते हैं। ये ऐसी दवाएं हैं जो इंसुलिन के रिलीज के लिए पैंक्रियाज (अग्न्याशय) को तैयार करती हैं। कुछ अन्य दवाएं पेट के एंजाइम की क्रिया को ब्लॉक करती हैं या लीवर से ग्लूकोज के प्रोडक्शन और रिलीज को रोकती हैं। इसमें शामिल सभी दवाओं का उद्देश्य शुगर को कंट्रोल करना है।
टाइप 1 डायबिटीज की दवाओं की सूची
टाइप 1 डायबिटीज एक पुरानी मेडिकल कंडीशन है जिसमें पैंक्रियाज (अग्न्याशय) जरूरी इंसुलिन का प्रोडक्शन कम करता है या बिल्कुल ही नहीं करता है। इंसुलिन थेरेपी टाइप 1 डायबिटीज के मैनेजमेंट का एक क्रिटिकल कंपोनेंट है। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद के लिए कई प्रकार के इंसुलिन उपलब्ध हैं। टाइप 1 डायबिटीज की बहुत सारी दवाएं हैं जो टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट के समान हैं। लेकिन कभी-कभी टाइप 1 डायबिटीज के लिए दवाएं पर्याप्त नहीं होती हैं और उन्हें इंसुलिन के साथ मिलाना पड़ता है।
टाइप 1 डायबिटीज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इंसुलिन हैं-
रैपिड-एक्टिंग इंसुलिन-
शुरुआत- 15 मिनट के भीतर
चरम(पीक)- 1-2 घंटे
अवधि(ड्यूरेशन)- 3-4 घंटे
भोजन के बाद ब्लड शुगर बढ़ने से कंट्रोल करने के लिए तेजी से काम करने वाला इंसुलिन भोजन से ठीक पहले या तुरंत बाद लिया जाता है। शरीर की नैचुरल इंसुलिन रिस्पॉन्स की नकल करने के लिए इसे अक्सर अन्य प्रकार के इंसुलिन के साथ जोड़ा जाता है।
उदाहरण
- इंसुलिन लिस्प्रो (हुमालॉग)
- इंसुलिन एस्पार्ट (नोवोलॉग)
- इंसुलिन ग्लुलिसिन (एपिड्रा)
शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन-
शुरुआत- 30 मिनट से 1 घंटा
चरम(पीक)- 2-3 घंटे
अवधि(ड्यूरेशन)- 3-6 घंटे
शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन को नियमित इंसुलिन के रूप में भी जाना जाता है। खाने के दौरान और बाद में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद के लिए इसे भोजन से 30 मिनट से एक घंटे पहले लिया जाता है।
उदाहरण
- नियमित इंसुलिन (ह्यूमुलिन आर, नोवोलिन आर)
इंटरमीडिएट-एक्टिंग इंसुलिन-
शुरुआत- 1-2 घंटे
चरम(पीक)- 4-12 घंटे
अवधि(ड्यूरेशन)- 12-18 घंटे
इंटरमीडिएट-एक्टिंग इंसुलिन ज्यादा कवरेज देता है।भोजन और रात भर के बीच ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने के लिए बेसल इंसुलिन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
उदाहरण
- एनपीएच इंसुलिन (ह्यूमुलिन एन, नोवोलिन एन)
लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन-
शुरुआत- 1-2 घंटे या देरी से
चरम(पीक)- न्यूनतम या कोई शिखर नहीं
अवधि(ड्यूरेशन)- 24 घंटे तक
लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन पूरे दिन और रात में इंसुलिन का एक स्टेबल बैकग्राउंड लेवल प्रदान करता है। इंसुलिन सपोर्ट की नींव(फाउंडेशन) प्रदान करने के लिए इसका इस्तेमाल बेसल इंसुलिन के रूप में किया जाता है।
उदाहरण
- इंसुलिन ग्लार्गिन (लैंटस, बसगलर, टौजियो)
- इंसुलिन डिटेमिर (लेवेमीर)
- इंसुलिन डिग्लुडेक (ट्रेसिबा)
अल्ट्रा-लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन-
शुरुआत- 1-6 घंटे या देरी से
चरम(पीक)- न्यूनतम या कोई शिखर नहीं
अवधि(ड्यूरेशन)- 36 घंटे तक
अल्ट्रा-लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन काम के लिए और ज्यादा समय देता है। जिससे लगातार कम खुराक(डोज) की जरूरत पड़ती है।
उदाहरण
- इंसुलिन डिग्लुडेक (ट्रेसिबा)
- इंसुलिन ग्लार्गिन U300 (टौजियो)
इंसुलिन का चुनाव स्पेशल डाइट, व्यक्तिगत जरूरतों, लाइफस्टाइल और हेल्थ सर्विस प्रोवाइडर के सुझाव पर निर्भर करता है। टाइप 1 डायबिटीज वाले कई व्यक्ति अपने ब्लड शुगर लेवल को अच्छे से मैनेज करने के लिए इन इंसुलिन का इस्तेमाल करते हैं। जिन्हें बेसल-बोलस थेरेपी कहा जाता है। इसके अलावा इंसुलिन पंप टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों के लिए इंसुलिन खुराक(डोज) में ज्यादा लचीलापन(फ्लेक्सिबिलिटी) और एक्युरेशी दे सकती है। टाइप 1 डायबिटीज वाले व्यक्तियों के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी इंसुलिन थेरेपी को अपनी जरूरतों और लाइफस्टाइल के हिसाब से बनाने के लिए अपनी हेल्थ केयर टीम के साथ मिलकर काम करें।
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टाइप 2 डायबिटीज की दवाओं की लिस्ट
यहां डायबिटीज के लिए सबसे आम दवाओं की सूची(लिस्ट) दी गई है। डॉक्टर डायबिटीज टाइप-2 के इलाज के लिए ये दवाएं लिखते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज की दवा (Sugar Ki Dawai) की सूची नीचे दी गई है
1. मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड
यह सबसे लोकप्रिय और सिंपल टाइप 2 डायबिटीज दवाओं में से एक है। यह सबसे आम दवा है जो डॉक्टर टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों को लिखते हैं। यह बाजार में फोर्टामेट और ग्लूकोफेज के व्यापारिक(ट्रेड) नाम से उपलब्ध है। मेटफॉर्मिन डायबिटीज दवाओं के बिगुआनाइड्स ग्रुप से संबंधित है। मेटफॉर्मिन अलग-अलग खुराक(डोज) की गोलियों में उपलब्ध है। डॉक्टर आपकी उम्र, ब्लड शुगर लेवल और हेल्थ कंडीशन के अनुसार आपको खुराक लिखेंगे।
2. एम्पाग्लिफ़्लोज़िन
यह डायबिटीज दवाओं के एसजीएलटी-2 ग्रुप से संबंधित है। आप इस दवा को जार्डिएंस के व्यापारिक(ट्रेड) नाम से आसानी से ले सकते हैं। टाइप 2 डायबिटीज वाले लोग इस टाइप 2 डायबिटिक दवा को सुबह भोजन के साथ या भोजन के बिना भी ले सकते हैं।
3. ग्लिपीजाइड
यह एक सल्फोनील्यूरिया एंटी-डायबिटिक दवा है। यह ग्लूकोट्रोल के नाम से लोकप्रिय है। कई मरीज़ डायबिटीज को कंट्रोल करने में डाइट कंट्रोल को इफेक्टिव नहीं पाते हैं। इसलिए डॉक्टर उन्हें टाइप 2 डायबिटीज की दवाओं में से यह दवा लिखते हैं। यह डायबिटीज टाइप-1 के उपचार में इस्तेमाल के लिए उपयुक्त नहीं है। आप इस टाइप 2 डायबिटीज की एंटी-डायबिटिक दवा को दिन के पहले भोजन से 30 मिनट पहले ले सकते हैं।
4. एक्सेनाटाइड
यह डायबिटीज टाइप-2 के इलाज के लिए एक इन्क्रीटिन मिमेटिक दवा है। डॉक्टर इस टाइप 2 डायबिटीज की एंटी-डायबिटिक दवा को अन्य दवाओं के साथ में लिखते हैं। पीड़ितों को टाइप 2 डायबिटीज की दवा लेते समय डाइट पर कंट्रोल और व्यायाम(एक्सरसाइज) जारी रखना चाहिए। एक्सेनाटाइड का व्यापारिक(ट्रेड) नाम बायेटा (5मिलीग्राम) है।
5. मिग्लिटोल
मिग्लिटोल एक अल्फा-ग्लूकोसिडेज़ इन्हिबिटर्स है। यह ओरल एंटी-डायबिटिक दवा के रूप में उपलब्ध है। भारत में आप इस टाइप 2 डायबिटीज एंटी-डायबिटिक दवा को यूग्लिटोल (50 मिलीग्राम), मिगसेट (50 मिलीग्राम), मिग्नार (50 मिलीग्राम), मिग्नार-एमएफ (25 मिलीग्राम / 500 मिलीग्राम) और अन्य व्यापारिक(ट्रेड) नाम से आसानी से पा सकते हैं। यह कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिक रेट(दर) को धीमा कर देता है। शुरुआती स्टेज में इसकी खुराक दिन में तीन बार 25 मिलीग्राम है। डॉक्टर दिन में तीन बार आपकी खुराक(डोज) 100 मिलीग्राम तक बढ़ा सकते हैं।
6. लिनाग्लिप्टिन
लिनाग्लिप्टिन ट्रैडजेंटा ब्रांड नाम के तहत उपलब्ध है। यह डाइपेप्टिडाइल पेप्टिडेज़-4 (डीपीपी-4) इन्हिबिटर्स के एक ग्रुप से संबंधित है। पीड़ितों को यह दवा दिन में एक बार भोजन के साथ या भोजन के बिना लेनी होगी।
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7. पियोग्लिटाजोन
यह टाइप 2 डायबिटीज एंटी-डायबिटिक दवा है जो एक्टोस ब्रांड नाम से बाजार में उपलब्ध है। यह एक थियाज़ोलिडाइनडियोन प्रकार की दवा है। यह डायबिटीज पीड़ितों में हाई-ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में सहायक है।
यह शरीर की इंसुलिन पर रिएक्ट करने की क्षमता को बहाल करने में मदद करता है। यदि आप डायबिटीज के लिए कोई अन्य दवा ले रहे हैं तो कृपया इस दवा को शुरू करने या पुरानी दवा को रोकने या जारी रखने से पहले अपने डॉक्टर से बातचीत करें।
8. सीटाग्लिप्टिन
यह टाइप 2 डायबिटीज दवाओं की लिस्ट में एक और दवा है। यह एक ऐसी दवा है जो शरीर में इन्क्रीटिन के लेवल में सुधार करती है। (खासकर भोजन के बाद) यह डाइपेप्टिडाइल पेप्टिडेज़-4 (डीपीपी-4) इन्हिबिटर्स के ग्रुप से संबंधित है। यह दवा 25 मिलीग्राम, 50 मिलीग्राम और 100 मिलीग्राम खुराक(डोज) में उपलब्ध है। डायबिटीज टाइप-2 वाले लोगों को डॉक्टर दिन में एक बार 100 मिलीग्राम की गोलियां लेने की सलाह देते हैं।
9. सैक्साग्लिप्टिन
यह डायबिटीज की दवा डाइपेप्टिडाइल पेप्टिडेज़-4 (डीपीपी-4) इनहिबिटर के ग्रुप का भी हिस्सा है। यह दवा मोनोथेरेपी और अन्य दवा के संयोजन दोनों में काम करती है। कई डॉक्टर प्रभावी परिणामों के लिए मेटफॉर्मिन के इस्तेमाल के साथ इस दवा को लिखते हैं। आप इस दवा को ऑनग्लाइज़ा के ब्रांड नाम से खरीद सकते हैं। इस दवा की खुराक(डोज) दिन में एक बार भोजन के साथ या भोजन के बिना 2.5 मिलीग्राम या 5 मिलीग्राम है।
10. डैपाग्लिफ्लोज़िन
यह दवा सोडियम-ग्लूकोज को-ट्रांसपोर्टर 2 (एसजीएलटी2) इन्हिबिटर्स से संबंधित है। शुगर पीड़ितों के लिए यह दवा किडनी को यूरिन के माध्यम से शरीर से एक्स्ट्रा ब्लड शुगर को बाहर निकालने में मदद करती है। इसका व्यापारिक(ट्रेड) नाम फॉर्क्सिगा है। यह मोनोथेरेपी के रूप में उपयुक्त है। लेकिन डॉक्टर की सलाह पर यह दवा उन लोगों के लिए एड ऑन ट्रीटमेंट के रूप में उपयुक्त है जो पहले से ही इंसुलिन, मेटफॉर्मिन या किसी सल्फोनीलुरिया का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इंसुलिन
कई बार टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों को अपने इलाज में इंसुलिन को शामिल करना जरूरी हो सकता है। इंसुलिन की वही कैटेगरी जो टाइप 1 डायबिटीज के मैनेजमेंट में प्रभावी साबित होती हैं उसी को टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
एक हेल्थ केयर प्रोवाइडर टाइप 2 डायबिटीज के लिए भी उसी टाइप के इंसुलिन के इस्तेमाल करने का सुझाव दे सकता है जो आमतौर पर टाइप 1 डायबिटीज के लिए होते हैं। टाइप 1 डायबिटीज के मामले में इंसुलिन का चुनाव विशेष इंसुलिन जरूरतों और टाइप 2 डायबिटीज वाले व्यक्ति में इंसुलिन की कमी की सीमा पर निर्भर करता है।
इसके लिए आप अपने हेल्थ केयर प्रोफेशनल के साथ बातचीत कर सकते हैं।
डायबिटीज टाइप-2 के इलाज के लिए बाजार में और भी कई दवाएं उपलब्ध हैं। आपके डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा आपको अपने नजदीक के फार्मेसी स्टोर पर ही किफायती दर पर आसानी से मिल जाएगी।
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समरी-
डायबिटीज के लिए ओरल दवाओं का मुख्य उद्देश्य ब्लड शुगर लेवल को मेनटेन करना है। टाइप-2 डायबिटीज की एंटी-डायबिटिक दवा साइड इफेक्ट को काफी हद तक खत्म कर देती हैं। ये आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल को बहुत ज्यादा(खतरनाक तरीके से) कम नहीं करते हैं। टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित जो लोग दवा ले रहे हैं उन्हें अपने ब्लड शुगर लेवल की नियमित रूप से निगरानी करने की जरूरत होती है।
बिना साइड इफेक्ट के मधुमेह की सबसे अच्छी दवा?
इंसुलिन लेने के बाद बिना साइड इफेक्ट के मधुमेह की सबसे अच्छी दवा की बात करें तो भारत में कई कंपनी दावा करती हैं कि उनकी दवाओं का साइड इफेक्ट नहीं होते। शुगर कन्ट्रोल 1mg/500mg टैबलेट एसआर(Sugar Control 1mg/500mg Tablet SR), शुगर नील टैबलेट और पतंजलि दिव्य मधुनाशिनी वटी जैसी दवा भी डॉक्टर की सलाह से ली जा सकती है। हालांकि कंपनी के दावों के बाद भी बिना साइड इफेक्ट के मधुमेह की सबसे अच्छी दवा ले लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
डायबिटीज की ओरल दवाएँ(Sugar ki Tablets)
डायबिटीज के लिए कई ओरल दवाएं हैं जो कुछ अन्य दवाओं के साथ में उपलब्ध हैं। डायबिटीज पीड़ितों के लिए ओरल दवाओं की सूची नीचे दी गई है-
- कज़ानो (एलोग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन)
- प्रांडीमेट (रेपैग्लिनाइड और मेटफॉर्मिन)
- अवंडामेट (रोसिग्लिटाज़ोन और मेटफॉर्मिन)
- मेटाग्लिप (ग्लिपिज़ाइड और मेटफ़ॉर्मिन)
- कोम्बिग्लीज़ एक्सआर (सैक्सैग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन)
- ग्लूकोवेन्स (ग्लाइबराइड और मेटफॉर्मिन)
- जनुमेट और जनुमेट एक्सआर (सिटाग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन)
- जेंटाड्यूटो (लिनाग्लिप्टिन और मेटफॉर्मिन)
- एक्टोप्लस मेट, एक्टोप्लस मेट एक्सआर (पियोग्लिटाज़ोन और मेटफॉर्मिन)
- अवानड्रिल (रोसिग्लिटाज़ोन और ग्लिमेपाइराइड)
ऊपर बताई गई दवाओं के जेनेरिक नाम कोष्ठक(ब्रैकेट)में हैं। आप इन दवाओं को नजदीकी फार्मेसी या ऑनलाइन दवा स्टोर से आसानी से ले सकते हैं। डायबिटीज शुरू होने से पहले डॉक्टर के इंस्ट्रक्शन को फॉलो करना चाहिए।
समरी-
डायबिटीज से पीड़ित लोगों का ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ महसूस होता है। अगर इसे नजरअंदाज किया जाए तो यह दिल का दौरा(हार्ट अटैक), किडनी और लीवर की बीमारी का कारण बन सकता है। ब्लड शुगर लेवल को सामान्य बनाए रखने के लिए सही डाइट कंट्रोल और एक्सरसाइज बहुत जरूरी हैं। इसके साथ ही डायबिटीज टाइप-1 के पीड़ितों के लिए इंसुलिन थेरेपी इस्तेमाल होती है। लेकिन टाइप-2 डायबिटिक वाले लोग दवाओं से अपने डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं। अपने ब्लड शुगर लेवल को सामान्य बनाए रखने के लिए सबसे उपयुक्त दवाएँ शुरू करने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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डायबिटीज की दवाओं के साइड इफेक्ट
यहां सामान्य और गंभीर दोनो तरह के साइड इफेक्ट हैं जो व्यक्तियों को इंसुलिन और डायबिटीज की विभिन्न दवाएं लेते समय अनुभव हो सकते हैं
सामान्य साइड इफेक्ट-
- हाइपोग्लाइसीमिया (लो-ब्लड शुगर)- यह कई डायबिटीज दवाओं, विशेष रूप से इंसुलिन और सल्फोनीलुरिया के सबसे आम साइड इफेक्ट में से एक है। इसके लक्षणों में कंपकंपी, पसीना आना, भ्रम और चक्कर आना शामिल हैं।
- वजन बढ़ना- डायबिटीज की कुछ दवाएं वजन बढ़ा सकती हैं। विशेष रूप से इंसुलिन और सल्फोनीलुरिया
- डाईजेशन की समस्या- मतली, दस्त और पेट की परेशानी जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं डायबिटीज की दवा (विशेष रूप से मेटफॉर्मिन) के सबसे आम साइड इफेक्ट में से कुछ हैं।
- इंजेक्शन का रिएक्शन- जो लोग इंसुलिन या अन्य इंजेक्शन वाली दवाएं ले रहे हैं उनके लिए इंजेक्शन लगने की जगह पर लालिमा(रेडनेस), सूजन या खुजली आम है लेकिन गंभीर नहीं होती है।
- सिरदर्द- डायबिटीज की दवा के साइड इफेक्ट में सिरदर्द भी शामिल है। सिरदर्द कुछ डायबिटिक दवाओं, (विशेष रूप से डीपीपी-4 इन्हिबिटर्स और जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट) के साइड इफेक्ट के रूप में हो सकता है।
- स्किन रिएक्शन- डायबिटीज की कुछ दवाएँ जैसे कि जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट लेने पर कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते या खुजली जैसी समस्याओं का अनुभव हो सकता है।
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या- मतली और दस्त के अलावा, पेट फूलना (गैस), सूजन और कब्ज भी कुछ दवाओं से जुड़े सामान्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइड इफेक्ट हैं।
- इंजेक्शन की जगह पर हाइपरसेंसटिवी- इंसुलिन या अन्य इंजेक्शन का इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों के लिए ये समस्या गंभीर नहीं होती हैं। असुविधा(डिसकंफर्ट) और त्वचा की लालिमा(रेडनेस) का कारण बन सकती हैं।
- यूरिन इंफेक्शन(यूटीआई)- डायबिटीज की कुछ दवाएं (विशेष रूप से एसजीएलटी-2 इन्हिबिटर्स) यूटीआई के खतरे को बढ़ा सकती हैं। जिससे बार-बार यूरिन आना, दर्द या पेशाब(यूरिन) के दौरान जलन जैसे लक्षण हो सकते हैं।
- ज्यादा प्यास लगना और पेशाब(यूरिनेशन)- कुछ दवाएं जैसे एसजीएलटी-2 इन्हिबिटर्स के कारण ज्यादा प्यास और ज्यादा पेशाब का कारण बन सकती हैं।
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गंभीर साइड इफेक्ट-
- गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया- यदि ब्लड शुगर लेवल बहुत कम हो जाता है तो इससे बेहोशी और दौरे पड़ सकते हैं यदि इलाज न किया जाए तो यह जीवन के लिए खतरा हो सकता है।
- एलर्जी- रेयर होते हुए भी कुछ लोगों को इंसुलिन और डायबिटीज की दवाओं से गंभीर एलर्जी रिएक्शन का अनुभव हो सकता है जो सांस लेने में कठिनाई, चेहरे या गले की सूजन और पित्ती के रूप में सामने आ सकती है।
- लैक्टिक एसिडोसिस- यह मेटफॉर्मिन से जुड़ा एक रेयर लेकिन गंभीर साइड इफेक्ट है। जो ब्लड में लैक्टिक एसिड के हाई लेवल की विशेषता है। इससे गंभीर हेल्थ समस्याएं हो सकती हैं।
- पैंक्रियाटाइटिस(अग्नाशयशोथ)- कुछ मामलों में डीपीपी-4 इन्हिबिटर्स जैसी दवाएं अग्नाशयशोथ से जुड़ी हुई हैं। जो पैंक्रियाज(अग्न्याशय) की एक दर्दनाक सूजन है।
- किडनी की समस्या- एसजीएलटी-2 इन्हिबिटर्स को किडनी से संबंधित साइड इफेक्ट से जोड़ा जाता है। जिसमें किडनी इंजुरी और यूरिन इंफेक्शन शामिल हैं जो गंभीर हो सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल-
जेस्टेशनल डायबिटीज का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
इसके उपचार में हाई-फाइबर और कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन शामिल है। जेस्टेशनल डायबिटीज को खत्म करने के लिए रोज एक्सरसाइज के साथ हेल्दी भोजन भी शामिल होना चाहिए। यदि गर्भवती महिलाएं अपने ब्लड शुगर लेवल को सामान्य सीमा में मैनेज नहीं कर पाती हैं, तो डॉक्टर इंसुलिन इंजेक्शन लेने का सुझाव दे सकते हैं। ब्लड शुगर लेवल के आधार पर डॉक्टर या तो तेजी से काम करने वाला इंसुलिन इंजेक्शन या लंबे समय तक काम करने वाला इंसुलिन इंजेक्शन लिख सकते हैं।
क्या डायबिटीज की दवाएँ अकेले ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करेंगी?
डायबिटीज की दवाएं आपके ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने में अकेले काम नहीं करती हैं। आपको अपने डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए सही डाइट के साथ एक हेल्दी लाइफस्टाइल बनाए रखने की जरूरत है। डायबिटीज डाइट चार्ट तैयार करने के लिए आप अपने डॉक्टर या डाइट विशेषज्ञ से चर्चा कर सकते हैं। इससे आपको काफी मदद मिलेगी।
क्या मैं डायबिटीज की दवाएँ लेते समय अपनी मनपसंद मिठाइयों का आनंद ले सकता हूँ?
डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अक्सर डायबिटीज डाइट का पालन करने की सलाह दी जाती है। इससे उनके ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने में मदद मिलती है। डायबिटीज डाइट लेने का मतलब यह नहीं है कि आपको अपना पसंदीदा भोजन छोड़ना होगा। बस आपको सही मात्रा में खाना चाहिए। अपने शरीर के लिए जरूरी रोज के कार्बोहाइड्रेट को सही रखें ताकि आपके ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल में रहे। इस तरह आप डायबिटीज की दवाओं के दौरान अपनी पसंद की मिठाइयों का आनंद ले सकते हैं।
क्या डायबिटीज की दवाएँ डायबिटीज को हमेशा के लिए ठीक कर देती हैं?
नहीं, यह एक मिथक है कि डायबिटीज की दवाएँ डायबिटीज का इलाज हैं। डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित लोग डायबिटीज की दवाओं से अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकते हैं लेकिन दवाएँ लेना नहीं छोड़ सकते। उन्हें जीवन भर डायबिटीज की दवाएँ जारी रखनी होंगी। बाद की परेशानी से बचने के लिए उन्हें निर्धारित खुराक में दवाएं लेने की जरूरत होती है।
क्या शुगर कंट्रोल करने वाली दवाओं के कोई साइड इफेक्ट हैं?
शुगर कंट्रोल करने वाली दवाएं सुरक्षित होती हैं, फिर भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इनके साइड इफेक्ट भी होते हैं। किसी भी अन्य दवा की तरह डायबिटीज कंट्रोल करने वाली दवाएं साइड इफेक्ट भी पैदा करती हैं। ऐसी दवाएं अन्य दवाओं के साथ आसानी से रिएक्ट कर सकती हैं और आपको साइड इफेक्ट दे सकती हैं। डायबिटीज कंट्रोल की इन दवाओं को शुरू करने से पहले आपको अपने डॉक्टर को किसी अन्य प्रकार की दवा के बारे में सूचित करना चाहिए जो आप ले रहे हैं।
क्या डायबिटीज के लिए ओरल दवाएँ काम करेंगी?
जिन लोगों को 10 साल से अधिक समय से डायबिटीज है या जो नियमित रूप से इंसुलिन के इंजेक्शन लेते हैं, उनमें शुगर की दवा की काम करने की संभावना कम होती है। लेकिन ये ओरल दवाएँ उन लोगों पर बेहतर काम करती हैं जिन्हें हाल ही में डायबिटीज टाइप -2 या जेस्टेशनल डायबिटीज हुआ है।
क्या डायबिटीज की दवा बंद की जा सकती है?
कुछ मामलों में लाइफस्टाइल में बदलाव, बेहतर ब्लड शुगर कंट्रोल, या वजन घटाने से दवा में कमी या आपके डॉक्टर की तरफ से दवा बंद करने की अनुमति भी मिल सकती है। लेकिन बिना किसी गाइडेंस के अचानक दवा बंद करने से ब्लड शुगर का लेवल बिगड़ सकता है, जिससे हेल्थ पर बुरा असर हो सकता है। डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए व्यक्तिगत देखभाल की जरूरत होती है।
कई लोग पूछते हैं कि ‘क्या मैं दवा के बिना अपने डायबिटीज को कंट्रोल कर सकता हूं?’ इसका उत्तर हां है (टाइप 2 डायबिटीज और प्रीडायबिटीज के मामले में)। आप अपने डायबिटीज को कैसे ठीक करें और दवाएँ कैसे बंद करें, यह जानने के लिए ब्रीथ वेल-बीइंग में हमारे डायबिटीज रिवर्सल एक्सपर्ट से परामर्श ले सकते हैं। हमारे हेल्थ कोच आपको एक पर्सनल रिवर्सल प्लान बताएंगे जो आपके लिए बेस्ट होगा।
क्या टाइप 2 डायबिटीज को बिना दवा के ठीक किया जा सकता है?
डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है। लेकिन टाइप 2 डायबिटीज को लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव के माध्यम से मैनेज किया जा सकता है और काफी हद तक इससे छुटकारा भी पाया जा सकता है। एक बार जब आप हमारे कार्यक्रम के माध्यम से डायबिटीज से पूरी तरह छुटकारा पा लेते हैं तो आप पीछे नहीं हट सकते। अपनी मौजूदा लाइफस्टाइल में बस थोड़ा सा बदलाव करें और आप एक हेल्दी डायबिटीज फ्री जीवन जीने में सक्षम होंगे।
बिना दवा के डायबिटीज को कैसे ठीक करें?
कई बार डायबिटीज को बिना किसी दवा के भी ठीक किया जा सकता है। ब्रीथ वेल बीइंग प्राकृतिक तरीकों पर ध्यान रखते हुए एक डायबिटीज से आजादी का कार्यक्रम प्रदान करता है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य डायबिटीज से छुटकारा पाना,दवा बंद करना और एचबीए1सी के लेवल को तेजी से सामान्य करना है। व्यक्तिगत शरीर की ज़रूरतों के हिसाब से ये एक हॉलिस्टिक अप्रोच प्रदान करता है। इसमें डायबिटीज से छुटकारा पाने के लिए डाइट में बदलाव, एक्सरसाइज, तनाव मैनेजमेंट और लाइफस्टाइल में परिवर्तन शामिल हैं।
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